लॉकडाउन में मेरी बहन की गैर मर्द से चुत चुदाई- 1

सेक्सी दीदी की चुदाई का नजारा मैंने देखा तो नहीं पर सुना जरूर. जीजू मेरी बहन को कमरे में चोद रहे थे, मैं खिड़की के बाहर उनकी सिस्कारियां और चीखें सुन रहा था.

दोस्तो … मेरा नाम अंशित है. मैं हरियाणा का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 19 साल है.
मैं काफी दिनों से अन्तर्वासना का पाठक हूँ.

ये कहानी मेरी बड़ी दीदी कोमल के बारे में है. यहां मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैं लॉकडाउन में उसके ससुराल में फंस गया और मैंने फिर वहां क्या देखा.

सबसे पहले मैं आपको अपनी फैमिली के बारे में बता देता हूँ.
मेरे परिवार में मम्मी पापा, बड़ा भाई और बड़ी बहन हैं. बहन का नाम कोमल है.

कोमल दीदी की उम्र 27 साल है. उसकी शादी को अभी दो साल हुए हैं.
उसके ऑफिस में उसके साथ ही काम करने वाले एक लड़के जयदीप ने उसे पटा लिया और शादी कर ली.
वो लड़का जाट है.

मैं आपको बता दूँ कि यहां हरियाणा में लड़कियों को जाट लड़के बहुत पसंद आते हैं क्योंकि वो लंबे तगड़े होते हैं और काफी पैसे वाले भी.
किसी भी लड़की को इन दोनों सुख के अलावा और क्या चाहिए होता है.
मस्त चुत चुदाई और ऐश की जिन्दगी, ज्यादातर लौंडियां बस लड़कों में यही खोजती हैं.

मेरी कोमल दीदी बड़ी ही मस्त आइटम हैं. आपको भी पहले मेरी सेक्सी दीदी के बारे में थोड़ा जान लेना चाहिए.

दीदी ने शादी के दो साल बाद भी अभी कोई बच्चा पैदा नहीं किया है. उनके पति की पहली बीवी से एक लड़का है, जो अभी 4 साल का है. उसकी पहली बीवी मर चुकी है.

कोमल दीदी की हाइट साढ़े पांच फीट के करीब है. उसका बदन भरा हुआ है. दीदी के बूब्स 34बी साइज के हैं. ये बात मुझे बाथरूम में उसकी ब्रा का नम्बर देख कर पता चली थी.

उसकी कमर 32 इंच से थोड़ी ज्यादा होगी. क्योंकि वो एक बार मेरे साथ बाजार गई थी तो दुकानदार को बोल रही थी कि भैया 32 इंच की जीन्स थोड़ी टाइट लगती है. इस तरह से मुझे मेरी दीदी की कमर का नाप मालूम हो गया था.

बाकी बचे उसके हिप्स, तो वो तो समझो उसके जन्नत के पहाड़ हैं. नाप तो नहीं मालूम मगर उसके उठे हुए चूतड़ों को देख कर अच्छे खासे शरीफ आदमी का लंड भी खड़ा हो सकता है.

जब वो कुंवारी थी तो उसे ऑफिस से लाना ले जाना मेरा ही काम था. उसे बाइक पर लाते समय बहुत बार मुझे मेरी पीठ पर उसके बूब्स टच होते थे.
राह चलते लड़के तो उसे ऐसे घूरते थे जैसे उनका बस चले तो उसे अपने घर ले जाएं.

काफी बार मैंने उसकी ब्रा और पैंटी बाथरूम में देखी, जो वो ऑफिस जाने की जल्दी में वहीं पड़ी छोड़ जाती थी.
मैंने बहुत बार उन्हें अपनी नाक से लगा कर सूंघा और लंड पर लपेट कर लंड भी हिलाया.

जब लॉकडाउन का ऐलान हुआ तो मैं उसके घर था और वहीं फंस गया था.

कोमल के सास और ससुर भी गांव गए हुए थे और वो साथ में अपने पोते को भी ले गए थे क्योंकि वो कोमल और उसके पति के साथ ज्यादा नहीं रहकर दादा दादी के पास ज्यादा रहता था.

कोमल की शादी रोहतक हुई थी, लेकिन वो रहते पंचकूला में थे. वहां उसके ससुर का बिजनेस था और शादी के बाद उसके पति की सरकारी नौकरी भी वहीं पर लग गई थी.

खैर … लॉकडाउन लगा तो सब हक्के बक्के से रह गए. घर में कोमल दीदी थी, उसका पति जयदीप और मैं था.

लॉकडाउन में एक दो दिन बीते और सब ऐसे ही चलने लगा.

मेरा रूम ऊपर दूसरी मंजिल पर था तो मैं ऊपर सोता था.
लेकिन उधर टॉयलेट नहीं था तो पेशाब के लिए नीचे आना पड़ता था.

सीढ़ियां पीछे से उतरती थीं. वहां कोमल दीदी के कमरे की खिड़की लगती थी. उस पर पर्दे लगे थे.

एक दिन मैं पोर्न देख कर नीचे पेशाब करने के लिए आया तो मुझे दीदी और जीजा जी में थोड़ी कहा सुनी की आवाज आई.

उस वक्त रात के 12.30 बजे थे. मैंने सोचा कि जीजा कोमल को चोद रहा होगा.

ये सोच कर मैंने अपने कान खिड़की पर लगाए तो दोनों झगड़ रहे थे.
कमरे की लाइट बंद थी जिस वजह से कुछ दिख नहीं रह था.

छोटा सा कोई बल्ब जल भी रहा होगा तो पर्दे में क्या दिखता.

मैं वहीं खड़ा हो गया और उनकी बातें सुनने लगा.
पता चला वो झगड़ नहीं रहे थे.

जयदीप उससे किसी बात की मिन्नत सी कर रहा था- प्लीज यार कोमल प्लीज!
वो बोली जा रही थी- यार आप पागल हो क्या!
मैंने सोचा कि जीजू का मूड होगा और कोमल का नहीं होगा.
ऐसा तो होना ही था.

कोमल बहुत कामुक लुक की थी. मेरी सेक्सी दीदी के बूब्स और हिप्स पर तो मैं भी फिदा था. मैंने उन्हें याद करके बहुत बार मुठ मारी थी.

फिर कुछ देर बाद मैं ऊपर कमरे में चला गया.

अगले दिन मैंने देखा कि कोमल की प्लाज़ो सलवार बाथरूम में टंगी थी. मैंने बाथरूम लॉक किया और नंगा होकर उसकी सलवार को चुत की जगह से नाक पर रख कर सूंघने लगा.

फिर देखा कि उसकी ब्रा पैंटी भी वहीं थे.
पैंटी पर थोड़ा गीलापन था. सूँघी तो लंडरस की महक आयी. मैं समझ गया कि कोमल को चोद कर जीजू ने वीर्य कोमल की पैंटी से ही दोनों का माल पौंछ कर साफ किया होगा.

मैं कोमल की पैंटी को किस कर करके सूंघ रहा था और लंड हिला हिला कर मुठ मार रहा था.

बाद में बाहर आकर देखा तो जीजू तो जॉब पर जा चुका था क्योंकि उसके लिए कोई लॉकडाउन नहीं था. उसे ड्यूटी पर जाना जरूरी रहता था.

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कोमल रसोई में थी. उसने नायलॉन का टाइट लोअर और टी-शर्ट डाली हुई थी जिसमें से उसके 34 के बूब्स और 36 की गांड साफ दिख रही थी.

मेरी बहन की जवानी उससे भी सम्भाली नहीं जा रही थी.
किसी का भी दिल उसकी मस्त जवानी पर फिसल जाना लाजिमी था.

मेरा सारा दिन बस उसे यूं ही देखते निकल गया. कभी खुद को रोककर टीवी देखने लगता, कभी कोमल की जवान फिगर को फिर से ताड़ने लगता.
वो दिन बीत गया.

अब रात को खाना खाकर वो दोनों अपने रूम और मैं अपने रूम में आ गया.
मैं पोर्न देख रहा था तो मुझे आइडिया आया कि क्यों न खिड़की पर जाकर आज फिर से उन दोनों की बातों को सुनूँ.

मैंने टाइम देखा तो 10.45 हुए थे. मैंने सोचा यही टाइम चुदाई का होता है.

मैं आराम से दबे पैर जीने पर आ गया और खिड़की के पास खड़ा हो गया.

दोनों बातें कर रहे थे और साथ में एक दूसरे को किस भी कर रहे थे.
मतलब वो ज्यादा जोर से नहीं बोल रहे थे लेकिन तब भी मुझे उनकी आवाजें सुनाई दे रही थीं.

तभी कोमल बोली- मुझे सुसु के लिए बाहर जाना है, एक बार हटो … मुझे कपड़े डालने दो.
जीजू बोला- यार, पेशाब तो मुझे भी जाना है.

वो बोली- तो हटो तो, कपड़े तो डालने दो और खुद भी डाल लो.
इससे में समझ गया कि दोनों नंगे पड़े हैं और जीजू दीदी की ऊपर चढ़ा हुआ है.

जीजू ने कहा- अरे यार ऐसे ही चलते है … बस बेडशीट लपेट ले.
कोमल बोली- पागल हो क्या … ऊपर अंशित है, वो नीचे आ गया तो!

वो बोला- अरे वो तो सो गया होगा.
दीदी बोली- ठीक है.

तभी मैंने सोचा कि अब ये दोनों आ रहे हैं, तो मुझे हट जाना चाहिए.
मैं थोड़ा ऊपर को होकर छिप गया. एक मिनट बाद वो दोनों बाहर आए.

मैंने जो नजारा देखा, वो बहुत अजीब सा था. दोनों एक ही चादर में लिपटे थे और कोमल अपने पति की गोद में थी.

दीदी जीजू से चिपकी हुई थी और उसने अपनी पति जयदीप को अपने पैरों से लॉक किया था. मतलब वो दोनों मिशनरी स्टाइल में थे.
वो दोनों बाथरूम इस्तेमाल करके वापस कमरे में चले गए.

मैं फिर से खिडकी के पास आकर खड़ा हो गया.

मैं भी सोच रहा था कि जब बहन इतना खुल कर मजा ले रही है, तो मैं क्यों पीछे रहूँ.

ये सोच सोच कर मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैं अपना लंड सहलाने लगा.

उधर मेरे जीजा ने धक्के देते हुए कोमल पर पप्पियों की बारिश कर दी.
मैं देख तो नहीं पा रहा था लेकिन जैसे कोमल की आवाजें आ रही थीं तो मैं समझ सकता था कि जीजू कोमल की डॉगी स्टाइल में ले रहा है.

लगभग आधा घंटा चोदने के बाद दोनों फिर से बात करने लगे.

जीजू ने कहा- तू प्यार तो करती है, पर मेरी बात नहीं मानती.
दीदी बोली- जो मानने की हो, तो मानूं ना.
जीजू बोला- कोमल मेरी जान, बस एक बार.

कोमल- यार वो आपकी कजिन है, मतलब बहन जैसी … और मैं आपकी बीवी हूँ.
जयदीप- यार कोमल, मैं पूनम को बहुत पसंद करता हूँ. लेकिन कभी कह नहीं पाया. प्लीज यार तू मेरी हेल्प कर न. क्या हुआ वो कजिन है तो … में तो उसमें बस एक हॉट लड़की देखता हूं. मेरा बड़ा मन है उस पर!

कोमल- लेकिन मोनू को कैसे राजी करोगे.
मोनू पूनम का पति है.

जयदीप- यार, हम दोनों दोस्त हैं. हम ओपन भी हैं और पूनम को वो खुद मना लेगा. प्लीज कोमल मना मत करो. लॉकडाउन में उसके घर भी कोई नहीं है. प्लीज जा न … हां बोल दे.
कोमल- यार तुम फालतू की जिद कर रहे हो. ऐसे थोड़ी होता है. पागल हो तुम … और इसका किसी को पता चला तो बदनामी का क्या?

जयदीप- यार कैसे पता चलेगा! न उसके घर पर कोई है और न हमारे.
कोमल मेरा नाम ले कर बोली- और मेरा भाई अंशित!

जयदीप- यार वो तो जल्दी सो जाता है है. फिर तुम इतनी भी न बनो, अब मुझे पता है … तुम उसे हैंडल कर लेती हो.
कोमल- यार तुम पता नहीं क्यों पागल हुए जा रहे हो. तुम्हें बुरा नहीं लगेगा?

जयदीप- यार अभी ही टाइम है जिंदगी के मजे लेने का … बूढ़े होकर तो बस कहीं पड़ा रहना है.
इस बात पर वो दोनों हंसने लगे.

जयदीप- बोलो न यार कोमल … क्या बोलती है?
कोमल पहले तो चुप रही फिर अचानक से बोली- ओके ठीक है. लेकिन ये पहली और आखिरी बार होगा … और वो भी तुम्हारे लिए!

जयदीप- ओह थैंक्स यार.
तभी मेरी दीदी को किस करने की आवाज आने लगी.

‘यार तुम मेरा बहुत ख्याल रखती हो. सही में मैं पूनम के साथ एक बार करने के बाद किसी दूसरी औरत की तरफ देखूंगा भी नहीं. थैंक्यू मेरी जान.’
कोमल- यार लेकिन मेरे लिए किसी दूसरे मर्द को अपने बदन को ऐसे सौंप देना आसान नहीं होगा. यार जरूरी है कि जयदीप …

‘यार कम ऑन … हम पढ़े लिखे हैं, कैसी बात कर रही हो इसे एन्जॉय करना कहते हैं. वो भी तुम्हें पसन्द करता है. मैं भी पूनम को अपनी बांहों में लेने के लिए पागल हूँ.’
थोड़ी सी ऐसे ही बात करने के बाद दोनों सो गए.

अब मेरा दिमाग खराब हो गया. मैं समझ गया था कि मेरा जीजू पूनम को चोदना चाहता था और बदले में कोमल को उसके पति मोनू को दे रहा था.
मैं हैरान भी था कि कोमल भी मान गयी है.

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दोस्तो, मैं आपको बता दूँ कि पूनम मेरे जीजा के बुआ की लड़की है. वो यहीं इसी शहर में रहती है. एक दो बार मैंने उसे देखा भी है. सच में वो एक मस्त बला है, एकदम गोरी-चिट्टी, मस्त गांड और बूब्स वाली आइटम है.

खैर … आपको तो पता ही होगा कि हरियाणा की लड़कियां बहुत ही हॉट होती हैं … और शादी के बाद तो पति चोद चोद कर उन्हें और ज्यादा निखार देता है.

फिर अगले दिन मैं सुन रहा था तो दीदी को जीजू बता रहा था कि वो दोनों भी राजी हैं. मोनू पूनम को घर पर छोड़ कर कल यहां आएगा और मैं वहां उसके घर जाऊंगा.
अब कोमल बोली- यार, मेरी तो हार्ट बीट अभी से बढ़ गयी है.

वो बोला- यार रिलेक्स … और सुनो तुम अपने भाई को कैसे भी हैंडल कर लेना.
मेरी दीदी ने बस हल्का सा ह्म्म्म कर दिया.

फिर वो दोनों सो गए.

अगले दिन मेरा तो दिमाग खराब हो गया.

दीदी ने दिन में सब कपड़े धोए … और फिर मुझसे बोली- मैं मेडिकल स्टोर तक जा रही हूं. मुझे एक सिर दर्द की गोली लेनी है.
मैंने ओके कह दिया और आराम से टीवी देखता रहा.

वो दस मिनट में ही आ गयी और नहाने चली गयी. मैं जब बाथरूम की तरफ गया तो मुझे वीट की महक आ रही थी.
मैं समझ गया आज कोमल अपनी चुत चिकनी कर रही है. शायद वो अपनी बगलों के बाल भी साफ़ करेगी. उसने फेसपैक भी यूज़ किया था. मैं समझ गया कि ये कैसी तैयारी चल रही है.

मैं मन ही मन बोला कि दीदी आप तो इतनी सुंदर हो कि फैसपैक की जरूरत ही नहीं है. मोनू वैसे ही लट्टू हो जाएगा.

फिर शाम को मैंने देखा तो जीजा कहीं जाने को तैयार हो रहा था.
मैंने दीदी से पूछा- ये कहां जा रहे हैं?

वो बोली- उन्हें जरूरी काम से जाना है … सुबह ही वापस आएंगे.
मैंने बोला- ठीक है.

समझ तो मैं भी सब रहा था.
दीदी भी तैयार होने लगी.

उसने लहंगा और चुन्नी वाली ड्रेस डाली, जो लाल रंग की थी. कोमल उसमें एकदम परी जैसी लग रही थी. मेरा तो उसे देख कर ही खड़ा हो गया था.
जीजू चले गए.

मैंने पूछा- दीदी आप भी कहीं जा रही हो क्या?
वो बोली- नहीं, ड्रेस रखी रहती है … अब न कहीं जाऊं, तो सोचा घर में ही डाल लूं.

मैं साफ देख रहा था कि जितना पागल मेरा जीजू पूनम की चुदाई करने को था, वो भी गैर मर्द के लंड में उतनी ही रुचि ले रही थी.
शाम को 7 बजे डोर बेल बजी.

मैंने देखा कि एक लंबा सा लड़का खड़ा था.
वो गाड़ी से उतरकर डोरबेल बजा रहा था.

मैंने पूछा- जी बोलिए?
उसने बोला- मैं मोनू … मुझे आपके जीजू ने भेजा है. लो फ़ोन पर बात कर लो.
उसने मुझे फ़ोन दे दिया.

दूसरी तरफ से जीजू बोले- ये मेरा दोस्त है … इसे अन्दर ले जाओ.
‘ठीक है जीजू.’

मैं उसको अन्दर ले गया.
तभी दीदी आयी और बोली- आइये जीजा जी … कैसे हो आप!

मैं समझ गया कि ये कौन है और क्या करने आया है.
दीदी ने उसे पानी दिया.

मैंने रसोई में जाकर दीदी से पूछा कि ये कौन है?
वो बोली- तेरे जीजू का दोस्त है. उनकी कजिन पूनम का पति, यहां से गुजर रहे थे, तेरे जीजू से काम था कुछ, तो घर आए हैं.

इस पर मैंने बोला- लेकिन जीजू तो घर पर हैं नहीं!
वो बोली- हां ये भी अभी चले जाएंगे … और तू भी इन्हें जीजू ही बोलना क्योंकि ये तेरे जीजू ही लगते हैं.

मैंने बोला- ठीक है.
मैं समझ चुका था कि मेरी दीदी यानि कोमल भी आज इससे चुदाई कराने के मन बना चुकी है.

दोनों थोड़ी फुसफुसाते हुए से बात करने लगे.

वो उससे बोली कि घर पर जयदीप तो नहीं है.
इस पर मोनू बोला- हां मुझे मालूम है … घर पर आप लोग अकेले न रहें और सेफ फील करें, इसी लिए जयदीप ने मुझे यहां भेज दिया है. मुझे पता था कि वो काम से गया है. उसने मुझे बोला था.

अब कोमल रसोई में आई और मुझसे बोली- ये आज यहीं रुकेंगे.
मैंने बोला- ठीक है.

कोमल ने खाना बनाया.

मोनू की हाइट 5 फुट 10 इंच के करीब होगी. वो ज्यादा तगड़ा तो नहीं था लेकिन अच्छे लुक का लड़का था.
वो मेरी दीदी को वासना से घूर रहा था. मैं भी नजरें बचाकर सब देख रहा था.

मैंने खाना खा लिया. मेरे साथ ही दीदी ने भी खा लिया.
वो बोली- मोनू जीजू तो लेट खाते हैं, वो यदि आए … तो आकर खा लेंगे. रात के 9.20 हो गए हैं. तुम सो जाओ.

मैं टीवी देख रहा था. दीदी रसोई में थी और उसका एक रात का पति यानि मोनू ऊपर छत पर घूम रहा था.

तभी दीदी के फ़ोन पर फ़ोन आया. वो रसोई में ही बात करने लगी.

मैं बाहर गया, तो देखा कि मोनू भी फ़ोन पर लगा था. मैं समझ गया कि ये दोनों ही बात कर रहे हैं और मैं कवाब में हड्डी बन रहा हूँ.

मैं रूम में आया और टीवी देखने लगा.
बस मैंने दीदी को हल्के से इतना कहते सुन लिया कि हां मैं वो वाली नींद की दवा लायी हुई हूँ. वो मैं उसको दूध में दे दूँगी.
मैं उसकी बात से कुछ समझा नहीं.

अब मेरी सेक्सी दीदी की चूत चुदाई की कहानी में आगे क्या हुआ, वो मैं आपको इस कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.
आप मुझे मेल करना न भूलें.
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