दोस्त की कुंवारी बीवी को सेक्स का मजा दिया- 2

देसी भाभी न्यूड चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं दोस्त के घर गया तो उसकी पत्नी ने कामुक हरकतों से पटाया. उसने बताया कि वो मेरा दोस्त उसके साथ कुछ नहीं कर पाया.

हैलो फ्रेंड्स, मैं आपका दोस्त हर्षद आपको एक बार से फिर से दोस्त की गांड चुदाई और उसकी बीवी की चूत चुदाई की कहानी में जाने के लिए हाजिर हूँ.
पिछले भाग
दोस्त की बीवी शादी के बाद भी कुंवारी थी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे दोस्त विलास की बीवी सरिता मुझसे चुदने के लिए बेचैन हुई जा रही थी और मेरी बांहों में मचल रही थी.

अब आगे देसी भाभी न्यूड चुदाई कहानी:

मेरे सामने उसकी मस्त फूली हुई चुत दिख रही थी.
सरिता की उभरी हुई चुत और उसकी दोनों फांकों के अन्दर धंसी हुई पैंटी की वजह से उसकी चुत बहुत ही उठावदार दिख रही थी.

मैंने झुककर उसकी चुत को अपने होंठों से चूम लिया.

सरिता पहली बार किसी मर्द के होंठों का स्पर्श अपनी चुत पर महसूस कर रही थी.

वो बहुत ही कामुक होकर बोली- हाय हर्षद … ये क्या कर रहे हो … ऐसी गंदी जगह पर भी कोई चुम्बन करता है क्या? तुम्हारे दोस्त ने आज कभी छुआ ही नहीं अभी तक, लेकिन मेरे राजा मुझे बहुत मजा आ रहा है हर्षद.

मैंने कहा- सरिता, मैं तुम्हें हर खुशी देना चाहता हूँ. तुम्हें और खुशी चाहिए ना? तुम हर एक पल का आनन्द ले लो सरिता.
सरिता बोली- हां हर्षद, अब तुम मुझे हर वो खुशी देना … जो मुझे शादी के बाद नहीं मिली.

मैंने सरिता की पैंटी नीचे सरकाकर निकाल दी.
अब सरिता पूरी नंगी थी.
देसी भाभी न्यूड थी, उसकी मस्त उभरी हुई चुत पूरी साफ थी, चुत पर एक भी बाल नहीं था.

शायद सरिता ने आज सुबह ही अपनी चुत की झांटों की शेविंग की थी.
चुत पूरी गीली हो गयी थी, बहुत कसी हुई चुत थी.

मैंने अपनी जीभ चुत पर ऊपर से नीचे तक चलायी, तो सरिता छटपटाने लगी.
उसके मुँह से वासना भरी सिसकारियां निकल रही थीं.

उसका चुत रस बहुत ही टेस्टी था और उसमें से मस्त सुगंध आ रही थी.
ऊपर का पूरा रस मैंने चाटकर साफ कर दिया.

सरिता लगातार सिसकारियां भर रही थी और वो दोनों हाथों से मेरी पीठ और गांड को सहला रही थी.
बीच बीच में वो मेरे लंड को अंडरपैंट के ऊपर से ही दबा देती थी.

मेरा लंड अन्दर फड़फड़ा रहा था, मेरा जोश और बढ़ने लगा.

अब मैंने सरिता की चुत की दोनों पंखुड़ियों को दोनों हाथों से अलग की और अपनी जीभ चुत के अन्दर डाल दी.
वो एकदम से सिसक उठी और उसकी टांगें कुछ ज्यादा ही फ़ैल गईं.

उसने अपनी गांड उठाई तो मैं जीभ को और अन्दर ठेल कर अन्दर बाहर करने लगा.
उसकी मस्त गुलाबी चुत अन्दर से बहुत ही गर्म थी.

सरिता अब पागलों के जैसी सीत्कारने लगी थी. वो ये सब पहली बार अनुभव कर रही थी.
वो बहुत ही ज्यादा कामुक हो गयी थी.

जब उससे रहा ही नहीं गया तो उसने मेरी अंडरपैंट नीचे खिसका दी और मैंने भी उसे सहयोग देकर पांव से अंडरपैंट अलग कर दी.

अब मैं भी नंगा हो गया था.
मेरा लम्बा मोटा लंड सरिता के मुँह पर झूलने लगा था.

सरिता ने दोनों हाथों में मेरे लंड को पकड़ लिया और वो अपने कोमल हाथों से लंड सहलाने लगी.
उसके इस तरह से लंड सहलाने से मेरा जोश और बढ़ने लगा.

इधर मैं उसकी चुत को पूरी जीभ अन्दर बाहर करके चोद रहा था तो सरिता मेरा सर अपनी जांघों में जकड़ ले रही थी.

तभी उससे सहा नहीं गया और वो झड़ने लगी.
मैं अपनी जीभ से चुत का रस चाटने लगा.

सरिता ने भी अपनी टांगें दोनों तरफ फैला दीं. ढेर सारा चुतरस लावा की तरह चुत से बह कर गांड के छेद पर जा रहा था.

मैं अपनी जीभ तेजी से चुत से लेकर सरिता की गांड के छेद तक फिरा रहा था और चुतरस चाट रहा था.

जानबूझकर मैं सरिता की गांड के छेद पर अपनी जीभ गोल गोल घुमा देता था, जिससे सरिता की कामुकता और बढ़ जाती थी और वो अपनी गांड को ऊपर उठा देती थी.

इधर मेरा लंड वो जोर से मसल देती थी.

फिर मेरे लंड का फूला हुआ सुपारा उसने अपने मुँह में ले ही लिया और लंड चूसने लगी.

इससे मेरा जोश और भी बढ़ गया था. सरिता पहली बार मेरा बड़ा सा सुपारा चूस रही थी, बहुत ही मुश्किल से उसने लंड मुँह में लिया था. उसकी सांसें रुक जातीं तो वो लंड बाहर निकाल देती और फिर से अन्दर ले लेती थी.

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कुछ पल बाद सरिता बोली- आह हर्षद … इतना बड़ा पूरा मेरे मुँह में गया, तो मैं मर ही जाऊंगी. हर्षद, तुम्हारा मूसल इतना बड़ा है.

इस तरह सरिता पागलों सी बड़बड़ा रही थी. इधर मैं अपनी पूरी जीभ उसकी चुत के छोटे से छेद में डालकर चोद रहा था.

सरिता मदहोश हो रही थी. अपनी गांड उठाकर मेरे मुँह पर दबाव बढ़ाती थी.
फिर वो अपने एक हाथ से मेरा सिर अपनी चुत पर दबाने लगी.

मैंने सरिता की चुत चाटकर पूरी साफ कर दी थी.
सरिता बोली- हर्षद, अब डाल दो अपना लंड मेरी चूत में … अब नहीं रोक सकती अपने आपको. बहुत आग लगी है चूत में हर्षद.

ये कह कर उसने मेरा सर अपनी चुत से दूर कर दिया.

मेरा लंड भी अब चूत में जाने के लिए फड़फड़ा रहा था.
मैं सरिता के ऊपर से उठ गया और एक तकिया लेकर सरिता की गांड के नीचे रख दिया.

मैंने सरिता से कहा- एकाध कपड़ा दे दो … नहीं तो कोई पुराना टॉवेल दे दो. तकिये पर डालना है, नहीं तो तकिया खराब हो जाएगा.
वो बोली- मेरा गाउन ही डाल दो हर्षद. उसकी वजह से तुम्हारी यादें जुड़ी रहेंगी.

मैंने कहा- जैसी तुम्हारी मर्जी सरिता!
मैंने उसका गाउन तकिया पर बिछा दिया.

अब मैं सरिता की दोनों टांगों के बीच अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपनी चुदाई की पोजीशन में आ गया.

सरिता ने मेरी दोनों टांगों में अपनों टांगें फंसाकर चुत का मुँह और खुला कर दिया.
मैंने अपने मुँह से ढेर सारा थूक सरिता की चुत पर मल दिया और उसकी चुत को अन्दर बाहर से पूरा गीला कर दिया.

फिर मैंने अपने लंड को भी थूक से सान दिया. सुपारा और पूरे लंड को एकदम चिकना कर दिया.

फिर मैंने एक हाथ से दोनों उंगलियों से सरिता की चुत की दरार को पसारा और अपने दूसरे हाथ में लंड पकड़कर उसकी चुत की दरार में ऊपर से नीचे तक सुपारे को रगड़ने लगा.
मैं उसके ऊपर वाले दाने को भी रगड़ रहा था तो सरिता कसमसाने लगी और सिसकारियां लेने लगी.

सरिता बोली- हर्षद प्लीज जल्दी डालो ना अन्दर … अब नहीं सह सकती मैं!
मैंने कहा- सरिता देखो मैं डाल तो दूँगा लेकिन तुम सहन नहीं कर पाओगी. तुम्हारी चुत लंड के हिसाब से छोटी है.
सरिता बोली- डाल दो तुम अपना मूसल जल्दी से. मैं सब सहन कर लूंगी … फाड़ दो मेरी चुत आज.

इतना सुनकर मैंने जोश में आकर लंड को सरिता की चुत के छेद पर सैट कर दिया.
उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से जकड़ कर जोर से धक्का मारा तो गीलेपन की वजह से पूरा सुपारा सरिता की चुत को चीरते हुए अन्दर घुस गया.

सरिता जोर से चिल्लायी और छटपटाने लगी.
मैंने तुरंत अपने मुँह से उसका मुँह बंद कर दिया.

सरिता की आंखों से आंसू बह रहे थे. मैंने अपना मुँह ऊपर किया और उसे सांस लेने दी.

मैंने सरिता से कहा- रो रही हो मेरी जान?
तो सरिता बोली- हां बहुत दर्द हो रहा है हर्षद … तुम्हारा लंड ही इतना बड़ा है कि शायद इसने मेरी चुत फाड़ दी है. मुझे ऐसा लगा कि कोई गर्म मूसल चूत में घुस गया है. हर्षद जरा आहिस्ता आहिस्ता डालो ना. पहली बार ले रही हूँ.

इतना कहकर वो मेरे होंठों को चूसने लगी.
मैं भी उसके होंठों को चूसने लगा.

कुछ देर बाद अब सरिता सामान्य हो गयी थी.

मैंने सरिता से कहा- अभी थोड़ी तकलीफ और सहन कर लो सरिता. अभी तक तुम्हारा कुंआरापन नहीं टूटा है. थोड़ा दर्द और सहना पड़ेगा.

इतना कहने पर मैं अब सरिता की चूचियां चूसने लगा और लंड का दबाव चुत पर डालने लगा.
चूचियां चूसते चूसते मैं सरिता के निप्पलों को भी दांतों से काट लेता था, तो सरिता आह आंह करने लगती.

सरिता अपने दोनों हाथ से मेरे सर को पकड़कर अपनी चूचियों पर दबाने लगी और साथ ही वो अपनी गांड हिला रही थी.

मैंने जोर से एक धक्का देकर अपना लंड और दो इंच अन्दर डाल दिया.
सरिता फिर से जोर से चिल्लायी.

शायद अब सरिता की चुत की झिल्ली की दीवार टूट चुकी थी और चुत से खून बहने लगा था.

सरिता छटपटा रही थी, फिर रोने लगी.
मैंने अपना दबाव उस पर बनाए रखा था इसलिए वो हिल ना सकी.

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मैं लंड चुत में पेल कर रुक गया था.

मैंने सरिता से कहा- अब तुम्हारा इंतजार खत्म हो गया जान. अब तुम औरत बनने जा रही हो. तुम्हारी चुत की दीवार टूट चुकी है. अब तुम्हें बहुत मजा आएगा. तुम अब सिर्फ खुशियां ही खुशियां पाओगी सरिता.
सरिता बोली- सच कहते हो हर्षद?

इतना कहकर सरिता ने नीचे चुत के आसपास हाथ लगाया तो उसके हाथ को खून लगा था.
उसने हाथ निकालकर खुद अपनी आंखों से देखा और मुझे भी दिखाया.

वो बोली- धन्यवाद हर्षद, आज तुमने मेरा कुंवारापन खत्म कर दिया. मैं तुम्हें जिंदगी भर नहीं भुलूंगी.

इतना कहते हुए उसने मेरे सर को पकड़ लिया और वो लगातार मेरे गाल और होंठों पर चुम्बन करने लगी.

सरिता खुशी के मारे अपना दर्द भूल गयी थी. मैं अपने लंड का दबाव सरिता की चुत पर बनाए हुए था.

मेरा लंड सरिता की चुत की दीवारों को चीरकर आधा अन्दर जा चुका था, चुत छोटी होने के कारण लंड एकदम कसा हुआ फंसा था. चुत की दीवारों ने कसके पकड़ रखा था.
मुझे पहली इतनी टाईट चुत का अनुभव हो रहा था.

अब सरिता कुछ सहज दिखने लगी थी तो मैं सरिता की चूचियां अपने दोनों हाथों से मसलने लगा.
सरिता बहुत कामुक होकर सिसकारियां लेने लगी थी.

मैंने अपने दोनों हाथ सरिता के कंधों से नीचे डालकर कंधों को कसकर पकड़ लिया और उसके निचला होंठ अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
सरिता मदहोश होने लगी और वो भी मेरा ऊपर का होंठ अपने मुँह से चूसने लगी.
वो अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ को सहलाने लगी.

इधर सरिता नीचे से अपनी गांड हिलाने लगी थी.
सरिता की चुत, मेरा लंड अन्दर खींचने की कोशिश कर रही थी. उसकी चुत का दबाव मुझे अपने लंड पर महसूस हो रहा था.

अब मैंने भी आहिस्ता से थोड़ा सा लंड बाहर निकाला और फिर से अन्दर कर दिया.
सरिता भी नीचे से अपनी गांड उठाकर साथ दे रही थी.

मुझे और जोश आ गया और मैंने अपना लंड सुपारे तक बाहर निकाला और जोर से अन्दर पेल दिया.
मेरा आधे से ज्यादा लंड चुत के अन्दर घुस चुका था. अब बस दो इंच लंड बाहर था.

मैंने घुटनों के बल आकर अपने दोनों हाथों से सरिता की चूचियां कसकर पकड़ लीं.

अब मैं अपना लंड आहिस्ता आहिस्ता अन्दर बाहर करने लगा तो सरिता भी नीचे से अपनी गांड उठाकर लंड को चूत में लेने लगी.
हम दोनों के मुँह से गरमाहट भरी सिसकारियां निकल रही थीं.

मेरा लंड पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था.
साथ में मैं लंड को धक्का मार के चूत में और गहरे डाल देता था.

अभी मेरा एक इंच लंड बाहर था.
चुत की गरमाहट लंड को और जोश दिला रही थी और मैं जोर जोर से सरिता की दोनों चूचियां मसल रहा था.

सरिता पूरी तरह से कामवासना में डूबकर अपनी आंखें बंद करके आनन्द ले रही थी.
अब उसका बदन अकड़ने लगा था.
वो छटपटा रही थी और ‘हाय ऊं ऊं हुँ हूँ …’ की आवाज के साथ सिसकारियां ले रही थी.

हम दोनों के सिवाय कोई सुनने वाला नहीं था. पूरे रूम में सिसकारियों की आवाजें गूंज रही थीं.

तभी सरिता की चुत अपने गर्म चुतरस की बौछार मेरे लंड पर करने लगी.
सरिता खुद को रोक नहीं सकी, वो अब तीसरी बार झड़ चुकी थी.

मेरा काम अभी चालू ही था.
मैं पूरा लंड अन्दर बाहर कर रहा था, तो चुतरस बाहर आकर बहने लगा.
मेरा लंड पूरा गीला होने के कारण ताबड़तोड़ चल रहा था तो पचापच की आवाज निकलने लगी थी.

मैं जोरों से धक्का मारकर पूरा लंड सरिता की चूत में डालकर उसके ऊपर झुक गया और उसके होंठों को चूमने लगा.

मैंने निढाल पड़ी सरिता से कहा- आंखें खोलो रानी. अब पूरा मूसल तुम्हारी चुत ने गटक लिया है. बहुत तकलीफ दी है तेरी चुत रानी ने मेरे लंड राजा को.

सरिता ने मेरे पीठ और गांड को सहलाते हुए कहा- सच में हर्षद … पूरा अन्दर डाल दिया.

उसने नीचे हाथ लगाकर चैक किया.

सरिता भाभी पूरा लंड चुत के अन्दर महसूस करके बड़ी खुश हो गई थी. उसका दर्द जाता रहा था.

सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको अपने दोस्त की बीवी सरिता देसी भाभी न्यूड चुदाई पूरी लिखूंगा. आप मेल करना न भूलें.
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देसी भाभी न्यूड चुदाई कहानी का अगला भाग: दोस्त की कुंवारी बीवी को सेक्स का मजा दिया- 3