दोस्तो, मैं विक्की एक बार फिर से अपनी कहानी के साथ हाजिर हूं. मेरी इस कहानी के पिछले भाग
स्कूल टीचर का तबादला-1
में सोनल ने अपने शब्दों में आपको अपनी आपबीती सुनाई थी.
चलिये, कहानी को आगे बढ़ाते हैं सोनल के ही शब्दों में.
दोस्तो, मैं सोनल पात्रा हूं और कहानी के पिछले भाग में मैंने आपको बताया था कि शादी से पहले ही मैं चुद चुकी थी. मेरे पति एक मार्केटिंग कम्पनी में थे और कई कई सप्ताह घर नहीं आते थे.
मैं स्कूल में टीचर थी. मेरा स्कूल शहर से काफी दूर था. थोड़े दिन में ही मैं थकावट महसूस करने लगी. सर्दी में परेशानी और बढ़ गयी. मैंने अपने तबादले के बारे में प्रिंसीपल से बात की.
उन्होंने ट्रांस्फर का इंतजाम करने की कही लेकिन बदले में वो मुझसे मेरी चूत भी मांगने लगे. मैंने मना कर दिया तो सर ने मेरा तबादला किसी और स्कूल में कर दिया जो मेरे घर से और भी ज्यादा दूर था.
सर ने मुझे एक बार और सोचने का मौका दिया और मैं उनकी बात मान गयी. उस दिन स्कूल में ही उन्होंने मुझे नंगी कर लिया और मेरी चूत को चाटने लगे. मैं भी अपनी चूत में उंगली करके वहीं पर झड़ गयी.
सर ने कहा कि अगर मैं आज रात उनकी प्यास को बुझा दूं तो वो मुझे प्रिंसीपल बना देंगे. मैं उनकी बात मान गयी और हम दोनों घर के लिए निकल गये. मैं उनको अपने घर की ओर लेकर जा रही थी.
रास्ते में सर ने कहा- अरे अब तो खुल जाओ सोनम जी, एक ही रात तो गुजारनी है आपको मेरे साथ, कौन सा रोज मेरा बिस्तर गर्म करने आओगी आप।
ये बोलते हुए उन्होंने मेरी चूचियों को दबा दिया. काफी दिनों से न चुदने के कारण मैं भी वासना में चूर हो गयी थी. शाम भी हो चली थी और अंधेरा हो गया था. रोड पर भी ज्यादा ट्रैफिक नहीं था.
सर ने अपनी पैंट की चेन खोल दी और एक हाथ जिप में अंदर डाल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. मैंने उनके लंड को देखा तो देखती ही रह गयी. उफ्फ क्या लंड था उसका, पूरा 8 इंच लम्बा था. मोटाई भी अच्छी थी.
उन्होंने तुरंत मेरा हाथ पकड़ कर खींचा और मेरे हाथ को अपने लंड पर रख दिया और बोले- ये लो सोनम मेरी जान, खेलो इससे. जितना अच्छे से तुम खेलोगी, उतनी ही अच्छी तुम्हें पोस्टिंग भी मिल जायेगी.
सर के लंड को देख कर मेरे मुंह में भी पानी आ गया. मैंने उनके लंड को हाथ में ले लिया और मुठ मारने लगी. कभी उनके लंड को जोर से ऊपर नीचे करने लगती. कभी धीरे से लेकिन पूरा दबा देती थी जिससे उनकी आह्ह निकल जाती थी.
तभी उन्होंने गाड़ी को दूसरे रास्ते पर मोड़ दिया.
मैंने कहा- ये आप मुझे कहां लेकर जा रहे हो? हम तो घर जाने वाले थे न?
वो बोले- मैंने प्लान बदल दिया है. हम लोग तुम्हारे घर नहीं जा रहे हैं. हम एक फ्लैट पर जा रहे हैं जो सेफ है. वहां पर कोई नहीं है.
थोड़ी ही देर में हम एक सोसायटी के फ्लैट में पहुंच गये. सर्दी का टाइम था इसलिए बाहर कोई नहीं दिख रहा था.
हम लोग एक फ्लैट पर पहुंचे. सर ने दरवाजा खोला. हम लोग अंदर चले गये. मुझे लगा कि सर के किसी दोस्त का फ्लैट था. वैसे भी मुझे चूत चुदवा कर यहां से जाना ही था इसलिए मैं ज्यादा नहीं सोच रही थी.
हम लोग अंदर बेडरूम में गये और जाते ही सर मुझे पर टूट पड़े. उन्होंने मेरे सूट को उतरवा दिया और मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगे. मैंने भी सर को बांहों में जकड़ लिया और उनको प्यार करने लगी.
सर ने मुझे बेड पर गिरा लिया और मेरी पजामी भी खींच कर निकाल दी. मैं केवल ब्रा में पड़ी हुई थी. सर ने मेरी ब्रा को खींच कर उतार दिया. मेरी चूचियां नंगी हो गयीं. मैं पूरी नंगी हो गयी.
एकदम से सर मेरी चूचियों पर टूट पड़े और उनको जोर जोर से पीने लगे. मैं भी उनकी पैंट के ऊपर से उनके लंड को मसलने लगी. उनके लंड को सहलाते हुए खींचने लगी.
सर ने मेरे बूब्स चूसने के बाद सर ने अपने कपड़े भी उतारे और पूरे नंगे होकर मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को पीने लगे.
नीचे से सर ने मेरी चूत में उंगली दे दी और अंदर बाहर करते हुए मेरे होंठों को चूसते रहे. मैं एकदम से सिहर गयी और सर के नंगे बदन से लिपटने लगी.
तभी वो अपने घुटने पर बैठ कर मेरे सामने लंड को हिलाने लगे. मैंने उनका लंड मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी. मैं मस्ती में सर का लंड चूस रही थी.
फिर वो पीछे हुए और अपनी पैंट को टटोलने लगे. उन्होंने अपनी पैंट की जेब से रुमाल निकाला और बोले- इसको अपनी आंखों पर बांध लो मेरी जान, मैं तुम्हें पट्टी बांध कर चोदना चाहता हूं.
मैंने रूमाल को आंखों पर बांध लिया. उसके बाद सर ने मेरे मुंह में फिर से लंड घुसा दिया. मैं एक बार फिर से उनके लंड को मस्त होकर चूसने लगी.
दो मिनट तक चुसवाने के बाद उन्होंने लंड को निकाल दिया. इससे पहले कि मैं कुछ कहती मेरे मुंह में फिर से लंड आ घुसा. मगर अबकी बार लंड का स्वाद कुछ और था.
मैंने कहा- ये किसका लंड है सर?
वो बोले- मेरा ही है यार, बस कपड़े पोंछ कर फिर से डाल दिया है.
मैं फिर से लंड को चूसने लगी. थोड़ी देर लंड चुसाई के बाद उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया. बेड पर लिटा कर उन्होंने मेरी चूत में थूक दिया. मेरी चूत पर मुझे थूक की ठंडक महसूस हो रही थी.
उसके बाद उन्होंने मेरी चूत पर अपने लंड को रगड़ना शुरू कर दिया. फिर एकदम से अचानक ही उन्होंने मेरी चूत में लंड को घुसा दिया.
मेरी जान निकल गयी.
काफी दिनों से मैंने चूत में लंड नहीं लिया था. सर का लंड था भी बहुत बड़ा इसलिए लंड अंदर जाते ही मेरी चीख निकल गयी. मैंने सर को धकेलना चाहा लेकिन उनका शरीर बहुत भारी था.
उन्होंने पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चूत जैसे फैल कर फटने को हो गयी.
इतने में ही उन्होंने मेरी चूत में धक्के लगाना शुरू कर दिया. मैंने उनको कस कर पकड़ लिया और लंड का दर्द चूत में बर्दाश्त करने लगी.
वो तेजी से मेरी चूत को चोद रहे थे. फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बना लिया. पीछे से मेरी चूत में लंड को घुसा दिया और चोदने लगे. अब मुझे भी मजा आने लगा. सर पीछे से मेरी चूत में लंड घुसा रहे थे और साथ में मेरी चूचियों को भी जोर जोर से दबा रहे थे.
पंद्रह मिनट तक ऐसी ही जोरदार चुदाई चली. मैं दस मिनट में ही झड़ गयी थी. अब सर का भी होने वाला था. वो पूरी स्पीड में धक्के लगा रहे थे. दो मिनट के बाद सर की स्पीड कम हो गयी और मेरी चूत में गर्म गर्म सा महसूस हुआ. सर ने अपना माल मेरी चूत में गिरा दिया था.
मैं भी थक कर चूर हो गयी थी और ऐसे औंधे मुंह पड़ी रही. सर भी मेरे ऊपर ही ढेर हो गये थे. कुछ देर हम दोनों हाँफते रहे. मैंने हिल डुल कर अपनी आंखों पर से पट्टी हटाना शुरू किया तो सर ने मुझे रोक लिया.
वो बोले- रुक जा सोनल रानी, अभी तो तेरी गांड की चुदाई भी करनी है.
मैंने कहा- सर लेकिन मैंने पीछे कभी नहीं करवाया है.
वो बोले- तब तो और अच्छी बात है. तेरी गांड की सील भी मैं ही तोड़ूंगा.
इतना कह कर उन्होंने मुझे उठाया और मेरे होंठों पर लंड लगा कर फिराने लगे.
मुझे भी ये अच्छा लग रहा था. सर के लंड का सुपारा मेरे होंठों को सहला रहा था.
सर बोले- चूस ले इसको मेरी जान.
मैंने सर का लंड अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में सर का लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया.
पूरा लंड टाइट होने के बाद एक बार फिर से उन्होंने मुझे कुतिया बना दिया. कुतिया बना कर उन्होंने मेरी गांड को अपनी उंगली सहलाना शुरू कर दिया.
कुछ देर उंगली से सहलाने के बाद वो बोले- रुक, मैं जरा तेल की शीशी लेकर आता हूं. तेरी सील पैक गांड वैसे नहीं खुलेगी.
वो नीचे उतर गये. मैं इंतजार कर रही थी. मुझे कुछ सुनाई भी नहीं दे रहा था.
मैंने सर को आवाज दी- सर? कहां हो आप?
पीछे से आवाज आई- यहीं हूं, रुक आ रहा हूं तेल लेकर।
फिर वो बेड पर आ गये. तभी मेरी गांड पर तेल गिरने लगा. इससे पहले कि मैं कुछ और समझ पाती मेरी गांड पर लंड का सुपारा सेट हो चुका था. मगर इस बार ये सुपारा कुछ मोटा सा लग रहा था. ऐसा लग रहा था कि सर के लंड का सुपारा फूल गया है.
तभी मेरी गांड में एक जोर का धक्का लगा और मेरी चीख निकल गयी. ये लंड सर का नहीं था. इतना मोटा लंड सर का नहीं हो सकता है. मगर मुझे अभी बेहोशी होने लगी थी. मैं खुद को संभाल नहीं पा रही थी.
पकड़ से छूटने के लिए मैं आगे की ओर खिसकी ही थी कि मुझे किसी ने आगे से रोक लिया.
ये क्या? दो-दो आदमी?
मैंने बोला ही था कि इतने में ही मेरी गांड में एक दूसरा प्रहार हुआ. ऐसा लगा कि मैं आज नहीं बचूंगी.
मैं बेसुध सी होने लगी कि तभी मेरे कानों में आवाज आई- अरे प्रिंसीपल साहब, ये तो बहुत ही मस्त माल है. इसकी गांड तो एकदम से कसी हुई है. मैं तो सोच रहा हूं कि इसका प्रोमोशन करवा कर इसको अपने ही ऑफिस में रख लूं.
ऐसा कहते हुए वो आदमी मेरी गांड में धक्के लगाने लगा था. इतने में ही मेरी आँख की पट्टी खोल दी गयी. सामने प्रिंसीपल ही था लेकिन पीछे से गांड में किसी और का लंड घुसा हुआ था.
सर उठ कर सामने सोफे पर जा बैठे और मेरी ओर देख कर अपना लंड हिलाने लगे. मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो एक 45 साल के करीब का आदमी अपने 8 इंच लम्बे और 2.5 इंच मोटे लंड को मेरी गांड में ठोक रहा था.
वो बोला- ऐसे क्या देख रही है साली रंडी? तेरा ट्रान्सफर ऑर्डर तो मुझे ही देना है. अगर तू मुझे खुश नहीं करेगी तो तेरा तबादला किसी और शहर में हो जायेगा.
इतना कह कर उसने अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया. मैं दर्द से बिलबिला उठी. हां अगर सच कहूं तो उस वक्त मजा भी बहुत आया. गांड में लंड पूरा घुसा तो उसका मजा भी अलग ही था.
सामने बैठे प्रिंसीपल से मैंने कहा- सर ये गलत बात है.
वो बोले- कुछ गलत नहीं है रानी. तू एकदम से मस्त होकर चुदवा ले. यदि सही जगह काम करना है तो सर की सेवा भी करनी पड़ेगी.
इतने में ही उस दूसरे आदमी ने मेरी गांड को बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया. मुझे कुतिया बना कर उन्होंने मुझे पूरे 25 मिनट तक चोदा. मैं अपनी चूत से दो बार पानी निकाल चुकी थी.
बड़े अधिकारी ने भी अपना माल मेरी गांड में ही गिरा दिया और हम दोनों बेड पर ढेर हो गये. मुझे तभी नींद आ गयी. जब मेरी आंख खुली तो वो दोनों मेरी चूचियों के साथ खेल रहे थे.
उन दोनों का मन अभी भी नहीं भरा था. उसके बाद उन्होंने फिर से मुझे लंड चूसने के लिए कहा. मैं उठ कर बारी बारी से उन दोनों के लंड को चूसने लगी.
अब बडा़ अधिकारी उठा और बगल में लेट गया. उसने मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया और नीचे से मेरी चूत में लंड को पेल दिया. वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरी चूत में नीचे से लंड के धक्के देने लगा. मेरी चूत में बहुत आनंद आने लगा. मैं अपनी चूचियों को मसलने लगी और उछल उछल कर चुदने लगी.
उसके दो मिनट के बाद ही प्रिंसीपल सर भी पीछे से आ गये और मुझे बड़े साहब की छाती पर झुका कर मेरी गांड में लंड को सटा दिया. बड़े साहब मेरे होंठों को चूसने लगे और दूसरे सर ने मेरी गांड में लंड को पेल दिया.
अब मेरी चूत में नीचे से बड़े साहब का लंड जा रहा था और पीछे से मेरी गांड में प्रिंसीपल का लंड चोद रहा था.
मेरे मुंह से निकल गया- हाय दैय्या, मर गयी रे.
वो दोनों बड़ी ताल मेल के साथ मेरी चूत और गांड को एक साथ बजाने लगे. पहली बार मेरी ऐसी चुदाई हो रही थी जिसमें मैं एक साथ दो लंड का मजा ले रही थी. चुदाई में दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मजा उससे भी ज्यादा आ रहा था.
प्रिंसीपल जब गांड में लंड को अंदर करते तो अधिकारी साहब चूत से लंड को बाहर निकाल लेते. जब अधिकारी साहब चूत में लंड को अंदर करते तो प्रिंसीपल सर अपने लंड को बाहर कर लेते. इस तरह दोनों ही तालमेल से चोदने लगे.
मैं तो आनंद की लहरों में गोता लगाने लगी थी. ऐसे ही चुदते हुए 20 मिनट से ज्यादा हो गये थे. जब दोनों छेद एक साथ दो-दो लंड से चुदते हैं तो चूत बहुत जल्दी पानी छोड़ देती है. उन 20 मिनट में मैं 5 बार झड़ गयी थी. मैं बिल्कुल शिथिल होती जा रही थी.
ऐसा लग रहा था कि जैसे सब कुछ अपने आप ही हो रहा है. ऐसा मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला था. अब उन दोनों ने मुझे घुटने के बल बैठने के लिए कहा. मेरे सामने आकर दोनों अपने लंड को हिलाने लगे. मैं जान गयी कि दोनों का पानी निकलने वाला है.
थोड़ी ही देर के बाद प्रिंसीपल सर ने अपना पानी निकाल दिया जो मेरी चूचियों और मेरे मुंह पर आकर लगा. उसके कुछ पल बाद ही अधिकारी साहब ने मेरे मुंह में लंड दे दिया. वो मेरे मुंह को चूत समझ कर झड़ने लगे.
अपना माल छोड़ते हुए वो सिसकारते हुए बोले- आह्ह… पी जा इसे मेरी रानी.
मैं उनके लंड का माल अंदर ही अंदर साथ साथ पी गयी. तीनों के तीनों बेड पर पसर कर लेट गये. आधे घंटे के बाद मैं उठी और बाथरूम में गयी. मैंने खुद को साफ किया.
मेरे पूरे बदन निशान पड़ गये थे. उन दोनों ने मुझे जानवरों की तरह चोद डाला था. उसके बाद हम सोने लगे. रात को मेरी चुदाई 4 बार हुई. सुबह के समय अधिकारी ने एक बार अकेले में ही मेरी चुदाई की.
फिर मुझे मेरे घर पर छोड़ दिया गया. पांच दिन के बाद मेरे तबादले के ऑर्डर आ गये. उसमें एक मेमरी कार्ड थी. मैंने उसको फोन में चला कर देखा तो उसमें हम तीनों के नंगे फोटो थे. फोटो में वे दोनों मुझे चोदते हुए दिख रहे थे.
उसमें वीडियो भी थे. ये सब देख कर मैं समझ गयी थी कि ये सब अब रुकने वाला नहीं है.
आज भी मैं उन दोनों से मजे ले लेकर चुदती रहती हूं.
तो ये थी मेरे तबादले की कहानी.
दोस्तो, आपको सोनल की कहानी पसंद आई हो तो इस कहानी के बारे में मुझे नीचे दी गयी ईमेल पर मैसेज करें. कहानी पर अपने कमेंट भी करें और बतायें कि आपको कहानी पढ़ कर कैसा लगा. मुझे आप लोगों के रेस्पोन्स का इंतजार है.
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