ऑरकुट वाली चूत के साथ फोन सेक्स चैट

दोस्तो, मेरा नाम मानव है, मैं चंडीगढ़ में रहता हूँ। मेरी उम्र तीस साल है। मैं एक प्राइवेट जॉब में हूँ। मैं वैसे तो शादी शुदा हूँ लेकिन नौकरी के सिलसिले में ज़्यादातर बाहर ही रहता हूँ। मैं बहुत ही ज़्यादा सेक्सी और कामुक प्रवृति का व्यक्ति हूँ। हर समय दिमाग में सेक्स ही सेक्स घूम रहा होता है। 

चलिए कहानी शुरू करता हूँ। बात अब से करीब पांच-सात साल पहले की है, ऑरकुट के ज़माने की। मैंने एक सिंपल सी लड़की जिसका नाम सरिता था, जो तब स्नातक की पढ़ाई कर रही थी, को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जिसे उसने स्वीकार कर लिया। फिर एक दूसरे को स्क्रैप (मैसेज) भेजने का सिलसिला शुरू हुआ जो धीरे धीरे ऑनलाइन चैट तक आ गया।

फिर एक दिन मैंने उससे फोन नम्बर माँगा जो उसने बिना किसी हिचकिचाहट के दे दिया। इतने दिनों की चैटिंग से तब तक ये तो मुझे समझ आ गया था कि वो कोई फेक तो नहीं है। मैंने उसे मैसेज में पूछा कि क्या मैं अभी उसे कॉल कर सकता हूँ?
उसने मुझे दस मिनट के बाद फोन करने को कहा और मैं ऑनलाइन बैठकर दस मिनट पूरे होने का इंतज़ार करता रहा। दस मिनट बाद मैंने उसके दिए हुए नम्बर पर कॉल की।
उधर से बहुत ही मीठी आवाज़ सुनाई दी- हैल्लो मानव!

मेरे लिए ये तब बहुत बड़ी बात थी कि मैं एक लड़की से फोन पे बात कर रहा था।
मैं उसकी आवाज़ सुनकर और उससे बात करके बहुत खुश था। 

अब हमारी फोन पर भी बातें और मैसेज होने लगे थे। वो बहुत ही समझदार लड़की थी। हम दोनों लगभग रोज़ाना लंबी लंबी बातें करते थे। उससे बात करना मुझे बहुत अच्छा लगता था। ऑरकुट पर भी वो केवल मेरे साथ ही व्यस्त रहती थी और किसी और के मैसेज का जवाब भी मुश्किल से देती थी।
हमारी दोस्ती दिनों दिन गहरी होती जा रही थी। उसको पता था कि मैं शादीशुदा हूँ उसके बावजूद हम दोनों की अच्छी पटती थी।

एक रात जब मैं सेक्स का मूड बना बैठा था तब पता चला कि पत्नी के तो पीरियड चल रहे है तो आज कुछ नहीं हो सकता। हाथ से काम चलाना पड़ेगा तभी दिमाग में सरिता का ख्याल आया। मैंने उसे मैसेज किया- सेक्स चैट करोगी?
उधर से जवाब आया-???
मैं डर गया… मुझे लगा कि थोड़ी देर का मज़ा लेने के चक्कर में आज एक अच्छी दोस्त से हाथ धोना पड़ेगा, जो इतनी मुश्किल से मिली है।

मैंने उसके मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया और मुठ मारकर सो गया।

अगले दिन सुबह उसकी गुड़ मोर्निग कॉल आई जो हमेशा नौ से साढ़े नौ के बीच आती थी। हाल-चाल पूछने और सामान्य बात-चीत के बाद उसने पूछा- कल रात को क्या बोल रहे थे?
मैं फिर से डर गया मैं सोच रहा था कि रात गई बात गई लेकिन वो जानना चाहती थी कल रात की बात।

मैंने कहा- छोड़ो यार, कल रात मूड कुछ अजीब सा था तो पता नहीं क्या क्या बोल दिया मैंने, जाने दो अब उस बात को!
लेकिन वो कुछ जानना चाहती थी, उसने कहा- अगर मेरे दोस्त हो तो मुझे सच-सच बताओ कि क्या बात है।

अब मैंने भी सोच लिया कि चलो अब सब बता ही देते हैं, इसके बाद या तो ये लड़की मुझे पूरी मिल जाएगी या पूरी खो जाएगी। बड़ी हिम्मत करके पहले मैंने उससे वादा लिया कि वो मेरी इस बात का बुरा नहीं मानेगी और अगर उसे कुछ बुरा लगा तो भी हमारी दोस्ती नहीं टूटेगी।

उसने मेरी बात मान ली तो मैंने उसे बताना शुरू किया- कल रात को सेक्स का बहुत मन कर रहा था और पत्नी के पीरियड्स चल रहे थे तो हाथ से करना था। तब मैं सोच रहा था कि किसी से सेक्स चैट या फोन सेक्स कर लूँ तो थोड़ा मज़ा आ जाये।
अब उसने पूछा- हाथ से का क्या मतलब?
तो मैंने उसे बताया कि कैसे हाथ से हिलाते हैं, कैसे मुठ मारते हैं और कैसे पानी गिरता है। अभी तक हम लोग चूत, लण्ड, मोम्मे, गाण्ड जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करते थे।

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उसने पूछा- सेक्स पार्ट्स को क्या कहते हैं?
मैंने उसे बताया चूत, लण्ड, मोम्मे, गाण्ड और झांटें वगैरह सारे शब्द और उनका मतलब।
वो ये सब पहली बार सुन रही थी तो उसे कुछ अजीब सा लग रहा था।

उसने पूछा- अगर मैं सेक्स चैट के लिये हाँ बोलती तो तुम क्या करते?
मैंने कहा-अब उसका कोई फायदा नहीं हैं। वो तो रात की बात थी जब सेक्स का भूत सर पर सवार था, अब सब ठीक है।

लेकिन अब वो ये सब जानना चाहती थी और लगातार बोल रही थी कि अभी सेक्स चैट या फोन सेक्स जो भी ठीक हो करके बताओ कैसे करते हैं और क्या होता हैं। 

मैं तब थोड़ा व्यस्त था लेकिन मैं उसे नाराज़ नहीं करना चाहता था इसलिए तैयार हो गया और उसको उसके कमरे में जाने को कहा। वो अपने कमरे में चली गई और मेरे कहे अनुसार दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया।
अब मुझे उसे बताना था सेक्स के बारे में, और फोन सेक्स के बारे में।
मैं चाहता था कि आज वो जो भी करे वो उसे अच्छा लगे। आज वो पहली बार ये सब करने वाली थी। उसकी चूत अब तक बिलकुल कुँवारी थी जसमे अभी तक एक उंगली भी नहीं गई थी लण्ड तो बहुत दूर की बात हैं।

मुझे तो ऐसा एहसास हो रहा था कि मैं सचमुच उसे चोदने वाला हूँ। मेरे आज के फोन सेक्स पर निर्भर करता था कि आज के बाद वो मेरे बारे में क्या सोचेगी? इसके बाद मुझसे बात करेगी या नहीं? फिर कभी चूत से मज़ा लेगी या नहीं?

वो अपने कमरे में बैठी मेरे फोन का इंतज़ार कर रही थी। मैंने उसको ब्लू टूथ साथ रखने का बोला था जिससे फोन सेक्स के समय फोन पकड़ने में हाथ व्यस्त न रहे। मैं उसे कॉल करने ही वाला था लेकिन उसका फोन आ गया, शायद वो मुझसे ज़्यादा बेचैन हो रही थी।
सरिता- हैल्लो मानव… क्या हुआ यार?
मैं- हाय सरिता, तैयार हो न? 
सरिता- क्या यार मैं कब से तुम्हारे फोन का इंतज़ार कर रही हूँ।
मैं- सॉरी यार चलो शुरू करते हैं।
सरिता- ओके आई एम रेडी।

मैं- अब मैं जो बोलूंगा वो तुम्हें इमेजिन करना है और खुद वैसे ही करना है।
सरिता- ओके बाबा, अब शुरू भी करो।
मैं- ठीक है, अब मैं तुम्हारे कमरे में आ रहा हूँ, दरवाज़ा बंद कर दिया है। 
तुम्हारे बिस्तर पर हूँ, तुम्हारे पास… मैं तुम्हें किस कर रहा हूँ। तुम्हारे गालों पर, तुम्हारी पलकों पर, तुम्हारे कान के नीचे, और गर्दन के पीछे। 
सरिता- आअह्ह्ह मानव… मैं फील कर रही हूँ ये सब तुम मेरे साथ कर रहे हो। मैंने अपनी आँखें बंद की हैं, तुम्हारा चेहरा मेरे सामने है अच्छा लग रहा है।
मैं- गुड, सही जा रही हो।

“अब मैं तुम्हारा टॉप उतार रहा हूँ। तुम गुलाबी ब्रा में बहुत खूबसूरत लग रही हो।” 
सरिता- तुम्हें कैसे पता कि ये पिंक है? ओके मैंने उतार दी है।
“मानव, तुम मुझे देख रहे हो न? मुझे शर्म आ रही है!”

मैं- अभी से शर्म कैसे मेरी जान? अभी तो पिक्चर शुरू हुई है, आगे आगे देखो क्या होता है।

“मैं तुम्हारे बेली बटन को चाट रहा हूँ और अब तुम्हारी जीन्स खोल रहा हूँ।”
“ये लो… तुम्हारी जीन्स भी गई।”
“बला की खूबसूरत लग रही हो तुम इस गुलाबी ब्रा और पैंटी में।”
“उफ्फ्फ्फ़ तुम्हारी चूत… पैंटी के अंदर से झाँक रही है, बिलकुल बर्गर जैसी!”

सरिता- क्या कर रहे हो मानव? ऐसा भी कोई करता है क्या? मेरी चूत में सनसनाहट सी हो रही है।
उसके मुँह से चूत शब्द सुनते ही मेरा लण्ड तड़प उठा, लग रहा था जैसे आज फ़ट ही जायेगा।  

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मैं- फील करो और मज़ा लो। मैं ब्रा के ऊपर से तुम्हारे बूब्स दबा रहा हूँ और चूत को मसल रहा हूँ, तुम्हारी चूत गीली हो रही है।
“अब तुम्हारी ब्रा खोल कर अलग कर दी है और तुम्हारी पैंटी भी उतार कर फेंक दी है।” 
“आअह्ह्ह्ह क्या बदन है तुम्हारा!”

मैं- आज लगता है दोपहर का खाना ख़राब हो जायेगा। 
सरिता- क्यों, ऐसा क्या हो गया?
मैं- अरे यार, दो बड़े संतरे और एक बर्गर जिसकी क्रीम मेरे मन लालच रही है इसके बाद कुछ और कैसे खा सकते है? 
सरिता- सही बोल रहे हो यार, चूत में गीलापन लग रहा है।
मैं- क्या कर रही हो अभी तुम?
सरिता- तुम जो बोल रहे हो वो फील कर रही हूँ बस्स्स और कुछ नहीं।

मैं- अब शीशे के सामने जाओ और अपना पूरा नंगा बदन शीशे में देखो, अपने दोनों बड़े बड़े बूब्स, वो गुलाबी निप्पल, चिकनी और फूली हुई बर्गर जैसी क्रीमी चूत। एक एक अंग को ध्यान से देखो और सोचो कि शीशे में मैं तुम्हें देख रहा हूँ।
सरिता- ओके, इसशशशशश, नहीं मानव, ऐसे तो मैं मर जाऊँगी। 
मैं- तुम्हें मरना नहीं है मेरी जान मरवानी है। अपनी चूत, मेरे लण्ड से। 
अपनी चूत के दोनों होठों को खोलो, देखो कैसी लग रही है। 

सरिता- मानव तुम अपना लण्ड दिखाओ, अभी। मेरी चूत को अभी चाहिए दिखाओ अभी प्लीज़। 
मैंने ओके कहा और फोन में पहले से ही सेव की हुई लण्ड की फोटो उसे भेज दी।
सरिता- ऊऊऊओह मानव कितना बड़ा है ये, कितना चिकना और मासूम सा। मानव ये लण्ड मेरी चूत को मिल सकता है? 
मैं- मिल जायेगा मेरी जान लेकिन अभी का काम तो ख़त्म करो। 
सरिता- मैं तो कर ही रही हूँ तुम्हारे सामने नंगी खड़ी हूँ और अपनी चूत सहला रही हूँ।

मैं- मैं अपने लण्ड को तुम्हारी चूत के मुँह पर रगड़ रहा हूँ तुम्हारे बूब्स दबा रहा हूँ, निप्पल रगड़ रहा हूँ।
“अब तुम सहलाना बंद करो और अपनी दाएं हाथ की बड़ी उंगली को मुँह में डालकर गीली करो। दूसरे हाथ से चूत के दोनों होठों को खोलकर गीली उंगली चूत में डालो।”
सरिता- आअह्ह्ह्ह्ह मानव फ़ट जाएगी मेरी चूत। इसे तुम्हारा लण्ड चाहिए।

मैं- धीरे धीरे उंगली चूत में डालो और फील करो कि वो उंगली मेरा लण्ड है।
सरिता- आआह्ह… थोड़ा दर्द हो रहा है, अंदर नहीं जा रही है ये नहीं होगा यार!
मैं- हो जायेगा, धीरे धीरे करो आराम से जितनी आराम से अंदर जाती है जाने दो। 
सरिता- ओके मैं डाल रही हूँ, अच्छा लग रहा है। लेकिन लण्ड तो बहुत मोटा है उंगली से कैसे फील होगा।  

मैं- उंगली तो जाने दो मेरी जान… लण्ड भी चला जायेगा। 

उसके बाद थोड़ी देर तक चूत लण्ड का खेल ऐसे ही चलता रहा उधर वो चूत अपनी उंगली से चुद रही थी और इधर ये लण्ड अपने हाथ को चोद रहा था। 
उधर से ‘आआह्ह्ह ह्ह्ह्ह मानव’ और इधर से ‘आआआह्ह ह्ह सरिता’ की सिसकारियों की मादक आवाजें निकल रही थी। फिर अंत समय आ गया और उधर से उसकी सिसकारियों की आवाज़ तेज़ होते होते धीमी और धीमी होती गई।

मेरा लण्ड भी अब तक अपना लावा उगल चुका था। चूत और लण्ड लगभग साथ साथ शांत हो गए। 
मैं- क्या हुआ मेरी जान, कैसे शांत हो गई।
सरिता- अभी कुछ नहीं हुआ। होगा तो तुम्हें डैडी बोलेगा ना?

मैं- अब बताओ हमारी दोस्ती रहेगी या आज के बाद ख़त्म हो जाएगी?
सरिता- अरे यार, अब कैसे ख़त्म हो जाएगी, पहले तो हम दोनों की दोस्ती थी। अब तो मेरी चूत की तुम्हारे लण्ड से भी दोस्ती हो गई है, ये कैसे ख़त्म होगी? 

उसके बाद हमारा फोन सेक्स का सिलसिला शुरू हो गया जो करीब तीन साल तक रहा।

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आपका मानव 
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