दोस्त की शादी शुदा बहन की चुदाई

हेलो फ्रेंड्स, मेरा नाम देव है आप सबको पता ही है मेरे बारे मे मेरी हाइट 6 फिट हेल्ती हूँ लॅंड 6″ और मोटा 3″ है और मेरी उमर 28 साल है, अब मैं सीधा कहानी पे आता हूँ, मेरा दोस्त का नाम अजय है उसके घर मे 4 ही लोग है उसके पापा 75 साल के उसकी मम्मी 58 साल की वो मेरी ही उमर का और उसकी बड़ी बेहन जो की शादी शुदा है उसकी उमर 33 साल है पतली सी हमेशा सारी मे रहती और पतले पेट और कमर का जादू बिखारती उसकी दीदी की मुस्कान बोहत खास है जी करता है साली को चोद-चोद के साली की पतली गॅंड फाड़ दू, उसकी दीदी की शादी को 5 साल हो गये है और उसका एक बेटा भी है देढ साल का लेकिन जीजा जी बोहत ही निकम्मा था, आई मीन जीजा जी के शायद लॅंड मे ज़ोर नही था वो दीदी को सॅटिस्फाइ नही कर सकता था आछे तरीके से ये बात मुझे बाद मे पता चली, मेरा तो मेरे दोस्त के घर हमेशा आना जाना था पर दीदी जब भी मायके से आती उसका चेहरा थोड़ा उखड़ा-उखड़ा सा रहता और हमलोग सब उसके घर रहते और कहीं बाहर घूमने जाते तो दीदी खुश रहती ऐसा लगता था बच्चा होने के बाद दीदी की कभी चुदाई नही हुई, कहानी अब शुरू होती है की एक बार दीदी अपने मायके आई अपने बच्चे के साथ.

और मैं भी करीबन शाम 4 बजे अजय के घर गया, वो लोग कही निकल रहे थे तो मुझे देख के मौसी अजय की मम्मी बोली बेटा दीदी बच्चा लेके चल नही पा रही तू अपनी बाइक से छोड़ आ हम लोग आ रहे है, मैने कहा ओके और दीदी बच्चे को लेकर बाइक पे बैठ गयी, जब हम रास्ते से जा रहा था तो एक जघा ब्रेक पड़ी और दीदी की होट मेरे कंधे (शोल्डर) पे चूम गये, फिर दीदी भी थोड़ा शरमाई और मेरे अंदर तो करेंट दौड़ गया और लॅंड तन के पैंट के अंदर ही खड़ा हो गया और फूलने लगा और तन के सख़्त हो गया, दीदी को शायद बात समझ मे आई पर हमलोग आछे परिवार से थे तो कुछ कर या कह नही पाते, फिर भी दीदी ने अपना एक हाथ मेरे शोल्डर पे रखा और चलने लगी दीदी के हाथ उफ्फ पतले-पतले उसमे काँच की चूड़िया और भी मोहित कर रही थी, मैं सोच रहा था अगर दीदी को चोदु साली को छोड़ना नही है पकड़े रखना है खैर हमलोग पहुच गये, अब जब भी मैं दोस्त के घर जाता तो दीदी से और बाकीओ से हसी मज़ाक चलता रहता और दीदी देढ महीने के लिए आई थी, तो समय बोहत था पर रात को मैं उसके नाम के मूठ मार-मार कर ही काम चला रहा था.

फिर अचानक एक दिन अजय के घर मे कोई नही था उसके पिता जी की तबीयत थोड़ी बिगड़ गयी और हॉस्पीटलाइज़्ड करना पड़ा तो अजय और मौसी उधर ही थे घर मे सिर्फ़ दीदी और बच्चा था, क्योकि बच्चे को लेकर हॉस्पिटल मे जाना एक परेशानी है तो मैं उसके घर जब पहुचा तो दरवाज़ा खुला हुआ था मैं धीरे-धीरे अंदर गया, तो देखा एक कमरे मे दीदी गोदरेज के सामने सिर्फ़ ब्लाउस और पतले से पेटीकोटे मे खड़ी थी और मूह उस तरफ किया हुआ था तो दीदी की पतली गॅंड मेरी तरफ थी और मैं तो दीदी का फिगर देखके देखता ही रह गया, कयामत थी यार पतली सी गॅंड पतले-पतले हाथ पर ब्लाउस और पेटीकोटे के बीच मे पतली सी कमर उफ़फ्फ़ और कमर और पेट के बीच गाँठ मे एक काला धागा उफफफफ्फ़ उस पर बाल बनी हुई मैं तो जैसे खुदको कंट्रोल ही नही कर पा रहा था, अचानक दीदी पीछे मूडी और मुझे देख लिया और अब दीदी की कोमल-कोमल छोटे-छोटे बूब्स ब्लाउस के अंदर और पतला सा पेट मेरी तरफ और मेरा लॅंड पूरा खड़ा और दोनो एक दूसरे को देखते रहे थे और अब कुछ अजीब सा हुआ यार मैं खुदको रोक नही पाया और दीदी को पकड़ लिया और गर्दन गाल आँख कान नाक दीदी को पूरा चूमने और मसलने लगा और दीदी को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा, दीदी को लेके बिस्तर पे गिर गया और उम्मह उम्मह अचानक दीदी ने धक्का मारा और दौड़ के दूसरे रूम मे चली गयी.

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मैं मनाने के लिए जा ही रहा था तो दरवाज़े की घंटी बजी दीदी ने फटा-फट सारी पहन ली और मैने भी बाल वाल ठीक कर लिया और दरवाज़ा खोला, तो अजय था उसने पूछा अरे तुम कब आया मैं बोला अभी-अभी पहुचा दरवाज़ा बंद था, मैने बोला नही मुझे लगा तुम लोग तो हमेशा बंद ही रखते हो तो बंद करके आया था आक्च्युयली उसके घर की एक मेन दरवाज़ा और बाकी कमरे घर के अंदर ही बने हुए थे, खैर उसने उतना माइंड नही किया क्योकि उसके पापा अभी थोड़ा ठीक है और वो टेंशन मे भी था, खैर उसके बाद मैने दीदी को इनडाइरेक्ट्ली बोहत मनाने की कोशिश की पर वो नही मानी और मैने भी अब उसके घर आना जाना बंद कर दिया था सोचा जाने दे यार बेकार ही कुछ ग़लत हो जाएगा, फिर एक साल बाद एक दिन दीदी की बेटे का ज्न्मदिन था और दीदी और अजय ने मुझे दोनो को इन्वाइट किया और दीदी के ससुराल जाने को बोला, मैने मना किया पर अजय के ज़बरदस्ती करने से मुझे जाना पड़ा पर मुझे नही पता था की वाहा पर मुझे क्या मिलेगा, पार्टी ख़तम होने के बाद मैं और मेरा दोस्त एक अलग कमरे मे सोने चले गये और वो कमरा दीदी और जीजा जी के कमरे के पास ही था और सामने एक स्टोर रूम था.

रात को 11:30 बजे मैने देखा अजय गहरी नींद मे सो चुका था और उधर दीदी का कमरे का दरवाज़ा आधा खुला था, मैं झाँकने लगा तो पाया दीदी अपने खुले पल्लू को अड्जस्ट करती हुई अपने पेट की नेवेल और कमर देख रही थी और जीजा ने एक तकिये से अपने मूह कवर करके उल्टे लेटे हुए थे और दीदी बड़ी कामुक नज़र से मुझे देख रही थी और लाल सारी मे दीदी की पतली सी कमर क्या लग रही थी और अंदर ट्यूब लाइट जली हुई थी और दीदी ने लाइट ऑफ करी और हमारे कमरे मे आके लाइट ऑफ की और मेरा हाथ हल्के से पकड़के स्टोर रूम मे ले गयी और अपना पल्लू गिरा दिया और बोली ऊऊफ्फ देव कितना तड़पाया रे कबसे तेरी राह देख रही थी मैने उस दिन तेरे साथ बहोत बुरा किया, आज कसर निकाल दे ऊऊओफफफ्फ़ चोद मुझे आआहफ़फ़, ये सुनते ही मैं बोला दीदी पर यहा तो दीदी बोली तू चिंता मत कर मैने घर के सभी लोगो के दूध मे नींद की गोलियाँ मिला दी है सिर्फ़ तुझे और मुझे छोड़ के आज कोई नही जागने वाला, बस इतना सुनते ही मैने दीदी को नंगी कर दिया और पागलो की तरह चाटने लगा और दीदी की गॅंड चुत बूब्स दबाके लाल कर दिए जितना ज़ोर था आज़मा रहा था और दीदी चीख रही थी.

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चोद राजा चोद ऊऊफफफफफ्फ़ क्या लंड्ड निकाल फाड़ मेरी चूऊत ओफफफ्फ़ मार मार मार धाककका ररीए री ऊऊऊ, मैने दीदी के बालों को मुट्ठी मे पकड़ लिया और पूरा चूसने लगा दीदी के होट उफफफ्फ़ आअहह दीदी को ज़ोर-ज़ोर से स्मूच करने के बाद दीदी बोली ओफफ्फ़ राजा चोद तेरे जीजा जी चोद नही पाते आज 5 साल बाद मेरी चुदाई हो रही है, बोहत तरसती थी रे उफफफ्फ़ तू मुझे बहोत पसंद था इसलिए जब तूने मुझे चोदना चाहा तो मैं तेरे लिए हाज़िर हो गयी ले अब जितना मार सकता है मार मेरी चुत चोद फाड़ दे मेरी गॅंड और गॅंड से मुझे दीदी की पतली गॅंड याद आई जिसका मैं दीवाना था और मैने तभी दीदी को घोड़ी बना दिया, दीदी स्टोर रूम मे एक टेबल को पकड़ के घोड़ी बन गयी और मैने दीदी की पतली गॅंड मे थोड़ा थूक लगा के दीदी के चूतडो को ज़ोर से पकड़ लिया और दोनो तरफ से और दीदी की पतली गॅंड को ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा, एक एक शॉट से दीदी चिल्ला रही थी और मैं दीदी की पतली गॅंड मे चाटे भी मार रहा था और दीदी को मैने अचानक मिशनरी पोज़िशन मे ले लिया, फर्श पे ताकि पूरी ताक़त से चोद सकूँ और दीदी को नीचे फर्श पर गिरा के दीदी की चुत मे लॅंड डाल दिया और ज़ोर-ज़ोर से शॉट मारने लगा और हाफ़ भी रहा था.

दीदी भी चुदाई का मज़ा ले रही थी और हम दोनो पूरे पसीने से लत-पत थे और पसीने से दोनो की बॉडी की ठप ठप की आवाज़े आ रही थी, मैने दीदी को चोदते-चोदते फिर सारा माल दीदी की चुत के अंदर निकाल दिया और हाफने लगा, फिर थोड़ी देर बाद खुद ही दीदी की पतली हथेली लेके अपने लॅंड को सहलाने लगा और देखते ही देखते लॅंड फिर आकार मे आ गया और दीदी को एक राउंड और चोदा और उस दिन दीदी की घमासान चुदाई हुई, पूरा समझ मे आ रहा था की दीदी की बुरी तरह चुदाई हुई और सुबह दीदी से ठीक से चला भी नही जा रहा था और अगले दिन हम लोग वाहा से आ गये, अब दीदी जब भी मायके आती है तो कोई बहाना करके या कभी-कभी बोलके भी मेरे घर आ जाती है और मैं दीदी को जी भर के चोदता हूँ और किसी को पता भी नही चला अभी तक एक बार दीदी प्रेगञेन्ट हो गयी पर आई-पिल ने बचा लिया, मेरी मैल आईडी है “[email protected]” थॅंक्स. कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार नीचे कॉमेंट्स मे ज़रूर लिखे, ताकि हम आपके लिए रोज़ और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सके – डीके