रंडी सास ने कैसे अपने दामाद से हवस मिटाई

मेरा नाम सुजाता है, मेरी उम्र 36 साल है. मेरी एक सौतेली बेटी है, जो अभी 20 साल की है, उसका नाम प्रेमा है. मेरे पति खेती करते हैं, हम लोग गांव के हैं. गांव में बेटियों की शादी जल्दी कर दी जाती हैं, हम भी अपनी बेटी की शादी करने के लिए लड़का देख रहे थे.

कुछ समय बाद एक रिश्ता मिला लड़का शहर का था, पर उसकी उम्र ज्यादा थी. फिर भी मेरे पति ने शादी तय कर दी. फिर लड़का और उसके घर वाले मेरी बेटी को देखने आए और लड़के ने मेरी बेटी की सुन्दरता को देखते ही हां कर दी.

कुछ महीने बाद मेरी बेटी की शादी हो गई और वो अपने घर चली गई. बेटी के घर में मेरे दामाद और उसके ससुर सास हैं. दामाद का नाम सुधीर है, उनकी उम्र 30 साल थी.. सास 50 और ससुर 52 साल के थे.

एक दिन मेरी बेटी और दामाद मेरे घर आए और रात को रुके. रात को मेरे पति दारू पी कर घर आते हैं. उस दिन भी उन्होंने यही किया, वो दारू के नशे में आए और मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी चूचियों मसलने लगे.

मैं अपने बारे में बता दूँ कि मेरा रंग एकदम दूध सा गोरा है और कद जरा कम है. मेरी चूचियां 40 की हैं और मेरी गांड बहुत मस्त है. मुझे आज भी चुदवाने का बहुत मन करता हैं.

मेरे पति नशे में मेरी चूचियों को मसल रहे थे और मुझसे कह रहे थे- सुजाता तुम कितनी गर्म हो!
और वो मेरी चूचियों के निप्पलों को अपनी अंगूठे से रगड़ रहे थे.
मैंने कहा- पागल हो गए हैं क्या दूसरे कमरे में बेटी और दामाद हैं.
पर वो मेरी सुन ही नहीं रहे थे. फिर उन्होंने मेरी नाइटी को उठाया और अपने लंड को मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगे.

मेरे कुछ देर बाद अपना माल मेरी चूत में डाल कर मेरे बगल में गिर गए. वो तो सो गए पर मेरी चूत को गर्म कर दिया.

फिर मैं उठी और अपनी चूत को साफ किया. इसके बाद मैं अपनी बेटी और दामाद को देखने के लिए गई कि वो सोए या नहीं. जब मैंने खिड़की से देखा तो लाइट जल रही थी. फिर करीब से देखा तो दंग रह गई.
मेरी बेटी दामाद जी से चुद रही थी- आह.. आह.. धीरे करो.. आह.. मर जाऊँगी.. धीरे..

उसकी हालत देख कर लग रहा था कि वो दामाद जी का लंड नहीं ले पा रही है.. पर दामाद साँड की तरह मेरी बेटी को चोद रहे थे. मेरी बेटी चिल्ला रही थी. कुछ देर के बाद वो रुक गये और अपने लंड को बाहर निकाल कर हिलाने लगे.

मैंने हैरत से देखा कि उनका लंड बहुत मोटा और लम्बा था. उनके लंड की टोपी बहुत बड़ी थी. उनका लंड देख कर मेरी चूत में खुजली होने लगी. फिर मैं वहाँ से अपने कमरे आकर लेट गई, पर मेरी आँखों के सामने दामाद का लंड ही दिखाई दे रहा था.

सुबह मेरे पति खेत चले गए और बेटी अपनी सहेलियों से मिलने चली गई.
इधर मैं दामाद को खाना परसने के लिए झुकी और मेरी चूचियों का नजारा दामाद को दिखा दिया. दामाद जी की नजरें मेरी बड़ी चूचियों पर थीं. फिर मैंने दामाद के सामने अपने पल्लू सीधा किया और मुस्कुरा कर वहाँ से गांड मटकाते हुए चली गई.

खाना खाकर दामाद मेरे पास आकर बोले- सासू माँ, प्रेमा कहाँ गई?
मैंने दामाद से कहा- आप को पता है कि प्रेमा मेरी सौतेली बेटी है?
तो दामाद बोले- हाँ पता है.
फिर मैंने कहा- आप, मुझे मेरे नाम से बुलाया कीजिये.
दामाद बोले- ओके.. पर माँ प्रेमा कहाँ है?
मैंने कहा- प्रेमा अपनी सहेलियों से मिलने गई है और आप मुझे मेरे नाम से बुलाओ न.
वो बोला- पर मैं आपको आपके नाम से कैसे बुआऊं?
मैंने कहा- मैं आपके साथ सास दामाद का नहीं, एक दोस्त का रिश्ता रखना पसंद करूँगी.

फिर वो बोला- ठीक है सुजाता जी.. मुझे ये बताओ कि अपने खेत कहाँ कहाँ हैं?
मैंने चूत खुजाते हुए कहा- आपको हमारे खेत देखने हैं?
वो भी जीभ को होंठों पर फेरता हुआ बोला- अगर आप दिखाएंगी तो जरूर देखूंगा.

हम दोनों ही एक दूसरे की आग को समझ रहे थे. फिर मैं उन्हें अपने खेत दिखाने के लिए ले गई और बात करते करते खेत आ गए.
उन्होंने कहा- सुजाता जी एक बात कहूँ?
मैंने कहा- जी बताईये.
उन्होंने कहा- आप आज भी बहुत खूबसूरत हो.
मैं मुस्कुरा दी.

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फिर वो बोले- ससुर जी के साथ रातें मजे से गुजरती होंगी.
मैं बोली- क्यों आपकी अच्छे से नहीं गुजरतीं क्या?
बोला- नहीं.
मैंने कहा- क्यों?
वो बोले- प्रेमा ठीक से मुझे प्यार नहीं करने देती.

फिर कुछ बात करने के बाद हम घर आए और अब तक मैं समझ चुकी थी कि दामाद मेरी चूत मारने के लिए तैयार हैं.

रात को मैंने दामाद जी को अपनी नाइटी से खूब चूचियों के दर्शन दिए. फिर रात को मेरे पति आए और सो गए. मैं उठ कर दामाद के पास गई.

मैंने देखा दामाद मेरी बेटी चूचियों को पी रहे थे. कुछ देर बाद उन्होंने मेरी बेटी की बुर में अपना लंड घुसा दिया, मेरी बेटी की चीख निकल गई. दामाद बेपरवाह उसे चोदने लगे. उनकी चुदाई देख कर मेरी चूत से पानी निकल रहा था. मेरे एक हाथ चूत में दूसरा चूचियों पर था. फिर मैं अपने कमरे में आ गई.

दूसरे दिन दामाद और मेरी बेटी अपने घर चली गई. मेरी चुदास अधूरी रह गई. कुछ दिनों बाद मेरी बेटी का फ़ोन आया वो मुझे बुला रही थी. तभी उसने कहा- मैं आपको ले आने के लिए सुधीर को भेज दूँगी.
मैंने हाँ कर दी.

फिर दो दिन बाद दामाद जी आने वाले थे. मेरी चूत की आग और भी भड़क चुकी थी.

दो दिन बाद दामाद जी आए और उन्होंने वापसी के लिए रात की ट्रेन की टिकट कराई थी. मेरी बेटी का ससुराल जाने में आधा दिन लगता हैं. हमारी ट्रेन शाम की थी. शाम को मै तैयार हुई. मैंने एक काली साड़ी पहनी और लाल ब्लाउज़ पहना, खूब गहरी लिपस्टिक लगाई.

जब मैं बाहर आई तो दामाद की नजरें मेरी नाभि और खुले पेट पर जमी थीं.

फिर हम लोग प्लेटफार्म पर आ गए, कुछ देर में हमारी ट्रेन भी आ गई. ट्रेन में जाकर हम लोग ऊपर वाली सीट पर चढ़ कर बैठ गए. मेरे बगल में दामाद बैठे थे. कुछ देर बाद ट्रेन चलने लगी. मैंने अपना पल्लू हटा दिया, जिससे दामाद जी मेरी चूचियों का आनन्द ले सकें. मैंने देखा दामाद जी की नजरें मेरी रस भरी चूचियों पर टिकी थीं.

कुछ पल बाद हम लोग आगे पीछे हो कर एक ही सीट पर लेट गए. मैं आगे थी, दामाद पीछे थे. कुछ देर बाद दामाद जी ने अपना हाथ मेरी कमर पर रखा और धीरे धीरे सहलाने लगे. मैंने कोई आपत्ति नहीं जताई. फिर उन्होंने अपना हाथ मेरी साड़ी के अन्दर कर दिया और मेरी पैंटी सहलाने लगे.

मैं भी गर्म होने लगी. लेकिन अचानक मेरी नजरें सामने वाली सीट पर गईं. वहाँ दो आदमी हम लोगों को देख रहे थे. इसलिए मैं वहाँ से उठ गई.

दामाद जी ने पूछा- क्या हुआ?
तो मैंने कहा- हमारा स्टेशन आने वाला है.

वो भी मामला समझ गया और उठ कर बैठ गया. फिर हमारा स्टेशन आ गया और हम ट्रेन से उतर गए. दामाद जी मुझे अपने घर ले गए. वहाँ जाकर पता चला कि मेरे समधी और समधन बाहर गए हैं. सिर्फ घर पर मेरी बेटी थी.

उधर एक दिन रुकने के बाद मेरी बेटी अपनी सहेली के घर चली गई, उसकी सहेली की तबीयत ठीक नहीं थी. जाते वक्त वो बोली कि मैं शाम तक आऊँगी.
मुझे भी लगा कि दामाद का लंड अपनी गीली चूत में डलवाने का यही सही टाइम है.

फिर मैंने बेटी की नाइटी पहन ली और खाना बनाने लगी. मैंने दामाद जी को खाना लगा दिया और वहीं उनके सामने अपनी जवानी के रूप दिखाने लगी. दामाद जी खाना खाकर मेरे पास आकर बातें करने लगे.
तभी मैंने कहा कि आपको ट्रेन में क्या हो गया था?
वो बोला- कुछ नहीं.
फिर मैंने अपनी चूचियों की तरफ इशारा करते हुए कहा- लगता है आप मेरी कमर में फंस गए थे.

फिर उन्होंने बिना कुछ बोले अपने हाथ आगे किए और मेरी चूचियों को अपने दोनों हाथों से दबाने लगे.
उनके इस अचानक हमले से मेरी तो ‘आह..’ निकल गई. मैंने कहा- धीरे धीरे दाब लो मेरे राजा.
इतना सुनते ही उन्होंने मुझे सोफे पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर अपने होंठों से मेरे होंठों को चूसने लगे. दस मिनट तक उन्होंने मेरे होंठों को चूसा फिर उन्होंने मेरी पूरी नाइटी को उतार दिया और जल्दी से खुद भी नंगा हो गये.

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मैंने नाइटी के नीचे कुछ भी नहीं पहना था. वो मेरी चूचियों के काले बड़े निपल्स को अपने दांतों से काट रहे थे. मेरी मादक कराहें निकलने लगीं- आह.. काटो मत आह.. आह.. दर्द हो रहा है.
लेकिन वो जानवरों की तरह मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी चूचियों को पिए जा रहे थे. फिर मैंने उन्हें तेजी से अपने ऊपर से हटाया और भागने लगी. मैं नंगी ही भाग रही थी, वो भी मुझ पर झपट रहे थे.

मैं उनके बेडरूम में जाकर रुकी. उन्होंने झट से दरवाजे पर कुण्डी लगाई और मेरी तरफ आकर मेरे पास रुक गये. मैंने अपने हाथ से उनके लंड को पकड़ा, उनका लंड बहुत गर्म था. मैंने अगले ही पल दामाद जी के लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी. उनका लंड मेरे गले के गहरे अन्दर तक घुस गया.

अब वो कामुकता से सिसिया रहे थे- आह.. आराम से चूसो आह..

इस तरह कुछ देर बाद उन्होंने अपनी पिचकारी मेरे मुँह में भर दी. मैंने उनके रस को पी लिया.
इसके बाद मेरा दामाद मेरी चूचियां मींजता हुए बोले- सुजाता जी, आप लंड बहुत अच्छा चूसती हो.
फिर उन्होंने मुझे लिटा दिया और मेरी दोनों टाँगें फैला कर अपनी जीभ को मेरी चूत पर रख कर चूत चाटने लगा.

मेरे लिए ये पहली बार था. जब उन्होंने मेरी चूत में अपनी जीभ डाली. मेरे मुँह से ‘उम्म्मम… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह.. उम्म्ममैय्य.. पी लो राजा.. अपनी जवान सास की चुत का रस आह… उह.. रे र्रर्ररसस्स.. मेरे राजा मुझे चोद दो.. अब चोद दो..’ निकलने लगा.

उन्होंने अपने लंड का मोटा सुपारा मेरी चूत के मुँह पर रख कर एक धक्के में अन्दर कर दिया. मैं तेज स्वर से चिल्लाने लगी- मर गई… फाड़ दिया मेरी चूत को.. आह मर गई..
फिर दामाद ने पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया और मुझे चोदने लगे.
मैं बेहोश सी होने लगी और मैंने दामाद से बोला- जरा अपना लंड निकालो.. दर्द हो रहा है.
वो बोले- कितने दिनों से तेरी चूत मारने की सोच रहा हूँ.. आज फंसी है.

इस तरह वो बेरहमी से मेरी चूत पर लंड के हमले करते रहे और बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद उन्होंने अपना बीज मेरी बच्चेदानी में डाल दिया और मेरे ऊपर से हट कर बगल में गिर गये.

कुछ देर ही हुए थे कि दरवाजे की बेल बजी. मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए. दामाद जी ने भी झट से कपड़े पहने और पीछे के दरवाजे से बाहर चले गये.
मैंने दरवाजा खोला तो बेटी आई थी, वो बोली- मेरी सहेली हॉस्पिटल में है.. मैं रात में वहाँ जाऊँगी.

फिर रात को मेरी बेटी चली गई. दामाद भी अभी घर नहीं लौटा था.

रात को दस बजे दामाद जी आये. मैंने बेटी का सलवार कमीज पहना था. मैं किचन में थी. दामाद ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और किस करने लगे.
“तुम को पता है मैं तुम्हारी बेटी की चूत किचन में ही चोद देता हूँ.”
मैंने कहा- मुझे भी किचन में चोद दो.

उन्होंने मेरी सलवार का नाड़ा तोड़ दिया और मुझे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया. वो मेरी गांड में अपना लंड डालने की कोशिश कर रहे थे.

मैंने मना किया, पर वो नहीं माने. मैंने कहा- अच्छा अपने लंड पर कुछ चिकना लगा लो.
वो बोला- तेल लगा दो.

फिर मैंने तेल लेकर उसके लंड में लगाया और अपनी गांड में भी मल लिया. फिर उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड में आधा अन्दर कर दिया. मुझे लगा कि जैसा कोई गरम डंडा मेरी गांड में घुस गया हो. मैं चिल्लाने लगी- उम्माआ.. मर गई.. मेरी गांड फट गई.

मेरे दामाद अपना लंड मेरी गांड के अन्दर बाहर करते रहे. कुछ ही देर बाद मुझे भी अपनी गांड मरवाने में मजा आने लगा. मैंने उससे सारी रात अपनी चूत और गांड मरवाई. उस रात मेरी चूत का भोसड़ा बन गया था.