प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी- 6

मैरिड गर्लफ्रेंड वांट सेक्स. मेरे गर्लफ्रेंड की शादी हो गयी पर उसे अपने पति के साथ सेक्स में मजा नहीं आता था. मैं क्या करूं? मैं उसे चोदूं या नहीं?

साथियो, मैं आपको अपनी सेक्स कहानी के पिछले भाग
मेरी गर्लफ्रेंड को चुदाई की आदत लग गयी
में प्यार के बाद सेक्स और उसमें होने वाली विसंगतियों को लेकर बता रहा था.

इसके बाद मैं बराबर सोनी को टाइम देने लगा जिससे जल्दी ही सोनी के सारे गिले शिकवे दूर हो गए.
सोनी अब खुश तो थी पर उसे अभी भी मेरे दुकान चलाने से परेशानी थी.

आज से करीब दो साल पहले सोनी को चेन्नई जाने का मौका मिला.

हुआ यूं कि सोनी का एक छोटा भाई है रोहण, जो चेन्नई में रह कर पढ़ाई कर रहा था.
सोनी के मम्मी पापा ने उसे 2-3 दिन घूमने के लिए रोहण के पास भेजने का पक्का किया था.

सोनी को जैसे ही पता चला, उसने मुझे भी साथ चलने को कह दिया.

रोहण को हमारे बारे में पता था और सोनी ने रोहण से बात करके मेरे आने के बारे में बता दिया था.

पर दिक्कत ये थी कि हम रहते कहां?
क्योंकि रोहण 3-4 लड़कों के साथ मिलकर एक घर भाड़े पर लेकर रह रहा था.

सोनी के मम्मी पापा ये सोच रहे थे कि सोनी रोहण के कमरे में रह लेगी.

पर सोनी के दिमाग में और ही कुछ चल रहा था.
उसने रोहण को पता नहीं कैसे मेरे और सोनी के होटल में रहने के लिए मना लिया था.

चेन्नई का दौरा हमारे लिए हनीमून से कम नहीं था.
हम दिन भर रोहण के साथ घूमते और रात को होटल के कमरे कामक्रीड़ा का आनन्द लेते.
तीन दिन तक हम चेन्नई में रहे और तीनों दिन और रात हमने सभी चीजों का भरपूर आनन्द लिया.
चाहे घूमने फिरने की बात हो या फिर कामक्रिया की.

देखते ही देखते हमारे रिश्ते को पांच साल हो गए, पांचवी सालगिरह हमने इमैगिका जाकर मनाई.

रोहण भी हमारे साथ था तो उस दिन हमें चूमाचाटी का मौका तो नहीं मिला.

लेकिन उसके अगले दिन हमने लॉज में जाकर अपनी पांचवी सालगिरह अपने तरीके से मनाई.

पिछले पांच सालों में हम मुम्बई के लगभग सभी प्रसिद्ध जगहों पर घूमने गए और कई बार हम मुम्बई के बाहर भी जाकर आए.

अब यहां से शुरू हुई हमारे रिश्ते के पतन की कहानी.

सोनी की स्नाकोत्तर की पढ़ाई भी पूरी हो गयी और सोनी नौकरी ढूंढने लगी.
अब वो नौकरी ढूंढ रही थी और उसके पापा उसके लिए लड़का.

सोनी के पापा को 3-4 लड़के पसंद भी आ गए थे पर लड़के वालों को सोनी पसंद नहीं आयी.

हमारे यहां लड़की से तो पूछा ही नहीं जाता कि उसे लड़का पसंद भी है या नहीं.
सोनी के साथ भी वही हो रहा था.

जब सोनी के लिए उसके पापा लड़का खोजने लगे तब मैंने उसे हमारे बारे में बात करने को बोला.

उस वक़्त सोनी ने ये बोलकर मुझे शांत कर दिया कि अभी बस देख रहे हैं, रिश्ता तो मेरी मर्जी से ही पक्का होगा ना … और जब ये लोग लड़का खोज खोज कर थक जाएंगे, तब मैं इन्हें तुम्हारे बारे में बता दूंगी. शायद तब तक मुझे कोई अच्छी सी नौकरी भी मिल जाए और तब मेरे मम्मी पापा मुझ पर दबाव भी नहीं डाल पाएंगे.

हमारा रिश्ता वैसे ही मस्ती से चल रहा था.
इधर सोनी नौकरी के लिए भाग रही थी और उधर सोनी के पापा लड़का खोजने में लगे थे.

पिछले साल मई में सोनी के पापा को मुम्बई से सटे एक उपनगर में एक लड़का पसंद आया.

लड़का सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, लड़के का नाम रोहित था.
उसका बड़ा भाई डॉक्टर और उसके पापा बी.एम.सी. स्कूल में अध्यापक थे.

दोनों के घर वालों की मर्जी से एक मीटिंग तय हुई जिसमें सोनी और रोहित भी शामिल हुए.

बातचीत होने के बाद लड़के वालों ने सोनी के पापा से सोच कर बताने के लिए समय मांग लिया.

मीटिंग से आने के बाद सोनी ने मुझे बताया कि उसे लड़का पसंद नहीं आया और उसे लगता है कि ये रिश्ता भी कैंसल हो जाएगा.

जब मैंने कारण पूछा तो सोनी ने बताया कि पहली बात लड़का उससे 6 साल बड़ा है और दूसरी बात लड़के की मां को ऐसी बहू चाहिए, जो 5-6 घंटे की नौकरी करके घर आ जाए. उन्हें मेरे जैसी आई.टी. क्षेत्र की लड़की अपनी बहू के रूप में नहीं चाहिए.

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मैं सोनी की बात सुनकर रिलैक्स हो गया.

सोनी लगातार इंटरव्यू देने जाती पर हर बार किसी ना किसी वजह से उसका चयन नहीं पाता.
और जब कभी वो घर पर होती तो उसके मम्मी पापा हमेशा रिश्ते की ही बात करते.
सोनी से जब कभी पूछा जाता तो वो लड़के की उम्र का हवाला देकर रिश्ते के लिए मना कर देती.

पर उसके मम्मी पापा उसे समझा कर चुप करा देते.

इन सब वजहों से सोनी एकदम चिड़चिड़ी सी हो गयी थी, कई बार मुझसे भी बिना किसी बात के सोनी झगड़ने लगती.
मैं उसकी हालत समझता था इसलिए ज्यादातर मौकों पर चुप ही रहता था.

देखते ही देखते मई, जून और जुलाई बीत गया.
ना ही सोनी को कोई जॉब मिला और ना ही लड़के वालों की तरफ से हां या ना का जवाब आया.

अब मैं और सोनी दोनों ही आश्वस्त हो गए कि ये भी रिश्ता कैंसल हो ही जाएगा.

हम दोनों पहले की ही तरह मिलते साथ में समय व्यतीत करते.

अब क्लाइमेक्स की स्थिति शुरू होने को आई.

सोनी लगातार जॉब के लिए कोशिश कर रही थी.
इसी बीच सोनी ने एक कंपनी में इंटरव्यू दिया था और उसका फाइनल रिजल्ट अभी आना बाकी था.

अगस्त का महीना चल रहा था, एक दिन सोनी का मैसेज आया कि उसने जिस कंपनी में आखिरी बार इंटरव्यू दिया था, उसमें उसका सिलेक्शन हो गया.

मैं तो खुशी से उछल पड़ा, आखिरकार सोनी की मेहनत रंग लाई.

उसने मुझे एक रेस्टोरेंट में मिलने को बुलाया.
मैं भी फटाफट रेडी होकर उससे मिलने पहुंच गया. मैं तो बहुत खुश था, पर न जाने क्यों सोनी खुश नहीं थी.

जब मैंने जोर देकर पूछा, तब सोनी ने बताया कि रोहित के घर वालों ने शादी के लिए हां बोल दिया है.

मेरी खुशी तो जैसे फुर्र हो गयी. मेरी तो समझ में नहीं आ रहा था कि जॉब मिलने की खुशी मनाऊं या उसकी शादी की बात फाइनल होने का गम?
हम दोनों की हालत एक जैसी थी. हमें तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि अब क्या करें?

बाद में सोनी ने मुझे भरोसा दिया कि हमारा रिश्ता ऐसे ही रहेगा, ये शादी तो वो अपने पापा की खुशी के लिए कर रही है. बस और शादी के कुछ टाइम बाद वो अपने पति को छोड़कर हमेशा के लिए मेरे पास आ जाएगी.

मैंने उसे, उसके पापा से बात करने के लिए कहा.
तो उसने ये बोलकर मना कर दिया- तुम जॉब नहीं करते हो. मैं क्या बोलूंगी पापा को कि मैं जिससे शादी करना चाहती हूँ, वो एक दुकानदार है? फिर जब मेरी जॉब पर्मानेंट हो जाएगी और मैं अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊंगी, तब कोई भी मुझे किसी भी फैसले के लिए फ़ोर्स नहीं कर पाएगा. इसलिए अगर तुम मुझे प्यार करते हो, तो मुझ पर भरोसा रखो. मेरी खुशी सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे साथ है.

उसकी बातें सुनकर अच्छा तो लगा पर दिमाग में अभी भी कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करूं?
उस दिन के बाद धीरे धीरे हमारे बीच सब कुछ बदलने लगा.

अब वो जॉब पर भी जाने लगी थी तो अब हमारा मिलना भी सिर्फ शनिवार या रविवार को ही होने लगा.

लॉज में भी जाना बहुत कम हो गया था.
हम जब भी लॉज में जाते तब हमारे बीच सेक्स कम और उसकी शादी की या शादी के बाद की बातें ही होतीं.

वो हर बार मुझे यही भरोसा दिलाती कि वो जल्दी ही मेरे पास हमेशा के लिए आ जाएगी.
इसी बीच सोनी की एक बचपन की सहेली, जो हम दोनों के बारे में शुरू से जानती थी, उसने भी सोनी को समझाया कि वो अपने पापा से बात करे.

सोनी की सहेली ने तो यहां तक कहा कि अगर वो चाहे तो वो खुद जाकर उसके पापा से बात कर सकती है. पर सोनी उसे मना कर देती.

इन्हीं सब उलझनों में अक्टूबर आ गया.
अब हमारा मिलना बहुत कम हो गया था. मिलते भी तो रेस्टोरेंट में.

सोनी अब लॉज में जाने से परहेज करने लगी थी.

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उसे किसी ने बताया था कि लंबे समय के बाद संभोग करने से संभोग के टाइम पर दर्द होता है और वो सोच रही थी कि ऐसे में उसके होने वाले पति को लगेगा कि वो कुंवारी है.

वो संभोग के लिए मुझे सीधे सीधे मना नहीं करती पर उसकी मंशा मैं समझ जाता इसलिए उसे फ़ोर्स नहीं करता.
इसी दौरान उसका छोटा भाई जो चेन्नई में रहकर पढ़ाई कर रहा था, वो भी कुछ दिन के लिए घर आ गया था.

उसने भी सोनी को पापा से बात करने को बोला और खुद भी उसका साथ देने या बात शुरू करने को भी तैयार था.
उसे भी सोनी ने ये कह कर मना कर दिया कि घर में वो सबसे छोटा है, उसकी बात कोई नहीं सुनेगा.

अक्टूबर के बाद से हमारे बीच सेक्स भी बंद हो गया.
मैंने भी उसे सेक्स के लिए बोलना बन्द कर दिया था.

फिर नवंबर आया, अब तक उसकी शादी और एंगेजमेंट की तारीख भी फाइनल हो गया.
तेरह फरवरी को एंगेजमेंट और इक्कीस फरवरी को शादी का दिन तय हुआ था.

सोनी अब मुझे नजरअंदाज करने लगी थी, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं?
क्योंकि सोनी ने मुझे कुछ भी करने को मना किया था.

नवंबर में ही सोनी और रोहित के बीच बातें भी शुरू हो गईं.

अब वो मुझे व्हाट्सएप पर भी अनदेखा करने लगी थी.

एक बार कॉल पर बात के दौरान मैंने सोनी से लड़के और उसके पापा का नाम पूछा तो उसने मुझे गलत नाम बताया जो मुझे उसकी शादी के बाद पता चला.

उसने मुझे शादी का कार्ड तक नहीं दिखाया और न ही शादी कहां होगी … ये बताया.
बेबसी और लाचारी के साथ दिन बीतते गए और उसकी शादी का दिन भी आ गया.

उसकी शादी के समय सोनी नहीं चाहती थी कि मैं मुम्बई में रहूँ इसलिए मैं एक सप्ताह के लिए अपने गांव चला गया.

गांव जाने से पहले उसकी शादी के 4 दिन पहले हम आखिरी बार लॉज में मिले.
हमारा सेक्स करने का बहुत मन था पर इतने दिन के कंट्रोल को हम दोनों ही जाया नहीं जाने देना चाहते थे इसलिए उस दिन सोनी के कहने पर मैंने उसकी चूत को चाट कर किस करके और रगड़कर ही यौन सुख देने की कोशिश की.

उस दिन के बाद मैं गांव चला गया और इधर सोनी अपनी शादी की तैयारी में बिजी हो गयी.

सुहागरात के अगले दिन उसका मैसेज आया और उसने बताया कि उसके पति को कुछ भी पता नहीं चला और उसके पति का लंड काफी छोटा है. जब उसका पति उसके साथ सेक्स करता है, तो उसे तो कुछ महसूस ही नहीं होता.

शादी के बाद सोनी से दूसरे तीसरे दिन व्हाट्सएप पर ही बात होने लगी थी.

शादी के 12-15 दिन बाद वो मुझे भी शादी करने के लिए समझाने लगी मतलब उसने अपना इरादा बदल दिया था, पर वो अभी भी मेरे साथ यौन संबंध रखना चाहती थी. माय मैरिड गर्लफ्रेंड वांट सेक्स.

कुछ टाइम बाद मुझे पता चला कि एक सूरज नाम के लड़के के साथ भी उसके संबंध थे, यौन संबंध थे या नहीं, ये नहीं पता लग सका, पर उन दोनों के बीच रोज घंटों बातें होती थीं.
सूरज उसका मेरे से पहले बॉयफ्रेंड भी था.

संजू आर्यन द्वारा लिखी गई इस सच्ची कहानी पर आप सभी अन्तर्वासना के पाठकों से मेरा एक सवाल है कि इतना सब पता चलने के बाद मुझे क्या करना चाहिए?
क्या मुझे उसके पति को सब बता देना चाहिए या चुपचाप अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ना चाहिए?

दोस्तो, तो ये मेरे खास दोस्त राजीव की सच्ची सेक्स कहानी थी.
मैं उम्मीद करता हूँ आप सब, सेक्स कहानी के सभी भाग पढ़ने के बाद अपनी सलाह के साथ साथ राजीव के सवाल का जवाब भी देंगे.

अब मैं संजू आर्यन, आप सब से विदा लेता हूँ.
जल्दी ही एक और सेक्स कहानी के साथ आप सबसे रूबरू होऊंगा, तब तक आप सब अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें और कोरोना नियमों का पालन करें.

अगर आपके पास मैरिड गर्लफ्रेंड वांट सेक्स से संबंधित कोई सुझाव या सलाह हो, तो आप मेरे ईमेल पर बता सकते हैं.
[email protected]
धन्यवाद.