ननदोई जी ने कर दी मेरी चूत चुदाई और मैं गर्भवती हो गई

मेरी पिछली कहानी
प्यार में पागल कॉलेज गर्ल पहली चूत चुदाई
आपने पढ़ी और उसको पसंद किया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद!

यह कहानी मुझे मेरी एक दोस्त ने बताई है, यह उसके जीवन की सत्य घटना है, उसकी मर्जी से ही मैं यह सेक्सी स्टोरी लिख रहा हूँ। तो आइए आगे की कहानी उसी की जुबानी सुनते हैं।

वर्तमान में मध्यप्रदेश के एक छोटे शहर में अपनी पति के साथ रहती हूँ। मेरे सास ससुर और पूरा परिवार गांव में ही रहते हैं।
मेरी उम्र 28 वर्ष, कद 5’3″ है। मैं दुबली पतली हूँ, मेरी चुची का नाप 32″ कमर 30″ और गांड 34″ है, मैं बहुत गोरी चिट्टी हूँ और खूबसूरत भी हूँ।

बात लगभग एक वर्ष पुरानी है, मेरे देवर की शादी में हम लोग गांव गए हुऐ थे। शादी का माहौल था तो सब लोग शादी के कामों में व्यस्त थे और शादी की मस्ती में मस्त भी थे।

मंडप वाला दिन था, उस दिन मंडप के नीचे घर के जमाइयों को हल्दी लगाई जाती है। मंडप के नीचे इस रस्म को पूरा किया जा रहा था।
मेरे मौसेरे जमाई जिनकी उम्र लगभग 38 वर्ष होगी, ऊंचाई लगभग 5’10” होगी, कुल मिला कर एकदम फिट शरीर के मालिक हैं वो! उनको भी हमने हल्दी में कर दिया।

शादी के माहौल में हल्दी की मस्ती का मजा बहुत अलग होता है, यही मजा हम लोग ले रहे थे।
इसी तरह मजाक मस्ती करते करते शाम होने लगी तो मौका देखकर मेरे नंदोई जी मेरे पास आये मेरी पीठ को हाथ से सहलाते हुए बोले- पूजा आज हल्दी बहुत अच्छी तरह से लगाई तुमने!
उनकी इस बात पर मैं मुस्कुरा कर जाने लगी तो उन्होंने मुझे रात को छत पर बने कमरे में आने का बोला।

मैंने सोचा कि ननदोई जी को कोई काम होगा, मैं वहाँ से चली गई और अपने काम में लग गई।

रात को मुझे अचानक ध्यान आया तो में ऊपर छत पर बने कमरे में पहुंची, वहाँ पर ननदोई जी पहले से ही मौजूद थे। जैसे ही मैं दरवाजे के अंदर पहुँची उन्होंने मुझे अपनी बाहों में दबोच लिया और मेरे बूब्स सहलाने शुरू कर दिए।

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मेरे मुंह से बस इतना ही निकला- जीजा जी, कोई आ जायेगा!

उनको पता नहीं अचानक क्या हुआ, उन्होंने दरवाजा बन्द करके मेरी साड़ी ऊपर कर दी और मेरी पेंटी झटके से नीचे सरका दी।
मैं कुछ समझ पाती इससे पहले उनकी उंगली मेरी चूत में घुस चुकी थी और वो मुझसे लिपट चुके थे, उनके एक हाथ की उंगली मेरी चूत में कमाल कर रही थी और उनका दूसरा हाथ मेरी चुची दबा रहा था।

मैं जीजा से छूटने की नाकाम कोशिश कर रही थी पर उनके मजबूत हाथों से छूट पाना नामुमकिन लग रहा था।
एक पल के लिए सोचा कि चिल्ला कर सबको इकट्ठा कर लूँ पर उसमें मेरी ही बदनामी हो जाती इसलिए चुप रहकर उनकी हरकतों का मजा लेने में ही समझदारी समझी।

जब उन्होंने मुझे गर्म होते हुए देखा तो उन्होंने पास में पड़े गद्दे पर मुझे लिटा लिया मेरी साड़ी को ऊपर कर दिया मेरी पेंटी जो थोड़ी बहुत मेरे पैरों में अटकी हुई थी, उसको भी अलग कर दिया।

अब उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसना शुरू कर दिया। उनका हाथ अभी भी मेरी चुची को मसल रहा था, वो मेरे निप्पल को ऐसे मरोड़ रहे थे जैसे कि वो उसमें से दूध निकाल कर ही रहेंगे।
मुझे दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था पर मैं कुछ बोल नहीं रही थी, बस चुपचाप उनकी हरकतों का मजा ले रही थी।

फिर उन्होंने अपने कपड़े उतारना शुरू किया, पहले शर्ट, फिर बनियान उतारी, उनके सीने पर घने बालों का जंगल था जो मैंने चोर नज़र से देखा।
उन्होंने पैंट और अंडरवियर सब कुछ जल्दी जल्दी उतार कर एक तरफ फेंक दिए जैसे कि मैं कही भाग कर जाने वाली होऊँगी।

तब ननदोई जी मेरे ऊपर आ गए और मेरे होंठों को चूसने लगे साथ मे मेरी चुची को सहलाने लगे।

उनकी इस दोहरी हरकत से मैं बहुत गर्म हो गई थी। शायद उन्होंने इस बात को समझ लिया था तो उन्होंने मेरी दोनों टांगें चौड़ी करके मेरी चूत पर अपना लंड टिकाकर जोर के झटके के साथ अंदर घुसा दिया।

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उनकी इस हरकत से मेरी जान ही निकल गई, मैं चिल्लाना चाह रही थी पर मेरा मुँह उन्होंने अपने मुह में बंद किया हुआ था इसलिए मेरी चीख मुंह में ही दब कर रह गई।
लेकिन मैंने अपने हाथ पैरों को पटककर अपना दर्द ज़ाहिर किया। ननदोई जी थोड़ी देर शांत रहे, फिर उन्होंने अपने लंड को हरकत देना शुरू कर दिया।

अब वो लंड को चूत में अंदर बाहर करने लगे।
थोड़ी ही देर में मेरा दर्द कम हुआ और मुझे भी मजा आने लगा।

जीजा ने मेरा मुँह आज़ाद कर दिया मेरे मुँह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज़ निकलने लगी।
ननदोई जी अपने लंड को जोर जोर से अंदर बाहर करने लगे और कहने लगे- आहहह पूजाआआ… तू एकदम सेक्सी है… मस्त माल है तू! तुझे मैं बहुत दिनों से चोदना चाहता था! आह आज तेरी चूत मेरे लंड की रानी बनी… पूजाआआ आहहह अम्म्म!
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15 20 मिनट की घमासान चुदाई के बाद ननदोई ने मेरी चूत में लंड का पानी निकाल दिया और मेरे ऊपर ही गिर पड़े।
थोड़ी देर पड़े रहने के बाद वो उठे और अपना लंड साफ करके कपड़े पहन कर कमरे से बाहर निकल गए।

मुझे दर्द हो रहा था तो मैं वही थोड़ी देर आराम करके फिर उठी तो देखा मेरी चूत से वीर्य और खून निकल रहा है।
मेरे पति का लंड ननदोई जी के लंड से बहुत छोटा है इसलिए मेरी चूत छिलने जाने के कारण यह खून निकला।

मैं अपनी चूत को साफ करके वहाँ से निकल कर नीचे आ गई।
मुझे मजा तो आया पर गुस्सा भी बहुत आया… अगर यही काम प्यार से होता तो कितना मजा आता!

अगले महीने मेरा पीरियड नहीं आया और मैं अपने ननदोई के वीर्य से गर्भवती हो गई।

दोस्तो, मेरी इस कहानी को लिखने के लिए मैं अपने दोस्त विराट शर्मा का बहुत बहुत धन्यवाद करती हूँ।
आपकी राय आप मेल के जरिये [email protected] पर भेज सकते हैं।

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