कहानी का पिछला भाग: टीचर से चुदाई की तमन्ना-1
सुबह मैं जागी तो मुझे याद आया कि मेरा फोन स्विच ऑफ है, मैंने अपना फ़ोन ऑन किया.
थोड़ी ही देर में मेरा फोन बजने लगा. देखा तो सर का फोन था. इसका मतलब वे सुबह से कॉल कर रहे थे. जैसे ही मेरा फोन चालू हुआ, उनका फोन आ गया. पर मैंने काल रिसीव नहीं की.
थोड़ी थोड़ी देर बाद उनका फोन आता रहा पर मैं जानबूझ कर फोन नहीं उठा रही थी.
करीब दस बजे जब उनका फोन आया तो मैंने कॉल उठाया उनका!
“हेलो”
“जी सर … बोलिये!”
“फ़ोन क्यों नहीं उठा रही थी?”
“सर, वो साइलेंट पे था.”
“रात को फोन स्विच ऑफ क्यों कर दिया था?”
“वो सर … बैटरी लो थी तो अपने आप हो गया था.”
“अच्छा क्या कर रही हो?”
“कॉलेज जा रही हूँ!”
“आज मैं लेने आता हूँ … मैं छोड़ दूंगा!”
“नहीं सर … मैं चली जाऊँगी.”
“अरे … मैं छोड़ दूंगा ना!”
“रहने दीजिये ना सर!”
“मैं आ रहा हूँ … साथ चलेंगे कॉलेज.”
और रीतेश सर ने फ़ोन काट दिया मेरे घर आने को बोल कर!
मैं भी रेडी थी. मैंने स्लीवलेस मिड्डी पहनी थी, शोल्डर्स पर बेल्ट थी, मेरी गहरी वक्षरेखा नुमाया हो रही थी. मैं अपनी बगलों की सारे बाल साफ कर ही चुकी थी.
थोड़ी ही देर में सर मेरे घर आ गये और मुझे बाइक पर बिठा कर अपने घर की ओर ले गए.
मैं सर की पूरी प्लानिंग समझ रही थी और मैं अंदर से बहुत खुश थी कि आज मुझे नया लंड मिल ही जाए शायद!
फिर भी मैं दिखावा करती हुई बोली- सर आप ये मुझे कहाँ ले जा रहे हैं? ये कॉलेज का रास्ता नहीं है.
सर बोले- ज़रा घर की ओर जा रहा हूँ मैं!
“अरे … पर ये घर क्यों?” मैं अंदर ही अंदर खुश होती हुई लेकिन ऊपर से हैरानी दिखाती हुई बोली.
“मुझे कुछ काम है घर पे!”
और सर को क्या काम था घर पर … ये उनका लंड बता रहा था जो पैन्ट को तम्बू बना रहा था.
हम दोनों उनके घर के अंदर गए … अंदर जाते ही सर बोलने लगे- मेघा … तुम मेरे से नाराज हो क्या?
“नहीं तो सर!”
“तो कुछ बात क्यों नहीं कर रही हो?”
“कुछ नहीं!”
“कल रात के लिए सॉरी मेघा … मुझे माफ़ कर दो!”
“ऐसे मत कहिये सर!”
“प्लीज मुझे माफ़ कर दो!”
“आप ऐसे मत कहिये बार बार सर!”
“रुको … अभी आता हूँ मैं … दरवाजा बंद कर दूँ ज़रा!”
वो वापिस आये और फिर से सॉरी बोलने लगे. उनकी आँखों में आंसू थे. मुझे गले लगा के रीतेश सर फिर से सॉरी बोले.
मैंने कहा- कोई बात नहीं!
और फिर:
“क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ?”
“ठीक है … कर लीजिये!!”
और रीतेश सर मुझे बेड पे बिठा के चूमने लगे.
“उम्मम्म म्ममह!”
सर की जीभ मेरे होंठों के अंदर घुस रही थी.
“उम्म्म्म उम्मम्म …”
उनकी जीभ मेरे पूरे मुँह में घूम रही थी.
धीरे धीरे वो मुझे बेड पे लिटाने लगे. मुझे लिटा कर सर मेरी गर्दन चूमने लगे. लेटने से मेरी मिड्डी ऊपर हो गई जांघों तक.
वो गर्दन से होते हुए मेरी क्लीवेज चूमने लगे. उनके हाथ मेरी नंगी जांघों पर घूमने लगे.
कुछ देर बाद सर ने मेरे दोनों हाथ पीछे कर दिए.
“क्या कर रहे हैं सर?”
“कुछ नहीं मेघा … बस चूम रहा हूँ.”
“बहुत अजीब लग रहा है!”
“अच्छा नहीं लग रहा क्या?”
“अच्छा तो लग रहा है!”
मेरी मिड्डी और ऊपर हो गई. वो मेरे बूब्स सहलाने लगे.
“सश्सस …”
“उम्मम्म म्ममह.”
सर नीचे होकर मेरी नंगी टांगों को चूमने लगे और बूब्स को सहलाने लगे.
सर मेरी मिड्डी को ऊपर कर के मेरी नाभि नंगी करके चूमने लगे.
“उम्मम्म … सरररर!”
“सश्सस स्स्स्स …”
“उम्मम्मम्म!”
सर ने मेरी मिड्डी के स्ट्रेप्स निकाल दिए तो मेरे बूब्स ब्रा के अंदर दिखने लगे. फिर उन्होंने मेरी चूत पे किस किया और मेरे बूब्स को ब्रा पर से चूसने लगे. मैं उनके सामने अधनंगी पड़ी थी.
तब सर ने मेरे बूब्स ब्रा में से भी निकाल लिए और चूसने लगे.
मेरा मन कर रहा था कि मैं सर को बोल दूँ कि मुझे जल्दी से पूरी नंगी करके अपने लंड मेरे मुँह में दे दो.
पर मैं अपनी ओर से कुछ शो नहीं करना चाहती थी कि मैं भी चुदाई के लिए तैयार हूँ.
थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी मिड्डी पूरी उतार दी. अब मेरे नंगे जिस्म के ऊपर बस पेंटी थी. वो मेरे पेंटी लाइन पर जीभ फेर रहे थे.
कुछ ही देर में उन्होंने अपने दांतों से पकड़ कर मेरी पेंटी भी उतार दी और फिर खुद भी पूरे नंगे हो गए.
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली.
“मेघा, तुम बहुत सुन्दर लग रही हो! आँखें खोलो अपनी!”
“नहीं सर, मुझे शर्म आ रही है.”
“अपना हाथ दो!”
मैंने हाथ आगे बढ़ाया तो उन्होंने अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया. वो एक दम कड़क था और एक भी बाल नहीं था उस पर!
सर लंड हाथ में पकड़ा के आगे पीछे करवाने लगे. मैं भी करने लगी.
फिर वो झुके और मेरी चूत पर चूम लिया. मेरी चूत पूरी गीली थी.
“उम्मम्मम …”
“सश्सस स्स्स्स …”
“मेघा कितनी प्यारी खुशबू है!”
“उम्म्म्म सश्सस स्स्स्स … अअअअअ सर … कुछ हो रहा है!”
सर की जीभ मेरी चूत के अंदर जा रही थी.
“उम्मम्मह सर … स्स्स्सस आआआ मर गई!”
सर मेरी चूत को अपने मुँह में भर के चूसने लगे और जीभ अंदर डालने लगे. मेरी चूत पूरा रस छोड़ रही थी.
“मेघा अपनी टांगें खोलो बेबी !”
“हम्म्म …!
मैंने अपनी टांगें फैला दी लंड का स्वागत करने के लिए. उन्होंने लंड चूत पर रखा और घिसने लगे.
कामुकता के मारे मेरा बुरा हाल था.
और फिर सर धीरे धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर डालने लगे.
“उम्मम्मह स्स्स्सस दर्द हो रहा है उम्म्म्मह …”
सर का लंड धीरे धीरे मेरी चूत के अंदर जा रहा था.
“मेघा अब तो आँखें खोल लो!”
मैंने आँखें खोल ली.
और सर का लंड पूरा मेरी चूत के अंदर जा चुका था. अब सर धक्के मारने लगे. धीरे धीरे मैं भी मस्त होने लगी, बोलने लगी- अअअह आअह …सशसस बहुत मजा आ रहा है सर!
सर ने मेरे निप्पल पकड़ के उमेठने शुरू कर दिए.
“उम्म्म्म … दर्द हो रहा है!”
वो मेरे बूब्स चूसते हुए नीचे से धक्के लगा रहे थे.
मुझे हंसी भी आ रही थी और दर्द भी हो रहा था.
सर थोड़ी देर धक्के मारते और फिर और फिर रुक जाते और मुझे देखने लगते.
एक नंगी लड़की चूत में लंड लिए उनके सामने बांहें फैलाये पड़ी थी. सर बहुत खुश थे- ओह मेघा … क्या चूत है तेरी!
“स्स्स्स स्स्स सर … बहुत मजा आ रहा है … तेज तेज कीजिये! उम्मम्मह म्मम!”
सर ने तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए.
“उम्मम्म स्स्स्सह … मेरा होने वाला है … उम्मम्म …”
“उम्मम्मम ससश्हह …”
मुझे एक बार परम आनन्द मिल चुका था.
सर बोले- एक टांग ऊपर करो!
और मेरी टांग कंधे पे रख के जोर जोर से धक्के मारने लगे.
कुछ देर ऐसे ही मेरी चुदाई करने के बाद सर बोले- मेघा जान … एक काम करो तकिया लेकर उलटी हो जाओ!
“हाँ सर!”
मैं उलटी हो गई और सर ने पीछे से मेरी चूत में लंड डालकर चोदना शुरू कर दिया.
“सर सससश्हह अअह अअआ … और कितनी देर करेंगे? आप थकते नहीं क्या?”
“उम्मम्मम थोड़ा ऊपर हो जाओ … मुझे बूब्स के नीचे हाथ डालने हैं.”
सर की बात मान कर मैं ऊपर हो गई.
“ससशसस धीरे मसलिये सर … बहुत बड़े हो जायेंगे नहीं तो!”
सर मेरी कमर को चाट रहे थे और काट भी रहे थे.
“उम्मम्मम”
सर मेरा मुँह पीछे कर के चूमने लगे.
चूत में लंड हाथ में बूब्स और मुँह में जीभ … ऐसा लग रहा था कि कई साल बाद चूत मिली है इन्हें.
सर ने मुझे फिर से सीधा किया और मेरे बूब्स मसलते हुए मुझे चोदने लगे.
मैं चिल्लाने लगी.
और सर भी जोर जोर से धक्के लगाने लगे.
मैं एक बार फिर झड़ गयी और मेरा पानी निकलते ही सर ने मेरी चूत से लंड निकाल कर मेरी चूत के ऊपर पानी छोड़ दिया और मेरे ऊपर लेट गए.
फिर कुछ देर बाद टिश्यू लेकर मैंने खुद ने अपनी चूत साफ की और मैं कपड़े पहनने लगी.
“रुको थोड़ी देर … फिर पहन लेना!”
मैंने अपनी मिड्डी वहीं रख दी और बोली- मैं वाशरूम जाकर आती हूँ.
और मैंने बाथरूम से सुमन को कॉल किया तो उसने एकदम पूछा- अरे मेघा, मेरे भैया ने तुझे चोद दिया क्या?
“हाँ यार … बहुत मस्त … अभी भी बाथरूम में नंगी खडी तुझे फोन कर रही हूँ. पर तू अभी आना मत … शायद वि एक बार और चोदे मुझे!”
“ठीक है.”
मैं वापिस कमरे मैं आ गई. आते ही मैंने एक चादर अपने नंगे बदन पर लपेट ली थी.
वापिस आकर मैं सर के बगल में लेट गई.
सर ने मुझे होंठों पर किस किया- मेघा तुम बहुत सुन्दर हो. आई लव यू!
“सर, ये गलत हुआ!”
“नहीं मेघा, कुछ गलत नहीं हुआ. तुम्हें मजा नहीं आया क्या?”
“आया सर … मगर …”
“मगर कुछ नहीं!”
और हम ऐसे ही बातें करते रहे.
“मेघा मुझे अपना दूध पिलाओ!”
“पी लीजिये सर!” मैंने अपने बूब्स सर के मुँह में दे दिए.
सर प्यार से मेरा निप्पल चूसने लगे.
इधर मुझे फिर से चूत में खुजली होने लगी और सर का लंड भी खड़ा होने लगा.
थोड़ी देर बूब्स चुसवाने के बाद मैं बोली- सर, बहुत अच्छा लग रहा है. आराम से चूसो. उम्मम्म सश्हसस!
“अभी तो तेरी चूत भी चूसनी है.”
“नहीं सर …”
“हाँ मेरी जान!”
और उन्होंने मेरी चूत पर किस कर के चूसनी शुरू कर दी.
“उम्मम्मह आह … सर … शश!”
सर पूरी जीभ चूत के अंदर ले जा रहे थे. मैंने भी उनका लंड पकड़ लिया.
“मेघा इसको तुम अपने मुँह में लो.”
“नहीं सर!”
“अरे लो ना … अच्छा लगेगा.”
मैं तो पहले ही मरी जा रही थी लंड चूसने के लिए … मैं बस नाटक कर रही थी.
पहले मैंने उस पर किस किया.
“मेघा आआआ! इसे अपने गुलाबी होंठों से चूसो.”
मैंने उस पर जीभ फिराई.
“ओहो बहुत अच्छा … मुँह में लो!”
“जी सर!”
मैंने सर का लंड अपने मुँह में ले लिया और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगी.
“ऊऊऊ ओह … बहुत अच्छा मेघा!”
सर पूरी अच्छे से मेरी चूत चूस रहे थे और मैं अब लंड अच्छे से चूस रही थी.
“आआआ सर उम्मम्मम!”
मैं लंड अच्छे से चूस रही थी, मेरी चूत पानी पानी हो रही थी और सर का लंड एकदम गर्म सरिये जैसे कड़क था.
“सर अब बर्दाश्त नहीं होता!”
“हाँ मेघा, मेरा लंड ऐसे ही तुम चूसती रही तो मुँह में ही छूट जायेगा.”
उन्होंने मुझे सीधा लिटाया और लंड को चूत से लगाया. गीली चूत में लंड धीरे धीरे अंदर करने लगे.
“अअअ हअअ आअअ स्स्सशह उम्मम्म! धीरे सर … अअअ अअअअ सर धीरे!”
सर मुझे बेड के कोने पे लिटा के अंदर करने लगे.
“आआ सर … बहुत मजा आ रहा है.”
“आ मेघा … मुझे भी एन्जॉय करो पूरा! क्या रसीली चूत है!”
“अअअअ सश्हस …”
सर ने पूरा लंड अंदर डाल दिया और उनकी बॉल्स एकदम चूत से चिपक गई.
“उम्म्म्म …”
वो पूरा लंड बहार निकालते और फिर पूरा अंदर डाल देते.
“उम्महाह सर … आराम से!”
मैं बांहें फैलाये, आँखें बंद किये हर धक्के का आनंद ले रही थी और सिसकारियाँ ले रही थी. मैंने अपने बूब्स मसलने शुरू कर दिए. मैं एकदम होश खो रही थी.
फिर उन्होंने लंड निकाल के मुझे लिटा दिया और मेरे पीछे लेट गए, मेरी एक टांग ऊपर की और पीछे से लंड चूत में डाल के चोदने लगे. मेरे बूब्स पर उनके हाथ घूम रहे थे.
मैंने पीछे मुँह किया तो उन्होंने मेरे होंठ चूमना शुरू कर दिया. उनका लंड नीचे से कमाल दिखा रहा था और वो ऊपर अपने हाथ और मुँह से मुझे मजा दे रहे थे.
“सर आप पोर्न बहुत देखते हैं तभी इस तरीके से कर रहे हैं.”
“हाँ तुमको कैसे पता कि ये पोर्न में होता है. तुम भी देखती हो क्या?”
“उम्मम्म सर, सब गर्ल्स देखती हैं.”
“तो सुमन भी देखती होगी?”
“उम्म्म्म सर … धीरे अअअअ आआ सर … मेरा होने वाला है … आआआ ससस!”
और मेरा काम हो गया. मैं एकदम निढाल हो गई.
“पर मेरा नहीं हो रहा अभी!”
उन्होंने मुझे फिर सीधा लिटाया और मेरे बूब्स में लंड रगड़ने लगे. बूब्स से रगड़ते हुए मुँह में डाल रहे थे.
और थोड़ी देर बाद उन्होंने भी अपना पानी छोड़ दिया. आधा मुँह में, थोड़ा मेरे चेहरे पर और बूब्स पर गिर गया.
“मेघा हिलना मत … मैं साफ करता हूँ.”
और उन्होंने निचोड़ के सारा पानी बूब्स और पेट पर निकाल दिया और टिशु लेने गए.
थोड़ी देर सर नहीं आये तो मुझे मुँह वाला रस निगलना पड़ा.
फिर उन्होंने आकर टिश्यू से मेरा चेहरा और बूब्ज़ साफ किये और साथ लेट गए मेरे!
थोड़ी देर बाद मैंने अपने कपड़े पहने और उन्होंने मुझे मेरे घर छोड़ दिया.
मैंने घर आकर आराम किया.
शाम को सुमन का कॉल आया तो मैंने उसको सब बताया.
और फिर रात को समीर ने भी सब पूछा और देखा कि मेरे बूब्स पर काटने के निशान पड़ गए हैं.
मैंने समीर को बताया कि सर ने तो बस किस किया और नार्मल बातें कर के मुझे घर भेज दिया.
तो दोस्तो, आशा करती हूँ कि मेरी यह कहानी पसंद आएगी आपको!
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