ननद भाभी सेक्स कहानी में पढ़ें कि पड़ोसन भाभी की चुदाई के बाद मैंने उन्हें उनकी कमसिन ननद की चूत दिलवाने को कहा. उन्होंने ये सब कैसे किया?
दोस्तो, मैं शिवम आपको अपनी पिछली कहानी
कमसिन ननद के बदले उसकी भौजाई की चुत मारी
से आगे की बात बता रहा हूँ.
आपने अब तक पढ़ा था कि मैंने भाभी को झमाझम चोद लिया था.
अब आगे ननद भाभी सेक्स कहानी:
भाभी वैसे तो बहुत सुंदर थीं, पर आज मेरा पूरा ध्यान उनकी कोमल नाजुक चूचियों पर ही था … क्योंकि वो चूची ना होतीं, तो वो लाल चोली न होती.
और वो लाल चोली ना उड़ती, तो भाभी मेरे नीचे कैसे लेटतीं.
मैं अब भी अपने चेहरे को उनके छाती पर रखे हुए था और अपने गाल से उनकी चूची को सहला रहा था.
कुछ देर चूची सहलाने के बाद भाभी फिर से चेतन होने लगी थीं और उन्होंने अपना होश संभाला.
भाभी बोलीं- शिवम, काफी देर हो गई है, अब मुझे जाना चाहिए. मम्मी भी आने वाली हैं और श्रुति को भी शक हो सकता है.
मैं- नहीं भाभी, आप बस ऐसे ही रहो, मुझे और कुछ नहीं चाहिए. सारी दुनिया भाड़ में जाए … बस आप मेरे साथ रहो.
भाभी भी अब थोड़ा भावुक हो गईं और उन्होंने मेरा चेहरा पकड़ कर होंठों पर किस कर दिया- आई लव यू बेबी … पर अभी जाने दो प्लीज.
मैं- ओके भाभी.
भाभी उठ गईं और अपने कपड़े पहनने लगीं.
फिर वो लाल चोली दिखा कर बोलीं- ये ले जाऊं या तुम्हें चाहिए?
मैं- मुझे तो आप चाहिए.
भाभी- मैं तो आज से तुम्हारी हूँ ही!
मैंने हंस कर भाभी को अपनी बांहों में भर कर चूम लिया.
भाभी मेरे लंड को सहलाती हुई बोलीं- इसे सम्भाल कर रखना और अब इसको हाथ से नहीं हिलाना. इसका पानी अब मेरी अमानत है.
मैंने कहा- हां भाभी, अब ये आपका हुआ. जब मन हुआ करे तो मुझे बुला लेना.
भाभी ने मुझे चूम कर हामी भर दी.
मैंने उनसे कहा- आपसे एक बात और कहना थी.
भाभी- हां कहो न?
मैंने कहा- आपकी ननद श्रुति को भी मैं कुछ सुंदर बनाना चाहता हूँ.
भाभी बोलीं- वो कैसे?
मैंने कहा- वो कहीं से भी लड़की नहीं दिखती है.
भाभी- हां वो तो है. मगर उसे कैसे सुंदर बना सकते हो?
मैंने भाभी के एक मम्मे को दबाते हुए कहा- नारी की सुन्दरता उसकी इस भाग के फूलने से बनती है. मैं उसकी चूचियों की सेवा करना चाहता हूँ.
भाभी हंस दीं और बोलीं- चलो मैं देखती हूँ कि मैं उसे आपके लिए कैसे सैट कर सकती हूँ.
इसके बाद भाभी चली गईं.
उस दिन के बाद मेरा और भाभी का चुदाई का मन होता, तो कर लेते.
कभी किस, कभी उनके जिस्म को चूसना चलता रहा.
एक बार कई दिन तक मौका नहीं मिला तो मैं भाभी को बार बार सेक्स के लिए बोलता रहा.
पर करते भी क्या रात को सब होते हैं और दिन में दोनों मां और श्रुति होती है.
फिर एक वो हुआ जो हम दोनों ने कभी सोचा भी नहीं था.
भाभी ने मुझसे कहा- सेक्स करने का एक इंतजाम हो सकता है. तुम और श्रुति दोनों पढ़ते हो, तो अगर तुम दोनों एक साथ पढ़ो तो काम बन सकता है.
मैं- पर श्रुति को भी तो मनाना पड़ेगा.
भाभी- वो मान गई है, बस तुम मम्मी को बोल दो.
मैंने आंटी को बताया कि मैं और श्रुति साथ में पढ़ें तो काफी बढ़िया रहेगा.
आंटी मान गईं.
अब मैं भी ऊपर छत पर श्रुति के कमरे में पढ़ाई करने लगा.
पर आंटी वहां आ जाती थीं.
ऐसे ही पूरा सप्ताह निकल गया पर भाभी की चूत नहीं मिली.
मैं एक दिन पढ़ते हुए बाहर टॉयलेट में आया तो देखा कि आंटी मम्मी के पास बैठी हैं और पड़ोस वाली आंटी भी आई हैं.
मैं जल्दी से दूसरे रूम में गया, वहां भाभी टीवी देख रही थीं, तो मैं उनके साथ लेट गया और उन्हें किस करने लगा.
भाभी बोलीं- मम्मी आ जाएंगी.
तो मैंने कहा- वो नीचे बिजी हैं.
भाभी नहीं मान रही थीं, तो मैं भाभी के चूचों को सहलाने लगा.
वो बार बार मना करती रहीं.
उनकी इस बात से मैं नाराज होकर जाने लगा तो भाभी ने बोला- रुको, मुझे देख कर आने दो.
वो खुद आंटी को देख कर आईं.
उन्होंने बोला- चल जल्दी से कर, पर कपड़े उतारने को मत बोलना.
ये कह कर भाभी ने अपनी पैंटी उतारी और गेट को थोड़ा बंद करके उसके पीछे कुतिया बन कर झुक गईं.
मैंने भी लंड बाहर निकाल कर भाभी की चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगा.
मैं पानी निकलने तक लगा रहा.
पर मुझे इस तरह से चुदाई करने में ज्यादा मजा नहीं आया.
मैं वापस श्रुति के पास आ गया.
श्रुति वैसे तो मुझसे ज्यादा कुछ बोलती नहीं थी पर अब वो थोड़ा स्माइल के साथ मुझे देख रही थी.
मुझे लगा शायद इसने हमें चुदाई करते हुए देख लिया तो मैं उससे नजरें चुराने लगा.
पर श्रुति कहां रुकने वाली थी. वो मेरे पास आई और बोली- साड़ी पहन कर करने में मजा नहीं आता है.
मैं बोला- क्या बोल रही हो?
श्रुति ने कहा- वो ही तो बोला, जो अभी कमरे में देखा.
मैं चुप हो गया.
श्रुति बोली- मेरे कमरे में जल्दी से कोई नहीं आता है … अगर करना है तो बोलो!
मैं- कब करना है?
श्रुति- अभी कर लो.
मैं- और तुम्हारी मम्मी?
श्रुति- वो अभी ऊपर नहीं आएंगी. आईं भी … तो मेरे कमरे में नहीं आएंगी.
मैं- ओके.
श्रुति ने गेट के बाहर भाभी की तरफ कुछ इशारा किया और भाभी कमरे में आ गईं.
भाभी को धीरे से श्रुति ने कुछ कहा और भाभी वापस चली गईं.
अब श्रुति ने अपना टॉप उतार दिया.
उसने नीचे कुछ नहीं पहना था तो उसकी छोटी छोटी चूची मुझे दिखाई दीं.
मैं भी जोश में आ गया और श्रुति के करीब आकर उसकी चूचियों पर हाथ रख कर उन्हें दबाने लगा.
उसकी फुंसियों सी चूचियां बड़े आराम से मेरी हाथ की गिरफ्त में आ गई थीं.
मैं उसके होंठों पर किस करने लगा, वो भी बड़ी मदहोशी से मेरा साथ दे रही थी.
अब मैं उसके होंठों को छोड़ चूची को चूसने लगा. इस तरह की लड़कों जैसी छातियों को अलग ही मजा आ रहा था.
मैं उसकी चूची को मुँह में भर लेता और फिर आइसक्रीम की तरह अपना मुँह पीछे खींचता … फिर से मुँह में चूची पकड़ता और फिर से चूसते हुए पीछे हट जाता.
मैंने काफी देर तक दोनों चूचियों के साथ मजा लिया, ये अलग ही अनुभव था.
अब श्रुति भी जोश में आ गई और अपने पजामा को उतारने लगी.
मैंने भी अपनी जींस और अंडरवियर को उतार दिया.
श्रुति ने खुद ही मेरी शर्ट उतार दी.
मैं भी पूरा नंगा और वो भी अपनी छोटी छोटी चूचियों के साथ नंगी हो गई थी.
उसने बेड पर बैठ कर लंड हाथ में पकड़ लिया और उसे चूसने लगी.
मुझे ज्यादा मजा नहीं आया तो मैंने उसे लेटा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा.
उसकी जांघें ज्यादा मोटी नहीं थीं, तो उसकी चूत बिल्कुल बाहर दिख रही थी.
मैं चूत के छेद में जीभ डाल कर घुमाने लगा, वो सिसकारी भरने लगी.
पहले तो उसने मेरा सिर अपने हाथों से दबाया, तो मैं लगातार जीभ से उसके चूत के छेद को चाटता रहा.
फिर उसने अपने पैर हवा में उठा लिए और वो अपने पैरों को मेरी कमर पर रख कर रगड़ती, तो कभी हवा में उठा देती.
कभी मेरा सिर जोर से दबाती, तो कभी सहला देती.
मैं उसको पहली चुदाई की खूबसूरत और मजे वाली यादें देना चाहता था.
सीधा चूत फाड़ने में मुझे अच्छा नहीं लगा.
इसी लिए मैं जितना भी अन्दर जा सकता था, अपनी जीभ को चूत की गहराई में डाल कर चुत चाटता रहा.
उसने अपनी दोनों जांघों को मेरे सिर पर दबा दिया, इससे मेरा सिर उसकी चूत पर दब गया.
श्रुति ‘आह आह ओह …’ की आवाज के साथ झड़ गई.
उसकी चूत का रस मेरी जीभ पर लगा तो मैंने चूत के रस को भी चाटा.
वो एकदम से शांत हो गई थी पर मैं फिर से उसकी कमर को पकड़ कर उसकी चूत का पानी चाटने में लगा रहा.
श्रुति कुछ देर बाद बेड के किनारे पर बैठ गई और मेरा सिर दोनों हाथों से पकड़ कर मेरे होंठ पर किस करने लगी ‘मुआह्हह …’
एक लंबे किस के बाद उसने ‘आई लव यू बेबी …’ बोला और मेरे सिर को अपने सीने पर दबा लिया.
अब मुझे लगा कि ये सही समय है तो मैंने श्रुति की चूची को चूसना शुरू किया.
फिर मैंने उसे कमर से पकड़ कर अपनी गोद में उठा लिया.
वो बिल्कुल भारी नहीं थी … वैसे मैं भी काफी लंबा चौड़ा हूँ तो मुझे ज्यादा वजन नहीं लगा.
अब मैं श्रुति को लेकर बेड पर लेट गया.
श्रुति कुछ नहीं बोली तो मैं अपना काम करता रहा.
मैंने श्रुति के ऊपर चढ़ कर अपना लंड उसकी चूत पर रखा और जोर से धक्का लगाया.
लंड चुत के अन्दर घुस गया और श्रुति की चीख निकल गई.
तभी मुझे ख्याल आया कि नीचे सब बैठे हैं. अगर उन्हें सुनाई दे गया तो हमारी ऐसी तैसी हो जाएगी.
मैं एकदम से रुक गया और श्रुति के होंठों पर अपने हाथ रख कर उसे चूमने लगा.
तभी पीछे से भाभी ताली बजाती हुई आईं और मुस्कुराकर बोलीं- हो गई ओपनिंग!
मैं और श्रुति चुप रहे.
फिर भाभी ही बोलीं- अरे किसी ने नहीं सुना … मम्मी और आंटी तो मार्केट चली गई हैं, इसी लिए तो हमने ये प्लान बनाया था.
मैं समझ गया कि भाभी और श्रुति दोनों ने मिल कर ये किया.
इसलिए ही भाभी ने आज बड़ी बेरुखी से सेक्स किया और श्रुति ने खुद ही अपने कपड़े उतार कर मुझे उकसाया.
भाभी बोलीं- रुक क्यों गए … करो करो!
मैं श्रुति की चूत में फिर से धक्के लगाने लगा पर मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से चिपका कर रखा और श्रुति की चूत में धक्के लगाता रहा.
कुछ देर बाद उसने अपना पानी छोड़ दिया और मैं भी रुक गया.
तभी भाभी बोलीं- मैं ज्वाइन करूं?
तो श्रुति बोली- हां भाभी, मुझसे और नहीं होगा.
भाभी ने जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए और मेरे ऊपर चढ़ कर लंड पर बैठ गईं.
उन्होंने अपनी गांड को हिला कर लंड को चूत में दबाया और चुत रगड़ने लगीं.
मैं भाभी की चूचियां दबाने लगा जो श्रुति से काफी बड़ी थीं.
भाभी धक्के लगाती रहीं.
मुझे भाभी का धीरे धीरे धक्के लगाने अच्छा नहीं लगा, शायद वो थक गई थीं.
मैंने उनकी कमर को पकड़ा और जोर जोर से उन्हें ऊपर नीचे करते हुए धक्के लगा रहा था.
उनके मुँह से गर्म आहें निकलने लगी थीं.
कुछ देर बाद भाभी और मैं झड़ गए.
अब हम सबकी चुदाई की मस्ती शुरू हो गई.
इसके बाद तो मैंने श्रुति को न जाने कितनी बार चोदा.
उसकी चूचियां चूस चूस कर फुला दीं.
उसी के कमरे में भाभी की भी मस्त चुदाई करने को मिलती रही.
यह थी ननद भाभी सेक्स की एक साथ चुत चुदाई की कहानी.
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