बम्बई की रंडी की बड़ी गांड ने सरदार की फेंटसी पूरी की

सरदार जी ने इधर उधर देखा और वो फिर से आगे चल पड़ा बहार रोड के ऊपर बहुत सब लेडिज यानी की रंडियां थी. किसी ने ब्लाउज ढीला किया हुआ था तो कोई टी शर्ट में थी. कोई आँख मार रही थी तो कोई बोबे हिला रही थी. अरे ओ पगड़ी, अरे ओ दढ़ियल, अरे ओ पंजाबी, सब कह रही थी. सब रंडियां सरदार को बुला रही थी. लेकिन सरदार नूतन सिंह का ध्यान एक ख़ास चीज की तलाश में था. दरअसल उसे बड़ी गांड वाली औरत के साथ सेक्स करना था, वही उनकी फेंटसी थी. बीवी मिली वो छोटी गांड की. नूतन को लगा की चोदने के बाद शायद गांड बड़ी होती होगी. लेकिन ५०० बार चूत और गांड की चुदाई के बाद भी बीवी की गांड बड़ी नहीं हुई. और आज बम्बई आने का मौका मिला तो रंडी के साथ चुदाई करके सरदार जी को अपनी फेंटसी पूरी करनी थी बस!

दल्ले भी कम थोड़ी होते है बम्बई के रंडी मार्केट में. नूतन सिंह को चार दल्ले आगे भी रोक चुके थे. और फिर इस गली में भी कुछ दल्ले सरदार को मिले.

दल्ला: साहब मस्त आइटम है चलो, पंजाबी, नेपाली, मराठी, बंगाली जैसे आप को पसंद हो कोलेज वाली, एमबीएवाली सब है!

सरदार ने एक सांस ली और बोला, चौड़ी गांड वाली है कोई?

दल्ला: अरे साहब सब है हमारे पास, लड़की चाहिए या आंटी?

सरदार: कोई भी हो, गांड कम से कम 42 इंच की होगी तो ही मैं जाऊँगा वरना नहीं जाऊँगा.

दल्ला: साहब अब 40 42 को छोडो और लंड ठंडा करने की बात करो.

सरदार नूतन सिंह ने मन ही मन बोला, भाग बेंचो, और वो आगे चलने लगा. दल्ले ने फिर काली बिल्ली के जैसे उसके रस्ते को क्रोस किया और बिच में खड़ा हो गया.और वो बोला,

दल्ला: अरे आप घाई (मुंबई में जल्दबाजी के लिए ये वर्ड यूज होता है) में हो क्या?

सरदार: क्या बोला बे?

दल्ला: अरे साहब आप जल्दी में हो क्या?

सरदार: तेरे को बोला वैसा कोई है तो बोला वरना टाइम खराब मत कर मेरा.

दल्ला: हैं तो, चलो.

सरदार: कितना लेगी?

दल्ला: 1000 उसको और 300 मेरे.

सरदार: रहने दे, इतने में तो हमारे यहाँ जालंधर में हिरोइन जैसी कुड़ी मिलती है.

दल्ला: अरे साहब इतना तो हर जगह रेट है.

सरदार: साले पहली बार थोड़ी आया हूँ इस गली में. (लेकिन सच में तो वो पहली बार ही वहां आया था, उसने दल्ले से बार्गेन के लिए ही जूठ कहा था.)

दल्ला: आप कितने दो गे?

सरदार: पांच सो रंडी का और दो सो तेरा.

दल्ला: साहब इतने में तो गांडू की गांड ही मिलेगी आप को.

सरदार: अरे वो तो सामने से पैसे देते है, तेरे को धंधे का अनुभव नहीं है क्या?

दल्ला: चलो आप उसको छह सो और मेरे को ढाई सो दे देना.

सरदार और दल्ले में थोड़ी रेट की बातचीत और हुई और एंड में सरदार नूतन सिंह मान गए. दल्ला आगे आगे और सरदार जी पीछे पीछे चल पड़े. एक पतली गली के एंड में एक कमरा था जहा पर बहार कुछ जवान लडकिय खड़ी थी जिनकी अभी ब्रा पहनने की उम्र नहीं हुई थी. लेकिन भड़कीले और सेक्सी लगने के लिए उन्होंने ब्रा पहनी हुई थी जिसकी पट्टियां साइड से दिख रही थी. बहार आँगन में ही एक लेडी बैठी थी जिसके होंठो के ऊपर पान की लाली थी. दल्ले ने हाथ से उसे सलाम किया और बोला: नमस्ते रेखाबेन, मोहिनी किधर है?
रेखाबेन: क्या मोहिनी?

दल्ला: हां, सरदार जी को डिकी बड़ी हो वैसे गाड़ी चाहिए.

उसकी बात सुन के रेखाबेन के साथ साथ और रंडियां भी हंस पड़ी. मोहिनी 32 साल के करीब की बंगाली रंडी थी. उसकी गांड 42 इंच के ऊपर ही थी. और उसके पास कम ही कस्टमर आते थे. एकक जमाने में वो इस कोठे की शान थी लेकिन फिर ओबेसिटी ने उसे कम हसीन बना दिया. अब कभी कभी सस्ते चुदाई करनेवाले दिहाड़ी मजदुर और सरदार जैसे चुनिन्दा बड़ी गांड के आशिक लोग उसके पास आते है.

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मोहिनी के कमरे के पास आ के दल्ले ने बोला, जाओ साहब वो रही मोहिनी.

मोहिनी ने सरदार को देखा. और वो दरवाजे के पास आई. दल्ले ने उसे बोला, तेरे को छ सो देंगे साहब.

और फिर वो सरदार की तरफ देख के बोला, आप मेरा अभी दे दो ताकि मैं जाऊं.

सरदार ने उसके पैसे दे दिए और दल्ला निचे चल पड़ा एक और खड़े लंड के लिए. नूतन सिंह को अंदर ले के मोहिनी ने दरवाजे को सिर्फ ओटका दिया दरवाजे के ऊपर कोई स्टॉपर नहीं थी जिसे वो बंद करती. और ऐसे भी ये बम्बई की रंडी बाजार की रूम थी यहाँ सिर्फ चुदाई ही मुख्य काम होता है. मोहिनी ने खड़े हो के पीछे मूड के जब अपनी गांड दिखाई सरदार को तो उसके मुहं से सिर्फ वाआह्ह्ह्ह निकल सका!
मोहिनी की गांड किसी बड़े तरबुच से कम साइज़ की नहीं थी. सरदार का दिल जोर जोर से धड़क उठा. आज कितने समय के बाद उसकी फेंटसी को जीने जा रहा था वो. उसने मोहिनी के पास आ के उसकी गांड को टच करने के लिए अपने हाथ को वहां रख दिया. गांड एकदम ठंडी थी और अंदर पेंटी नहीं थी इसलिए डायरेक्ट स्किन को टच करने वाली फिलिंग होती थी.

मोहिनी ने उसे धक्का दे दिया और बोली, चल कपडे खोल जल्दी से पूरा दिन खोटी मत करना!

सरदार जी बोला, अरे जरा टच कर लेने दो ना!

मोहिनी, उसके एक्स्ट्रा लगेंगे!

सरदार ने कहा अरे मैं 200 एक्स्ट्रा दे दूंगा, आज तो एक ऐसी गांड मिली है जिसे मैं देखना चाहता था सालों से.

मोहिनी ने अपनी गांड उसके तरफ ही रखे हुए अपनी सलवार का नाडा ढीला कर दिया. नूतन सिंह उसके पास खड़ा हुआ वो गांड को टच कर रहा था. सलवार निचे गिरी और वो गांड को देख के उसके मुहं में जैसे पानी आ रहा था. उसने मोहिनी की गांड को दोनों हाथ से टच किया और फिर कूल्हें के ऊपर एक किस कर ली. मोहिनी थी तो एक रांड जिसने अपनी जिन्दगी में अलग अलग किस्म के 10 दर्जन लंड लिए होंगे, लेकिन इस चुम्मे ने उसके दिल के तार भी हिला के रख दिया. सरदार जी ने अपनी पतलून निकाली और वो खड़े हो के शर्ट क बटन खोलने लगा. उसकी तोंद हलकी सी बहार को आई थी और छाती के ऊपर बाल थे. मोहिनी ने भी ऊपर अपनी कमीज को निकाली. अंदर चिप ब्रा थी, किसी देसी अनब्रांडेड कंपनी की.

मोहिनी ने अपनी ब्रा की हुक भी खोल दी और ब्रा निचे फर्श पर गिर पड़ी. नूतन सिंह ने खड़े हो के मोहिनी को अपनी तरफ पलटा के उसके बूब्स को देखा.मोहिनी के बूब्स भी उसके कूल्हों के जैसे ही काफी बड़े थे. नूतन सिंह ने अपने मुहं से उसके निपल्स को चुसे और तब तक मोहिनी ने पेंट के क्लिप को खोल दिया था. उसने पेंट को निचे कर के चड्डी से सरदार के छोटे भाई को बहार निकाल दिया. नूतन सिंह ने बूब्स चूसते हुए ही एक एक पैर कर के पेंट को निकाल के बदन से दूर की. और फिर वैसे ही उसने चड्डी भी निकाल दी. मोहिनी ने कंडोम के पेकेट को तोड़ के उसे दिया. नूतन सिंह ने लौड़े के ऊपर कंडोम नहीं लगाया. और वो बोला: पहले मुझे अपना लंड तेरी गांड पर घिसने दे.

मोहिनी हंस पड़ी. वैसे बम्बई की रंडी ऐसे हलके मूड में नहीं होती है. और गाली गलोच दे के ही बातें करती है. लेकिन आज मोहिनी को ये सरदार पसंद आ गया था शायद. वो उसके सामने घोड़ी बन गई और अपनी बड़ी गांड को पीछे से ऊपर उठा दिया उसने. मोहिनी की गांड के ऊपर नूतन सिंह अपने लंड को घिसने लगा था. उसका बड़ा लंड था जो किसी भी चूत की धज्जियां उड़ा सकता था. लेकिन मोहिनी ने तो ऐसे पचासों लोड़े अपने भोसड़े में डलवा के उसका पानी छुडवा दिया था. रंडी को भला लंड से डर कैसा! वो तो उसकी कमाई की हथियार है!

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नूतन सिंह ने लंड को गांड के ऊपर घिसा. कभी वो दाहिने कुल्हें को लंड से प्यार दे रहा था तो कभी बाएं कुल्हें को. और फिर उसने अपने लंड पर कंडोम पहन लिया. मोहिनी मिशनरी पोज में लेटने को थी लेकिन सरदार ने उसकी गांड पकड के कहा ऐसे ही रहो.

और फिर उसने आगे कहा मेरे को इस गांड को देखते हुए ही चूत की चुदाई करनी है!

मोहिनी उसके सामने अपनी बिग गांड उठा के पड़ी रही. नूतन सिंह ने लंड को कंडोम में छिपा लिया और फिर वो लौड़े को मोहिनी की ढीली चूत में घुसाने लगा. कोई एफर्ट करने की जररूत नहीं पड़ी. वो ढीली ढाली चूत में लंड बिना किसी प्रयास के ही घुस गया. मोहिनी ने जूठ मूठ की अहह की और सरदार ने दोनों हाथ से उसकी गांड को पकड़ लिया. और फिर एक ही धक्के में सरदार ने लंड पूरा चूत की गहराई में उतार दिया और चुदाई करने लगा.

मोहिनी की गांड को दोनों हाथ से सहलाते हुए सरदार ने उसकी चुदाई चालू कर दी. एक तो चूत ढीली और ऊपर से कंडोम के ऊपर का लुब्रिकेशन, लंड बिना किसी परेशानी के मोहिनी के भोसड़े को चीरता था और फिर वापस बहार आ जाता था. सरदार जी और कस कस के धक्के दे रहे थे. मोहिनी बिच बिच में अपने चूत के मसल को थोडा कस भी लेती थी जिस से सरदार को अच्छा लगे.

और ऐसे ही दोनों करीब 10 मिनिट तक चोदते रहे. और फिर सरदार जी ने मोहिनी को कहा, पीछे डालने दोगी?

मोहिनी ने कहा, नहीं पीछे नहीं!

सरदार: दो सो रूपये उसके और दूंगा, सिर्फ एक शॉट मारूंगा!

मोहिनी: दुखाना मत ज्यादा!

सरदार: अरे मैं तो गांड को प्यार करता हूँ तेरी, दुखाउंगी थोड़ी!

मोहिनी ने चूत को ढीली कर दी. सरदार ने लंड को चूत से निकाला और वो गांड में देने को ही था की मोहिनी ने कहा रुको, पहले कंडोम बदलो.

सरदार ने वो कंडोम निकाला और मोहिनी ने दिया हुए एक फ्रेश नया कंडोम लंड के ऊपर पहन लिया. और फिर उसने अपने लंड को गांड के होल में दे दिया. चूत से काफी टाईट था ये गांड का होल. सरदार अब आगे पीछे हो के चुदाई करने लगा था और मोहिनी की गांड थिरक रही थी. थिरकती हुई गांड को चोदने में उसे बड़ा मजा आ रहा था.
वो अपने हाथ को गांड पर घुमा घुमा के हाथ को भी मजे दे रहा था. और फिर पांच मिनिट की एनाल सेक्स के बाद उसके लंड से लावा उगल पड़ा. सब का सब माल कंडोम में ही रह गया. लेकिन आज बहुत सालों के बाद सरदार जी की बड़ी गांड वाली औरत के साथ सेक्स करने की फेंटसी जा के पूरी हुई थी. सरदार ने जो बोला था उस से भी दो सो रूपये अधिक मोहिनी को दिए और बोले, आगे मैं जब आऊंगा तो दल्ले से बिना मिले सीधे यही आ जाऊँगा!

मोहिनी ने कहा नहीं फिर वो लोग लड़ते है हम से.

सरदार ने कहा, अरे सीधे आऊंगा तो उसकी दलाली में तेरे को ही दे दूंगा!

मोहिनी खुश हुई. और नूतन सिंह अपने कपडे पहन के वहां से निकल लिया!