मेरी सेक्सी कहानी : जिस्म की वासना-2

मेरी सेक्सी कहानी : जिस्म की वासना-1

सुनीता अपने बीते जीवन की सेक्सी कहानी मुझे बता रही थी कि जब वो कॉलेज में थी तो वो बहुत ही सेक्सी बन कर रहती थी, और लड़कों की फाड़ कर रखती थी, मतलब कि शोर्ट ड्रेस पहनती थी और अक्सर बड़े बड़े मम्मे दिखा कर लड़कों के लंड खड़े करके रखती… अक्सर लड़के उसे बोम्ब कह कर छेड़ते थे, उसे भी इस छेड़छाड़ में मज़ा आता था. वो भी बहुत नखरे करती थी, कैन्टीन या पार्क में बैठ कर अक्सर लड़कों को आँखें मारती और बाद में गांड दिखा कर भाग जाती.

बाकी लड़कियों की तरह उसने भी एक बॉय फ्रेंड बना रखा था जिसका नाम रोहित था. रोहित काफी सुन्दर तथा पढ़ने में होशियार लड़का था और बाकी लड़कों से अलग रहता था. उसकी यही बात सुनीता को अच्छी लगती थी.
धीरे धीरे रोहित और सुनीता की दोस्ती कैन्टीन से बढ़ कर पिक्चर देखने तक चली गई. वो दोनों अक्सर टाइम निकाल कर पिक्चर देखने जाते, वहाँ रोहित सुनीता के मम्मे दबाता और सुनीता की पेंटी तक में हाथ डाल देता जिससे सुनीता हॉट होकर रोहित के साथ और चिपक जाती, सुनीता भी रोहित का लंड पैंट से निकाल कर सहला देती.

इस तरह दोनों का यह सिलसिला करीब 2 महीने तक ऐसे ही चलता रहा, अब आग दोनों तरफ लग चुकी थी, सुनीता की चूत भी रोहित का लंड लेने के लिए फड़क रही थी. इधर रोहित भी सुनीता की चूत का उद्घाटन करने के लिए कोई न कोई तरीका सोच रहा था.

आखिर रोहित को एक दिन मौका मिल ही गया. रोहित के घर के सभी मेम्बर काफी दूर एक शादी के समारोह में शामिल होने गए, रोहित ने ये कह कर घर में रहना ठीक समझा कि मेरी पढ़ाई चल रही है, एग्जाम के दिन नजदीक हैं और मुझे घर में रह कर पढ़ाई करनी है.
अब वो कैसी पढ़ाई करने वाला था, यह तो वो ही जानता था.

रोहित ने यह बात जब सुनीता को बताई तो वो तो खुश हो गई और उसकी चूत फड़कने लगी. सुनीता उस दिन कॉलेज से बंक करके रोहित के घर पहुँच गई. रोहित ने सुनीता को जाते ही अपनी बांहों में ले लिया और बैड पर पटक कर चार पांच किस सुनीता के लबों पर कर दिए.
सुनीता की चूत भी पूरी गर्म हो गई.

फिर रोहित फ्रिज से कुछ कोल्ड ड्रिंक लेकर आया और किचन से साथ में नमकीन वगैरह… दोनों कोल्ड ड्रिंक पीने लगे और साथ साथ आपस में एक दूसरे को होंठों पे किस भी कर देते और प्यार से एक दूसरे के होंठों को चूमते हुए कोल्ड ड्रिंक पीने से दोनों को मजा भी आ रहा था.

अब सुनीता को रोहित ने अपनी टांगों पर बिठा लिया और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूस रहा था. सुनीता के मम्मों पर हाथ फेरता हुआ रोहित जैसे ही सुनीता के होंठों को किस करते हुए उसकी गर्दन चूमने लगा तो सुनीता जैसे रोमांच से भर गई, और उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गई थी.

रोहित ने धीरे धीरे सुनीता के जिस्म से उसके कपड़े अलग करने शुरू कर दिए, सबसे पहले उसने सुनीता का टॉप उतारा और उसकी ब्रा के अंदर हाथ डाल कर उसके दोनों मम्मों को दबा दिया, और साथ ही दोनों उभारों के बीच अपने होंठों से किस कर दी.
उम्हा.. करता हुआ रोहित उसकी ब्रा की हुक खोलने लगा और उसने जैसे ही सुनीता की ब्रा की हुक को खोला और चीने कबूतर की तरह जलती टयूब की दूधिया रोशनी में सुनीता का जवान जिस्म फड़क उठा और जवानी की लहरों का ऐसा तूफ़ान चला कि उस तूफ़ान ने दोनों के शरीरों से कपड़े ऐसे अलग कर दिए जैसे केले का छिलका, और दो जवान जिस्मों की जवानी के तूफ़ान ने दो जिस्मों को अपनी आगोश में ले लिया और जब तक तूफ़ान की बरसात ख़त्म न हुई तब तक जवानी घर में अपना नंगा नाच नाचती रही और सुनीता की कुंवारी कलि का फूल खिल गया.

जैसे ही सुनीता ने मुझे अपनी आप बीती सुनाई, हम दोनों के जिस्मों ने फिर से अंगड़ाई भर ली और हमने एक दूसरे को अपनी आगोश में ले लिया.

मेरे लंड ने सुनीता की आपबीती दास्तान सुन कर एक बार फिर से सुनीता की जवान चूत को सलामी दे दी, सुनीता ने भी अपने मम्मों को मेरी छाती से दबाते हुए मेरे होंठों को किस करके अपने गर्म होने का अहसास दिला दिया था.
मैंने सुनीता के नंगे जिस्म को चूमा और उसकी चुची को फिर से चूसना शुरू कर दिया था, इस बार मैंने सुनीता को घोड़ी बनाया और अपना निशाना उसकी गांड की और लगा दिया, इस बार मैंने अपना लंड थोड़ी सी मुश्किल के बाद उसकी गांड में डाल दिया.

जैसे ही मेरा लंड सुनीता की गांड में घुसा तो सुनीता ने सिसकारना शुरू कर दिया और मैंने अपनी एक उंगली सुनीता की चूत के दाने पर रख दी, जैसे जैसे मैं उसकी चूत का दाना अपनी उंगली से रगड़ रहा था, पीछे से वैसे ही उसकी गांड में लंड के झटके लगा रहा था, सुनीता को भी ऐसे चुदने में मजा आ रहा था. सुनीता भी अपनी गांड को आगे पीछे करके चुदने में मेरा साथ दे रही थी.

कुछ ही देर में मैंने पोजिशन बदल ली और सुनीता को अपनी गोद में बिठा कर उसकी चूत में लंड डालता हुआ बोला- रोहित से सील खुलवाने के बाद किस से चुदी बहनचोद रांड?
और साथ ही सुनीता की चुची को अपने होंठों में ले लिया.

सुनीता ने अपने चूतड़ मेरी जांघों पे सेट करते हुए और चूत में अच्छी तरह से लौड़ा लेते हुए कहा- उन्ह राजा.. आह चोदो… उसके बाद तो मेरी जवानी में खुशियाँ भर गईं और… आह.. उफ़… चोदो… सी सी सी… बहुत वो लिए… अहह!
मैंने उसकी पीठ को सहलाते हुए और लंड को चूत में झटका लगाते हुए कहा- वो क्या बहनचोद?
सुनीता मेरी आँखों में झांक कर बोली- लंड… साले, यही सुनना था न मेरे मुंह से, अब चोद ढंग से… आह आह सी सी..

मैं अब कहाँ रुकने वाला था, मैं उसकी जवानी में झटके लगाते हुए बोला- लंड की रानी तो बता न, किस किस का कैसे लिया लंड? ये ले और झटका आह ले बहनचोद..
ऐसे हम चुदाई भी कर रहे थे और चुदाई के साथ साथ बातें भी.

चुद रही सुनीता ने बताया कि कुछ देर अपने बॉय फ्रेंड से लगातार चुदती रहने के बाद वो एक ही लंड से बोर होने लगी थी और एक नया लंड तलाशने लगी, उसकी तलाश तब पूरी हुई जब एक दिन वो अपनी छत पे गई तो छत से नीचे देखा कि उसके पड़ोस में रहता लड़का सुनील नीचे अपने मोबाईल में सेक्सी वीडियो देखता हुआ अपने लंड को हाथ से पकड़ कर मुठ मार रहा था, उसने देखा कि सुनील का लंड भी काफी बड़ा था.
सुनीता अपनी छत पर खड़ी मुठ मार रहे सुनील को ललचाई नज़रों से ताड़ रही थी और सुनीता को पता भी न चला कब उसका एक हाथ उसकी सलवार के अंदर उसकी चूत पर चला गया और वो अपनी चूत को हाथ से मसलने लगी.

नीचे मुठ मार रहे सुनील के लंड से जवानी के जोश ने जैसे ही धार मारी तो छत पर खड़ी सुनीता उसे देखते ही रह गई. मुठ मारने के बाद सुनील लंड साफ़ करके अंदर चला गया और सुनीता भी छत से नीचे उतर आई और सीधा अपने बैडरूम में जाकर दरवाजा बंद करके अपनी चूत को खुजलाने लगी और बार बार सुनील का लंड याद करके अपनी चूत का रस ऐसे निकालने लगी जैसे सच में सुनील का लंड उसकी चूत चोद रहा हो.

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सुनीता जैसे जैसे मुझे अपनी कहानी बता रही थी, मैं उसे वैसे वैसे और जोर से चोद रहा था, सुनीता भी कहानी सुनाती हुई बीच बीच में रुक जाती और सारा ध्यान अपनी चुदाई पर देती.

ऐसे बातें करते हुए हमें चुदाई में और अधिक मजा आ रहा था.

दोस्तो, बातों बातों में हमारी चुदाई भी पूरी हो गई थी, और बाकी बात सुनीता ने बाद में ऐसे बताई:
उसे रह रह कर सुनील का लंड याद रहा था और वो सोचने लगी थी कि काश उसके बॉय फ्रेंड का लंड भी ऐसा ही हो!

उसके बाद इस बात को काफी दिन निकाल गए. अचानक एक दिन पूरी बारिश में सुनील ने सुनीता के घर पर दस्तक दी और कहने लगा कि उसके घर की चाबी जो कि सुनील के पास थी, वो गुम हो गई है और वो कुछ देर के लिए सुनीता के घर पर रुकना चाहता है ताकि बारिश के रुकने के बाद उसकी मम्मी आयेगी और दूसरी चाबी से वो ताला खोल कर अंदर चले जायेंगे.

उस दिन सुनीता के घर पे कोई नहीं था. अँधा क्या मांगे दो आँखें…
सुनीता के लिए इससे बड़ा मौका और क्या हो सकता था, उसने सुनील को अपने ड्राइंग रूम में बिठाया और खुद चाय बनाने किचन में चली गई.

सुनीता कुछ ही देर में चाय लेकर सुनील के पास आई और सामने टेबल पे चाय की ट्रे रख कर फिर बोली- ‘ओह, आपके तो कपड़े भी काफी भीग चुके हैं!
सुनीता ने इसी बात का फायदा उठाते हुए उसे कहा कि अगर वो चाहे तो वाशरूम में जाकर उसके भाई की लोअर टी शर्ट पहन ले.
यहाँ एक बात बता दूँ कि ये बात सुनीता की शादी से पहले की है.

सुनील ने पहले तो न नुकर किया और फिर सुनीता के ज्यादा जोर देने पर वाशरूम में घुस गया. इधर सुनीता अपने बैडरूम में आई और अपनी मम्मी को कॉल करके कह दिया कि हमारे पड़ोस का लड़का हमारे घर पे है, इस काल करने से सुनीता निश्चिन्त हो गई क्योंकि एक तो उसने अपनी मम्मी को यह बात बता दी, सो अगर वो आ भी जाये तो उसको कोई शक नहीं होगा और दूसरा उसे पता चल गया उसकी मम्मी कम से कम 3 घंटे लेट आयेगी.

सुनीता ने अपने कमरे में बहुत हॉट और सेक्सी ड्रेस पहनी, जिसमें उसने सिर्फ अपने मम्मों और नितम्बों को ज्यादा शो किया. उसने बहुत टाइट स्कर्ट और बहुत ही टाइट टी शर्ट पहनी ताकि सुनील को रिझा सके.
तभी वो फिर से ड्राइंग रूम में आई और सुनील की चाय जो अब तक ठंडी हो चुकी थी, उठा कर ले गई और उसे गर्म करके साथ ही अपनी भी चाय और साथ में कुछ नमकीन आदि लेकर दुबारा ड्राइंग रूम में आई तो तब तक सुनील भी वाशरूम से बाहर आकर सोफे पे बैठ गया था.

सुनीता ने सुनील को चाय पीने के लिए बोला और फिर उसने सुनील के साथ बातें शुरू कर दी, घर की बातों से लेकर उसकी जॉब की बातें और साथ साथ सुनीता जानबूझ कर कभी अपनी बाजू को ऊपर उठा देती कि उसकी चुची पर सुनील की नजर पड़े और कभी अपनी टाँगें सेक्सी अंदाज़ में घुमाती ताकि सुनील को उसकी जांघें दिख जायें.

सुनील समझदार था, जवान था, ऊपर से बाहर बरसात लगातार हो रही थी. सुनीता का यह अंदाज़ देखकर सुनील का लंड भी खड़ा होने को उतावला था. आखिर बातों बातों में सुनील ने सुनीता से पूछ ही लिया कि उसका कोई बॉयफ्रेंड है.
तो सुनीता ने कहा ‘अभी तक तो कोई नहीं है, आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
सुनीता ने उसे झूठ बोल दिया था कि उसका कोई भी बॉयफ्रेंड नहीं है.
सुनील ने कहा- हमारी इतनी किस्मत कहाँ!

तभी सुनीता ने एकदम कहा- एक बात पूछूं क्या?
सुनील ने हाँ में जवाब दिया.
तो सुनीता ने उसी दिन वाली बात पूछ ली- एक दिन आप अपना वो बाहर निकाल कर बाहर आंगन में क्या कर रहे थे?

पहले तो सुनील एकदम घबरा गया, उसे बिल्कुल भी अहसास नहीं था कि उसकी यह हरकत किसी ने देखी होगी या सुनीता कोई ऐसा सवाल करेगी, परंतु फिर वो संभल कर बोला- नहीं, कुछ नहीं! सुनीता ने एक कातिल मुस्कराहट देते हुए उसको आँखों में देखा तो सुनील की जवानी में भी उबाल सा आ गया और एक मुस्कराहट के साथ सुनीता के पास आया और अपने दोनों हाथ सुनीता के कन्धों के ऊपर रख कर बोला- ओह हो डार्लिंग, तो आपने सब देख ही लिया है तो अब डिटेल में बताओ न कि क्या क्या देखा?

अब चौंकने का वक्त सुनीता का था, वो बोली- ‘उह नहीं नहीं, मैं मज़ाक कर रही थी, छोड़ो छोड़ो… आप बैठो चाय पीओ!
तभी सुनील ने सुनीता को ऊपर उठा लिया और एक हाथ उसकी चूतड़ों पे रखा और दूसरा उसकी पीठ पर रख कर सुनीता को अपनी छाती से चिपका लिया, अब सुनीता की गोलाइयां सुनील की छाती पे थी.
सुनील के होंठ कब सुनीता के होंठों से चिपक गए पता ही न चला, और अब सुनीता भी उसका साथ दे रही थी.
दो जवान जिस्मों में बहकती जवानी अपना जोश दिखाने लगी थी और सुनीता का एक एक कपड़ा कब उतरा ये सुनीता को खुद भी पता न चला, बस सुनीता जैसे पहले से ही सुनील के नीचे बिछने को तैयार थी.

सुनील के सामने बेपर्दा हुई सुनीता की जवानी की दूधिया चमक ने सुनील को भी बेपर्दा कर दिया, सुनील सुनीता के होंठों से उसकी जवानी का रस चूस रहा था, सुनीता भी सुनील का पूरा साथ दे रही थी.
सुनीता नागिन की तरह अपनी कमर को लहराती हुई अपनी जवानी सुनील से चुसवाए जा रही थी, सुनील होंठों के बाद उसकी मस्त चुची को चूसने लगा था. सुनीता बस मुंह से मदमस्त सिसकारियां निकाल रही थी और इन पलों का भरपूर आनंद उठा रही थी.

सुनीता के हर अंग को चूसता हुआ सुनील नीचे तक पहुँच गया था, अब सुनील ने सुनीता की पेंटी को अपने दांतों में फंसाया और दांतों से ही उसकी टांगों के रास्ते बाहर कर दी. अब सुनीता मादरजात नंगी थी.
अल्फ नंगी सुनीता की जवानी सुनील को और कामुक बना रही थी, सुनील ने अपने होंठ सुनीता की चूत पे रख दिए और उसको ऐसा चूसा कि सुनीता मछली जैसे लंड लेने के लिए तड़पने लगी.
बाहर बरसात बहुत तेज हो चुकी थी और अंदर जवानी पूरी गर्मी पे थी. जवानी की गर्मजोशी ने दो जिस्मों को ऐसे अपनी आगोश में लिया कि दोनों ऐसे आपस में लिपटे जैसे सांप चन्दन को लिपटा होता है.
करीब 1 घंटा पूरा जौहर दिखाने के बाद जिस्मों का तूफ़ान थमा और सुनीता पस्त हो गई, सुनील निढाल हो गया. ड्राइंग रूम का दीवान और सोफे सब की चादर और कवर इधर उधर हो चुके थे. कपड़े बिखरे हुए थे.

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जवानी का तूफ़ान थमा और बाहर बरसात भी कम हो गई. टेबल पे दो कपों में ठंडी हो चुकी चाय जैसे दो जिस्मों के खेल की गवाही भर रही थी.

तभी सुनीता ने ज़ल्दी ज़ल्दी वाशरूम में जाकर सब साफ़ किया और आकर ड्राइंग रूम सेट किया और किचन में जाकर ताजी चाय बना कर लाई और बातें करती हुई सुनील के बिल्कुल पास बैठ कर चाय पीने लगी.
उस दिन के बाद उनका मिलना आम हो गया. कभी सुनील के घर कोई न होता तो सुनीता वहाँ चली जाती या जब सुनीता के यहाँ कोई न होता तो सुनील यहाँ आ जाता और कभी वो रात को छत पर मिल लेते क्योंकि दोनों घरों की छतें आपस में मिलती थीं.

इस तरह सुनीता अपनी जवानी के लुत्फ़ अपनी शादी से पहले से ही उठा रही थी.

एक दिन आया कि घर वालों ने सुनीता के लिए अच्छा लड़का देख कर शादी कर दी, उसका हसबैंड रमेश मुंबई में एक कंपनी में जॉब करता था. सुनीता के मज़े लग गए अब सुनीता की चुदाई रोज़ होती, अब तो सुनीता गांड भी चुदवाने में माहिर हो गई थी, उसका हसबैंड उसे चोदने में माहिर था. वो उसका अंग अंग चोद कर रखता. वो अपने हसबैंड रमेश से जब भी चुदती तो गांड जरूर मरवाती, उसका हसबैंड भी उसकी चूत में उंगली करता हुआ उसकी गांड में लंड पेलता जिससे सुनीता और रमेश दोनों मज़े से सराबोर हो जाते!

कुछ दिन सुनीता की दिन रात चुदाई के बाद आखिर रमेश को भी अपनी डयूटी पे जाना पड़ा और जाने से एक रात पहले सुनीता को जम कर चोद कर गया, सुनीता भी मस्त होकर चुदी, पहले उसने रमेश का लंड चूसा और चुसाई भी ऐसी की कि सुनीता ने लंड के छेद पे जीभ रख कर उसपे अपनी लार छोड़ कर फिर उसे चाट कर और धीरे धीरे मुंह में लेकर चूसा जिसे रमेश सम्भाल न पाया और अपने लंड की धार सुनीता की जीभ पर मार दी.
रमेश के लंड की गिर रही धार को चुदने की माहिर सुनीता ने ऐसे सम्भाला के उसका पूरा का पूरा वीर्य अपनी जीभ पे ले लिया और चटखारे लेती हुई रमेश की जवानी का सारा रस पी गई.

इसी तरह बाद में सुनीता की चूत को भी रमेश ने खूब चाट चाट का चूसा जिससे सुनीता का एक बार काम रस रमेश के मुंह में ही आ गया और रमेश ने भी उसका पूरा रस पिया.
इस तरह खूब मजा लेते हुए पूरी रात गुजारी.

अब उसका पति रमेश अपनी डयूटी पे जा चुका था, उसे गये करीब एक महीना हो गया था, सुनीता की चूत लंड लेने के लिए तड़पती रहती, सुनीता की मुनिया का लंड के बिना बुरा हाल हुआ पड़ा था.

इसी बीच सुनीता के पति का दोस्त पंकज सुनीता के पास किसी काम के लिए आया क्योंकि उसके पति का दोस्त भी रमेश के साथ ही काम करता है तो उसके पति ने सुनीता के लिए अपने दोस्त के पास सुनीता के लिए कुछ सामान भेजा था, वो उसे पकड़ाने सुनीता के पास आया था.

सुनीता ने उसे आदर से ड्राइंगरूम में बिठाया और चाय पानी पिलाया, कुछ देर घर बार और इधर उधर की बातें भी हुईं. उसने अपने पति का हाल भी पूछा.
पंकज ने मज़ाक में कहा- भाभी जी, आपके बिना रमेश का क्या हाल होना है, बेचारा रात को आपको याद करता रहता है और कई बार अपने क्वार्टर में रूम मेट दोस्तों को रात को बाहों में ले लेता है.
यह बात पंकज ने सिर्फ भाभी को मज़ाक में कही थी, तो सुनीता भी कौन सा कम थी, वो बोली- तो देवर जी, सिर्फ बांहों में ही लेते हैं न, इसके आगे तो नहीं कुछ होता, अगर इसके आगे कुछ हुआ तो बता देना!
वो हंसने लगी.
पंकज बोला- भाभी जी, वैसे आप हाज़िर जवाब बहुत हो!
तो सुनीता बोली- आप कौन सा कम हो देवर जी, जैसी बात करोगे तो वैसा जवाब तो बनता ही है न, वैसे भी आप जैसे दोस्तों से मेरे पति तो मस्त ही रहते होंगे, आप भी हाज़िर जवाबी में कम नहीं हो!
इस तरह वो थोड़ा खुल कर एक दूसरे से बात करने लगे.

यहाँ मैं एक बात बता दूँ, सुनीता पंकज से कोई पहली बार नहीं मिल रही थी, उनकी शादी के बाद भी वो अपने पति के साथ काफी बार मिली थी और इस तरह दोहरी भाषा का मज़ाक वो अक्सर अपने पति के सामने भी उस से कर लेती थी.

कुछ देर वो ऐसे ही मज़ाक करती करती आखिर टेबल पे पड़ी ट्रे को उठा कर एक फ्लाईंग किस करके किचन में चली गई.
जैसे ही सुनीता ने पंकज को फ्लाईंग किस दी, तो पंकज के तो जैसे होश उड़ गए, उसका लंड ने एकदम तुनका मारा और सुनीता की फ्लाइंग किस को सलामी दे दी.
जैसे ही सुनीता वापिस ड्राइंग रूम में वापिस आई तो पंकज ने उठ कर सुनीता को बाँहों में ले लिया और उसकी गाल पे एक सच में किस कर दिया, जिससे सुनीता के गाल गुलाबी हो गए और गर्म हवा मदहोशी के सागर में डूब गई.

सुनीता की उबलती जवानी और दो जवान जिस्म, ऊपर से एकांत का माहौल, ऐसे माहौल में जवानी में ऐसा तूफ़ान आया कि जब तक दूधिया रोशनी की चमक के साथ जवानी का तूफ़ान थम न गया तब तक जवानी का रंगीन मौसम मनमानी करता हुया हवस के अंधे सागर में डुबकियाँ लगाता रहा.
सच में आज पहली बार पंकज और सुनीता के साथ पहली बार आपस में सम्बन्ध कायम हो गये थे. सुनीता की मुनिया की प्यास हफ़्तों के बाद आज तृप्त हुई थी. पंकज और सुनीता ने एक किस की और अपने नंगे जिस्म एक दूसरे के नंगे जिस्म से अलग कर लिए और वाशरूम में जाकर एक साथ फ्रेश हुए और फिर पंकज सुनीता से विदा ले अपने घर को चला गया.

दोस्तो, सुनीता की रंगरेलियाँ बढ़ती रही, यहाँ तक कि उसने अपने बॉस और सेक्यूरटी गार्ड तक के लंड का रस भी चख लिया था.
और एक बार तो सुनीता के ऑफिस के बॉस और उसके एक कलाइंट ने एक बार सुनीता की मुनिया और गांड को एक साथ बजाया.

अब मैं आपका रवि आप सभी दोस्तों से विदा चाहता हूँ. मेरी यह सेक्सी कहानी बिल्कुल सुनीता की असल ज़िन्दगी पर आधारित है, जो उसने मुझे बताया है, मैं यह कहानी सुनीता की इज़ाजत से लिख रहा हूँ, सुनीता भी इस कहानी को लेकर बहुत रोमांचित है. आप सभी के ईमेल का मुझे इंतज़ार रहेगा.

दोस्तो, मैं अपनी कहानी के सम्बन्ध में आने वाले हर ईमेल का जवाब देता हूँ, बस आप अपनी ईमेल में आप बेहूदा भाषा से संकोच कीजिये. मेरी फीमेल पाठिकाएं और कपल दोस्त तो जरूर ईमेल करें. मुझे फेसबुक पे भी ऐड कर सकते हो.
फीमेल पाठिकाएं यह भी बता दें कि उनकी चूत गीली किस तरह की सेक्सी कहानी से होती है ताकि आने वाले समय में मैं वैसी कहनियाँ लिख पाऊं!
अगर किसी के पास कोई ऐसी घटना है जो सेक्सी कहानी के रूप में लिखवाना चाहे तो भी वो मुझे बता सकते हो!
आपकी ईमेल के इंतज़ार में.
[email protected]

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