मेरी दीदी के साथ मेरा पहला सेक्स

दोस्तो मेरा नाम रवि है । मैं जोधपुर राजस्थान का रहना वाला हू। ये कोई कहानी नही बल्कि एक सच्ची घटना है जो कि मेरे ओर मेरी बड़ी कजिन के बीच घाटी। बात 2008 की है मैं 8 क्लास मैं था, मेरी उम्र 12 साल थी, मैं हस्तमैथून ओर सेक्स करना जनता था, उनका नाम कोमल था वो मेरी बड़ी बूआ की बेटी थी जिनका स्वागवास हो चुका था और उनके पिताजी कुछ ज्यादा कमाते भी नही थे । वो पास ही के गांव मे रहते थे उनकी उम्र उस समय 18 वर्ष थी ।

मेरे पिताजी ने उनके अच्छे भविष्य का सोच और उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए हमारे यहा ले अये । मैं स्कूल से घर लोटा तो उनको घर मैं पाया मैंने उन्हें कही साल बाद देखा था पहले तो में पहचान ही नही पाया वो काफी बदल चुकी थी । सावला रंग 5\’3 की हाइट मस्त बोबे चोड़ी गांड, उसने सलवार कुर्ता पहन रखा था जो उसे फिट आ रहा था । उसने नथनी डाली हुई थी जो कि मेरा ध्यान खीच रही थी, वो सच मे खूबसूरत लग रही थी मुझे तो मानो प्यार सा हो गया था ।

दिन खत्म हुआ हमने खूब बाते की वक्त अब सोने का था घर मे दो कमरे थे एक मैं मा ओर पाप सोते थे एक मै ओर मेरी बहन पर अब दीदी आ गयी थी उन्हें कहा एडजस्ट करे डिसाइड किया की उन्हें हमारे रूम मैं ही सोना पड़ेगा क्योंकि हॉल मैं तो रात मैं सर्दी लगेगी सब सोने लगे मैं ओर दीदी ओर मेरी बहन भी बिस्तर पर लेट गए दीद बीच मैं सोई क्यों कि हम दोनों भाई बहन ने उसने बाते जो करनी थी , फिर कुछ देर बात करके हम सो गए, एक दो दिन गुजहरे दीद की पढ़ाई को लेकर प्राइवेट एडमिशन करवाया दिया क्लास 10 का। दीदी ने अब पढ़ाई चालू कर दी। एक दो दिन मैं उनका ट्यूशन भी चालू हो गया जो कि दोपहर मैं लगता था दिन गुजरते गए मैं बस दीदी की खूबसूरती को निहारता रहता था, छुपके छुपके उन्हें बाथरूम मैं नहाते देखता,

जब वी पिशाब या हगने जाती तब देखता, उसकी काली चूत थी जिस पर बालो का जंगल था जी की पिशाब करते वक्त पूरा गिला हो जाता था जिसे वो अछछे से झटक कर साफ करती थी, मेरी हवस बड रही थी उसके लिए, मैं उसे पाना चाहता था, चोदना चाहता था, मुझे सेक्स का पता था, बोहोत से सेक्स विडोज देखे थे, लन्ड भी हिलाना जनता था, मेरा लन्ड तब शायद 4 इंच का रहा होगा, एक दिन दोपहर की बात है दीदी ट्यूशन जाने के लिए रेडी हो रही थी तभी मैने हमारे दरवाजे के गैप से देखा वो सफेद ब्रा पैंटी मैं थी क्या मस्त बूब्स थे उसके ओर उसकी गांड मानो स्वर्ग देख लिया हो मैं दंग रह गया, वो पारी सी लग रही थी मेरी वासना उसके लिए ओर बढ़ गयी, मेरा लन्ड तो बस तरस रहा था, करीब 10 मिनिट तक मैने उसे ऐसे देखा,

फिर उसने कपङे पहन लिए ओर मैं वहां से चला गया । उस रात जब हम सोये तो में अपनी नज़रे दीदी के बोबे से हटा ही नही पा रहा था खेर सब सो गए मुझे नींद नही आरही थी मैं तो बस पागल हो रहा था सोच सोच कर , तभी दीदी ने करवट बदली और उनकी गांड मेरी तरफ हो गयी। वो दूसरी चद्दर मैं थी मैंने अपनी चद्दर भी उसके ऊपर डाल दी और फिर उसकी चद्दर मैं घुस गया और उसे बगल भर ली, मैंने नोटिस किआ की उसका कुर्ता कुछ ऊपर की ओर उठा है और मेरा हाथ सीधा उसके खुले पेट पर पड़ा है, मैने धीरे से हाथ कुर्ते मैं डालना शुरू किया । उसने कोई हरकत नही दिखाई मेरी हिम्मत और बड़ गयी मैंने हाथ और अंदर डाला हाथ सीधा उसकी ब्रा की पट्टी पर लगा उसके गोल बड़े बड़े बोबे महसूस होने लगे थे।

मैन हिम्मत करके हाथ ब्रा के अंदर डाल दिया। सच बोलू तो उस वक्त मैं बोहोत डरा हुआ था। कही ये जग गयी तो क्या होगा । मगर मेरी हवस मुझे हिम्मत दे रही थी, मैन धीरे धीरे बूब्स दबाये कुछ देर तक ओर फिर ज्यादा रिस्क ना लेते हुए मैने हाथ बाहर नीकल कर सो गया। सुबह सब नार्मल था शायद उसे इस बात का एहसास न था। फिर रात हुई हम सोए पर मुझे नींद कहा, वही सब वापस हुआ इस बार मैंने कुर्ता ऊपर किआ ओर हाथ अंदर डाल दिया ओर बोबे दबाने लगा उसने कोई हलचल नही दिखाई, शायद उसे पता नही था या वो बोहोत गहरी नींद मैं थी, मैन बोबे को ब्रा ऊपर से ही बाहर निकाला और दबाने लगा मेरी सगी बहन पास मैं ही सो रही थी मुझे उसके जागने का भी डर था, मगर नजाने मैं ये कैसे कर पा रहा था, दीदी की पीठ मेरी तरफ थी मतलब की मैन अभी तक उसके बूब्स देखे नही थे सिर्फ फील किये थे, अ

ब मैं क्या करता उसको मेरी तरफ मोड़ना मुश्किल था ज्यादा जबर्दस्ती से वो उठ सकती थी, मेरी तो साँसे रुक रुक कर आरही थी, मैं उससे चिपक कर सोया था मेरा ध्यान उसकी गांड पर गया जो मेरे झांग से सटी थी, मैने दूसरा हाथ से उसकी गांड का स्पर्श किआ, बाहोत बड़ी थी मैं धीरे धीरे हाथ फेर रहा था मुझे उसकी पैंटी का एहसास हुआ, मैंने सलवार के अंदर से हाथ डाला तो उसकी पैंटी का रबर हाथ आया, मैं जायद हाथ अंदर नही डाल सकता था क्युकि उसने नाड़ा बंधा हुआ था, मैं बस इतना ही कर पाया और उससे ऐसी ही अवस्था मे रख कर सो गया। सुबह रोज़ की तरह नार्मल पाया, सब नार्मल था आज शनिवार था मतलब कल स्कूल की छुट्टी मुझे संडे को जल्दी नही उठना होगा, मैं खुश था आज रात कुछ ज्यादा होगा, इसी खुशी के मारे दिन निकल ही नही रहा था, रात आयी हम सो गए, मैं जगता रहा, मैं रोज़ तकरीबन सबके सोने के 1 घटा तक वाइट् करता था, मैंने फिर से उसके बूब्स को फील करना चालू किआ, ये तो जैसे रोज़ होने लाग था, मैं सीधा ही ब्रा के अंदर घुस गया और दबाने लगा,

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फिर मैंने अपना हाथ उनकी सलवार मैं डाला और नाडा खोल दिया जिससे उसकी सलवार डिली पड गयी अब मैने अपना हाथ उनकी पैंटी मैं डाला और गांड को फील करने लगा , ये सब बोहत हॉट था, मेरा लन्ड तो बस फट रहा था कि अचानक ही उसने करवट ली और मेरा हाथ उसकी गांड को पकड़े नीचे दब गया, ओर शायद ये उसी भी एहसास हो गया वो उठ गई मैने जल्दी से हाथ हटाया, उसने बोलै क्या हुआ मैने सोते हुए नाटक किआ ओर नीन्द मैं बोलै की मेरा हाथ आपके नीचे गया था, वों वापस सो गई, कुछ देर बाद वो उठी और बाथरूम जा कर आयी, उसे ये तो पता चल ही गया था कि उसकी सलवार का नाडा डीला है,

ओर उसके बूब्स ब्रा से बाहर है उसे शक तो हो ही गया था, मगर वो कुछ बोली नई, वो बाथरूम से वापस आयी तब तक उसके कपड़े ठीक हो चुके थे, मैं समझ गया कि इससे सब पता चल गया है, हुम् सोने लगे थोड़ी देर हुई मुझे लगा ये सो गई, मैं ऐसे ही पड़ा रहा, वो मेरी तरंफ मुँह करके सोई थी मैने फिर हरकत की, उसे बगल भरी, पीछे से उसकी गांड का स्पर्श किआ, वो ऐसे ही सोती रही, मुझे एहसास हो गया कि सो गई, मैने गांड मैं हाथ डालने छाहाँ, मगर नाडा टाइट था, तो मैंने कुर्ता ऊपर किआ ओर पीछे से उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा, मेरा मुँह उसके बूब्स के बॉहोत करीब था मेरी साँसे उसके बूब्स पर टकरा रही थी, मैने जोर से गरम गरम साँसे उसके बूब्स पर मारी , इससे हवस बढ़ती है और यही हुआ वो हिली मैने हाथ फेरना भी जारी रखा उसने मुझे बगल भर ली, ओर एक पैर मेरे ऊपर डाल दिया, वो गरम हो रही थी,

मैने उसकी गांड दबाना शुरू किया, उसके हाथ मैं हलचल हुई, वो अपने नाखून चुबहाने लगी, मैं समझ गया कि ये जग रही है बस बया नही करना चाहती, उसके चेहरे से उसकी हवस साफ जाहिर हो रही थी, उसके होठ खुले थे , जिनमे से अब सिसकियों की आवाज सुनाई पड़ रही थी, मैं जब जब उसकी गांड दबता वो तब तब सिसकारी लेती ओर मेरे पीठ पर नाखून गढ़ती, मैंने अपना चेहरा ऊपर उठाया और उसके होठो के पास ले गया और बॉहोत ही धीरे से अपने होंठों को उसके होठो से लगा दिया , उसकी मुँह से निकली गरम हवा मेरे मुँह मैं में मेहसूस कर पा रहा था, मैंने धीरे से अपनी जूबान बाहर निकली और उसके मुँह मैं डाल दी, मेरी झीब उसकी मुँह मैं गयी और उसकी झीब से टकराई, ये बहोत ही अनोखा अहसास था, उसने रेसपोंड किआ, उसने भी अपनी झीब को हलचल मैं लायी, ओर कुछ ही पलों मैं हम दोनो की झीब लड़ने लगी, वो मेरे झीब चूसती मैं उसकी और हम एक दुसरे को बाहो मैं लिए हुए एक दूसरे से चिपक रहे थे, किस लेते लेते ही मैंने अपना हाथ आगे किआ ओर नाडा खोला, ओर हाथ आगे से उसकी पैंटी मैं डाल दिया, इस लगा मानो जैसे बालो का जंगल था अंदर तो, ढेर सारे घने बाल हाथ आगये,

मैं समझ गया कि इसने बाल नही बनाये है कभी, पर ये ओर भी ज्यादा हॉर्नी था, मैं हाथ फेरता गया और आखिर मैं मुझे चूत का एहसास हुआ, वो बॉहोत ही फुली हुई थी और बोहोत नरम थी मानो जैसे स्पंज ओर भट्टी की तरह गरम थी, मैंने जैसे ही चूत को छुआ दीद ने मेरा हाथ पकड़ लिया, शायद वो आगे नही बढ़ना चाहती थी, मैंने फिर कोशिश की तो उसने हाथ बाहर नीकल दिया ओर गांड से लगा दिया, मैं समझ गया कि ये शायद कुछ और चाहती है इसीलिए मैंने जबर्दस्ती नही जताई, उसने अपनी आंखें अभी भी बंद ही रकहि थी, उसने करवट बदली ओर मेरी तरफ पीठ कर ली, मैन कुर्ते मैं हाथ डाल दिया और बोबे बाहर निकल दिए, ओर मैं दबाने लगा, मैं रोज़ दबा दबा कर बोर हो गया था, में उन्हें पीना चाहता था,

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मैन दीदी को मेरी तरफ घुमाया तो वोआसानी से घूम गयी उसके बूब्स मेरे सामने थे, रूम की लाल लाइट मैं उसके वो मादक बोबे क्या बताओ आपको बयान नही कर सकता वो फीलिंग उसके निपल ओर भी काले और मादक, मैन उन्हें मुँह मैं ले लिया, ओर हाथ गांड मैं डाल दिया और दबाने लगा, वो भी सीसीआई रही थी, उसका एक हाथ मेरी गांड दबा रहा था, ओर नीचे वाले हाथ खाली पड़ा था, मैंने उसे पकड़ ओर अपना लन्ड उसके हाथ मे दे दिया, वो दबाने लगी थी उसने मेरा लन्ड दबा दबा कर दर्द कर फ़िया था, कभी मैं उसे चुम रहा था तो कभी उसके बोबे को माहौल बॉहोत गरम हो गया था, वो अध नंगी थी और मेरे भी शॉर्ट्स नीचे हुए थे , ये सब आधा घंटा चला और मेरा पानी निकाल गया, मेरा अंडरवियर गीला हो गया और उसका कुर्ता भी

मैजे अपना लन्ड उसके कुर्ते से साफ किया और हम सो गए। सुबह रोज़ की तरह सब नार्मल था ना उसने रात का कोई जिक्र नही किया । दिन बीत गया फिर से रात आयी, ओर वही हुआ जो कल हुआ था मगर इस बार मुझे ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ी, ओर मैं ज्याफ देर तक रुक भी नही, सोने के 15 मिनिट बाद ही चालू हो गया, अब ये रोज़ होने लगा वो रोज़ मेरा पानी निकाल कर सोती थी ये रोज़ लगभग दो घंटे तक चलता था। एक दिन दीदी बोली अब से मैं रोज़ सुबह जल्दी उठ कर पड़ूँगी, तो मैं भी इसमे शामिल हो गया, हम रात मैं एकदूसरे को आनंद देते ओर सुबह जल्दी उठ कर पडते, सर्दी का मौसम चल रहा था, जाहिर सी बात है बॉहोत सर्दी थी, तो एक दिन दीदी ने सुबह बोला की रवि मुझे बहोत सर्दी लग रही है मैंने उन्हें चद्दर दे दी थी, मगर 5 मिन्ट बाद वो वापस बोली कि मुझे बोहत सर्दी लग रही है प्लीज मुझे तेरी चद्दर मैं आने दे ,

मैने हा कहा और हम दोनो एक चद्दर मैं आगए और ऊपर एक ओर चद्दर डाल ली, उसने कहा आज मुझे वाकई मैं बॉहोत सर्दी लग रही है मैं सोजाती हु, तू कुछ देर बाद मझे उठा देना, मैने कहा ठीक है और वो मुझे बगल भर के सो गई मेरी गोद मैं किताब रखि थी जो अब किसी काम की नज़र नही आरही थी, मैन उसे साइड मैं रख दिया, रूम की लाइट्स ओन ही थी, मैंने दीदी की पीठ को सहलाना चालू किआ ओर उसके चेहरे की खूबसूरती को निहारा, सोती हुई वी बॉहोत खूबसूरत लग रही थी, फिर मैंने अपना हाथ नीचे लेजाते हुए उसकी गांड को दबाया, ओर हाथ अंदर डाल दिया, हाथ आधा ही गया क्योंकि को पूरी लेती हुई नही थी और दूसरे हाथ से मैने उसके कुर्ते के ऊपर से बोबे बाहर निकल दिए और दबाने लगा दीदी का चेहरा मेरे सीने से सटा था और उसकी तेज़ साँसे में फील कर सकता था एकाएक मेरे लन्ड पर उस्का हाथ गया और वो उसे दबाने लगी,

उसने मेरा लन्ड बाहर निकाला और उसे ऊपर नीचे करने लगी, वो अभी भी अपना मुँह नीचे किये हुये थी, की मैंने उसे धीमी सी आवाज मैं कहा इसे चुसो ना प्लीज, उसने मेरे तरफ देखा और हमारी नाझरे मिली, ओर जैसे वक्त रुक गया सब सुन हो गया, ओर अचानक से वो मेरे चेहरे की ओर बड़ी ओर बेतहाशा चुमेने लगी, हमारा चुम्बन लंबा चला और फिर वही हुआ जो होना था वो नीचे झुकी ओर मेरा लन्ड चूसने लगी । वो चद्दर से ढकी हुई थी जो कि ओर भी हॉट लग रहा था, उसने लन्ड चूसा ओर मेरा पानी निकाल, ओर मेरे पास कान में आकर बोली अब मेरा भी पानी निकाला, ओर उसे जिबान से चाट कर साफ किया, वी मेरे कान मैं आकर बोली कि अब तू मेरी चाट, हम दोनो ने पोजीशन चेंज की मैं चद्दर के अंदर गया और वो बैठी रही मैने उसकी सलवार निकली और पैंटी भी, मैने पहली बार उसकी चूत देखी थी, मैं पागल हुए जा रहा था, बस उसे खाने का मन कर रहा था, उसकी बूर पर घने बाल थे,

मैंने उन्हें साइड मैं किआ, ओर उसकी काली झिल्ली मेरे समने आगयी , साफ जाहिर था वी वर्जिन थी, फिर मैं चूत चाटने लगा करीब 10 मीन्स बाद वो झड़ी, ओर फिर हमने किस किआ ओर वापस सो गए, अब तो ये रोज़ का हो गया, बस उसे चोदना बाकी था, फिर एक दीन मैन उसे बोलै की क्या हम आगे नही बड सकते उसने कहा कि उससे बच्चा होने का डर है और उसकी सील भी नही टूटी है तो वो अभी डरती है मैं उसका डर समझ गया मगर मैं उससे चोदना भी चाहता था , दिन निकलने लगे मगर मैं उसे चोद नही पाया। अगले ही साल मेरा एडमिशन एक बोर्डिंग् स्कूल में कर दिया गया, ओर तब तक के लिए हमारा प्यार यही तक सीमित रह गया, मगर मैन ही उसकी सील तोड़ी ओर उसका पहला बच्चा भी मेरा है। (बाकी बाते आगे की हक्कीकत मैं)….