वियाग्रा खाकर दोनों कामवाली चेतना और सपना को एक साथ चोदा

दोस्तों मेरा नाम प्रेम जाधव है और मेरी उम्र 20 साल की है. मैं सेक्स और रोमांस का दीवाना हूँ. ये बात आज से कुछ डेढ़ साल पहले की है. तब मैंने अपनी दो कामवालियों को एक साथ चोद के उनके साथ थ्रीसम सेक्स किया था. तो चलिए अब आप को सीधे ही वो कहानी बताता हूँ, आपका लंड खड़ा करने के लिए!

ये बात तब की है जब मैं 12वी कक्षा में पढ़ाई करता था. मैं पहले से ही डेली मुठ मारता था. मतलब की छोटी उम्र से ही. और इसी वजह से मेरे अंदर पक्वता यानी की मच्योरीटी जल्दी ही आ गई थी. हम लोग पैसेवाले है और मैं पैदा हुआ उसके पहले से ही घर में नौकर और कामवालियाँ रही है. ये बात हमारे घर की दो कामवाली चेतना और सपना की है.चेतना का फिगर एकदम ही सेक्सी था. उसका बाकि का बदन एकदम भरा हुआ था लेकिन गांड थोड़ी छोटी थी बस. और वो लम्बाई में ऊँची थी काफी. सपना का फिगर उतना मस्त नहीं था. लेकिन उसकी गांड एकदम बढ़िया थी. मैं अक्सर इन दोनों ही कामवालियों को काम करते देखता था. उनके पसीने से भीगे हुए बदन की वो खुसबू मुझे उत्तेजित कर देती थी. और मैं उनके नाम की मुठ जा के अपने कमरे में मारता था.

चेतना जब पोछा लगाती थी तो पीछे उसकी गांड थिरकती थी. और सपना बर्तन मांजते हुए अपने बोबे आधे मेरे को दिखाती थी जैसे. पोछा लगाते वक्त आगे के बूब्स भी बहार दीखते थे चेतना के जिसकी वजह से मेरा लंड पूरा खड़ा हो जाता था उन कबूतरों को देख के. मैं रोज इन दोनों के पीछे घूमता था और उनकी गांड और बूब्स को देख के मन बहलाता था. अब तक हिम्मत नहीं हुई थी की उन्हें सेक्स के लिए पूछ सकूँ. लेकिन परिपक्वता आती गई और मैं और भी बोल्ड होता गया. अक्सर सपना जब बर्तन मांजती थी तो मैं कुछ ना कुछ लेने के लिए किचन में चला जाता. और पीछे से अपने लंड को उसकी गांड पर टच करवा देता था. वो शायद डर की वजह से कुछ कहती नहीं थी. लेकिन ऐसा करने के बाद मुठ मारने में अलग ही नशा होता था. मैंने मन ही मन फिक्स कर लिया था की ईन दोनों में से एक को अपने लंड का शिकार जरुर बनाऊंगा!
और फिर बहुत दिनों के बाद आखिर में मेरी किस्मत के आगे से भी वो बादल हट ही गया. आखिर मुझे वो मौका मिला! मेरी माँ और पापा दोनों काम करते है और एक बार किसी बिजनेश ट्रिप के लिए पापा जा रहे थे. तो मम्मी भी उनके साथ जानेवाली थी. और ऐसे में मैं अकेला ही रह गया था घर पर. माँ ने चेतना और सपना को मेरी देखभाल और खाने पिने की जिम्मेदारी सौंप दी. और उन्होंने दोनों को बोला की हम लोग सप्ताह भर में आ जायेंगे तुम लोग यही पर सो जाना ताकि बाबु (मुझे) कोई तकलीफ और डर न हो. वो दोनों मान गई माँ की बात. माँ ने दोनों को पांच सो रूपये की बक्षीश पहले से ही दे दी.

जब मैं कोलेज से वापस आया तो चेतना वही पर थी. मैं उसके साथ बातें करने लगा. और उसके चहरे पर आज एक अलग ही ख़ुशी सी दिख रही थी, पता नहीं क्यूँ!

मैं: चेतना क्या तुम शादीसुदा हो?

चेतना ने कहा हां शादी तो हुई थी लेकिन फिर मेरी पति का कलेजा दारु पिने की वजह से सड गया और उसको मरे हुए अब दो साल हो गए है.

मैंने फिर पूछा, क्या तुम्हारे कोई बच्चे है चेतना?

चेतना ने बोला नहीं पर मुझे चाहिए बच्चे!

और साली ने ये कह के मुझे मस्त आँख मार दी. मैं अब एक बात से कन्फर्म हो गया था की ये मेरा लंड ले लेगी क्यूंकि शायद आज कल उसे चोदने वाला कोई था नहीं.

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और हम दोनों की बाते ही चल रही थी की सपना भी वहां आ गई.

मैंने बोला, सपना चलो काम पर लग जाओ.

सपना ने बोला जी छोटे बाबु.

मैंने अब धीरे से उसकी गांड को टच कर के उसको पूछा, क्या तुम्हें बक्षीश चाहिए, 200 300 रूपये की?

सपना मेरी बात सुन के बोली: अरे नहीं साहब कुछ नहीं, हम तो आप के नौकर है आप सब कुछ बिना बक्षीश के भी कर सकते हो!

मैंने कहा, देख चेतना भी रेडी है, हम तीनो रोज चोदेंगे अगर तुम मान जाओ तो!

सपना ने कहा, क्यूँ नहीं छोटे मालिक!

चेतना ने कहा, आज से नहीं कल से करेंगे आज मैं अपनी माँ को बोल के आती हूँ की मैं कुछ दिन यही पर रहूंगी. आप कल कोलेज से आयेंगे फिर हमारी मस्ती चालु कर देंगे हम लोग!
मैंने कहा ठीक है वो सब का करेंगे लेकिन आज मेरे को तुम्हारे बदन टच तो करने दो. वो दोनों उसके लिए मान गई. मैंने दोनों के बदन के ऊपर हाथ घुमाए और उनके बूब्स, गांड और चूत को टच किया. चेतना ने तो मेरा लंड भी पकड़ा. और फिर वो दोनों अपने घर चली गई. सपना शाम को ही आ गई वापस और चेतना दुसरे दिन आनेवाली थी.

अगले दिन मैं कोलेज से आया और देखा की वो दोनों वही पर थी और काम भी कर चुकी थी अपना अपना. मैंने उन्हें कहा मेरी रानी आ जाओ!

मैंने अपने घर के सब परदे खिंच लिए और दरवाजो पर लोक कर दिए. मैं अपने साथ ही कुछ खाने का सामान ले के आया था. खाना खाने के मैंने चेतना को अपनी तरफ खिंच के कहा मैं तेरे को बच्चे का सुख दे दूंगा मेरी जान!

चेतना और सपना को ले मैं अंदर के कमरे में चला गया. चेतना ने अंदर जाते ही अपने कपडे खोलने चालु कर दिया. उसने अपनी सलवार कमीज को उतार दिया और वो ब्लेक ब्रा और पेंटी में थी उस अक्त. वो अपने हाथ से मेरे शर्ट और पेंट को खोल के बोली आओ बाबु जी!

मैंने उसकी चूत पर हाथ रख दिया और उसे रगड़ने लगा. वो अपने घुटनों के ऊपर बैठ गयी. मैंने अपने खड़े लंड को उसके चहरे पर रख दिया. मेरे गरम गरम लंड और अंड का स्पर्श उसको हो रहा था. फिर उसने अपने मुहं को खोल के सीधे ही लंड को चुसना चालू कर दिया. मेरे तो इस सब से रोंगटे ही खड़े हो चुके थे.

और बिच बिच में वो मेरे लंड को अपने हाथ में ले हिला भी रही थी. मेरे बदन में तो जैसे करंट दौड़ गया था. और फिर मैंने उसको खड़ा कर दिया और उसके बूब्स को चूसने लगा. और फिर उसकी ब्रा उतार दी मैंने और बिना ब्रा के उसके बूब्स को चुसे. वो आहें भरने लगी थी और बोली की बाबु मेरे को बहुत मजा आ रहा है, और जोर से दबाओ. मैं फिर से उसकी चूत को रगड़ने लगा और उसका पानी निकाल दिया. उसने फिर से मेरे लंड को चूस चूस के पानी छुड़ा दिया मेरा भी.

हम दोनों ने अब एक दुसरे को किस किया और फिर सपना मेरे पास आई. मैंने उसकी चूत को भी ऊँगली से फिंगर कर के उसका पानी निकाला. वो दोनों को मैंने अब बोला की तुम दोनों कपडे मत पहनना और मैं भी नहीं पहनूंगा!

फिर हम लोग हॉल में आये. मैंने अपने बेग से एक ट्रिपल एक्स मूवी की सीडी निकाली जो मैं अपने दोस्त के पास से ले के आया था. और साथ में वाएग्रा की गोली भी. चेतना से दूध मंगवा के मैंने वो गोली दूध के साथ खा ली. और फिर मैंने सीडी को अपने लेपटोप में डाली और एचडीएमआई केबल से लेपटोप को टीवी से कनेक्ट कर दिया. हम तीनो अब टीवी पर ट्रिपल एक्स हार्डकोर चुदाई देखने लगे. चेतना मेरे घुटनों के पास बैठी थी. और सपना भी अब आ के बैठ गई. मेरा लंड अब वाएग्रा की असर के चलते खड़ा होने लगा था. सपना ने उसे अपने हाथ में लिया और थोडा हिला के मुहं में भर लिया. उसने चूस चूस के लंड को पूरा खड़ा कर दिया. और तब चेतना निचे मेरे टट्टे मुहं में डाल के चूसने लगी. दोनों के ही मुहं से चुदासी आवाज आ रहे थे. और वो दोनों बड़े ही सेक्सी ढंग से लंड को चूसने लगी थी. मैं भी आहें भरने लगा था क्यूंकि मुझे भी उनके लंड और टट्टे चूसने से अलग ही मजा मिल रहा था.

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करीब पांच मिनिट तक दोनों ने लंड चूसा. और फिर मैंने सपना को सोफे पर डाला और उसकी चूत को चाटने लगा. उसकी चूत से अलग ही स्मेल आ रही थी. मैंने चूत में एक ऊँगली डाली और चूत के दाने को हिलाया. और फिर से मैं उसे चाटने लगा. उधर चेतना ने अपनी चूत को सपना के मुहं पर लगा दी. इस तरह से दोनों को चूत चटाने की मजा मिल रही थी. मेरा लंड एकदम लोहा हुआ पड़ा था तब!

सपना की चूत कुछ देर और चाटने इ बाद अब मैंने उसकी टांगो को खोला. उसकी चूत टाईट तो नहीं थी. मैंने अपने लंड को लगाया और उसे चोदने लगा. वो अह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह कर रही थी और मैं जोर जोर से धक्के मारता गया. और फिर कुछ देर ऐसे मिशनरी में चोदने के बाद मैंने अब उसे घोड़ी बनाया. तभी चेतना भी वहाँ आ गई और वो सपना के बगल में घोड़ी बन गई. मैंने लंड सपना की भोस में डाला और चेतना की चूतड और उसकी चूत को मैं ऊँगली से हिलाने लगा. वो अह्ह्ह अह्ह्ह कर के मुझे और सेक्सी बना रही थी.

सपना अपनी गांड को आगे पीछे कर के मस्त हिला रही थी. और मेरा लंड पच पच की साउंड से उसकी चूत में अंदर बहार होने लगा था.

करीब 6 -7 मिनिट उसको घोड़ी बना के चोदने के बाद मैंने अपने लंड को निकाल के उसके मुहं में दे दिया. वो लंड के उपर लगा हुआ सब प्रवाहि और गाढ़ा चिकना माल चाट गई. वो माल उसकी चूत का था मेरे लंड का नहीं. और फिर मैंने अपने लंड को चेतना की भोस में डाल दिया. वो सिहर उठी और अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी. मैंने उसके बोबे पकडे और उसे जोर जोर से पेलने लगा. वो अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह उह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह कर रही थी और मैं धक्के पर धक्के दे के उसे चोदता गया.

करीब 10 मिनिट और चोदने के बाद मैंने अपने लंड का पानी चेतना की भोस में ही उड़ेल डाला. वो खुश हो गई और मैंने उसके ऊपर ही लेट गया.

दोस्तों दोनों कामवाली ने मेरे को बोला की मेरा लंड काफी बड़ा था उम्र के हिसाब से. और तभी पोर्न मूवी में एनाल का सिन भी आ गया था. मेरा भी मन था एनाल सेक्स करने का. तो मैंने चेतना को कहा, वो बोली हाँ लेकिन दर्द बहुत होगा उसमे.

मैंने कहा जितना दर्द होगा मजा भी उतना ही आएगा!

दोस्तों मैंने दोनों ही की गांड की चुदाई की थी लौड़े से. वो भी एक पूरी कहानी है, जो मैं आप लोगो के लिए जल्दी ही लिखूंगा!