मस्त पड़ोसन ने मेरा बड़ा पाइप माँगा

आप सभी को मेरा नमस्कार..
दोस्तो, मेरा नाम विपुल है और मैं देहरादून का रहने वाला हूँ. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. यहाँ की सभी सेक्स स्टोरी तो नहीं लेकिन जब भी समय मिलता है, अन्तर्वासना पर प्रकाशित मादक कहानियों का मजा जरूर लेता हूँ. काफी दिनों से मेरे मन में भी था कि मैं भी अपने जीवन की सच्ची कहानी आप लोगों के सामने रखूं ताकि आप लोग भी इस कहानी का आनन्द ले सकें. दोस्तो ये मेरी पहली कहानी है, हो सकता है मन की बात शब्दों में लिखने में कुछ गलतियां हो जाएं तो स्वीकार कर लीजिएगा और मुझे अवगत भी कराना ताकि गलतियों को सुधार सकूं.

मैं गुड़गांव में एक ऑटोमोबाइल कम्पनी में नौकरी करता हूँ और अपने परिवार के साथ यहीं रहता हूँ. जहां मेरा घर है, उसी के पड़ोस में एक घर है, जो कि किराये के लिए ही बनाया हुआ है. उसमें हिसार का एक परिवार रहता है.

उस परिवार में एक लड़की जो की MBBS कर रही थी और एक लड़का बीटेक कर रहा था. वे दोनों घर से बाहर ही रहते थे, उनके माता पिता ही यहां रहते थे. दो युवा बच्चों के बाद भी मेरी पड़ोसन का बदन एकदम मस्त था, जो भी उसको देखता वह उसको चोदने की जरूर सोचता. दोस्तो जो मेरी पड़ोसन थी बिल्कुल कयामत थी, उसको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था और दिल करता था कि अभी उसकी चुत में लंड डाल दूँ. वह है ही इतनी सुंदर कि मन बिना चुदाई की बात सोचे रह ही नहीं पाता था.

उसका नाम अंजलि (बदला हुआ नाम) था. अब मैंने उसको हर हाल में चोदने की सोच लिया था. पड़ोसी होने के नाते अंजलि का मेरे घर आना जाना था और वो मेरी बीवी के पास आती रहती थी, जिस वजह से मेरी उससे थोड़ी बहुत बात हो जाती थी.

बातों बातों में मैं ये जान चुका था कि अंजलि भी चुदने को जल्दी ही मान जाएगी.

अब मैं अंजलि को चोदने की तरकीब सोचने लगा. सन 2015 में दीपावली से 2 दिन पहले यानि के धनतेरस के दिन मैं अपने घर के मेन गेट को पानी से धोकर साफ़ रहा था. तभी अंजलि आई और बोली- तुम अपना पाईप दे दो, मुझे भी गेट धोना है. तुम्हारा पाईप बड़ा है और मेरे पास जो पाईप है वो जरा छोटा है.
यह कह कर वो हंसने लगी.
मैं समझ गया कि अंजलि बात कहीं और की ही बोल रही है.

मैंने लंड पर हाथ फेरते हुए अंजलि से बोला- कोई बात नहीं मेरा पाईप बड़ा है, तुम ले लो और जब भी जरूरत हो आगे भी ले लेना.

दोस्तो जब हमारी ये बातें हो रही थीं, तब मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने देखा कि अंजलि की नजर भी मेरे लंड पर थी. मैंने पूछा- क्या देख रही हो?
तो वो शरमा गई.
अब मुझे यकीन हो गया था कि अंजलि भी मेरे लंड से चुदने को तैयार है.

चूंकि अंजलि मेरे बगल के घर में ही रहती थी, जिससे कि अंजलि का मेरे घर आना जाना कुछ ज्यादा ही था. अंजलि का मोबाइल नम्बर भी मेरी बीवी के पास था तो मुझे उसका नम्बर पाने में कोई परेशानी नहीं हुई.
एक दिन मैंने अंजलि को फोन किया और बोला कि मुझे तुमसे मिलना है और कुछ बात करनी है.
पहले तो अंजलि ने मना कर दिया लेकिन मेरे ज्यादा कहने पर बोली कि ठीक है मैं रात को 8 बजे छत पर आ जाउंगी, तुम भी आ जाना.

उसके घर और मेरे घर की छत दोनों मिली हुई थीं तो कोई परेशानी भी नहीं थी. अब मैं रात के 8 बजने का इन्तजार करने लगा. उस समय मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा.

जैसे ही मैं छत पर गया, अंजलि छत पर ही थी. मैं उसी की छत पर चला गया. उस समय मेरी जो हालत थी दोस्तो, आप समझ सकते हैं. मेरी गांड फट रही थी कि कोई देख ना ले. मैंने जाते ही उसको पकड़ कर एक किस किया. थोड़ा तो उसने नाटक किया.. फिर मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया.

इसके बाद मैंने 5 मिनट तक अंजलि को चूमता रहा. उस समय मेरा लंड लोअर में बिल्कुल खड़ा हो गया था. अंजलि ने मेरा लंड पकड़ लिया और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. फिर उसने मेरे लोअर में हाथ डालकर लंड पकड़ लिया. उसने लंड क्या पकड़ा, मैं तो पागल हो गया.

अब मैंने अंजलि को वहीं पानी की टँकी के बाजू में बिठा लिया और उसकी कमीज को ऊपर करके दोनों चूची ब्रा से बाहर निकाल लीं. अंजलि की चूची बहुत ही टाइट थीं, मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि 2 बच्चों के बावजूद भी उसकी चूचियां इतनी टाईट थीं.

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मैंने उसके एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और दूसरे को दोनों उंगलियों के बीच में लेकर मींजने लगा. अंजलि भी आहें भरने लगी. मैं अपना दूसरा हाथ उसकी सलवार में डालकर चुत को सहलाने लगा.
अंजलि ने पेंटी नहीं पहनी थी. उसकी चुत से पानी निकलने लगा. मैंने एक उंगली चुत में डाल दी. मेरी उंगली भी गीली हो गई.

इतनी देर में मेरी बीवी ने आवाज आई- कहां हो?
मैं डर गया कि कहीं ऊपर ही ना आ जाए. मैं अंजलि को नीचे आ गया और बोला कि मैं छत पर घूम रहा था.
इस वक्त मेरा लंड खड़ा था तो मैं आराम से सोफे पर बैठ गया और नॉर्मल होने का इन्तजार करने लगा.

अगले दिन कम्पनी आकर मैंने फोन किया और अंजलि को बोला कि चूत कब दोगी?
वह बोली कि सही समय आने पर दे दूंगी.

अब में सही समय का इन्तजार करने लगा. जल्द ही सही समय भी मुझे मिल ही गया. आख़िर वो दिन भी आ ही गया दिसम्बर में कम्पनी का शट डाउन आ गया और मेरी बीवी और बच्चे नानी के घर चले गए थे. जो लोग अंजलि के मकान में किराये पर रहते थे, वो भी परिवार घर चला गया था. अंजलि का पति भी सुबह 9 बजे चला जाता था.

जैसे ही अंजलि का पति निकला, क्योंकि मैं तो उसके जाने का इंतजार कर रहा था, मैंने अंजलि को फोन किया. उसने बोला कि मैं नहा लूँ.

मेरा लंड तो उसको नंगी सोच कर ही खड़ा हो गया था. बस 9.30 बजते ही मैं छत से कूद कर अंजलि के घर चला गया. तब तक अंजलि नहा चुकी थी और उसने गाउन पहना हुआ था. मैं जाते ही उसको चूमने लगा.
अंजलि बोली कि मैं नीचे गेट को अन्दर से बन्द करके आती हूँ.

जैसे ही अंजलि ऊपर आई… मैंने उसको पकड़ कर उसे उसके बेड पर लेटा लिया और होंठों को चूमने लगा. अंजलि ने ब्रा नहीं पहनी थी. मैं गाउन के ऊपर से ही उसकी चुचियों को दबाने लगा. करीब 10 मिनट तक चूमने के बाद मैंने अंजलि का गाउन निकाल दिया. अब अंजलि की टाइट चूचियां मेरे सामने थीं
मैं एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को मसलने लगा. अंजलि ने अपने पैरों से मेरा लोअर निकाल दिया और अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड पर हाथ घुमाने लगी.

अब मैंने एक हाथ उसकी चुत पर रखा तो देखा कि अंजलि की चूत गीली हो गई थी. मैंने अपनी कमीज और अंडरवियर भी निकाल दिया. फिर अंजलि को मैंने उल्टा किया और उसकी कमर को चूमने लगा. अंजलि के मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज निकलने लगी. मैं अंजलि की गर्दन को चूम रहा था. अंजलि अपनी कमर को बार बार ऊपर नीचे कर रही थी.

इसके बाद अंजलि को मैंने सीधा लेटा दिया और उसके ऊपर आ गया. उसके पेट और नाभि पर किस करने लगा. अंजलि का एक हाथ मेरे लंड पर था और दूसरा मेरी कमर पर था. अंजलि की साँसें काफी तेज हो चुकी थीं.
वो बोलने लगी कि कई दिनों से चुदाई नहीं हुई.

चूंकि अंजलि के पति की उम्र उससे 10 वर्ष ज्यादा थी और वो रोज शराब पीता था इसी कारण इनके बीच ज्यादातर लड़ाई होती रहती थी. खैर छोड़ो.. हम वापस चुदाई पर आते हैं.

अब अंजलि नीचे से ऊपर आ गई और अंजलि मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी. कसम से दोस्तो, आज तक मुझे ऐसा मजा नहीं आया था. अंजलि ने पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. मैं अंजलि के दोनों निप्पलों को उंगलियों से मसल रहा था. अब मुझे भी लगने लगा कि मेरा वीर्य ना निकल जाए. मैंने अंजलि को रोका ताकि हम चुदाई का मजा ज्यादा देर तक ले सकें.

मैंने एक गिलास पानी पिया. उसके बाद अंजलि की एक चूची को पूरा मुँह में लेकर काटने लगा. दोस्तो मैं अंजलि का साइज आप लोगों को बताना ही भूल गया उसके शरीर का फिगर 34-32-36 का है.

अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. अंजलि ने चुत को अच्छे से साफ किया हुआ था और शायद कोई अच्छा डीओ लगाने के कारण चुत से अच्छी खुशबू आ रही थी. मैं भी अपनी जीभ अंजलि की चुत में डालकर आगे पीछे करने लगा. अंजलि भी मेरे लंड को चूस रही थी.

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जब अंजलि को ज्यादा मजा आने लगा तो अंजलि ने चुत का दबाव मेरे मुँह पर बढ़ा दिया, जिससे कि मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी. अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था. अंजलि का भी बुरा हाल हो रहा था.

फिर अंजलि उठी और मेरे लंड पर बैठ कर अपने हाथ से लंड पकड़ कर चुत पर सैट किया और एक ही झटके में पूरा लंड चुत में चला गया क्योंकि अंजलि की चुत पहले ही काफी पानी से गीली हो चुकी थी. इसी कारण लंड को चुत में जाने में कोई परेशानी नहीं हुई.

अब मेरे हाथ अंजलि के दोनों चुचों पर थे और वह पूरे लंड को चुत में लेकर झटके मार रही थी.

कुछ देर की धकापेल के बाद मेरा भी निकलने वाला था. मैंने अंजलि को बेड के किनारे पर डॉगी स्टाइल में किया और एक पैर बेड पर.. और एक नीचे रखा. मेरा लंड अंजलि की चुत में पूरा अन्दर तक जा रहा था.
अंजलि बोली- आह.. आज मजा आ गया.
मेरे धक्कों की स्पीड अब बहुत बढ़ गई थी. मैंने दोनों हाथों से उसकी गांड को पकड़ लिया. अंजलि बोलने लगी- जानू और जोर से धक्के लगाओ..

फिर आठ दस धक्कों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए. हम दोनों एक साथ बेड पर लेट गए. कुछ देर बाद हम दोनों ने कपड़े पहने.

उसने मेरे लिए चाय बनाई.. परांठे बनाए.. हम दोनों ने एक साथ चाय और परांठे खाये और बातें करने लगे.
अंजलि का पति भी रात को 9 बजे तक आता है ओर मेरी भी छुट्टी थी.. इसलिए कोई जल्दी नहीं थी.

हम दोनों ने सोफे पर बैठ कर नाश्ता किया. कुछ देर बाद अंजलि ने फिर अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया. मेरा लंड फिर खड़ा हो गया. मैं अंजलि के दोनों होंठ मुँह में लेकर चूसने लगा.

थोड़ी देर उसके होंठों को चूसने के बाद मैंने उसका गाउन निकाल दिया और अंजलि ने मेरी शर्ट और लोअर निकाल दिया. अब अंजली को मैंने वहीं सोफे पर अपनी गोद में बैठा लिया. मेरी ओर अंजलि पड़ोसन की गांड थी. मेरे दोनों हाथ अंजलि के चुचों पर थे और मेरा मुँह अंजलि की गर्दन पर टिका था.

अंजलि फिर से लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी. मेरा लंड अंजलि की चुत के ऊपर आ गया था. अंजलि अपनी चुत मेरे लंड पर रगड़ रही थी.

मेरा लंड बिल्कुल खड़ा हो चुका था. अब अंजलि सोफे से नीचे बैठ गई. उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी. अंजलि के लंड चूसने का स्टाइल बिल्कुल ब्लू फिल्मों की तरह था. उसने मेरे लंड को बिल्कुल गीला कर दिया था. अंजलि के मुँह का थूक मेरे आंड तक आ गया था और मेरा मुँह अंजलि की चूचियों के निप्पलों को दाँतों से काट रहा था. मैंने उसकी चूची को चूस चूस कर लाल कर दिया था.

अब मैंने अंजलि को सोफे की एक साइड पर डॉगी स्टाइल में किया ओर उसका मुँह सोफे पर लगा कर, अपने लंड को उसकी चुत में एक ही झटके से पूरा अन्दर डाल दिया. अंजलि को थोड़ा दर्द हुआ तो मैं रुक गया और उसकी गांड पर हाथ घुमाने लगा. जब वो थोड़ा नॉर्मल हुई तो मैं धक्के मारने लगा.

दोस्तो, आप जानते ही हैं कि जब हम सेकंड टाइम चुदाई करते हैं तो जल्दी झड़ते नहीं, यही मेरे साथ भी हुआ. अब तक वो दूसरी बार झड़ गई, लेकिन मेरा नहीं हुआ था. मैं लगातार धक्के मारता रहा. लगभग 20 या 25 धक्के मारने के बाद मैं अंजलि की चुत में झड़ गया. अब हम दोनों बिल्कुल थक चुके थे.

थोड़ी देर आराम करने के बाद अंजलि ने काफी बनाई और हम दोनों ने पी.
अंजलि ने कहा कि आज ‘जी सा आ गया…’ दोस्तो हरियाणवी में ‘जी सा आ गया..’ का मतलब होता है कि बहुत मजा आया.

यह थी मेरी रियल सेक्स स्टोरी जो कि बिल्कुल सत्य है, इसमें एक भी शब्द बनावटी नहीं है. अगर आपको पसंद आई हो तो मुझे मेल के द्वारा बताना कि आपको ये सेक्स स्टोरी कैसी लगी.

दोस्तो, आप अपने सुझाव भी अवश्य देना ताकि अगली स्टोरी और अच्छे से लिख सकूं. अगली कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे अंजलि ने अपनी शादीशुदा ननद को मुझसे चुदवाया.
मेरी मेल आईडी है.
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