हाय फ्रैंड्स, मैं सपना आपके सामने फिर एक नई जवान लड़की का सेक्स के प्रति डर और सुहागरात के पहले सेक्स में होने वाला दर्द क्या होता है, वो बताने जा रही हूं।
इस सेक्सी कहानी में कुछ भी कल्पनिक नहीं है बस कुछ जगह को परिवर्तित किया है और कुछ ऐसी बातें में बता रही हूं जो इस कहानी की नायिका ने नहीं बताई हैं या वो बता नहीं सकती। पर मैं एक लड़की होने के नाते खुद महसूस करके नायिका की कहानी में लिख रही हूं।
यह कहानी मेरी सहेली नज़मा की है. जिसके बारे में आपको पहले बताया था कि हम दोनों कई बार आपस में ही मिलकर आधा अधूरा सेक्स कर लिया करती थी और लेस्बियन सेक्स से ही अपनी वासना को शांत कर लिया करती थी।
पर ये सब करना हमारे दोनों के लिए ही नाकाफी था। बस अब तो मन करता था कि कहीं से भी कोई जवान लौड़ा मिल जाए तो इस सेक्स की भूख को शांत किया जाए।
नहीं तो इस आग में अब और नहीं जला जाएगा.
यह कहानी कोई 3 साल पुरानी है और आज मेरी सहेली से बात हुई थी फोन पर … आज वो सब बातें ताज़ा हो गई। और हमारी तब की बातें और उसका पहली बार सेक्स में होने वाले दर्द डर याद आ गया।
कैसे उसने पहली बार सेक्स किया था और उसका कितना डर पहले था और कितना दर्द जब सेक्स किया तब हुआ, मैं वो सब आपके सामने लिख रही हूं।
जब हम दोनों लेस्बियन करती थी तो में उसकी चूत में दो या कभी कभी तीन उंगलियां भी डाल देती थी और वो फिर भी मज़े लेकर झड़ती थीं।
पर अब कई दिनों से उसे भी लौड़े का स्वाद लेने का मन हो रहा था।
अब मैं भी ऐसे एकदम से उसके लिए लौड़े की व्यवस्था कहां से करती?
पर मैं उसे कहती कि कुछ ना कुछ जुगाड़ करूंगी तेरे लिए भी!
तो नज़मा कहती- यार तू अपने जीजाजी का लंड ही दिला दे।
मैंने उसे बता चुकी थी कि मेरे जीजाजी का लंड मेरी चूत में चुका है. पर वो सेक्स के दर्द से डरती भी बहुत थी।
मैंने उसको विश्वास दिलाया कि करूंगी कोई इंतजाम तेरी चूत का उदघाटन भी कभी … पर सही वक्त आने दे।
फिर कुछ दिनों बाद जीजाजी आये तो अकेले में मुझे पकड़ लिया और चुम्मा चाटी करने लगे।
मैंने कहा- जीजू, कोई देख लेगा.
फिर उन्होंने मुझे कहा- रात को आना, छत पर कुछ करेंगे.
तो मैंने कहा- ठीक है.
और भाग गई वहां से।
फिर रात को जीजाजी से मैंने सेक्स किया. और बातों ही बातों में मैंने उनको कह दिया कि मैंने हमारी बातें मेरी सहेली नज़मा को बता दी हैं.
तो जीजाजी ने बनावटी गुस्सा किया और पूछा- फिर तेरी सहेली ने क्या कहा?
मैंने जीजू को बता दिया कि नज़मा को भी किसी से चुदाई करने की इच्छा है. पर उसे चुदाई कराने में डर भी लगता है. तो किसी से चुदाई नहीं करवाएगी वो!
तो जीजाजी ने कहा- उसे कोई सेक्स से पहले खूब प्यार करे और फिर सेक्स भी प्यार से करे तो दर्द होगा ही नहीं, केवल आनंद ही आनंद आएगा।
मैंने पूछा- आपकी नज़र में ऐसा कोई है क्या?
तो अब जीजाजी का मन इतना खुश हुआ कि उनको तो मानो एक और सील बंद लिफाफा मिल गया।
वो मुझे बांहों में लेकर बोले- तेरे साथ ही है ना जो यह काम आराम से कर सकता है.
तो मैंने कहा- ऐसा नहीं होगा. आप तो मेरे हो ना!
जीजाजी ने कहा- वो भी तो तेरी जिगरी सहेली है ना … तो तुम उसकी खुशी के लिए इतना भी नहीं कर सकती क्या?
तो मैंने कहा- लेकिन वो आपके पास या फिर आप उसके पास कैसे जा सकते हो? क्योंकि ऐसा करने से कोई देख लेगा तो क्या होगा?
जीजाजी ने कहा- जिस दिन नज़मा के घर या फिर तेरे घर कोई नहीं होगा, तब मुझे बताना तो तेरी सहेली की प्रॉब्लम का हल निकालूंगा।
तो मैंने उनको हां कर दी और हम दोनों जीजा साली सेक्स करने लगे।
आज जीजाजी कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गए थे नई चूत का मिलने का सुनकर … तो मुझे इतनी तेज चोद रहे थे जैसे आज के बाद उनको कोई चूत मिलेगी ही नहीं जीवन में चोदने के लिए।
और जीजू के लंड के झटकों से मेरी बेचारी चूत का बुरा हाल हो रहा था।
पर क्या करती मैं भी … मुझे तो जीजू ने पूरी तरह से दबोच रखा था।
मेरे प्राण निकलने को हो रहे थे और मन चीखने का हो रहा था. पर घर पर और भी सब थे तो दांत भींच कर मैं अपने जीजू से अपनी चूत चुदवा रही थी. मेरा पानी भी कई बार निकल गया था लेकिन जीजाजी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, वो तो बस दबादब अपनी साली की चुदाई करने में लगे थे।
आज कोई एक घंटे तक जीजू ने मुझे मचक कर चोदा और फिर वो झड़े तब मुझे सांस आयी।
दूसरे दिन जीजाजी मुझे वादा करवा कर गए कि अपनी सहेली नज़मा का काम सेट करू मैं!
तो मैंने कहा- उसको पूछ कर बताऊंगी.
जीजू ने कहा- एक दिन पहले बता देना तो मैं आ जाऊंगा।
और जीजाजी वापस चले गये।
कोई 20 दिन के बाद नज़मा के मामू के यहां पर कोई प्रोग्राम था तो उसके अम्मी अब्बू वहां गए और नज़मा की एग्जाम होने की वजह से उसे नहीं लेकर गए। और उसके पास रहने के लिए मुझे बोल कर गए।
जैसे ही उसके अम्मी अब्बू गए तो मैंने जीजाजी से बात कर ली और कहा- आज मौका है मेरी सहेली का काम करने का!
तो जीजाजी ने कहा- मैं रात को 10 बजे आ जाऊंगा. जब मैं वहां आऊँ तब तुम दोनों आपस में सेक्स करती हुई मिलना जिससे वो चुदाई के लिए मना ना कर सके. वो तब सेक्स के लिए गर्म भी हुई रहेगी तो सब हो जाएगा आराम से! और तुम भी उसे तैयार करना थोड़ा सा।
तो मैंने जीजाजी के प्लान पर काम करना शुरू कर दिया.
मैंने शाम को जल्दी खाना खाया और मेरी मम्मी को बोल दिया कि आज मुझे सहेली नज़मा के घर जाना है सोने के लिए.
तो मम्मी ने मुझे भेज दिया।
मैं नज़मा के पास आ गई और उसके काम में हाथ बंटाने लगी। कुछ देर में हमने काम खत्म कर लिया और टीवी देखने लग गयी।
अब तो बस 10 बजे का इंतजार कर रही थी. नज़मा को ये सब बताया नहीं था मैंने कि आज उसकी सेक्स की इच्छा पूरी होने वाली है.
तो मैं बस इंतजार कर रही थी 10 बजने का।
मुश्किल से सवा नौ बजे … तब मैं नज़मा को अपनी बांहों में भर कर उसे किस करने लगी तो वो भी प्रतिउत्तर देने लगी।
मैंने अपना कुर्ता खोल दिया और उसका भी खींचने लगी तो उसने भी उतार दिया. मैंने उसकी सलवार भी खोल दी। अब वो ब्रा और पैंटी में थी और क़यामत लग रही थी।
सच बताऊं तो वो मेरे से भी बहुत सुंदर है और इसकी क्लीवेज तो इतनी मस्त लगती है कि किसी बुड्ढे का लौड़ा भी एकदम से खड़ा हो जाए।
बहुत ही मस्त बदन है नज़मा का।
नज़मा के जैसी एक सहेली और भी है मेरी पर ये भी बहुत ही सुन्दर है। नज़मा की हाईट 5 फीट 4 इंच और वजन कोई 50 किलो के करीब है और जिस्म का साइज 32 30 32 है। चेहरा ऐसा कि जैसे बादलों में से अभी अभी कोई चांद निकलकर आया हो।
नज़मा के होंठ देखे तो मधु जैसे मीठे और नयन कजरारे, तीखी और सुंदर सी उसकी नाक, ताजा खिले हुए गुलाब के जैसे कोमल उसके गाल मानो कोई हुस्नपरी आ गई हो जमीं पर!
नज़मा की तारीफ में मैंने कुछ ज्यादा नहीं कहा है, वो है ही इतनी सुन्दर।
अब हम लोग ऐसे ही दोनों आपस में चूमा चाटी कर रहे थे।
मुझे तो 10 बजे तक टाइम पास करना था और कर रही थी। वो भी कुछ कुछ कर रही थी।
मैं बाथरूम जाने का बोल कर बाहर गई और मेन गेट को अंदर से खोलकर और अपनी चूत को धोकर वापस आ गई और उसे भी अपनी चूत को धोने के लिए बोला.
तो नज़मा भी अपनी चूत धोने चली गई।
मैंने चुपके से जीजाजी से फोन पर पूछा- कहां हो?
तो बोले- बस में 5 मिनट में आ रहा हूं।
अब नज़मा भी आ गई तो मैंने उसकी पेंटी निकाल दी और सहेली की चूत को अपने ऊपर लेकर चूसने लगी। वो मेरे ऊपर आकर मेरे बूब्स चूसने लगी।
मैंने अपना सर दरवाजे की तरफ कर रखा था और नज़मा का चेहरा उल्टी तरफ। वो इसलिए कि कोई गेट से अंदर आए तो उसे दिखाई ना दे.
ये मैंने पहले ही प्लान बना लिया था।
मैं सहेली की चूत को जोर जोर से चाट रही थी और नज़मा आनंद से सिसकारी भरते हुए मेरे बूब्स मसल रही थी.
अचानक जीजाजी आ गए और हमारा सेक्स का प्रोग्राम देख कर खड़े हो गए।
मैंने उनको देख लिया और चूत चाटने को रोक दिया तो नज़मा ने कहा- रुक क्यों गई? चाट ना … मज़ा आ रहा है।
तो मैंने कहा- यार मेरा मुंह दर्द करने लग गया है.
तो वो बोली- तो कोई लौड़े की व्यवस्था कर दे ना!
मैंने कहा- अभी कर दूँ क्या?
तो नज़मा बोली- यार अभी नहीं!
मैं बोली- क्यों?
मैंने सहेली की चूत फिर से चाटना शुरु कर दिया पर जीजाजी के इशारे से।
मुझे भी जीजाजी की शर्म आ रही थी, पर क्या करती … उनके प्लान में शामिल जो थी में।
अब जीजाजी अपने कपड़े खोलकर धीरे से मेरे पास आए और अपनी एक उंगली सहेली की चूत में डाल दी। नज़मा मचल उठी और मेरी पैंटी को हटा कर मेरी चूत पर अपना मुंह रख दिया और बड़बड़ाने लगी- यार मज़ा आ रहा है! यार जल्दी से अब तो कोई लौड़ा दिला दे!
तो मैंने कहा- किसका दिलाऊँ?
नज़मा बोली- अपने जीजाजी का ही दिला दे।
मैंने कहा- तेरी चूत फट जाएगी तो?
तो बोली- यार तेरी सहेली हूं! यार तू बोलना उनको की पहली बार है तो आराम से डालें वो!
मैंने कहा- ओके, अब डलवा रही हूं तेरी चूत में जीजाजी का लौड़ा! तू तैयार हो जा!
नज़मा अपनी गांड को फैलाकर बोली- हां ये ले … मैं तैयार हूं, डलवा दे लौड़ा।
तो जीजाजी ने सच में उंगली को निकालकर उसकी चूत पर अपना लौड़ा रख दिया और मुझे इशारा किया कि इसकी कमर को उनकी तरफ खींच कर रखूँ।
मैंने अपनी सहेली की कमर को अपने मुंह की तरफ खींचा तो सहेली भी मेरी तरफ पीछे हो गई तो जीजाजी के लौड़े का टोपा सहेली की चूत में थोड़ा सा फंस गया।
सहेली को समझ में नहीं आया तो मेरी चूत को चूसते हुए ही बोली- क्या डाल रही है यार? कहीं सच में ही लौड़ा तो नहीं ले आई है कहीं से?
तो मैंने कहा- आज सच वाला लौड़ा ही है.
और वो बोली- डाल दो … जो होगा, वो देखा जाएगा।
मैंने जीजाजी की तरफ देखा तो उन्होंने इशारा किया कि मैं में डाल रहा हूं।
हम दोनों अब भी ऐसे ही थे जैसे जीजाजी के आने से पहले थे। अब जीजाजी ने ?️ बेड पर घुटने रख कर सहेली की पतली कमर को पकड़ कर एक झटका मार दिया और उनका लौड़ा थोड़ा सा सहेली की चूत में चला गया।
नज़मा उछलकर पीछे देखने लगी।
और जब देखा कि आज सच में जीजा जी लौड़ा डाल रहे थे में उसकी चूत में … तो उसे तो जैसे विश्वास ही नहीं हुआ।
वो शर्म और अचंभे से पागल हुई जा रही थी और मेरी तरफ देख रही थी कि ये कैसे और कब आ गए।
जीजाजी ने उसकी कमर अब भी पकड़ रखी थी और उनका थोड़ा सा लौड़ा अब भी सहेली की चूत में ही था।
और मैं उसकी चूत और जीजाजी के दोनों गोलों के पास अपना मुंह खोले हुए नज़मा के नीचे पड़ी हुई थी।
नज़मा को समझ में ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
चूत में से लौड़ा निकले या लौड़ा पूरा आज डलवाए।
वो तो बस स्टेच्यू बन गई … उसकी आवाज़ ही नहीं निकली। नज़मा बस आंखें फाड़ कर केवल देख ही रही थी।
अब मेरे से भी रहा नहीं गया तो मैंने दोनों को धक्का दिया तब वे अलग हुए और मैं उन दोनों के नीचे से निकली।
मैंने अपने कपड़े खोजने शुरू कर दिया तो अब जीजाजी बोले- रहने दो, अब क्या फायदा कपड़ों को पहनकर। अब तो जिंदगी के मजे लो दोनों. क्योंकि अब सब हो ही गया है तो इसे अधूरा क्यों रखें, पूरा ही करते हैं।
तो मैंने कपड़े पहनने का विचार छोड़ दिया और नज़मा को देखने लगी।
पर वो अभी भी वैसे ही थी। ऐसा लगता था जैसे वो अब कभी कुछ भी नहीं बोलेगी।
मैं उसके पास गई और उसे प्यार से कहा- यार, जो भी हुआ, वो अच्छा ही हुआ। तेरी मनोकामना भी कभी ना कभी तो पूरी होनी ही थी. तो आज ही कर ले. और जीजाजी तुझे कोई तकलीफ नहीं देंगे। तू चाहे तो पहले हम दोनों को देख ले।
इतना बोलकर मैं जीजाजी के पास चली गई और जीजाजी ने मुझे चूमना शुरू कर दिया।
मैंने नज़मा से कहा- पहले हम करते हैं, बाद में तुम्हारा मन हो तो कर लेना, नहीं तो रहने देना।
तो जीजाजी ने कहा- यार सपना, तुमने कई बार आनंद लिया है. तू तेरी सहेली को लेने दो ना।
मैंने कहा- ठीक है. पर मैं यहां नहीं रहूंगी. नहीं तो ये दिल से नहीं करेगी सेक्स।
तो जीजाजी ने कहा- ठीक है, तुम दूसरे कमरे में चली जाओ.
तो मैं दूसरे कमरे में चली गई और वो दोनों अकेले रह गए। पर मेरे मन में अभी भी यही चल रहा था कि इनकी रासलीला तो देखकर ही रहूंगी।
मैंने उनका कमरा पूरा बंद नहीं किया था और ना ही उनको याद आया कि कमरा बंद नहीं किया है। मैंने गेट को कुछ खुला रख दिया जिससे उनके सेक्स को देख सकूं मैं।
फ्रैंड्स, कहानी बहुत लंबी हो गई है तो मैं दूसरे भाग में इस सेक्सी कहानी को पूरी करूंगी।
तब तक के लिए बाय.
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सेक्सी कहानी का अगला भाग: सहेली का अन्तर्वासना और पहला सेक्स-2
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