गन्ने के जूस वाले का मोटा लंड लेकर चूत की खुजली मिटाई

दोस्तों मेरा नाम अमीना खान है और मैं एमपी भोपाल से हूँ. मैं एक हाउसवाइफ हूँ और एमवे में एजेंट हूँ. मेरी एज 37 साल की है और मेरे पति 43 साल के है. मेरे पति गवर्नमेंट स्कुल में पियून है. मेरी फिगर 38 -36 -38 की है और मैं सांवली सी हूँ. मेरे बूब्स और गांड बहुत बड़े है. मेरे पति दिनभर स्कुल में रहते है और मैं एजंट बनाने के लिए और अपने कमिशन के लिए घुमती हूँ. अक्सर मैं मीटिंग के लिए भी होटल वगेरह में जाती हूँ. मेरा अफेयर एमवे के ही एक मेनेजर के साथ में है. और वही मुझे एजंट बनाने में मदद करता है. और बदले में मैं उसे शारीर का सुख देती हूँ. उसका नाम विनोद है और उसकी वाइफ मर गई है. वो रंडवा है और उसे सेक्स की बहुत जी जरूरत सी है. इसलिए मैं उसका यूज करती हूँ अपने फायदे के लिए. वैसे मेरे को भी सेक्स की जररूत रहती है क्यूंकि मेरे पति को अब चोदने में कोई दिलचस्पी नहीं रही है. वो बस काम और घर पर धार्मिक किताबे पढता रहता है.

अक्सर टीचर और प्रिंसिपल लोग मेरे पति को अपने घर के फंक्शन वगेरह में भी काम करने के लिए बुलाते है. ऐसे ही समर के दिन चल रहे थे. दिन तो सन्डे का था लेकिन मेरे पति को उसके एक टीचर ने पार्टी के लिए बुलाया हुआ था. मेरे पति ने पहले ही बोला था की मेरे को शाम का खाना वही खाना है. इसलिए मैं समझ गई की पार्टी के बाद उन्हें आने में कम से कम रात तो होनी ही होनी है. मेरे बेटे अमित ने भी बोला की मम्मा मैं फुटबोल के लिए जा रहा हूँ और शाम को हम लोग अपने एक दोस्त के घर खायेंगे.

मैं घर पर अकेली ही रहने वाली थी. और होर्नी भी फिल कर रही थी. विनोद को कॉल किया तो उसके वहां उसकी बहन और जीजा आये हुए थे. मन हल्का करने के लिए मैं एमवे की फ़ाइल ले के एक प्रोस्पेक्टीव क्लाइंट के वहां गई. दोपहर थी और गर्मी भी खूब थी. क्लाइंट ने भी ऑलमोस्ट हड़का ही दिया क्यूंकि सन्डे जो था. मैं मन ही मन उसे माँ बहन की गालियाँ देते हुए वापस आ गई. और मेरे घर के सामने जो खुला मैदान सा है वहां गन्ने के ज्यूस वाला इकबाल भाई है उसके वहां बैठी प्लास्टिक की चेयर पर. अपने गोगल्स निकाल के मैंने कहा एक ज्यूस तो पिला दो यार.

वो बोला, हां बैठो भाभी.

वो लुंगी पहने हुए था और मैं मन ही मन सोचने लगी की इसका लंड कितना बड़ा होगा! और ये सोचने से मेरे अंदर की औरत जाग गई. मैं गरम हो गई थी. और मैंने सोचा की अगर आज ये मुझे चोदे तो मैं उसका भी लंड ले लुंगी. वैसे दोपहर की वजह से रोड सन्नाटा था और मेरा घर वहाँ से कुछ सो दो सो फिट की दुरी पर ही था. मैंने उसे उत्तेजित करने के लिए अपने दुपट्टे को हटा दिया. अंदर मैंने टॉप पहना हुआ था. इकबाल के ठेले पर अब कोई और कस्टमर भी नहीं था. मैंने कहा आज तो बहुत ही गर्मी है.

और ऐसे बोलते हुए मैंने धीरे से अपने टॉप के एक बटन को खोला और टॉप को हिला दिया जैसे मैं अंदर हवा डाल रही थी. इकबाल ने मुझे देखा तो मैंने उसे स्माइल दे दी. और उसकी आँखों में अपनी आँखे चिपका सी दी. वो पहले तो नजरें चुराने की फिराक में था. लेकिन फिर जब मैंने टॉप को और हिलाया तो वो वही देखता रहा. फिर लुंगी के ऊपर उसने हाथ डाला और लंड को थोडा पकड के पॉकेट बिलियर्ड खेल के बोला, हाँ बड़ी गर्मी है आज तो सुबह से ही.

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मैंने गन्ने का ज्यूस खत्म कर लिया और वो बोला, और दूँ?

मैंने कहा, छुट्टे पैसे नहीं है मेरे पास?

वो बोला आप से किसने पैसे मांगे भाभी?

मैंने कहा, घर पर है छुट्टे पैसे, आओगे तो दे दूंगी.

और ये कह के मैने लुंगी के ऊपर देखा जहाँ पर उसका लंड था. वो मेरी बात का मलतब समझता था. वो बोला भैया नहीं है क्या आज?

मैंने कहा, भैया काम से और बेटा खेलने गया है.

और उसने लुंगी में लंड को फड़का दिया और बोला, चलो फिर छुट्टे पैसे दे ही दो मेरे को आप.

और वो बोला, मुझे भी कुछ काम से जाना है इसलिए बंद ही कर रहा था. उसने मशीन के आगे लोक किया और गल्ले से सब पैसे ले के अपनी जेब में डाल लिए. मैंने दूसरा ग्लास भी ख़त्म किया और उसको बोला, मैं जा के दरवाजा खोलती हूँ फिर आओ आप. मैंने ये कह के आगे चली और तिरछी नजर से देखा तो वो मेरे पिछवाड़े को ही देख रहा था. मैंने भी गांड को एक्स्ट्रा झटके दे दिए उसके लंड को और टाईट करने के लिए.

इकबाल भी मेरी गांड को देख के अपने मुहं से लाळ टपकाने लगा था. और वो मेरे पीछे कुछ देर के बाद आया जब तक मैं दरवाजा खोल चुकी थी, साला होशियार भोसड़ी का!

मैंने दरवाजे को पहले बंद नहीं किया एकदम से, शायद कोई देख रहा हो इस डर से. इकबाल अंदर आ गया था और उसे देख के मेरा दिल जोर जोर से धडक रहा था. पता नहीं आज मुझे क्या हुआ था! मैंने पहले कभी ऐसी हिम्मत और जुर्रत नहीं की थी पराये लंड को लेने के लिए. इकबाल को एक कौने में खड़ा कर के मैंने विंडो से बहार देखा. रोड पर बस एक कुत्ता था जो छाँव की तलाश में था और इधर मेरी चूत को लंड की आग की जरूरत थी. इकबाल मेरे पीछे आ गया और साले ने अपनी लुंगी को ऊपर कर के अपने लंड को मेरे कुल्हें को टच करवा दिया. बाप रे साले के लौड़े में क्या आग थी! मैं तो ऊपर से निचे तक पानी पानी हो गई थी उसके लंड का स्पर्श पा के.

मैंने विंडो को बंद कर के उसकी तरफ देखा और कहा, क्या कर रहे हो?

वो बोला, साली छिनाल जो करवाने के लिए ले के आई है वही तो कर रहा हूँ!

मैंने लुंगी हटा के उसके लंड को देखा तो मेरी आँखे खुली की खुली रह गई, वो किसी सांडे के जैसा लंड था जिसका मुहं एकदम फुला हुआ था. और नीछे के अंडे लंड के मुकाबले एकदम छोटे लग रहे थे. वो लंड पूरा के पूरा तना हुआ था. मैंने उसे अपने हाथ में पकड़ा और उसे हिलाने लगे. इकबाल के हाथ मेरे चुचियों पर थे और वो उन्हें एकदम कस कस के मसल रहा था जैसे उन्हें बॉडी से नोंच लेनी हो. फिर वो मेरे पेट के ऊपर हाथ रख के मेरी नाभि के बटन से खेलने लगा. मैं सच कहूँ तो मेरा कोई इरादा नहीं था रोमांस का इकबाल के साथ. मेरे को तो बस अपनी खुजलीवाली चूत को शांत करवानी थी और मौका देख के मैं उसे यही काम के लिए अपने साथ ले के आई थी. लेकिन वो शायद प्यार का भूखा था इसलिए कभी मेरे बूब्स को टॉप के ऊपर के खुले हुए हिस्से से तो कभी टॉप को ऊपर कर के मेरे पेट को चाट रहा था.

मुझे दिमाग में आइडिया आया की क्यों ना इस से अपनी चूत चटवा लूँ. मैंने पोर्न में बहुत बार ये सिन देखा था. लेकिन ना ही विनोद ना ही मेरा पति मुहं मारता था मेरी वजाइना पर. मैंने इकबाल को साइड में किया और उसके सामने न्यूड हो गई. और फिर अपनी टाँगे फैला के उसे नखरे से इशारा कर दिया. वो इशारा मैंने होंठो पर ऊँगली रख के फिर उस ऊँगली को चूत पर दबा के किया था. इकबाल समझ गया की उसे क्या करने को कहा गया था. वो सीधे निचे बैठ गया और उसने अपने कंधो के ऊपर मेरी दोनों टांगो को रख दिया. और मेरी चूत को कुत्ते के जैसे खाने लगा. वो अपनी लम्बी जबान से मेरी चूत के दाने को तो कभी चूत की फांको को लपलप कर रहा था. उसके एक एक टच से मेरे तन बदन में अलग ही जवाला भड़क रही थी. मैंने उसके घुंघराले बाल पकडे और उसे अपनी चूत पर दबा दिया. वो इसके लिए रेडी ही था. मौका देख के उसने अपनी जबान को मेरी चूत में घुसा दी और चाटने लगा. वो पल मेरे लिए किसी क़यामत से कम नहीं था. मैं इश्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह कर उठी और एक मिनिट में तो उसने मेरी चूत का पानी छुडवा दिया!

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इकबाल ने अब खड़े हो के मेरी टांगो को उपर ही रहने दी. और फिर अपने लंड को मेरी चूत के पास ले आया. लंड को चूत के मुख पर रख के एक ही झटके में उसने उसे अंदर करना चाहा. लेकिन उसका लंड काफी बड़ा था इसलिए मेरे मुहं से एक जोर की आह निकल गई. गरम गरम लंड मेरी चूत को चमड़ी को छिल रहा था. लेकिन कसम से जो मजा था वो आज से पहले कभी नहीं आया था. इकबाल ने मेरे बूब्स को मुहं में ले लिया मेरे बदन के ऊपर झुक के. मेरी टाँगे अब बेड पर आ गई थी. उसने अब और एक झटके में पुरे लंड को अंदर कर दिया. और वो एकदम स्पीड बढ़ा के मेरी चूत की चुदाई करने लगा. वाह क्या धक्के दे रहा था ये गंवार!

उसका लंड भी लोहा था एकदम लोहा, जो गरम भी था और सख्त भी. मैं दोनों हाथ से उसकी गांड को दबा रही थी ताकि मैं लंड को और अंदर तक ले के उसे भोग सकूँ. इकबाल ने अब अपने गंदे तम्बाकू वाले दांत दिखाते हुए मुझे किस करना चाहा. लेकिन मैंने उसे धक्का दे के कहा, जो करने आये हो वो कर लो चुपचाप से. मेरे को होंठो पर और गालो पर मत चूमना.

उसके मुहं पर थोड़ी सी हताशा सी दिखी लेकिन मेरे बूब्स को मुहं में भर के उसने अपनी हताशा को छिपा ली. वो बूब्स को दांत चिभा के किस कर रहा था. शायद मैंने उसका अपमान कर दिया था उसकी सजा मेरे को दे रहा था. लेकिन वो सजा की भी अपनी अलग ही मजा थी जैसे!

इकबाल ने मेरे को 10 मिनिट तक हिला हिला के चोदा और साले का लंड पानी ही नहीं छोड़ रहा था. गांड हिला हिला के मैं भी थक सी गई थी. मैंने उसे कहा तो वो बोला, आप कुतिया बन जाओ उसमे मेरा पानी जल्दी निकलता है भाभी.

मैं डौगी पोज़ में आ गई उसके सामने. और फिर उसने अपने लंड को पीछे से मेरी चूत में पेला. उसका लंड जा के मेरी बच्चेदानी को टकरा रहा था. और इस वजह से मेरे को और भी उत्तेजना मिल रही थी. और इस पोज में उसने मेरे को पांच मिनिट और ठोका. और उसके बाद उसके लंड का गाढ़ा गाढ़ा पानी मेरी चूत में जा मिला. मैं शांत हुई चूत की खुजली दूर होने से. मैंने उसे कहा जल्दी से कपडे पहनो और भागो यहाँ से.

वो चला गया. मुझे काफी बुरा लगा ऐसे किसी गंवार गन्ने के ज्यूसवाले से चुदवा के. लेकिन चूत की खुजली ने ही सब करवाया था. इकबाल आज भी मेरे को चोदने को बेताब लगता है. लेकिन मैं उसके बॉस कभी उसके ठेले के पास गई ही नहीं!!!