इन्दौर में दो लंड और तीन चुत का ग्रुप सेक्स-1

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नमस्कार, दोस्तो, मैं रवि आप का एक बार फिर से स्वागत करता हूँ, और आप सभी का धन्यवाद करता हूँ कि अपने मेरी कहानियों को पढ़ कर मुझे बहुत प्यार दिया।
सभी चुत वालियों को भी धन्यवाद जिन्होंने मेरी कहानियाँ पढ़ कर अपनी चुत खोल कर मुझे इमेल्स भेज कर प्यार दिया। कुछ लड़कियों, महिलाओं ने अपनी चुतों की फोटो भी इमेल्स के जरिये भेजीं, उनकी चुतों पर मेरे द्वारा एक प्यारा सा चुम्बन और अपने लम्बे लंड का स्पर्श!
कुछ कपल्स ने भी मुझे प्यार भेजा, उन सभी दोस्तों का बहुत बहुत धन्यवाद!

दोस्तो, हम सभी की बातें जो इमेल्स पे होतीं हैं, वो सभी अति गोपनीय रहती हैं और मैं कभी भी किसी भी कपल, लड़की या महिला का ईमेल पता या हमारी बातचीत को आगे नहीं बता सकता, इसलिए आप निश्चिन्त होकर पहले की तरह बातें करते रहिये।
दोस्तो, सभी चुत वालियों और लंड वालों का पानी इस कहानी को पढ़ कर जरूर निकलेगा क्योंकि इस कहानी में बहुत ज्यादा कामुकता है और कपल्स के लिए भी यह कहानी अच्छी साबित होगी।

यह कहानी है मेरे कपल दोस्त सारिका और विनय की! दोस्तो, सारिका और विनय तो मुझसे बहुत ही खुले हुए हैं जो इन्दौर में रहते हैं और मुझसे अच्छे रिलेशन रखते हैं।
सारिका काफी दिनों से मुझे मिलने के लिए बुला रही थी, मैं जा नहीं पा रहा था, इसलिए अब मुझे कुछ दिन पहले ही इन्दौर जाने का मौका मिला तो मैंने उन्हें बताया, वो बहुत खुश हुए।

मैंने अपने साथ अपनी एक दोस्त जिसका नाम आंचल है, को फोन किया, आंचल ने जब सारिका और विनय का नाम सुना तो वो झट से जाने के लिए तैयार हो गई, क्योंकि आंचल, विनय, सारिका और मैं हम सभी आपस में काफी करीबी दोस्त हैं और मौका मिलने पे अक्सर सेक्स करते रहते हैं।

तभी आंचल ने तुरंत सारिका को कॉल की तो सारिका ने बताया कि उसकी सहेली निशा भी हमारे पास छुट्टियाँ बिताने के लिए आई हुई है, हम दोनों और खुश हो गए कि चलो सभी दोस्त एक साथ इकट्ठे पार्टी करेंगे, क्योंकि निशा भी हमारे लिए कोई अनजान नहीं थी, हम पहले भी निशा को सारिका के साथ कई बार मिल चुके हैं और सेक्स भी कर चुके हैं, परन्तु विनय के साथ निशा को मिलने का यह पहला चांस था।

तय समय पर हम यहाँ से ट्रेन से इन्दौर के लिए निकल पड़े, मैंने और आंचल ने लुधियाना से ट्रेन ली। स्टेशन पर विनय और सारिका के साथ साथ निशु भी हमें लेने के लिए आई हुई थी, हम सभी विनय की कार मैं बैठे और निकाल पड़े उनके घर की तरफ!

हम सफर की वजह से काफी थके हुए थे तो उनके घर जाकर हम करीब 3 घंटे अच्छे से सोये और फिर उठ कर फ्रेश हुए, नहाए और फिर उन्होंने खाना लगाया, खाना हम सभी ने एक साथ ही टेबल पे खाया और काफी हंसी मज़ाक किया।

उसके बाद मैं और विनय मार्किट चले गये अपने काम के लिए और आंचल, सारिका और निशु घर पे थीं। हम करीब शाम को वापिस आये।

रास्ते में विनय और मैंने काफी बातें की और ‘आज चुदाई कैसे की जाए’ उस पर भी थोड़ी बहुत चर्चा की।
निशु ने मेनगेट खोला, उसने सिर्फ एक गाउन पहना हुआ था, हमारे अंदर होते ही उसने गेट को फिर से लॉक कर दिया था।

जब हम अन्दर आये तो देखा कि सारिका और आंचल बिल्कुल बेशर्म होकर सिर्फ ब्रा और पेंटी में काम कर रही थीं, उन्हें देखते ही मैंने कहा- अरे वाह, यह क्या हो रहा है, आज तो बड़े मूड में हैं सब?

तभी सारिका हमारे लिए पानी देते हुए बोली- क्यों मूड में होना नहीं चाहिए क्या?
मैंने कहा- ओ नहीं ऐसी बात नहीं, होना चाहिए परन्तु ये…
मैंने उसकी ब्रा की और इशारा करके कहा तो वो फिर बोल उठी- क्यों अच्छे नहीं लगे क्या ये?
और हंसने लगी।

फिर मुझे विनय ने बताया कि वो अक्सर घर में ऐसे ही रहते हैं, जिस दिन उनका मूड होता है तो वो शाम को बस अंडर गारमेन्ट्स में ही रहते हैं क्योंकि घर में कोई और तो नहीं है। उनके माता पिता दूर के शहर में रहते हैं।

तो मैंने कहा- अच्छा ये बात है! अरे फिर ये तीसरी को भी एक साथ मिला लेते न, इस बेचारी को क्यों अधूरा छोड़ा है?
कहते हुए मैंने निशु की तरफ इशारा किया।

निशु मेरी तरफ देख कर शरमा गई, मैंने निशु के पास जाते हुए कहा- अरे मेरी जान, शर्मा क्यों रही है?
कहकर मैंने उसके पास जाकर हल्के से उसकी गाल पर थपथपा कर आँख मार दी तो वो थोड़ा शर्माते हुए मुस्करा पड़ी।

उसकी मुस्कराहट देख कर मैंने उसकी गाल पे हल्की सी किस कर दी तो वो फिर से शर्मा गई।
सारिका पास आई और बोली- अरे सिर्फ किस से ही काम चलाओगे क्या?
उसकी आँखों में शरारत थी।

मैंने कहा- क्यों उस बेचारी को परेशान कर रही हो?
मेरे इतना कहने पर सारिका और पास आई और निशु के पीछे से उसके गाउन की जिप को खोलते हुए बोली- आपकी भोली भाली जिसे आप कहते हो कि परेशान कर रही हो, को कब से आग लगी हुई है, ये देखो उसने आपके इंतज़ार में नीचे कुछ भी नहीं पहना है, हम तो फिर ब्रा पेंटी पहने हुई हैं।

कहते हुए उसने निशु का पूरा गाउन खोल दिया तो मैंने देखा निशु तो बिल्कुल अल्फ नंगी थी। उसकी सेक्सी गोरी गोरी दूध जैसी छातियाँ और सुडौल जिस्म और सेक्सी बदन देख कर मेरा लंड पैंट में ही नुकीला बनकर तन गया, मैंने निशु को गोद में उठाया और बैड पर पटक दिया और उसके होंठों पर अपने होंठ जमा दिए।

निशा इससे पहले कुछ बोले मैंने हाथ से उसके जिस्म को थोड़ा सहलाया, उसके अंदर छिपी वासना की आग भड़क उठी और तुरंत मेरी पैंट की जिप तक हाथ लेजाकर उसे खोलने लगी।
मैंने उसके होंठों पे एक लम्बी किस की और कुछ देर उसकी चूचियाँ चूसने के बाद अपनी पैंट शर्ट उतार दिए, मैंने आगे पीछे कुछ नहीं देखा, अपनी बनियान और अंडरवियर भी उतार दिया।

अब मेरा लंड निशा के सामने था, निशा ने मेरा लौड़ा पकड़ा और सीधा अपने होंठों पर लगा लिया, कुछ देर तक मेरे लौड़े को बहुत ही कायदे से चूसा जैसे कि मेरे लंड की टोपी पर बहुत ही धीरे धीरे अपने होंठ रखे और फिर अपने होंठों को ऊपर लेजा कर लंड की टोपी जिससे वीर्य और पेशाब निकलता है, वहाँ जीभ रखी, फिर होंठों से लंड का ऊपर का भाग धीरे धीरे अंदर किया और फिर जितना ज्यादा से ज्यादा लंड होंठों के अंदर जा सकता था उतना उसने अपने होंठों के अंदर किया।
फिर ऐसे ही धीरे धीरे पूरा लौड़ा अपने होंठों से बाहर किया, इस तरह उसने 4-5 बार पहले धीरे धीरे और फिर तेज तेज किया।

जब मुझे लगा कि अब मैं बर्दाश्त से बाहर हूँ तो मैंने उसके होंठों से अपना लंड छुड़वाया और उसकी चुत को अपने होंठों में ले लिया। काफी देर तक उसकी चुत का हर हिस्सा मैंने अपने होंठों से चूसा।

निशु की चुत पे अपनी जीभ की लार टपका टपका कर उसे जीभ से ही वहां रगडा और उसकी चुत के दाने पे जीभ फिराते हुए उसकी चुत के अंदर तक जीभ घुमाई। ऐसा करने से निशु की जवानी में आग लग गई, वो लंड पे बैठने के लिए कसमसाने लगी और बार बार आहें भारती हुई कहने लगी ‘उई उम्म्ह… अहह… हय… याह… सी सी बस बस चोदो चोद अंदर आह आह सी सी…’

निशु का इशारा पाकर मैंने धीरे धीरे उसकी चुत के अंदर अपना लंड डाल दिया। अब चुत के अंदर मैं हल्के हल्के झटके लगाने लगा और साथ साथ उसके जिस्म को भी सहलाते हुए मजा देने लगा।

निशु मेरे नीचे थी, मैं ऊपर से उसके अंदर लौड़ा डाले हुए कभी उसे किस करता, उसके होंठ चूसता, कभी उसके मम्मों को चूसता, कभी उन्हें दबाता, कभी उसकी पीठ पर हाथ ले जा कर उसे सहलाता।

मेरी इन हरकतों से वो बहुत ज्यादा उत्तेजित होकर मजा लेकर चुदने में मस्त थी। निशा की चुत में मेरा लौड़ा झटके लगा रहा था, निशा सिसकारियाँ भर रही थी।

पास बैठी आंचल और सारिका हम दोनों को ऐसे चुत चुदाई करते हुए देख रहीं थीं, सारिका के पति विनय आंचल के पीछे आये और मम्मों से पकड़ कर उसे चूमने लगे।

सारिका बोली- सालो, अब इन भोसड़ी वालियों को तो आप दोनों मिल गये, मेरा क्या बनेगा?
यह सुन कर मैंने सारिका को मज़ाक किया- बहन की लौड़ी, तू भी आ जा!

मेरे इतना कहने की देर थी कि सारिका तो सचमुच मेरे पास आ गई और अपनी चुत को मेरे मुंह के पास करके बोली- ले मादरचोद, बहन चोद दे मेरी चुत की, बहुत तड़पा रही है माँ की लौड़ी!
न कहकर उसने भी अपनी ब्रा और पेंटी एक तरफ फ़ेंक दी।

मैंने भी बिना देर किये, अपनी जीभ निकाली और उसकी चुत को चाटने लगा, अब इधर एक तरफ निशा की चुत में मेरा लौड़ा फंसा था तो दूसरी तरफ मैं सारिका की चुत चाट रहा था।

इधर साथ ही सारिका का हसबैंड विनय आँचल के मम्मों और उसकी गांड को सहला रहा था, थपथपा रहा था। आंचल भी मस्ती से विनय का लंड पकड़ कर हिला रही थी।
विनय का लंड भी काफी बड़ा था, आंचल बोली- उई मेरे राजा, आज मेरा हर अंग आपके हवाले है, लूट लो मेरी जवानी को आज राजा!
उअह कह कर उसने विनय का लंड अपने मुंह में ले लिया।

यह बात सुन कर मेरे लंड से चुदवा रही निशा बोली- बहन की लौड़ी, इतना एक्साईटड मत हो, नहीं तो ये तेरी गांड फाड़ देंगे!
तभी सारिका बोली- अरे फटने दे न इसकी गांड, ये तो आई ही यहाँ आज गांड मरवाने है।

यह सुन कर मैंने निशा को कहा- बहन की लौड़ी साली, उसको जो करना है करने दे, तू अपनी बहन चुदवा इधर पहले!
मैंने निशा को कमर से पकड़ा हुआ था और मेरा लंड पूरी तरह निशा की बच्चेदानी पर टक्कर मार रहा था।
निशा के मम्मो को मैंने अपने अपनी छातियों के नीचे दबाया हुआ था और आगे से सारिका की चुत पे तेज तेज अपनी जीभ चला रहा था।

मेरे नीचे चुद रही निशा बहुत तेज तेज सिसकारियाँ लेने लगी थी, उसकी चुत से पानी बहने लगा था और वो ‘उन्ह आह आह सी सी उई’ कर रही थी और अपने चर्मोत्कर्ष का मजा ले रही थी।
मेरा लंड तेज तेज उसकी चुत के अंदर बाहर हो रहा था।

जब मैंने उधर देखा तो विनय और आंचल भी चुदाई में मग्न हो चुके थे।

मैंने सारिका को इशारा किया और सारिका आगे से हट गई और निशा की चूचियां को चूसने लगी।
निशा की चुत के अंदर मैंने अपना पूरा लौड़ा ठोका हुआ था, निशा ने आहें भरी ‘उई आंह में गई आई उई बस बस बस’ और साथ ही अपनी चुत का पानी छोड़ दिया, मैंने भी निशा की चूचियों को अपने मुंह में भींच लिया।

साथ ही सारिका ने ताली बजा कर निशा की चुत के झड़ने का स्वागत किया और बोली- वैरी गुड!
उसके बाद मैं निशा की चुत में लंड की ठोकर लगाता चला गया, जिससे निशा की चुत से रस का कतरा कतरा बह कर टपकता रहा।

सारिका मभी निशा को सहलाती और कभी मुझे किस करती, कभी निशा के मम्मे और चूचियां दबाती, उत्साहित करती हुई कह रही थी- हाँ ऐसे ही चोदो रवि, वाओ मस्त शॉट, इस साली की बच्चेदानी तक डालो लंड! चोद दे इस मादरचोद को, फाड़ डालो आज इसकी… साले लगा दे अपने टट्टों का सारा जोर इसकी चुत में!

मेरा लंड अभी भी उसके अंदर झटके लगा रहा था, निशा ने मुझे अपना लौड़ा बाहर निकालने का इशारा किया।
मैंने निशा की चुत से जैसे ही लंड बाहर निकाला तो तुरंत पास बैठी सारिका ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और होंठों में लेकर उसके ऊपर लंड के छेद के ऊपर जीभ की नोक बना कर जीभ घुमाने लगी, जिस से मेरा गर्म लौड़ा सारिका की जीभ पर बरसने को तैयार हो गया।
मेरे टट्टों से जवानी की लहर उठी जो लंड से होती हुई वीर्य की धार का रूप लेकर सारिका की जीभ पे बरस गई, सारिका ने भी बिना देर किये मेरी लंड से उअफ़न रही जवानी को अपने मुंह में ले लिया, एक भी कतरा इधर उधर न गिरने दिया और चटखारे लेती हुई पीने लगी।

जैसे ही हम ठण्डे हुए तो देखा कि पास ही विनय आंचल की गांड में लंड डाल कर उसे पीछे से चोदने में व्यस्त थे।
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