गांव में पड़ोसन दीदी की यौनवासना संतुष्टि

मैं गोलू अपनी इस यौनवासना कहानी में आपका स्वागत करता हूँ. आप सब को मेरी पिछली कहानियां पसंद आईं और अपने अपने कॉमेंट भेजे, इसके लिए दिल खोलकर शुक्रिया.

कुछ लोगों की शिकायत थी कि कहीं मेरी कुछ सेक्स स्टोरी शायद उन्हें काल्पनिक लगीं, तो मैं केवल इतना ही कह सकता हूँ स्टोरी, स्टोरी है. वो किसी के लिए काल्पनिक तो किसी के लिए वास्तविक हो सकती है. मेरी कहानी किसी के लिए झूठ साबित हो सकती है या कोई ऐसा भी हो सकता है कि किसी ने उसे सच में जिया हो.

कहने का आशय यह है कि आप कहानी को केवल मनोरंजन के लिए पढ़ें. हाँ हो सकता है कि वो आपको पसंद न आए, लेकिन याद रखें कि वो है तो एक कहानी ही. और उस कहानीकार को बताएं कि कहानी कैसी थी. अगर आपको अच्छी नहीं लगी, तो जरूर लिखें कि उसमें क्या खराबी थी. लेखक अगली बार शायद उस पॉइंट पर गौर करे.

जैसा कि मैंने अपनी पिछली कहानियों में बताया था कि मैं ग्वालियर शहर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ और मैं शहर से थोड़ी दूर एक छोटे शहर या कस्बे का रहने वाला हूँ.

यह बात दीवाली की है, जब मैं घर गया था. मैं अपने गांव गया, जहाँ चाची ने मुझे बहुत स्नेह दिया और रात को पिछली बार की तरह बदले में उन्हें प्यार दिया. फिर अगली सुबह हमारे पड़ोस में रहने वाली एक दीदी चाची के पास आईं. चूंकि बचपन में वहीं रहा, उनके साथ खेला कूदा, बड़ा हुआ, तो मैं उनके बारे में सब जानता था. मैं उन्हें नमस्ते कहकर वहाँ से चला गया.

अपने कुछ दोस्तों के साथ बगल वाले गांव से निकलती नदी पर नहाने चला गया, जहाँ हमने ठंडे ठंडे पानी में बहुत देर तक उछल कूद की. जिससे मुझे ज़ुकाम हो गया. शाम के समय तक थोड़ा बहुत बुखार भी आ गया था. बस मैं खटिया पर लेटा था.

चाची बहुत देर से कहीं बाहर गई थीं, तभी वो पड़ोसन, जिसे मैं दीदी कहता था … घर आईं. चूंकि मैं अकेला था, तो वे मेरी खटिया पर बैठकर मुझसे बात करने लगीं. खटिया के पास एक रुमाल पड़ा था, जिससे मैं कई बार अपनी नाक पौंछ चुका था.

उन्होंने उसे उठाया और मुझे डांटते हुए अंदाज में बोला- क्यों बे गोलू … तू ये सब काम कब से करने लगा?
तो मैं बोला- कैसे काम? मैंने क्या गलती कर दी?
वो मुझे रूमाल दिखाकर बोलीं- ये क्या है?
मैं बोला- रुमाल ही तो है, इसमें क्या गड़बड़ है?
वो- क्या पौंछा है इससे तूने?
मैं- क्या आपको क्या दिखता है … मेरी नाक है. कहीं आपने इसे और कुछ तो नहीं समझ लिया?
वो- अरे बेबकूफ ऐसे पौंछेगा तो कोई भी गलत समझेगा ही.
मैं- ये तो समझने वाले के ऊपर है. वैसे अगर ये सचमुच में वही होता तो!
वो- तो तेरी शामत आ जाती अभी.

मैं- वैसे मुझे वो सब अपने आप करने की कोई जरूरत पड़ती ही नहीं, तो कैसी दिक्कत.
वो- मतलब? किससे करवाता है.
मैं- इससे आपको क्या? सबके अपने अपने राज होते हैं.
वो- कैसे राज? कहीं कोई गलत काम तो करके नहीं आया न.
मैं- अरे थोड़ा शांत बैठो, ऐसा कुछ नहीं है. मैं बस मजाक कर रहा था, केवल मजे ले रहा था और कुछ नहीं.
वो- मजाक ठीक है, लेकिन अगर ये सच हुआ, तो तेरी ऐसी की तैसी हो जाएगी जरा संभल के चलो, अभी बता रही हूँ.
मैं- इसमें गलत क्या है. अगर कोई आपसे काम के लिए कहता है या मजबूरी में आपको करना पड़ता है, तो बात अलग होती है.
वो जरा बिंदास बोलती थीं तो खुल कर कहने लगीं- ऐसा कौन होगा, जो किसी से भी चुदवा ले.
मैं- कुछ लोगों की होती है … मजबूरी या कोई ऐसा, जो आपको पसंद करता हो या फिर चुदाई के शौक़ीन.
वो- तू पहले भी किसी को चोद चुका है.
मैं- अब ये मैं आपको नहीं बता सकता क्योंकि थोड़ा प्राइवेट मामला है.
वो- कुछ भी हो लेकिन अपने पेरेंट्स की इज्जत का ख्याल रखना.

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इतना कह कर वो चली गईं, इनके बारे में थोड़ा बहुत बताता हूं.

नाम- श्वेता गुप्ता (परिवर्तित), सेक्सी बदन, उम्र-29 वर्ष, पति ने धोखा देकर इन्हें 10 साल पहले छोड़ दिया था, अब ये अपने पेरेंट्स के साथ रहती हैं.

अगले दिन चाची के भाई की तबियत खराब हो गई, जिससे वो अपने मायके घर को मेरे हवाले छोड़कर चली गईं. मैं भी अकेले होने के चक्कर में अपने लंड को हिला रहा था, तभी दीदी ने मुझे आवाज दी और कमरे में आ गईं.
मैंने झट से अपने कपड़े ठीक किए.
वो बोलीं- अकेले अकेले क्या कर रहा था? जो तूने मेरी आवाज नहीं सुनी.
मैं- कुछ नहीं, वो अन्दर था तो आवाज नहीं आई.

वो- लेकिन तेरी पैन्ट को देखकर तो नहीं लगता. रुक अब तेरी मम्मी को बताना ही पड़ेगा.
मैं- अरे सॉरी न … कोई कितना कंट्रोल कर सकता है.
वो- तू रुक … अभी बताती हूँ कण्ट्रोल कैसे होता है … तेरी मम्मी को जब पता लगेगा तो अपने आप ही सीख जाएगा.
मैं- बोला न सॉरी … गलती हो गई, चाहो तो कोई सजा दे दो, लेकिन उन्हें मत बताओ … बहुत मार पड़ेगी.
वो- जब मार से डरते हो तो ऐसे काम करते ही क्यों हो.
मैं- माफ़ी मांग रहा हूँ न … और क्या करूँ. आप चाहें तो कोई भी सजा दे दो, लेकिन उन्हें मत बताओ प्लीज.

वो- चल ठीक है … बता किसको याद करके हिला रहा था.
मैं- आप भी न मौके का फायदा उठा रही हो.
वो- लगाऊं फोन?
मैं- हैं ग्वालियर में एक दो, जिनके साथ, उन्हीं के उनके कहने पर करता हूँ. बदले में वो भी मुझे खुश रखती हैं.
वो- अभी तो मैं जा रही हूँ, लेकिन अभी तेरी सजा बाकी है, बाद में बताती हूँ.

फिर वो चली गईं. उनकी धमकियों से एक टाइम तो मेरी गांड फट गई थी, लेकिन फाइनली वो मान गईं. अब मैं सोचने लगा कि ये मुझसे क्या करवाएंगी.

तभी चाची का फोन आया, उन्होंने बोला- तू श्वेता के यहाँ खाना खा लेना, मैं सुबह आऊँगी.

कुछ देर बाद मैं खाना खाने पहुंचा और उनसे बोला- दीदी भूख लगी है कुछ मिलेगा.
वो बोलीं- हाँ मिलेगा न … रसोई में बैठ, मैं अभी आई.

रसोई में बिठा कर उन्होंने मुझे खाना परोसा और मेरे सामने बैठ गईं. फिर बोलीं- आज तू मेरा एक काम करेगा.
मैं- वैसे भी आपने जो धमकी दी है, उसको ध्यान करके तो करना ही पड़ेगा.
वो- जैसे कि तूने कहा कि सबकी अपनी जरूरत होती है. मेरी भी है … क्या तू उसे ख़त्म करेगा.
मैं- मतलब?
वो- मतलब तू मुझे चोदेगा.
मैं- क्यों आपको कैसे?
वो- अबे पूछ नहीं … बता रही हूँ तैयार रहना.
मैं- ठीक है … और कर भी क्या सकता हूँ.

मैं घर आ गया और उनके बारे में सोच सोचकर उनके प्रति फीलिंग्स लाने की कोशिश करने लगा, लेकिन बात बन नहीं रही थी. मेरे मन में उनके प्रति कोई गलत विचार नहीं आ रहे थे. फिर मैंने उनकी बॉडी को इमैजिन किया. मेरी जितनी हाइट, एवरेज शरीर, एवरेज बूब्स लेकिन गांड थोड़ी बड़ी थी, जिससे थोड़ी बहुत फीलिंग मेरे अन्दर आई.

तभी शाम हो गई और करीब 8-9 बजे वो आ गईं.
वो थोड़ा बहुत एडल्ट बात करके बोलीं- चल शुरू हो जा.
मैं- कैसे शुरू हो जाऊं … क्या करूँ?
वो- जो कर सकता है, वो कर.
मैं- मैं अकेला क्या करूँगा, करने को तो बहुत तरीके हैं, लेकिन अकेला कुछ नहीं कर पाउँगा.
वो- अबे भोसड़ी के सीधे सीधे बोल न … क्या करना है, बातों को घुमा क्यों रहा है?
मैं- एक काम करो, पहले एक वीडियो देख लो, फिर ही आप कुछ समझ पाओगी.

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मैंने उन्हें एक पोर्न वीडियो दिखा दी, जिससे वो थोड़ा बहुत गर्म हो गईं और मेरे पास बैठकर मुझे किस करने लगीं. मैं भी बराबर साथ देने लगा और उनके बूब्स प्रेस करने लगा. किस करते करते मैंने उनके कपड़े उतार दिए और उन्होंने मेरे कपड़े खींचते हुए उतार दिए.

किस के बाद मैं उनके बूब्स को चूमने लगा. उनके मम्मे मेरे अनुमान से कुछ ज्यादा ही सेक्सी थे. उनका हाथ भी मेरे लौड़े तक पहुँच गया, जिसे वो सहलाने लगीं. फिर मैं उनकी चूत के पास आ गया. उसके आस पास काफी बाल थे, उन बालों के बीच उनकी कई सालों से अनचुदी चूत रिस रही थी. मैंने उसमें उंगली की और चूत की फांकों के बीच के भाग को, मतलब दाने को अपने होंठों से खींचने लगा. जिससे वो बेड पर गांड उछालते हुए उछलने लगीं.

मैं उनकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था, जिससे वो थोड़ी ही देर में झड़ गईं. मैंने उन्हें मेरा लंड चूसने को कहा, पहले तो उन्होंने मना किया. फिर मेरी जिद पर उन्होंने तब तक उसे मुँह में लिया, जब तक वो पूरी तरह खड़ा नहीं हो गया.

इन सब क्रियाओं के बाद मैं उनकी चुदाई करने जा रहा था. मैंने उनकी चूत के छेद में थूक भरा और धीरे धीरे दो तीन धक्कों में पूरा लंड अन्दर डाल दिया. फिर लंड बाहर निकालकर एक ही झटके में दोबारा घुसा दिया, जिससे वो चिल्ला कर बोलीं- अबे मादरचोद धीरे कर … मार डाला साले … इतना तेज मत कर.

लेकिन मैं और तेज चुदाई करने लगा. वो बेड पर सीधी लेटी हुई थीं, उनकी एक टांग मेरे हाथ में और दूसरी टांग बेड पर रखी हुई थी. मैं अपना लंड उनकी चूत में पूरा बाहर निकालकर झटके से अन्दर डालता और दोबारा बाहर निकालकर फिर झटका दे मारता, जिससे वो गाली पर गाली बके जा रही थीं.

दीदी ‘धीरे कर … धीरे कर साले …’ चिल्ला रही थीं. थोड़ी देर बाद मैं थोड़ा आराम से करने लगा, जिससे उन्हें भी पूरा मजा आने लगा. खैर मुझे तो मजा आ ही रहा था. मैं दीदी को चोदने के साथ साथ उनके मम्मों को भी मसल रहा था. थोड़ी देर बाद जब मैं थक गया तो मैं लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गईं. अब दीदी अपनी चूत में लंड लेकर चुदवाने लगीं. इस स्थिति में उन्हें किस भी कर सकता था. थोड़ी देर बाद उन्होंने पानी छोड़ दिया, लेकिन मैं उन्हें कुतिया बनाकर तब तक पेलता रहा, जब तक कि मैं नहीं छूटा.

जब सब ख़त्म हुआ तो वो बोलीं- मजा आ गया. शायद ही कोई इस तरह करता होगा … एक बार और हो जाए.
मैं उनके दूध दबा कर बोला- जी हुजूर.

बस कुछ ही देर में एक बार और पूरे जोरों शोरों के साथ ठुकाई हुई. उन्हें बहुत मजा आया, उन्होंने मुझे बकी गालियों के लिए माफी मांगी और चुदाई के लिए शुक्रिया अदा किया.

अगले दिन मैं शहर वापस आ गया. अब उनसे कभी कभार फोन पर बात होने लगी.

शहर में भी मेरे पास दो चूत उपलब्ध थीं और तीसरी की तैयारी थी. वो सब भी लिखूंगा.

मेरी यौनवासना कहानी आपको कैसी लगी, आप मुझे बताएं. अगर कोई सुझाव हों, तो जरूर भेजें. अपने अनुभव मेरे मेल के जरिए शेयर करें, धन्यवाद.
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