दोस्त की सेक्सी दीदी की चुदाई की कहानी- 2

कॉलगर्ल चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरे दोस्त की दीदी अपनी चुदाई के पैसे बताकर मेरे सामने नंगी हो गयी. फिर वो अपनी आपबीती बताने लगी कि वो रंडी कैसे बनी.

दोस्तो, मैं मनोज किंग एक बार फिर से अपनी पड़ोसन दीदी की चुदाई की कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.

आप सभी ने कॉलगर्ल चुदाई कहानी के पहले भाग
मैं दोस्त की सेक्सी दीदी को चोदना चाहता था
में अब तक पढ़ा था कि मैंने दीदी से सीधे सीधे चुदाई की बात कर ली थी और उन्होंने एक पेशेवर रंडी की तरह अपना रेट बता दिया था.
मैंने दीदी को तुरंत उनकी मांगी हुई कीमत अदा कर दी.

अब आगे कॉलगर्ल चुदाई कहानी:

उन्होंने उसी वक्त अपने पति को कॉल की और बोल दिया कि मैं सुबह आऊंगी.

इतना सा कह कर दीदी ने कॉल काट दी और मुझे एक फ्लैट का पता बताया, जहां उन्होंने चलने के लिए बोला.
उस फ्लैट के लिए उन्होंने अपनी किसी भाभी से कॉल करके बोला कि मैं अपने पार्टनर के साथ रात भर के लिए आ रही हूँ. मुझे एक रूम दे देना.

अब मेरे दिमाग में बहुत सारे सवाल आ रहे थे, पर इस समय मुझे तो जिसकी चूत चाहिए थी, वो चोदने को मिल रही थी, तो मैंने चुप रहना ही बेहतर समझा.

खैर … रात को सवा नौ बजे तक हम उनके बताए हुए फ्लैट पर पहुंच गए.
वहां डोरबेल बजायी … तो लगभग 38-40 साल की, मगर हुस्न से भरपूर महिला ने दरवाजा खोला.

उसने हम दोनों को देखा और बोली- जल्दी अपने रूम में जाओ.

मैं समझ रहा था कि ये यहां रहती है, पर मैं गलत था.

दीदी के पीछे पीछे मैं रूम में चला गया.

थोड़ा अजीब लग रहा था, पर मुझे भरोसा था कि इधर सब ठीक सैटिंग है.

रूम में एक बोतल में पानी और दो गिलास रखे थे. मैंने पानी पिया और दीदी गेट में अन्दर से कुंडी लगा कर अपनी साड़ी उतारने लगीं.

मैंने पूछा- क्या मैं उतार सकता हूँ?

उन्होंने अपनी कातिलाना मुस्कान बिखेरते हुए जवाब दिया- रात भर के लिए तुम्हारी हूँ. जो तुम्हारे मन करे वो करो … बस प्यार से करना.

अब सेक्स कहानी की शुरूआत हो गई थी. मैं चाहता हूँ कि जो मेरे साथ हुआ, वो आप भी महसूस करें.

मैं दीदी के करीब आया और उनको बांहों में लेकर उनके होंठ चूमने लगा.
दीदी भी पूरी तरह से मेरा साथ दे रही थीं.

उनका पल्लू गिरा हुआ था और मैं एक हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही उनके दूध मसल रहा था. दूसरे हाथ से दीदी की गांड दबाते हुए उन्हें अपने नज़दीक ला रहा था.

वो भी लगातार मेरे होंठों को चूस रही थीं और मेरे बाल और छाती पर हाथ फेर रही थीं.

हमारे होंठ एक दूसरे की लार में सन चुके थे. हम एक दूसरे को होंठों से जीभ से चूस रहे थे, चाट रहे थे, काट रहे थे.

मेरे हाथ उनकी साड़ी खोलते हुए पेटीकोट को खोलने लगे और एक ही झटके में उनका पेटीकोट पैंटी सहित उनके जिस्म से अलग हो चुका था.

पर इस बीच में हम दोनों में से किसी की भी न एक बार आंख खुली और न होंठ अलग हुए.

मेरा अगला निशाना दीदी के ब्लाउज की तरफ था, मैं उसके हुक खोलने में लग चुका था.
इतने में दीदी ने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और शर्ट को मेरे जिस्म से अलग कर दी.

मैं अपनी हथेली से उनकी चूत सहला रहा था और एक हाथ से उनकी ब्रा को खोलने की कोशिश कर रहा था, पर ब्रा थी कि खुलने का नाम ही नहीं ले रही थी.

“क्या पहली बार सेक्स कर रहे हो?” दीदी की आवाज़ में कितनी मासूमियत थी.
पहली बार हमारे होंठ अलग हुए, तो मेरी नज़र उनके जिस्म पर पड़ी.

भगवान ने अगर धरती पर किसी को भी सबसे ज़्यादा वक़्त लेकर बनाया होगा, तो वो सिर्फ वैशाली दीदी ही होंगी.

हीरे सा तराशा गया उनका बदन, जिस पर दो खूबसूरत 5-5 किलो के चुचे उगे थे.
पतली सी कमर के ठीक बीच में गहरी सी नाभि और सुराही की तरह घूमती हुई उसके नीचे मोटी सी गांड.

दीदी का ये फिगर ठीक वैसा ही था, जो हमेशा की तरह मैंने उन्हें देख कर सोचा था.

पर मैंने जब उन्हें आगे चुत तरफ से देखा था, तो नीचे बिल्कुल चिकनी चूत थी और दीदी कि चुद चुकी चुत के होंठ पूरी तरह खुले हुए थे.
या आसान शब्दों में बोलूं तो छेद के नाम पर वो पूरा भोसड़ा बनी हुई चूत थी. जिसे देख कर मुझे थोड़ा दुख हुआ कि कुछ ज्यादा पैसे ले लिए कमीनी ने.
ये ऊपर से ही लाखों की दिख रही थी लेकिन निकली दो कौड़ी की.

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मैं इसी ख्याल में खोया था. तभी एक धक्का लगा तो मुझे होश आया.

दीदी ने मुझे बेड पर धक्का देकर गिरा दिया था और मेरे होंठों को फिर से चूसने लगी थीं.
वो अपने हाथों से अपनी ब्रा उतारने लगीं. हमारे होंठ अलग नहीं हो रहे थे, हम एक दूसरे का थूक निगल रहे थे.

मेरे एक हाथ की दो उंगलियों में दीदी का एक निप्पल था. मैं अपने अंगूठे से निप्पल का सिर रगड़ रहा था और दूसरे हाथ की पहली और तीसरी उंगली से मैं उनकी चूत के होंठ खोल कर बीच की उंगली उनकी चूत में अन्दर बाहर कर रहा था.

वो मेरी जींस और अंडरवियर को नीचे करके मेरे लंड को सहला रही थीं.
आज तक जिसने भी मेरा लंड पकड़ा था, सबने हैरानी जताई थी और बोला था कि सच तुम्हारा लंड बहुत मोटा और लंबा है.
पर दीदी ने तो लंड की तरफ जैसे ध्यान ही नहीं दिया.

“तूने बताया नहीं कि क्या तेरा ये पहली बार है?”
“हां दीदी … मैं पहली बार कर रहा हूँ. आज से पहले सिर्फ आपके बारे में सोच कर मुठ ही मारी है. देखो दीदी, हमारे पास आज की पूरी रात है. पूरी रात सेक्स करेंगे. लेकिन इतनी देर ड्राइविंग करके मैं बहुत थक गया हूँ. अगर आप चाहो तो हम दस मिनट लेट कर बात कर सकते हैं.”

मेरा दिमाग अब सेक्स की तरफ नहीं, उनसे बात करने का उन्हें प्यार करने का था.

“पैसे दिए है तूने … और उन पैसों का फायदा उठा. लोग तो हज़ार रुपये में हज़ार ही फरमाइश बता देते हैं और एक तू है. तुझे कभी अक्ल नहीं आएगी.” उन्होंने मेरी बात का बहुत ही सहजता के साथ जवाब दिया.

“कोई बात नहीं दीदी. पैसा आज दे सकता हूँ … तो कल भी दे सकता हूँ. मुझे जितना करना है, मैं कर लूंगा. बस अभी आप मेरे साथ लेटो और सेक्स करने का अगर तुम्हारा मन है, तो मेरे लंड पर बैठ जाओ. हम दोनों चुदाई के साथ बात भी कर लेते हैं.”

मैंने अब पहली बार लंड चुदाई जैसे शब्दों का प्रयोग किया था, जिससे उनकी आंखों में भी चमक आ गयी थी.

पर उन्होंने बराबर में लेटना ही बराबर समझ कर मेरा एक हाथ सीधा किया और मेरे होंठों से अपने होंठ बिल्कुल सटा कर मेरे कंधे पर सिर रख कर लेट गईं.

“हम जिसके घर आए हैं, वो कौन है? क्या आप कॉलगर्ल हो और अगर हो, तो क्यों? अगर कोई कमी है तो मैं पूरी करूंगा. मैंने हमेशा से आपको चाहा है. मैं माफी मांगता हूँ अगर मैंने आपका दिल दुखाया हो तो, पर मैं उस वजह को जानना चाहता हूँ … जिसने आपको गलत रास्ते पर चलने पर मज़बूर कर दिया है. अगर आप खुद बताना चाहती हो तो ही बताना, मैं आपके ऊपर कोई दबाव नहीं डालना चाहता.”

मेरे जिस कंधे पर दीदी का सिर था, उसी हाथ से उनके बाल सहलाते हुए और दूसरे हाथ से उनके निप्पल घुमाते हुए मैंने पूछा.

ये सब बोलते वक़्त हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों से टकरा रहे थे और सांसें भी एक दूसरे से टकरा कर वापिस जा रही थीं.

“क्या करेगा जान कर? चूत मार और खुश रह. बस कोशिश करना कि वहां पर किसी को पता न चले. वैसे तो मुझे फर्क नहीं पड़ता, पर बस किसी को पता चल गया तो वापिस किस मुँह से जाऊंगी.”

उनकी आवाज़ में अब थोड़ा रूखापन आ गया था.

अपनी बात खत्म करके वो फिर से मेरे होंठ चूसते हुए नीचे की तरफ आने लगीं और मेरे गले को चूमते काटते हुए मेरे निप्पल पर जीभ घुमाने लगीं.

दीदी के ये सब करना मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था. मस्ती से मेरी आंखें बंद हो रही थीं. मैं सब सवाल जवाब भूल कर दोनों हाथों से उनके चुचे ज़ोर से मसलने लगा था.

मेरे मुँह से आज तक कभी सिसकारी नहीं निकली थी, पर आज पता नहीं कितना मज़ा आ रहा था. मेरी आंखें बंद हो रही थीं और सांस और धड़कन तेज़ होने लगी थीं.

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मैंने एक हाथ उनके चुचे से हटा कर उनके सिर पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था.

मैं लड़कियों को चोदने में माहिर खिलाड़ी था, तो वो भी बिस्तर पर खेलने वाली बहुत बड़ी खिलाड़ी लग रही थीं.

आज मुक़ाबला टक्कर का था. पर लगातार लंड हिलाने की वजह से और उनके मेरे निप्पल के चारों ओर ऊपर जीभ फेरने की वजह से मैं चरम पर आ गया और झटके से जब तक अपना मुँह नीचे लंड की ओर किया, तब तक पहली पिचकारी उनके माथे और नाक पर गिर चुकी थी.

जब तक वो खुद को संभाल पातीं, तब तक दूसरी पिचकारी उनके होंठों को छूती हुई उनके गले और मेरे पेट पर गिर चुकी थी.

उनके चेहरा देख कर लग रहा था कि उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगा पर उन्होंने कुछ नहीं बोला.

दीदी साइड से एक टिश्यू पेपर उठा कर अपना चेहरा और मेरे लंड को साफ करने लगीं.

“दीदी मैं माफी चाहता हूँ. मैंने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया. बस पता नहीं आपने क्या जादू किया, जो इतनी जल्दी हो गया.” मैंने थोड़ा नादान बनते हुए कहा और उन्हें अपनी बांहों में समेटने की कोशिश करने लगा.

“कोई बात नहीं मनोज. पहली बार में अक्सर ऐसा हो जाता है.” मेरी बांहों में समाते हुए मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में भरते हुए कहा.

“पर अब ज़्यादा दिक्कत ये है कि अब जब तक तुम्हारा लंड खड़ा नहीं होगा, तब तक फिर से तुम मुझसे मेरी जिंदगी से जुड़े सवाल करोगे. वैसे तुम्हारा हथियार बहुत बड़ा है.”

आह … मैं ये ही तो सुनना चाहता था. अब मेरी जान में जान आयी.

मैं बोला- मैंने कोई जबरदस्ती नहीं की है. अगर आप बताना चाहो तो बता सकती हो, पर एक बात जरूर बोलूंगा कि मैं भी आपसे कुछ कहना चाहता हूँ. अगर आप हक़ीक़त बताओगी तो ही मैं कुछ बताऊंगा.

मैं जानता था कि ऐसा बोलने पर उनके मन में भी बात जानने की बेचैनी उठेगी और फिर वो पक्का बताएंगी. हुआ भी ऐसा ही.

थोड़ी नानुकुर और “पहले तुम बताओ ..” के बाद उन्होंने बताया कि मनोज तेरे जीजा को शादी से पहले से डाइबिटीज़ है और उनकी किडनी भी खराब हो चुकी है. इस वजह से ये सब हुआ. वो मेरे साथ सेक्स करते थे, तो पहले तो उनका ठीक से खड़ा भी नहीं होता था और अगर उनका छोटा सा लंड खड़ा भी हो जाता था, तो मेरी चुत में घुसते ही झड़ कर बाहर आ जाता था. मैं प्यासी ज़रूर थी, पर किसी के नीचे नहीं लेटी.

पर जब उनकी किडनी के आपरेशन के लिए मुझे पैसों की ज़रूरत पड़ी, तो मैंने अपने जेठ जी से मदद मांगी. उन्होंने मुझसे अपने लंड पर हाथ घुमाते हुए बोला था कि ऊपर आकर ले लो. उनके ऊपर आने का मतलब ऊपर वाले कमरे से नहीं था, वो मुझसे अपने लंड के ऊपर आने के लिए बोल रहे थे.

फिर मैंने सोचा कि चुदना ही है, तो अपने जेठ से चुद कर थोड़े पैसे क्यों लूं? किसी अमीर आदमी के नीचे आकर ज़्यादा पैसे लूंगी. क्योंकि दो साल की शादी के बाद भी मेरी चूत कुंवारी जैसी थी.

मैंने एक मसाज पार्लर का नंबर ढूंढा, तो मुझे इन भाभी का नंबर मिल गया.
जब मैंने इनसे बात की, तो पता चला कि इनके यहां और भी लड़कियां आती हैं. पहले दो दिन इन्होंने मुझे ये सिखाया कि अजनबी लड़कों का लंड कैसे चूसना होता है और उन्हें कैसे शांत करना होता है.

वो मुझे पूरी दिन नंगी रखती थीं, चाहे कोई भी आ जाए, जिससे मेरी शर्म खुल जाए. हुआ भी ऐसा ही.

पहले दो दिन तक कोई भी आता था, तो मैं नंगी दरवाज़ा खोलने से लेकर उनको पानी या कोल्डड्रिंक देती थी. वो लोग कभी मेरी नंगी छाती दबाते थे और कभी मेरी चूत को छूने लगते थे. मुझे शर्म के साथ दुख होता था, पर मैं जेठ जी को पैसे में झुका कर, तेरे जीजा का इलाज करवाना चाहती थी.

दीदी अपनी रंडी बनने की कहानी मुझे सुनाए जा रही थीं. मैं उनकी सेक्स कहानी सुनकर अवाक था.

इस कॉलगर्ल चुदाई कहानी के अगले भाग में मैं आपको अपनी पड़ोसन दीदी की चुदाई की कहानी को आगे लिखूंगा. मुझे मेल जरूर कीजिएगा.
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कॉलगर्ल चुदाई कहानी का अगला भाग: दोस्त की सेक्सी दीदी की चुदाई की कहानी- 3