पड़ोसन आंटी ने मुझे फंसाकर चूत चुदवा ली

देसी हॉट आंटी सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी पड़ोसन आंटी ने मुझे मकान मालकिन की चुदाई करते देख लिया और एक दिन मुझे रोक कर ब्लैकमेल करने लगी.

नमस्कार दोस्तो, आपका साथी राज शर्मा अन्तर्वासना पर अपनी एक सच्ची घटना को कहानी का रूप देकर आपके सामने फिर से हाजिर है.

दोस्तो, मेरी पिछली कहानी
मकान मालकिन भाभी की चूत गांड चुदाई
से पता है कि मेरी नई मकान मालकिन ललिता यादव को मैं बिंदास चोदता हूं.
कभी मैं उसके घर, तो कभी वो रात को मेरे रूम आकर चुदाई करवाती है.

आज की देसी हॉट आंटी सेक्स कहानी भी उसी से जुड़ी हुई है.

ललिता अक्सर रात को मेरे रूम में आ जाती है और फिर हम दोनों रात भर जमकर चुदाई करते हैं.
हम दोनों की चुदाई लगातार चल रही थी.

एक दिन मैं कंपनी से अपने रूम आ रहा था तो मेरे पड़ोस में रहने वाली एक आंटी मुझे देखकर मुस्कुराने लगीं.
वो लगभग 42-44 साल की थीं.

मुझे देख कर आंटी बोलीं- राज क्या बात है, आजकल तुम बहुत बिजी रहते हो?
मैंने कहा- हां आंटी, वो कंपनी में काम ज्यादा रहने लगा है.

वो हंसने लगीं और बोलीं- हां डबल शिफ्ट में काम‌ जो करते हो.
मैंने कहा- नहीं आंटी, मैं डबल शिफ्ट नहीं करता.

वो हंसने लगीं और बोलीं- अरे मुझे सब पता है. आजकल तुम डबल शिफ्ट कर रहे हो और बहुत मेहनत कर रहे हो, मैं सब जानती हूं.
ये कह कर उन्होंने एक आंख दबा दी.

उनकी बात से और दबती हुई आंख से मुझे कुछ कुछ समझ आने लगा था और मेरे चेहरे का रंग उड़ने लगा था.

मैं बोला- आप क्या बोल रही हैं आंटी?
वो हंसती हुई बोलीं- बेटा मैं सब जानती हूं. मैंने ऐसे ही उम्र नहीं निकाल दी है. तेरी कोई बात मुझसे छिपी नहीं है.

मैंने कहा- आप सब … मतलब क्या जानती हैं?
वो बोलीं कि वही, जो‌ सच है.

मैंने कहा- क्या सच है?
वो बोलीं- ललिता जी का.

मेरे चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थीं. तब भी मैंने कहा- क्या ललिता जी का?
वो बोलीं- मुझे सब पता है कि ललिता रात को तेरे रूम में आती है और फिर क्या क्या होता है.

अब मेरे चेहरे का रंग उतर गया.
मैंने दबी हुई आवाज में कहा- ऐसा कुछ नहीं है आंटी. वो तो बस मेरे साथ कभी कभी बातचीत करने आ जाती हैं.

आंटी बोलीं- हां मैंने देखा भी कि वो कितनी खुल कर बातचीत करती है.

मैं समझ गया कि आंटी ने हम दोनों की चुदाई देख ली है.

मुझे चुप देख कर वो आगे बोलीं- मैं अगर सबको बता दूं या अम्मा जी को पता चला तो क्या होगा, मालूम है?
मैंने कहा- नहीं आंटी प्लीज़. आप ऐसा नहीं कीजिएगा.

वो बोलीं- ओके अगर मैं नहीं बताऊं तो मुझे क्या फायदा मिलेगा?
मैंने कहा- आप जो बोलोगी, मैं करूंगा. पर प्लीज़ आप किसी को मत बोलना.

वो हंसने लगीं और बोलीं- सोच ले?
मैंने कहा- हां सोच लिया, आप जो बोलोगी करूंगा.

वो बोलीं- ठीक है, अब अभी तो तू आराम कर ले.
मैं अपने रूम में आ गया और लेट गया.

मुझे डर था कि आंटी ने कहीं किसी को बता दिया तो क्या होगा?
मैंने सोचा कि ये बात ललिता को भी बता दूं, फिर सोचा बात बड़ी, तो कुछ हंगामा न हो जाए.

रात के 9:30 बजे आंटी ने दरवाजा खटखटाया.
मैंने दरवाजा खोला, तो आंटी बोलीं- राज मेरे रूम में आओ, तुमसे काम है.

मैं चुपचाप उनके रूम में चला गया.
वो रूम में अकेली थीं.

उन्होंने मुझे बिस्तर पर बिठाया और बोलीं- तूने क्या सोचा?
मैंने कहा- वही … जो आप बोलोगी मैं करूंगा, बस आप किसी को मत बताना.

वो बोलीं- तेरे पास एक रास्ता है.
मैंने कहा- क्या रास्ता है?

वो बोलीं- अगर तू मुझे खुश कर देगा तो मैं वादा करती हूं कि किसी से कुछ नहीं बोलूंगी.
मैं चुपचाप बैठा था.

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वो बोलने लगीं- ज्यादा मत सोच, मेरी बात मान जा.

मरता क्या न करता, मेरे पास उनकी बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं था.
मैंने कहा- ठीक है लेकिन अंकल आ गए तो?

वो बोलीं- अंकल 2 दिन के लिए बाहर गए हैं.

आंटी ने उठकर दरवाजा बंद कर दिया और अपनी साड़ी उतार दी.
अब वो मेरे सामने पेटीकोट ब्लाउज में थीं.

आंटी की उम्र 44 के आस-पास रही होगी, मगर वो कांटा माल लगती थीं.
उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां 36 इंच की ही होंगी, गांड बाहर को निकली हुई थी और एकदम गोल गोल थी.

आंटी का रंग गोरा था. काले ब्लाउज और काले पेटीकोट में वो कयामत लग रही थीं.
आंटी ने मेरा हाथ अपनी चूचियों पर रख दिया और बोलीं- राज, अब शुरू हो जाओ.

मैं भी आंटी को देखकर गर्म होने लगा और ऊपर से चूचियों को मसलने लगा.

मैंने ब्लाउज उतार दिया और चूचियों को दबाने लगा.
आंटी की कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.

मैंने आंटी को बिस्तर पर लिटा दिया और पेटीकोट उतार दिया.
आंटी की चूत में एक भी बाल नहीं था और ऊपर का भाग हल्का काला काला दिख रहा था.

मैंने जैसे ही आंटी की चूत में हाथ लगाया, वो सिहर उठीं और आह आह आहह करने लगीं.

मैं समझ गया कि ये बहुत दिनों से चुदी नहीं है.
मैंने धीरे से चूत की फांकों को खोल दिया और दाने पर उंगली फेरने लगा.

आंटी ‘ऊईईई ऊईईई आह आहहह …’ करके पैर पटकने लगीं और छटपटाने लगीं.
मैंने एक उंगली चूत में डाल दी.

वो एकदम से चिहुंक गईं और ‘ऊई मां मर गई …’ करने लगीं.
मैंने आंटी की एक चूची को दबाना शुरू कर दिया और धीरे धीरे चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा.

आंटी की चूत पनिया चुकी थी और वो तेज स्वर में आहहह आह करने लगी थीं.

फिर मैंने दो उंगलियां चुत में डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा.
वो और तेज स्वर में ‘आंह ऊईईई …’ करती हुई झड़ गईं.

अब मैंने अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया.
आंटी मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगीं.

धीरे धीरे मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा हो गया.
ये देख कर आंटी बोलीं- अरे बाप रे.

मैंने कहा- क्या हुआ?
वो बोलीं- तेरा लंड तो बहुत बड़ा है.
मैंने कहा- बड़ा है तो मजा भी तो ज्यादा देगा.

मैं आंटी की दोनों चूचियों को मसलने लगा और चूसने लगा. उनकी चूचियों के दोनों निप्पलों को चूस चूस कर मैंने लाल कर दिया और निप्पल एकदम टाइट हो गए.

मैंने आंटी से लंड चूसने को कहा.
वो बोलीं- नहीं, मैं लंड नहीं चूसूंगी.

मैंने कहा- ठीक है.
मैं आंटी की चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा और वो फिर से ‘आह आह ऊईई …’ करके चिल्लाने लगीं.

वो बोलने लगीं- अब उंगली से नहीं, अपना लंड डालो.
मैं चुपचाप दो उंगलियां अन्दर बाहर करने लगा.

वो उंगली से चुदाई करने को मना भी कर रही थीं और गांड उठा कर मजा भी ले रही थीं.
वो ‘ऊईई ऊई लंड पेल ना आहहह …’ चिल्ला रही थीं.

मैं उंगली से ही आंटी की चूत चोदने में लगा था.
मैंने कहा- पहले मेरा लंड चूसो, फिर चोदूंगा.
अब आंटी फंस गई थीं.

वो कुछ नहीं बोलीं, तो मैंने उनके मुँह में लौड़ा घुसा दिया और झटके लगाने लगा.
धीरे धीरे आंटी अब लंड को चूसने लगीं. मैंने झटके लगाने बंद कर दिए.

अब आंटी ‘चप चप …’ करके लंड को चूसने लगी थीं.
वो मेरे लंड को प्यार से ऐसे चूस रही थीं जैसे लंड चुसाई में उन्होंने डिप्लोमा ले रखा हो.

कुछ देर बाद मैंने आंटी को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और ऊपर आकर चूत में लंड रगड़ने लगा.

वो आह आह करके बोलने लगीं- अब चोदो मुझे प्लीज़ चोदो.

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मैंने चूत में लंड को सैट करके धक्का लगा दिया.
मेरा आधा लंड अन्दर चला गया.

आंटी ‘ऊईई मर गई बचाओ आह मर गई …’ चिल्लाने लगीं.
मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और चूसने लगा.
धीरे धीरे वो भी चूसने लगीं.

मैंने एक झटका और लगाया पूरा लौड़ा अन्दर चला गया.
आंटी छटपटाने लगी थीं और उनके बंद होंठों से घूघू घूघू की आवाज़ आ रही थी.

आंटी ने बहुत दिनों से नहीं चुदवाया था. उनकी चूत किसी नई लड़की की तरह चिपकी हुई टाइट थी.

मेरा लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर करके जगह बनाने लगा.
अब धीरे धीरे जैसे जैसे चूत खुलने लगी, तो लंड तेज़ी से अन्दर बाहर अन्दर बाहर होने लगा.

कुछ ही देर में आंटी का दर्द भी धीरे धीरे खत्म हो गया था और वो अपनी कमर चलाने लगी थीं.
मैंने उनके होंठों को आजाद कर दिया और वो आह आह करके कराहने लगीं.

आंटी बोलने लगीं- आह राज मजा आ रहा है … और तेज चोदो मुझे … मेरी चूत कब से लंड के लिए तरस रही थी … और इतना मस्त लंड मेरे इतने पास था. आज मुझे जमकर चोदो आहहह आहहह और तेज चोदो मुझे.

मैंने आंटी की चूचियों को दबाते हुए झटके लगाने शुरू कर दिए और सटा सट सटा सट अन्दर बाहर अन्दर बाहर करके चोदने लगा.

आंटी की चूत चोदते हुए मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं किसी 18 साल की लड़की को चोद रहा हूं.
मैंने अपने लौड़े की रफ्तार बढ़ा दी और सटासट सटासट तेजी से चोदने लगा.

आंटी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और फच्च फच्च फच्च की आवाज आने लगी.
अब मैंने आंटी को घोड़ी बनाया और कमर पकड़कर चूत में लंड घुसा दिया, पूरा लौड़ा पेल कर मैं चोदने लगा.

धीरे धीरे आंटी अपनी गांड आगे पीछे करने लगीं.
मैं अब तेज़ तेज़ झटके लगाने लगा और थप थप की आवाज़ आने लगी.

मैंने आंटी की बड़ी बड़ी कसी हुई चूचियां मसलते हुए झटके लगाने शुरू कर दिए और पूरी रफ्तार से चोदने लगा.
आंटी- ऊईई ऊईई आह आह चोद और चोद मुझे मेरी चूत फ़ाड़ दे … कब से मेरी चुत लंड की भूखी थी.

मैं भी आंटी की चूचियों को मसलने लगा और तेज तेज अन्दर बाहर अन्दर बाहर झटके लगाने लगा.
मैंने वापस आंटी को बिस्तर पर लिटा दिया और गांड के नीचे तकिया लगा दिया.

फिर चूत में लंड घुसा कर चोदने लगा, दोनों चूचियों को चूसने लगा और झटके लगाने लगा.
मेरा लंड अब आंटी की चूत की गहराई तक जाने लगा था और आंटी ऊईई ऊईई आहहह आह आहहह करके मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी थीं.

मैं भी अपनी पूरी रफ्तार से चोदने लगा और मेरा लंड सटा सट अन्दर बाहर अन्दर बाहर किसी पिस्टन की तरह होने लगा था.
मैंने जोश में आकर आंटी की चूचियों को काटना शुरू कर दिया तो वो ऊई ऊई ऊई करके चिल्लाने लगीं.

मैं उन्हें किसी कसाई की तरह बेरहमी से चोदने लगा था.
ताबड़तोड़ चुदाई करते करते आंटी की आंखों से आंसू बहने लगे और मैं होंठों को चूमने लगा.

आंटी का शरीर अकड़ गया और उनकी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया.
गीला लंड फच्च फच्च फच्च करके सटासट अन्दर बाहर दौड़ने लगा.

मैं आंटी की चूचियों को मसलने लगा और चूसने लगा.
झटके लगाते लगाते मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी.

आंटी की चूत भर गई और मैं उनके ऊपर गिर गया.
दोस्तो, इस तरह मैंने देसी हॉट आंटी सेक्स का मजा ले लिया था.
अब मैं उनकी तरफ से किसी भी बात के उजागर होने ने बेफ़िक्र हो गया था.

अगली सेक्स कहानी में आपको बताऊंगा कि आगे क्या हुआ. आप मुझे मेल करें कि आपको यह देसी हॉट आंटी सेक्स कहानी कैसी लगी?
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