दीदी की चुदाई की घर पर 2

दीदी की चुदाई की घर पर Part 1 Desi Sex Kahani: सभी लंड धारियों को मेरा लंडवत नमस्कार और चूत की मल्लिकाओं की चूत में उंगली करते हुए नमस्कार। हेलो दोस्तो, मैं नीरज फिर से हाजिर हूँ मेरी कहानी का नेक्स्ट पार्ट के साथ. थॅंक्स कुच्छ ही दीनो पब्लिश के बाद भी मुझे काफ़ी सारे ईमेल्स आ चुका है, एक मेरी दीदी बन गयी चाट करते करते, उसके साथ रोल प्ले सेक्स चाट चल रहा है न आइमो पर वो अपनी चूत न बूब्स की दर्शन दे चुकी है,

थॅंक्स इतने प्यार केलिए, मेरी दीदी को पता चल गया तो तुम्हे मार के खा जाएगी , जो 1स्ट पार्ट ( दीदी, मैं और चुदाई) नहीं पढ़े हैं प्लीज़ पहले उसे पढ़िए. स्टार्ट करता हूँ नेक्स्ट पार्ट,

शाम हो गई है, कल झिमीदीदी चली जाएगी उदास होके बैठा हूँ मैं , झिमिदिदि भी नहीं मिल रही है, पता नहीं कहाँ गई है. मे एक मॅट बिच्छा दिया और लेटने लगा छत पर ठंडी ठंडी हवा आ रही थी तो अच्छा लग रहा था, सोच रहा था क्या करूँ.

और कोई नहीं था टेरेस पर उस टाइम,गाना लगा दिया इयरफोन्स लगाके आँख बंद करके सोचता रहा,मेरे आँख पर सिर्फ़ उसकी नंगी चूत जो पिच्छली रात को देखा था वोही झलक रही थी न उसकी बड़ी बड़ी गान्ड जिसे आज दोपहर को चाट रहा था.

फिर मैने कॉल लगाया घर पर दीदी फोन इतना नहीं पकड़ती थी पर घर के बाहर फोन लेके जाती थी. दो बार रिंग होते ही.

झिमिदिदि – हन मुन्ना बोल

मैं- दीदी तू कहाँ है, मे कब से ढूंड रहा हूँ, मेरी हालत बुरा है यहाँ

झिमिदिदि -अरे मे सीमा, गीता के साथ हूँ उनके घर ( दीदी की बेस्ट फ्रेंड्स).

मैं-जल्दी आना छत पर प्लीज़, मे पागल हो गया हूँ. तू वैसे भी कल जा रही है प्लीज़ दीदी आजा ना.

झिमिदिदि -हन बोलता जा( दीदी उनके सामने कुच्छ बोल नहीं पाती थी इसके बारे मे), अरे मा को बोल मे आ रही हूँ 30 मिनिट मे.

((मुझे दीदी का प्लान समझ मे आ गया था, मेरी दीदी काफ़ी स्मार्ट है, कुच्छ भी कर लेगी किसी भी सिचुयेशन पर))

मैं- (धीरे से)मेरा लंड उच्छल रहा है जल्दी आजा छत पर, आज तो तुझे चोदके रहूँगा मेरी रंडी दीदी.

झिमिदिदि – अरे बोल ना मा को 30 मिनिट लगेंगे, वैसे क्या इंपॉर्टेंट काम है की अभी जाना पड़ेगा

मैं- सबाश दीदी, ((मेरा लंड उच्छल रहा था दीदी की इंटेरेस्ट देख के, चड्डी फाड़ देगा लग रहा था, हिल रहा था अपने मर्ज़ी से रोड बनके)) तेरी गान्ड को खा जौँगा, जल्दी आजा आअहह मेरा लंड

झिमिदिदि – हन मे जा रही हूँ (( गुस्से वाले टोने मैं बोली)और 2मिनिट सिर्फ़.

मैं- उम्म्म्मममममहह (किस दिया फोन पर)

सोचता रहा की क्या हो पाएगा आज, कोई आ तो नहीं जाएगा, चोदुन्गा तो कहाँ केसे, साला दीदी को शादी कर लेना था मुझे, शादी किया होता तो हमेशा मेरा लंड उसकी चूत मे होती कवि नहीं निकालता ( मन ही मन मे बहुत कुच्छ सोचने लगा, मेरा लंड केसे बाहर आएगा फड़ फाडा रहा था).

मे अभी भी लेटा हुआ था मॅट पर आसमान को मुहन करके,मेरे सामने दीदी अचानक, मैं कुच्छ करता इससे पहले वो सडन्ली अपनी नाइटी को उपर उठाके मेरे मूह पर बैठ गई,पानटी नहीं पहनी थी शायद नीचे उतारके आई हो, और गान्ड को हिलने लगी ज़ोर ज़ोर से. (मेरा पैर स्टेर्स की तरफ थे न झिमिदिदि स्टेर्स की तरफ मूह करके बैठी थी मेरे मूह पर))

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मेरा मूह उसकी दोनो चुतडो के बीच मे था, उसने गान्ड को बहुत ज़ोर से नीचे दबा के रखी थी और मेरे पॅंट के उपर से मेरे लंड को पकड़ी न उसे मूह पर रख के दाँत से काटने लगी, न गान्ड को उपर नीचे करती रही जेसे मेरे मूह को वो चोद रही हो.

मैं तो पागल हो गया था मे दोनो हाथ से दीदी की कमर को पकड़ा था और जिब उपर करके चाट रहा था न उसकी कमर पकड़ कर साइड से साइड किया ताकि उसकी चूत से लेके गान्ड तक सबको चाट सकु.

दीदी- खा जा मेरी गान्ड, बोल रहा था ना खाने केलिए अब खा,, अहह उउईहह गान्ड हिलती रही उपर से,

मैं – मज़ा आ रही है दीदी आअहह ईईइम्म्म्मम उउउम्म्म्मम मेरा लंड को जो पॅंट के उपर से काट रही थी क्यूँ बंद की??

झिमिदिदि – गान्ड को ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे करते करते कहा, पागल मे देख रही हूँ इधर उधर, तू चाट रहाहे और मे देख रही हूँ कह के मेरा पेट से हाथ लेके एलास्टिक हाफ पॅंट के नीचे ली और चड्डी के अंदर हाथ डालने की कोशिश की, बहुत टाइट था वो इसलिए वो गुस्सा हो के कहने लगी.

झिमिदिदि – कल से अगर तू चड्डी पहना तो तेरा लंड खा जौंगी पूरा साले,

मैं एक हाथ नीचे लेके दीदी की हाथ (जो हाफ पॅंट के नीचे न चड्डी के उपर थी) उसे चड्डी के अंदर घुसा दिया,

झिमिदिदि – तेरा तो बढ़ता जा रहा है रे., साला मे तुझसे नहीं चुद्वौन्गि, मुझे मार देगा तू,

मैं- (चूत को चाट रहा हूँ न काट रहा हूँ) तेरे लिए ही तो पाल पोस के बड़ा किया है, सिर्फ़ तू, तुझे खुश करने केलिए मेहनत करके बड़ा किया हूँ न तू ऐसे बोल रही है,

झिमिदिदि – अरे मेरे राजा ये सब नखरे हैं लड़कियो के तू समझ जाएगा धीरे धीरे.

मैं- दीदी आज शायद ज़्यादा समय केलिए कुच्छ हो रहा है,

झिमिदिदि -हन.

मैं- चोदुन्गा मे इसे दीदी (चूत को काट लिया बोल के)

झिमिदिदि – शायद हमारे घर मे ये नही हो पाएगा. कोई ना कोई तो आ ही जाता है( हमारे घर को गाली देती है)

मैं- हन दीदी. पर मुझे तेरी आइडिया पर भरोसा है. तू सोचेगी तो कुच्छ हो पाएगा

झिमिदिदि -लंड मसलती रही ज़ोर ज़ोर से, उपर नीचे करती रही न गान्ड को उपर उठा कर ज़ोर ज़ोर से नीचे मेरे मूह पर फेका.

मैं- आआआआअ मर जौँगा दीदी,

(दीदी स्टेर्स की तरफ मूह कर के देख रही थी न ये सब कर रही थी)

झिमिदिदि -तू मर जाए पर तेरा ये ना मारे(( लंड को रगड़ते हुए बोली)

दीदी मूह से उठके खिसके पेट से लेके लंड के उपर बैठी पॅंट के उपर से ही, उसकी नाइटी फूलों की तरह मेरे उपर थी न उसकी नंगी गान्ड मेरे पॅंट के उपर थी, मेरे लंड को उसने पूरा सीधा सुला दिया था चड्डी मे.

फिर वो एसी बैठी जैसे मेरा लंड( पॅंट के अंदर थी अभी भी) उसकी दोनो चुतडो के बीच मे न उसने नीचे मॅट पर हाथ रख के सपोर्ट ली न गान्ड को आगे पीछे की. ज़ोर ज़ोर से,सिसकारियाँ ना भरने लगे इसलिए अपने मूह पर दूसरी हाथ रखी थी. न आँख घुमा रही थी चारो ओर. मेरा लंड पहले से ही थोड़ा गीला हो चुका था,

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दीदी स्पीड बढाके न गान्ड को उपर नीचे करके कभी घोड़ी की तरह होती थी तो कभी आगे पीछे पागलों की तरह हो रही थी वो, मेरे पेट पर पड़ा दीदी की नाइटी की पिच्छली हिस्से को उपर करके दीदी की गान्ड देखने लगा, मे तो आसमान मे था, लंड तो पानी छोड़ चुका था दीदी के बैठते कुच्छ ही टाइम बाद पर दीदी अभी पानी छोड़ने वाली थी तो उसने कहा,

झिमिदिदि – पिएगा?

मैने कुच्छ कहते ही उसने मेरे मूह पर बैठ के पानी छोड़ दिया सारा, मे उसे चाटता रहा पहले अजीब सा टेस्ट था पर सारा पी गया. दीदी उठ के अपनी नाइटी से मेरा मूह सॉफ किया न पास बैठ गई मॅट पर, मे हाथ लेके उसकी बूब्स को प्रेस करता रहा नाइटी के उपर.

झिमिदिदि – आज तेरा स्वरूप चाचा नहीं है क्या?

मैं- क्यूँ??

झिमीडिडी – वो तो हमेशा रहता है ना छत पर.

मैं- वो कहीं गये हुए हैं.

फिर दीदी उठी न थोड़ा आगे जाके देखी न बोली.

झिमिदिदि – चल अब नीचे जाते हैं.

मैं- कहाँ.

झिमिदिदि – चल मे लेके जाती हूँ, यहाँ खुले आसमान के नीचे मे तेरा चूस नहीं सकी, पास आके धीरे से बोली फिर स्टेर्स की तरफ गयी.

झिमिदिदि – तू यहीं पर रुक. मे मेसेज करूँगा कहाँ आना है, एक साथ नहीं जाएँगे.

मैं – ओके दीदी,

मैं उपर वेट करने लगा मेसेज को.

(( मेसेज ::आजा साले तेरा ख़ौँगी लंड, हुमारे रूम मे आ((वो जहाँ सोती थी)))))

उसके रूम मे अंधेरा था मैं एंटर करते ही उसने पॅंट के उपर से लंड पकड़ कर ज़ोर से खींच लिया अंदर.

झिमिदिदि -हमलोग यहीं रहेंगे( डोर के एंट्री पर थोड़ा साइड होके) तू देखना बाहर, नज़र रखना, मे चुसुन्गि.

मैं- ओके दीदी.

झिमिदिदि -घुटनों पर बैठ गई न मेरा पॅंट चड्डी के अंदर हाथ डालके लंड निकाल दिया बाहर.

खड़े लंड को बिना रुके अपने मूह मे लेली,चूसने लगी,मेरे गोटिओं को एक हाथ से पकड़ कर मसल रही थी न दूसरी हाथ मेरे कमर को पकड़ रखी थी, मुहन को पीछे मोड़ के मैं नज़र रख रहा था, मेरा हाथ लेके वो अपनी हेड के पिच्चे रखी न लंड की तरफ प्रेस की, मे समझ गया, मूह को चोदा उसकी हेड पकड़ कर,

मेरे पसीने ज़ोर ज़ोर से छूट रहे थे, मे बता नहीं सकता मेरा क्या हाल था उस समय, मे पागलों की तरह हो रहा था, मूह खुले ना बिल्कुल ( साउंड्स को दोनो जितना हो सके कंट्रोल कर रहे थे)),

मे और तेज़ किया, झिमिदिदि अपनी एक हाथ चूत पर रख के उंगली कर रही थी न इधर ज़ोर ज़ोर से लंड चूस रही थी, .मे एक पैर उसकी चूत पर रखा न पैरों की उंगली उसकी उंगली के पास रखी, देख भी रहा था बाहर, सारे टीवी देख रहे थे,कोई किचन मे था,

मैं- दीदी मे झड़ने वाला हूँ

झिमिदिदि – छोड़ दे मेरे मूह पर, मेरा सारा स्पर्म पीली उसने चाट चाट के,