साली को पटाकर सास की चूत भी मारी- 1

देसी हॉट Xxx कहानी में पढ़ें कि मेरी शादी हुई तो मुझे मेरी सास की छोटी बहन पसंद आ गयी. लेकिन पहले उसकी जवान बेटी की चूत मारकर मजे कैसे लिये.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम शैल है. मैं मध्यप्रदेश का रहने वाला हूँ।

मैं इस साइट का नियमित पाठक हूँ। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जब मैं इस साइट पर गर्म सेक्स कहानी नहीं पढ़ता।

अब अपनी कहानी बताने का विचार आया तो अपनी रियल सेक्स स्टोरी लिख रहा हूँ।

देसी हॉट Xxx कहानी शुरू करने से पहले मैं अपने बारे में आपको बता देता हूं. मेरी हाइट 6 फीट है. एक फिट बॉडी के साथ ही मैं हैंडसम भी हूँ।

मेरे घर में मेरी शादी की बात हो रही थी. फिर तय समय पर नीता (मेरी बीवी) के साथ शादी हो गयी।

हमारी शादी की पार्टी चल रही थी. वहाँ मेरी नज़र एक लड़की पर पड़ी जो 30-35 की लग रही थी।
बाद में पता लगा कि वो नीता की मौसी है। मैं उसकी खूबसूरती पर फिदा हो गया।

जब हम हनीमून पर गए तो नीता ने बताया कि मृणालिनी (मेरी बीवी की मौसी) मेरी सास से 13 साल छोटी है। मेरी सास और मृणालिनी के बीच उनके चार भाई भी हैं लेकिन मेरी सास और मृणालिनी में बिल्कुल नहीं बनती क्योंकि मृणालिनी ने अपने से दोगुनी उम्र के आदमी से शादी कर ली थी।

मृणालिनी का पति एक कॉलेज में टीचर है और उसकी एक 6-7 साल की बेटी भी थी जब मृणालिनी ने उस से शादी की थी।
आज लोलिशा ही वो बेटी है जो हमारी शादी में मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपक रही थी।

मृणालिनी को कोई भी लोलिशा की सौतेली माँ नहीं कहता क्योंकि वो उसे अपनी बेटी की तरह मानती है।

हनीमून पर नीता ने मुझे चेताया कि मैं मृणालिनी से दूर रहूँ क्योंकि मेरी सास को ये पसंद नहीं।

हमारी शादी को एक साल हो गया था. इस बीच मैं अपने काम में व्यस्त रहा।

शहर के बाहरी हिस्से में ही मृणालिनी का घर था। इस बीच लोलिशा मुझे अक्सर फोन करती थी लेकिन मैं कोई जवाब नहीं देता था अपनी सास की वजह से।

एक दिन उधर से गुज़रते हुए मैंने मृणालिनी को बाज़ार में देखा. क्या बला की खूबसूरत लग रही थी।

मैंने उसे मिलने के लिए एक प्लान बनाया और लोलिशा को फोन किया मिलने के लिए।

अगले दिन वो मुझे अपने घर से कुछ दूर एक खंडहर के वहां मिली।

मैं- तुमने यह जगह क्यों बतायी मिलने के लिए?
लोलिशा- वहां कई लड़के हैं जो पापा से पढ़ते हैं इसलिए वहां ठीक नहीं था मिलना। आप कभी हमारे घर क्यों नहीं आते?

मैं- तुम्हारे घर मेरे पसंद की मिठाई नहीं मिलेगी.
लोलिशा- कौन सी? आप जो कहेंगे वही मिठाई खिलाऊंगी।
मैं- पक्का न?

लोलिशा- आप बताइए तो आपको कौन सी मिठाई चाहिए?
तभी मैंने उसके होंठों पर उंगली फिराते हुए कहा- ये वाली।
वो पहले तो देखती रही, फिर कहा- आप आईये … मैं खिलाऊंगी न।

फिर मैंने कहा- एक काम करना. आज एक नया सिम खरीदो और उस नम्बर से सिर्फ मुझे कॉल करना।
लोलिशा- ठीक है।

अगले दिन मेरी बीवी ने मुझे बताया कि वो कुछ दिन के लिए अपनी माँ के पास जा रही है।
उसी रात को लोलिशा का कॉल आया. मैंने मैसेज करके बात की।

अगले दिन मैंने उसे बोला कि मैं आ रहा हूँ तैयार रहना मिठाई के साथ।
लोलिशा- ओके।

मैं लोलिशा के वहाँ पहुँचा.
पहले तो स्वागत हुआ फिर मृणालिनी बाहर चली गयी, वो मेरे लिए बाजार से कुछ नाश्ते का सामान लेने गयी थी.
मेरे पास वक्त काफी कम था.

मैंने जल्दी से लोलिशा को चूमा, उसके होंठों को चूसा, फिर उसकी चूचियों को मसला और कपड़ों के ऊपर से उसकी चूत को सहलाने लगा.

मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था जिसको लोलिशा ने तुरंत हाथ में भर लिया.
मैंने जिप खोली और लोलिशा को नीचे घुटनों में दबाकर बिठाया और उसके मुंह में लंड दे दिया.
उसने चूसने में देर न लगायी और फिर मैंने उसकी सलवार खुलवा ली.

वो बार बार कह रही थी कि सब्र कर लो लेकिन मैं अपना काम जल्दी निपटा देना चाहता था. मैंने जल्दी से कंडोम निकाला. अपने लंड पर लगाया और तुरंत उसे चोदने लगा।
वो अपनी आवाज दबाते हुए बोली- थोड़ा तो रुक जाते।

मैं उसे बिना रुके चोदने लगा और वो मेरी पीठ पर मुक्के मारने लगी. मगर मैं कुत्ते की तरह उसे चोदने में लगा हुआ था. मैंने जल्दी से अपना काम किया और तभी मृणालिनी भी आ गयी थी.
चाय नाश्ते के बाद मैं वहाँ से निकल लिया।

उस दिन के बाद से लोलिशा और मेरी सेटिंग हो गयी. उधर मेरा काम भी बढ़ने लगा।

नवम्बर का महीना आ गया था और उसमें नीता के मामा की लड़की की शादी थी.
लोलिशा को मैंने पूछा तो वो पहले से वहीं पर थी.
मैंने कह दिया कि मैं वहीं आ रहा हूं कल, तुम तैयार रहना.

अगले दिन हम लोग भी पहुंच गए।

वहां जाकर लोलिशा प्लान के मुताबिक तैयार थी.
मैंने नीता से बहाना किया कि मुझे एक वकील के पास काम है और आज ही जाना जरूरी है.

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नीता ने कहा- लोलिशा को भी जाना है उसी तरफ. आप उसे भी छोड़ते जाना.

हमारा भी प्लान यही था. मैं लोलिशा को लेकर निकल लिया.

रास्ते में मैंने एक दवा की दुकान से कुछ दवाई खरीदी। सिर दर्द का बहाना करके लोलिशा के यहाँ रुक गया।

अपने ड्राइवर देव को मैंने काम से भेज दिया.
वो अगले तीन घंटे तक नहीं आने वाला था क्योंकि शाम के समय उस रूट पर बहुत जाम हो जाता था और ये बात मैं अच्छी तरह जानता था.

लोलिशा घर में कुछ काम करने लगी तो तभी मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसे गोद में उठाकर कमरे में ले गया और उसके चूचों को दबाने लगा।

फिर मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. वो भी मेरा लंड दबाने लगी और उसे पैंट से बाहर निकाल कर सहलाने लगी।

कुछ देर बाद मैंने उसकी सलवार को निकाल दिया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत मसलने लगा.
वो सिसकारने लगी।

मेरा भी लंड खड़ा हो गया था।
फिर मैंने उसकी कमीज उतार दी. अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
उसने भी मेरे कपड़े निकाल दिये।

अब हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे और मैं उसकी पीठ सहला रहा था।
वह सिसकार रही थी- ऊ…ह आ…ह की आवाज निकाल रही थी।

पहले मैंने उसकी पैंटी उतारकर कोने में फेंक दी।
वह भी मेरा लंड हाथ में आगे पीछे कर रही थी।

तब उसे बेड पर लिटा कर मैं उसके गालों और होंठों को किस करते हुए मैं नीचे आ रहा था।

फिर मैं उसकी ब्रा को निकाल कर उसके बूब्स पीने लगा और एक उंगली उसकी चूत में डाल दी।
उसकी चूत में उंगली करते हुए मैं जांघों पर किस करने लगा.

फिर उसकी चूत को ही चाटने लगा.
वो एकदम से सिसकारने लगी- आह्ह जीजू … आह्ह … ऐसे ही करो … मजा आ रहा है. आह्ह … आह्ह …
ऐसे करती हुई वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थी.

थोड़ी ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

फिर मैंने उसे बिठा कर अपना लंड उसके मुंह में दे दिया।
वो चूसने लगी.

मेरा पूरा लंड उसके मुंह में नहीं जा पा रहा था।
मैं एकदम से सातवें आसमान पर था- चूस मेरी जान … आह्ह … बस ऐसे ही।

मुझे काफी मज़ा आ रहा था. तभी मैं भी झड़ गया.
हम दोनों अलग होकर लेट गए।

मैंने एक बार फिर अपना लंड उसे चूसने को कहा। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।

उसे लिटा कर मैं अपना लंड उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा।

वो तड़पते हुए बोली- बस जीजा जी … अब बर्दाश्त नहीं होता।
मैं- क्या?
लोलिशा- जल्दी करो जीजू … अब चोद दो मुझे!

मैं- बस मेरी जान … अभी लो।
ऐसे ही लंड रगड़ते हुए मैं उसके बूब्स चूस रहा था। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सेट करके उसे चोदना शुरू कर दिया।
वह जोर से चीखते हुए चुदने लगी- आह्ह जीजू .. आह्ह फट जायेगी … ओह्ह … आराम से।

कुछ देर बाद वो नॉर्मल हो गयी. फिर वो मेरा साथ देने लगी और दोनों मजे लेने लगे.
पांच मिनट के बाद ही तभी वो अकड़ने लगी. फिर झड़ गयी।
मैं अभी भी उसे चोदे जा रहा था और उसके बूब्स चूस रहा था।

फिर आठ दस शॉट्स मारने के बाद मैं भी लोलिशा मेरी जान … मेरी जान … कहते हुए उसकी चूत में खाली हो गया।

वो घबराते हुए बोली- ये क्या किया जीजू? आपने आज कंडोम भी नहीं लगाया था.
मैं- कुछ नहीं होगा मेरी जान!
लोलिशा- क्या मतलब?

हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए कि तभी फोन बजा।
मेरे ड्राइवर देव का कॉल था।
मैंने उसे कहा कि आते वक्त कुछ खाने के लिए लेते आना।

फिर मैं बाथरूम में गया और फ्रेश होकर आ गया.
तभी लोलिशा भी आ गई।

देव के आने के बाद हमने खाना खाया।
वह बहुत थक गया था जाम की वजह से।
फिर वो सो गया।

उसके बाद उस रात मैंने लोलिशा को तीन बार और चोदा।
मैं सुबह पाँच बजे जाकर बाहर वाले कमरे में सो गया।

फिर देव ने मुझे सुबह आठ बजे जगाया. फिर हम वहां से निकलने की तैयारी करने लगे।

लोलिशा डरी हुई थी. मैंने उसे गर्भनिरोधक गोली दे दी थी।
उसके बाद वो खुशी से हमारे साथ शादी में आ गई।

शादी के बाद सभी लोग अपने-अपने घर निकल लिए।

उसके बाद मैं भी अपने काम में व्यस्त हो गया।

मैंने जबलपुर से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर एक ज़मीन खरीदी. वहाँ से ढाई सौ कि.मी. दूर राजस्थान बॉर्डर पड़ता था।
इतनी दूरी में सिर्फ पत्थर और अधकटे जंगल थे।
मैंने वहां पेट्रोल पंप बनाने का सोचा। वहीं अपना फार्म हाउस भी बनाना चाहता था मगर किसानों ने ज़मीन नहीं बेची।

फिर शहर के बाहरी इलाके में मुझे ज़मीन मिल गयी। वहां से मृणालिनी का घर सिर्फ बारह कि.मी. की दूरी पर ही था।

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काम काफी तेजी से हो रहा था और समय भी बीतता जा रहा था।

दो महीने बाद एक दिन मैं मृणालिनी के घर अचानक से पहुंच गया।
तब उसके घर पर कोई नहीं था. लोलिशा कॉलेज गयी थी और उसका भाई आशीष कहीं निकला हुआ था।

मैंने मृणालिनी से बात करनी शुरू की. पहले इधर-उधर की बात हुई. फिर मैं उसके करीब बैठकर बात करने लगा और अपना एक हाथ मृणालिनी के कंधे पर रख दिया।

उसने मेरा हाथ झटकते हुए कहा- दामाद जी ये क्या?
मैं एक दम से डर सा गया लेकिन हिम्मत करते हुए उसे दोबारा पकड़ लिया।
मैंने कहा कि मैं जानता हूँ मृणालिनी तुम इस मास्टर के साथ खुश नहीं हो।

मैंने एक हाथ उसकी कमर में डाला और दूसरे से उसके बूब्स दबाने लगा।

उसने पीछे हटते हुए पूछा- आपको कैसे पता कि मैं खुश नहीं हूं?
मैं- मैंने जब पहली बार उस मास्टर के साथ तुम्हें देखा था तभी समझ गया।

वो बोली- मगर दामाद जी …
तभी मैंने उसके होंठों पर उंगली रख दी- श्श्शस्स… बस कुछ मत बोलो मृणालिनी, मजा लो तुम!
कहकर मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया.

मृणालिनी भी अब गर्म हो रही थी और मेरा साथ देने लगी। दो मिनट बाद ही वो पैंट के उपर से ही मेरा लंड दबाने लगी।
मैंने उसके गालों पर चुम्बनों की बौछार कर दी।
मृणालिनी भी पूरा साथ दे रही थी।

फिर मैं उसे लेकर कमरे में गया और हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।
वो एकदम कुंवारी लड़की की तरह किस कर रही थी। मानो बहुत समय से प्यासी हो।

फिर मैंने उसके ब्लाउज़ को भी निकाल दिया।

मृणालिनी का फिगर 34-30-34 था. उसकी गांड बाहर निकली हुई थी और उठी रहती थी.

मैं उसके बूब्स को मुंह में लेकर पीने लगा और एक उंगली उसकी चूत में करने लगा।
वो सिसकारी निकालने लगी।

फिर मैंने उसके सभी कपड़े निकाल दिये.
अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
फिर वो भी मेरा लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी।

उसने मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड देखा तो हैरान हो गई- हाय दामाद जी!! इतना बड़ा? नीता तो बहुत खुशकिस्मत है।
मैं- आज से तुम भी हो मेरी जान।
कहते हुए मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया।

अब हम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे. फिर मैं उसे किस करते हुए नीचे आया और उसकी जांघों को चूमने लगा।
फिर मैंने उसकी पैंटी उतार दी.

उसकी चूत पर काफी बाल थे; मैंने कहा- ये जंगल साफ कर लेना।
फिर मैंने उसे बिठा कर अपना लंड उसे मुँह में लेने को कहा।

वो किसी निपुण चुदक्कड़ लड़की की तरह लंड चूस रही थी।
मैं एकदम सातवें आसमान पर था।

वो करीब दस मिनट तक लंड चूसती रही.
फिर मैं झड़ गया।

उसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटाकर दोनों टांगों को अलग कर अपना लंड उसकी चूत पर रखा और ऊपर से ही रगड़ने लगा।

मैं उसकी चूची पीने लगा और लंड से चूत को सहलाता रहा.
मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया।
मृणालिनी- बस अब और मत तड़पाओ, अंदर डाल दो इसे!
मैं- क्या अंदर डाल दूं?

मृणालिनी- आ…ह अपना लंड डाल दो।
फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखकर एक जोर का झटका मारा. आधा लंड अंदर चला गया।
वो जोर से चिल्लाई- आह … मर गई।

मैं- क्या हुआ?
मृणालिनी- काफी दिनों बाद इसमें लिया है न इसलिए आह … दर्द हो रहा है।
मैं- मेरी जान, मैं जानता था वो मास्टर तुम्हें कोई सुख नहीं देता है।

कहते हुए मैंने अपना लंड थोड़ा बाहर खींच कर फिर से जोर का धक्का मारा।
मृणालिनी- हाँ दामाद जी … अब से बस आप ही मुझे चोदना।
मैं- हाँ मेरी जान … अब से तुम मेरे ही नीचे रहोगी।

तभी उसने मुझे जोर से जकड़ लिया। मैं समझ गया कि वो झड़ रही है. मैं अभी भी उसे चोद रहा था।
मैंने उसे 25 मिनट तक और चोदा. फिर मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया। इस बीच वो भी तीन बार झड़ चुकी थी।

फिर हम दोनों एक दूसरे के साथ सोये रहे. कुछ देर बाद वो अलग हुई और बाथरूम में चली गई। वापस आकर मेरी बांहों में फिर से बैठ गई।
मैं- क्यों मेरी जान, मज़ा आया न?

मृणालिनी- हाँ दामाद जी, सच में ऐसा मज़ा आज तक नहीं आया था।
फिर मैंने उसे लोलिशा की नंगी तस्वीरें और लंड चूसते हुए वीडियो दिखाई।

मृणालिनी गुस्सा होते हुए बोली- ये क्या दामाद जी, किसके साथ है ये?
वो हैरान थी लेकिन अब मैं उसको सच बताना चाहता था.

आपको मां बेटी की चुदाई की ये देसी हॉट Xxx कहानी पसंद आई होगी. मुझे आप जरूर इस बारे में लिखें और अपनी राय दें. मुझे आप लोगों की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।
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