चाची को चोद कर अपना लिया

ये कहानी मेरे एक दोस्त की है. मैं उसकी तरफ से ये कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ.

मेरा नाम अमित है और मेरी उम्र 26 साल है. मेरे घर में मेरे पिताजी और चाचा का परिवार है, हम सब एक साथ रहते हैं. मेरे परिवार में मेरे माता-पिता व मेरी बड़ी बहन है और मेरे चाचा के परिवार में चाची और उनकी 2 साल की बेटी है.

चाची का नाम संगीता है. चाची की उम्र भी 26 साल है. मेरी चाची दिखने में बहुत खूबसूरत है, जैसे कि किसी फ़िल्म की अभिनेत्री हो. चाची का रंग एकदम गोरा है, उनका कद 5 फुट 6 इंच है और एकदम कसा हुआ बदन है. लेकिन वे सामान्य गृहिणी के जैसे रहती हैं. मुझे लगता है कि चाची को जो भी देख लेगा तो पक्के में एक बार में ही उसका दीवाना हो जाएगा. लेकिन वो किसी को घास तक नहीं डालती हैं.

हालांकि मेरी वो एक दोस्त की तरह थीं. मेरे मन भी उनको लेकर कोई गलत भावना नहीं थी. ये कहानी यहां से शुरू होती है.

मेरा चाचा एक शराबी और चरित्रहीन किस्म का आदमी है. उसकी अपराधी प्रवृति के लोगों से मित्रता थी. उसकी इस प्रवृत्ति से चाची और पूरा परिवार हमेशा परेशान रहता था. मुझे चाची का दुख देख कर मुझे दुख होता था क्योंकि कि वो मेरे दिल के करीब थी.

एक दिन मेरे चाची पर और मेरे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा, जब एक हत्या के अपराध में मेरे चाचा और उसके दोस्तों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई. उसके बाद मेरी चाची गुमसुम रहने लगीं वो टूट सी गयी थीं.
तब मुझसे उनका दुख देखा नहीं जाता था. मैं उन्हे खुश रखने की कोशिश करने लगा, उन्हें हंसाने की कोशिश करने लगा.

पहले तो मुश्किल होती थी लेकिन 2 महीने बाद वो सामान्य हो गईं. मेरे जॉब के बाद काफी समय चाची के साथ बीतने लगा. वो अब मुस्कुराने लगी थीं. उनका इस तरह से मुस्कुराता चेहरा देखने के लिए मैं कुछ भी कर सकता था. लेकिन अब भी मेरे मन में लिए चाची के लिए गलत भावना नहीं थी.

फिर धीरे धीरे मैं उनके करीब रहने से मेरा उनके प्रति आकर्षण बढ़ने लगा और शायद वो भी मुझको धीरे धीरे पसंद करने लगी थीं.

एक दिन फरवरी में साउथ अफ्रीका और भारत का डे नाईट मैच हो रहा था. चाची भी क्रिकेट की बड़ी प्रशंसक हैं. हम दोनों लोग करीब बैठ कर मैच देख रहे थे. तभी 12 बजे के लगभग लाइट चली गयी. मेरी चाची और मैं सोफे पर एक ही कंबल में बैठे थे. लाइट चले जाने पर दोनों लोग निराश होकर बैठ गए.

फिर मैं उनकी गोद में सर रख कर उनसे बात करने लगा. मैं चाची से बोला- चाची, आपको चाचा की याद आती होगी.
वो बोलीं- आती तो है, लेकिन अब उनके बिना रहने की आदत हो गई है.
मैं बोला- चाची आपके चेहरे पर उदासी देख कर मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता. आपके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं. आप बस खुश रहा करो.

मैं उनकी उंगलियों को सहलाने लगा उनकी उंगलियों को सहलाते सहलाते मैं उत्तेजित हो गया.

चाची बोलीं- अब उदासी ही मेरी किस्मत में है, वह तो मेरी बेटी और तुम मेरी किस्मत में हो. नहीं तो मैं मर गई होती.
मैंने बोला- चाची मरने की बात कभी की तो मैं आइंदा से कभी तुमसे बात नहीं करूंगा.
वह बोलीं कि तुम मुझसे बात नहीं करोगे, तो मैं कहां जाऊंगी.

फिर मुझे न जाने क्या सूझा कि मैंने उन्हें किस कर लिया और उनके होंठों को रसपान करने लगा. मेरी चाची का चेहरा लाल हो गया. उनके चेहरे पर गुस्सा आ गया.
चाचीवह बोलीं- अमित ये क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारी चाची हूं, तुम्हारे चाचा की बीवी.
मैं बोला- कौन सा चाचा, जिसने कभी तुमसे प्यार ही नहीं किया.
वे बोलीं- यह पाप है.
मैंने कहा- कोई पाप नहीं है, मैं आपसे सच्चा प्यार करता हूं और आपके लिए कुछ भी कर सकता हूं.
वे बोलीं- यह गलत है.

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वे मेरे पास से उठ कर अपने कमरे में चली गईं. इसके बाद मैं भी अपने कमरे में आ गया. लेकिन मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी.

रात में लगभग 2:30 बजे मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई. मैंने दरवाजा खोला, तो देखा चाची दरवाजे पर खड़ी थीं.
वे बोलीं- तुम्हारा मुझसे प्यार करना गलत है और मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती इसलिए समझाने आई हूँ.
मैंने चाची के चेहरे की तरफ देखा, वह बोल कुछ और रही थीं, लेकिन उनका चेहरा कुछ और ही कह रहा था.

मैं उनके होंठों की तरफ देखे जा रहा था. फिर मैंने उनको खींचकर उनके होंठों पर किस कर लिया और जब मैं उनके होंठों को किस कर रहा था, तब वह ना-नुकुर कर तो रही थीं, लेकिन उनकी ये नानुकुर बनावटी थी.

धीरे-धीरे किस करते करते वह सहयोग करने लगीं. वह बोलीं- ऐसे हमें कोई देख लेगा, तुम्हारे मम्मी पापा ऊपर सो रहे हैं.

मैंने उन्हें अपने कमरे में खींच लिया और दरवाजा बंद कर दिया. उन्हें अपनी गोद में उठाकर अपने बिस्तर पर लिटा दिया. फिर मैं उनके होंठों पर टूट पड़ा और उनके होंठों पर जोर जोर से किस करने लगा. चाची भी मेरा सहयोग करने लगीं, मेरे बालों को सहलाने लगीं.

हम लोगों की जुबान एक दूसरे से कुश्ती लड़ने लगी.

किस टूटने के बाद चाची फिर से बोलीं- यह गलत है.. हमें यह नहीं करना चाहिए.
मैंने कहा- चाची अब कुछ नहीं हो सकता, अब हम लोग बहुत दूर निकल आए हैं.

मैंने अपने कपड़े निकाले और एक एक करके चाची के सारे कपड़े निकाल दिए. चाची का बदन दूध की तरह गोरा था एक भी दाग नहीं. उनका चांदनी जैसा बेदाग़ बदन था, स्वर्ग की अप्सरा जैसी चाची मेरे सामने एकदम नग्न थीं.

मैंने अपनी किस्मत को सराहा कि मुझे आज ऐसी औरत मिल गई. फिर मैंने उनके पैरों पर किस किया. किस करते करते ही मैं उनकी जांघों तक आ गया. इस वक्त चाची का पूरा बदन कांपने लगा था. उत्तेजना के मारे सांसें उनकी जोर-जोर से चलने लगी थीं.

मैं उनकी चूत के पास किस करके आया और अपनी जुबान उनकी चूत पर रख दी. उत्तेजना के मारे चाची ने अपनी गांड उछाल दी. उत्तेजना के मारे उनका बुरा हाल हो रहा था. मैं उनकी चूत को चूस रहा था.

वे कामुक आवाज में बोलीं- अमित कुछ करो, अब मुझसे रहा नहीं जाता.
मैं उनके ऊपर आ गया और उनके होंठों को चूसने लगा, पूरे चेहरे पर चूसने लगा. उनकी सांसें मुझे जोर-जोर से मेरे चेहरे पर लग रही थीं और मुझे उत्तेजित कर रही थीं.
मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रखा और बोला- क्या आप तैयार हो?
चाची ने हां में अपना सर हिलाया, वो बोलीं कुछ नहीं.

फिर मैंने अपने लंड का टोपा चूत के अन्दर डाल दिया. उनकी आह निकल गई. फिर धीरे-धीरे मैंने धक्के लगाने प्रारम्भ किए. हर धक्के पर जवाब चाची अपनी गांड उछाल कर जबाब दे रही थीं. उनकी चूत कई महीनों से प्यासी थी. मैं उनके चेहरे का रस पिये जा रहा था. साथ ही मैं पूरी ताकत से लंड के धक्के लगाये जा रहा था. मेरा पूरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में जा रहा था.

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हम लोग स्वर्ग का मजा महसूस कर रहे थे. पूरे कमरे में हमारी हमारी गर्म सांसों का कोलाहल था और कमरा गर्म आवाजों से भर गया था. हमारे चुंबनों की आवाज और हमारी सांसों की आवाज से कमरे का माहौल बहुत गर्म हो गया था.

लगभग 15 मिनट धक्के लगाने के बाद चाची ने अपने पैरों से मेरी कमर जकड़ ली और कहने लगीं- मेरा होने वाला है.
मैं बोला- हां चाची मेरा भी होने वाला है, मैं अपना वीर्य कहां निकालूं?
वह बोलीं- मेरे अन्दर ही कर लो, अब तुम्हारा सब कुछ मेरा है.

फिर 5 मिनट और धक्के लगाने के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया. हम लोगों की सांसें जोर जोर से चल रही थीं. चाची की आंखें बंद थीं, वे कुछ नहीं बोल रही थीं. मैंने कंबल उठाया और हम दोनों ने ओढ़ लिया. मैंने चाची को गले से लगाया और उनके गाल पर किस किया.

चाची जी धीरे से बोलीं- तुमने मुझे आज जो खुशी दी है, वह मुझे आज तक नहीं मिली, आज के बाद से मैं तुम्हारी दीवानी हो गई हूं.
मैंने कहा- मैं भी आप का दीवाना हो गया हूं और आपसे बहुत प्यार करने लगा हूं.
उस पूरी रात में मैंने तीन बार चाची को चोदा.

इस तरह हमारी चुदायी 2 महीने तक चलती रही.

फिर एक दिन चाची बोलीं कि मैं गर्भवती हूं, अब हम लोग क्या करेंगे?
मैंने कहा- ये आप मुझ पर छोड़ दो यह मेरी निशानी है, हमारे प्यार की निशानी है, मैं उसे दुनिया में लाऊंगा.
तो चाची बोलीं- यह कैसे संभव है?
मैं बोला- चाची आप मेरा साथ दो, तो सब कुछ संभव है.

फिर थोड़े दिन बाद मेरी मां को पता चल गया कि चाची गर्भवती हैं और वह जान गई थीं कि उसके पीछे मैं हूं. इस बात को लेकर घर में बहुत बवाल हुआ.
सबने चाची को कहा- गर्भपात करा लो.
लेकिन मैं और चाची टस से मस नहीं हुए.

थोड़े और बवाल के बाद हमारे घर वाले मान गए. मैंने उन्हें समझाया कि चाचा अब जेल से आने वाले नहीं हैं. चाची का कोई ख्याल रखने वाला होना चाहिए उनकी बेटी का तो ख्याल रखने वाला होना चाहिए. मैं और चाची एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं.

ये सब दलीलें सुनकर मेरे घर वाले मान गए और थोड़ी ना नुकुर के बाद चाची के घर वाले भी ये सोच कर मान गए कि उनकी बेटी का घर फिर से बसने वाला था.
मेरे मां-बाप ने कहा- तुम अपनी चाची को लेकर किसी और शहर चले जाओ, वहां उसके साथ घर बसा लो.

मुझे यह बात जंच गई, मैं और चाची दिल्ली चले आए और मैंने एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब कर ली. अब मैं और चाची और उनकी बेटी एक साथ रहते हैं. यहां सब हमें पति-पत्नी की तरह जानते हैं. मेरी चाची माफ कीजिएगा, जो अब मेरी बीवी है, वो 7 माह के गर्भ से है. हम लोग बहुत सुखी परिवार हैं और एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं. मेरी चाची मुझसे बहुत प्यार करती हैं. मैं भी चाची से बहुत प्यार करता हूं और उन्हीं से प्यार करता रहूंगा.

तो दोस्तो, यह थी मेरी सच्ची कहानी आप सभी का कहानी पढ़ने के लिए बहुत शुक्रिया.
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