हेलो, नमस्कार दोस्तो, कैसे हैं आप सब!
मैं मनमीत रोहतक से एक बार फिर हाजिर हूँ अपनी नयी स्टोरी के साथ जो बिल्कुल सच है. जैसा अपने मेरी पिछली कहानी
कामवाली आंटी की चुदाई
में पढ़ा था कि मैं पढ़ाई के कारण अपने शहर से बाहर गया था और वहां पर हमारे पीजी में काम करने वाली आंटी के साथ मेरी सेटिंग हो गयी थी. फिर जब तक मैं वहां रहा, मैंने आंटी के साथ खूब मजे किये.
उसके बाद मुझे कॉलेज वालों ने दूसरे शहर भेज दिया था. वहां पर भी मैं किराये पर कमरा लेकर रहने लगा था.
मेरे पीजी के साथ ही एक घर में रहती थी पूनम … जिसके साथ मेरी ये कहानी है.
जब मैं चंडीगढ़ से यहाँ शिफ्ट हुआ तो मैं कमरा लेकर रहने लगा. उसके साथ वाले घर में एक गुजराती परिवार रहता था, उसमें पूनम और उसकी फॅमिली रहती थी. पूनम एक बहुत ही प्यारी सी सुन्दर लड़की थी. पूरे मोहल्ले के लड़के उस पर लाइन मारते थे.
उसका फिगर ही ऐसा था.
मस्त तने हुए ठोस 36 इंच के चूचे, सपाट पेट और थोड़ी सी बाहर को निकली हुई 34 इंच की गांड!
जब मैंने उसे पहली बार देखा था, तभी मेरा उस पर दिल आ गया था.
हमारे पीजी में मेरा कमरा सबसे ऊपर था. वहां सिर्फ मैं अकेला था. और मेरे रूम से दरवाजा खोलने पर पूनम के घर का आँगन बिल्कुल साफ़ दिखाई देता था. जब मैं छत पर होता था तो उस पर लाइन मारता था.
वैसे मेरी उसके भाई और पापा के साथ भी अच्छी बनती थी. क्योंकि उन लोगों को मेरी भाषा बहुत पसंद थी.
धीरे धीरे मेरा उसके घर आना जाना हुआ.
एक दिन पूनम के मम्मी पापा और भाई अपने घर गुजरात जा रहे थे. यह बात पूनम ने मुझे 2 दिन पहले ही बता दी थी. फिर उसके घर वाले चले गए तब उसके घर में पूनम, उसकी भाभी और 5 साल का भतीजा रह गए थे.
अगले दिन सुबह कॉलेज के बाद मैं पूनम के घर गया. उस समय पूनम सफाई कर रही थी और उसकी भाभी खाने की तैयारी कर रही थी.
जब मैं अंदर गया तो पूनम पोछा लगा रही थी और उसके शर्ट से उसके चूचे आधे बाहर आये हुए थे. पूनम उस समय बिना दुपट्टा लिए काम कर रही थी क्योंकि घर में कोई नहीं था.
उसे इस हालत में देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया.
फिर पूनम की नजर मुझ पर पड़ी पर उसने शर्ट सही नहीं किया बल्कि मझे देखकर एक कुटिल सी हंसी हंस दी. उसकी हंसी से मैं समझ गया कि उसके मन में भी कुछ तो है.
थोड़ी देर बाद उसने भी काम ख़त्म कर लिया और उसकी भाभी भी रसोई में जाकर खाना बनाने लगी.
उस वक़्त मैं और पूनम अकेले थे. मैंने मौका देखकर पूनम को अपने दिल की बात कह दी और उसने कहा- मैं शाम को बताऊँगी.
मैं वहां से उठकर जाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़कर वहीं बिठा लिया.
फिर हम बैठकर बातें करने लगे.
उसने मुझसे पूछा कि मैं कब से उसे पसंद करता हूँ. तो मैंने उसे बताया कि जब से मैं यहाँ आया था, तब से!
वो मेरी तरफ देखकर फिर से हंसने लगी.
मैंने उसको बोला- क्या हुआ?
तो वो बोली- मुझे आपकी बोली बहुत अच्छी लगती है.
मैंने भी सवाल किया- सिर्फ बोली अच्छी लगती है? मैं नहीं लगता?
तब उसने भी कह दिया- अगर अच्छे न लगते तो हाथ पकड़कर क्यों बिठाती?
फिर हमरी प्यार की कहानी शुरू हो गयी. नंबर भी एक्सचेंज हो गए. रात रात भर हम फ़ोन पर बातें करते. पहले नार्मल बातें, फिर करते करते बात सेक्स तक जा पहुंची.
जब भी मैं उसके घर जाता तो हमारे बीच में किस होती और ऊपर से ही एक दूसरे को सहला लेते थे. उसके चुच्चे बहुत मस्त बड़े बड़े और टाइट थे. उसके होंठ चूसते हुए चुच्चे दबाने का अलग ही मजा था.
अब जरूरत थी तो बस एक अच्छे से मौके की जो भगवान ने बहुत जल्द दे दिया.
एक बार फिर उसके पूरे परिवार को बाहर जाना था. पूनम को छोड़कर बाकी सब चले गए थे. सबके जाने के 1 घंटे बाद पूनम ने मुझे कॉल करके बताया.
थोड़ी ही देर में मैं पूनम के पास पहुंच गया और दरवाज़े के अंदर जाते ही मैं उसे किस करना शुरू हो गया.
एक बार किस के बाद वो मुझे अंदर ले गयी. अंदर जाते ही उसने मुझसे पूछा- क्या पिओगे?
मैंने कहा- आज तो दूध पीने का मन कर रहा है.
वो बोली- दूध तो है नहीं, सुबह ही ख़त्म हो गया था.
तब मैंने उसके चुच्चों की तरफ इशारा करते हुए कहा- ये वाला पीना है.
तो उसने शर्मा कर गर्दन झुका ली और मुँह फेर कर खड़ी हो गयी.
तब मैंने उसको पीछे से पकड़कर उसकी गर्दन पे चूम लिया. उसकी एक लम्बी सी सिसकारी ‘सश्स… ससीईइ’ निकल गयी और मेरी बांहों में सिमटती गयी. अब मैं उसे लगातार किस करते हुए पीछे से उसके चुच्चों को दबा रहा था और वो मजे से दबवा रही थी.
फिर मैंने उसके शर्ट को निकाल दिया. अब वो मेरे सामने ब्रा और सलवार में खड़ी थी. मैं उसको अपनी तरफ घुमा कर उसके चुच्चे को मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया.
उसने पेंटी नहीं पहनी थी. मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा. वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी और मेरे मुँह को अपने चुच्चों पर जोर जोर से दबा रही थी.
और बोल रही थी- और चूसो इनको … जोर से चूसो!
फिर उसने मेरी पैंट के साथ साथ मेरा अंडरवियर भी उतार दिया. वो मेरे लण्ड को पकड़कर जोर जोर से हिलाने लगी और बोली- ये तो बहुत मोटा है, अंदर कैसे जायेगा?
मैंने कहा- देखती जाओ मेरी जान … अपने आप चला जायेगा.
तब मैंने उसको बेड पर लिटा लिया और उसकी टाँगें चौड़ी करवा ली.
मस्त चूत थी उसकी … बिल्कुल बंद सी लग रही थी. मगर वो पहले से चुदी हुई थी. ये बात उसने मुझे खुद बताई थी कि उसका गुजरात में 4 लड़कों के साथ चक्कर था जिन्होंने उसे खूब चोदा था.
मैं उसके होंठों को चूसने लगा और उसकी चूत को सहलाता रहा. फिर मैं उसको लिटा कर उसकी चूत को चाटने लगा. बहुत ही मस्त स्वाद था उसकी चूत का नमकीन नमकीन सा!
10 मिनट मैं उसकी चूत को चाटता रहा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. फिर मैंने उसको लण्ड चूसने को बोला तो उसने बिना ना नुकर के लण्ड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
वो बहुत माहिर थी लण्ड चूसने में! उसके जैसे लण्ड आज तक किसी ने नहीं चूसा मेरा!
उसके मुँह की गर्मी ने असर दिखाया और 10 मिनट में ही मेरा भी सारा माल निकल गया.
थोड़ी देर बाद वो फिर से लण्ड को छेड़ने लगी. लण्ड ने अपनी औकात दिखानी शुरू कर दी. 2 मिनट में ही लण्ड पत्थर जैसा हो गया. मैं फिर से उसके होंठ चूसने लगा और चुच्चे दबाने लगा.
वो फिर से गर्म हो गयी और लण्ड को जोर जोर से हिलाते हुए बोली- मनमीत, जल्दी से डाल दो … अब इंतजार नहीं होता!
फिर उसको सीधा लिटा कर जैसे ही उसकी चूत पर लण्ड लगाया, वो फिर से सिसकारने लगी.
मैंने एक जोरदार धक्का मारकर आधा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया.
वो तड़पने लगी, बोली- आराम से करो!
मगर मैंने उसकी ना सुन कर एक और धक्का मार दिया और पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और बिना रुके उसे चोदने लगा.
थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी.
10 मिनट बाद मैंने उससे बोला- घोड़ी बन जा!
उसे घोड़ी बना कर पीछे से लण्ड उसकी चूत में डाल दिया.
‘आआआ आह्ह ह्ह …’ उस मज़े को मैं शब्दों में नहीं बता सकता.
15 मिनट बाद जब मैं झड़ने लगा तो वो भी दूसरी बार मेरे साथ झड़ने लगी. फिर हम दोनों एक साथ झड़ कर एक दूसरे की बांहों में लेट गए.
उस दिन को मैं आज तक नहीं भूल पाया हूँ. उस दिन हमने 6 बार चुदाई की. फिर 3 दिन, जब तक उसके घर वाले नहीं आ गए, हमने खूब मज़े किये.
फिर 6 महीने बाद मुझे वापस अपने घर आना पड़ा और पूनम से फिर कभी मिलना नहीं हुआ.
ये थी दोस्तो मेरी कहानी. कैसी लगी आपको? मेल करके बताना मुझे!
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