अन्तर्वासना और बस साँसों का तूफ़ान

हाय दोस्तो, कुँवारी चूतों और हसीन गांडों को मेरे लंड का सलाम! मेरा नाम अभिमन्यु है.. उम्र 32 बरस है। मेरा लंड लम्बा और मोटा है इसका सुपारा गुलाबी है।

कहानी कुछ इस तरह है, मैं अपने एक रिश्तेदार के यहाँ लड़की की शादी में गया था। करीबी रिश्तेदार होने की वजह से काफी सारा काम मेरे जिम्मे भी था, मुझे फुर्सत ही नहीं मिल रही थी।
वहाँ एक लड़की थी.. जिसका नाम कम्मो था। चूँकि मैं काफी हैण्डसम हूँ और गोरा भी हूँ.. इसलिए वो मुझे काफी समय से नोटिस कर रही थी.. जिसका पता मुझे बाद में चला।

मुझे सुबह नहाना था.. मगर बहुत सारे मेहमान घर में होने की वजह से सारे बाथरूम भरे थे। मैं पड़ोस वाले चाचा जी के बाथरूम में नहाने चला गया।
चाचाजी का यह नया घर बना हुआ था.. उसमें बाथरूम में दरवाजा नहीं था.. चाचा जी ने उसमें बस पर्दा लगा रखा था।

मैं शुरू से ही बिल्कुल नंगा होकर नहाता हूँ, जब मैं नहा रहा था तो अचानक से कम्मो अन्दर आ गई।
मुझे कुछ समझ नहीं आया.. वो मुझे देखती ही जा रही थी।

मैंने कहा- जाओ यहाँ से।
तो वो शर्माते हुए मुस्कुराने लगी और ‘सॉरी’ बोल कर हँसते हुए भाग गई।

पूरा दिन मेरी आँखों में वही सब घूमता रहा.. मेरा किसी काम में भी मन नहीं लगा। जब मैं शाम को घर आया तो कम्मो ने मुझे चाय लाकर दी और धीरे से कहा- आई लव यू!
मैंने भी कहा- आई लव यू टू..
वो शर्मा के चली गई।

फिर हमारे आँखों ही आँखों में इशारे होते रहे।

शाम को हलवाई ने कहा- भाईसाब एक बोरी मटर छीलनी है.. थोड़ी मदद कर दो।
मैंने कहा- मटर की बोरी बैठक में डलवा दो।

फिर मैंने सबको इकट्ठा किया और वह बुलाया और कहा- चलो अन्ताक्षरी खेलते हैं और खेलते खेलते मटर भी छील लेते हैं।
सब तैयार हो गए।

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मटर छीलते हुए ठण्ड लग रही थी.. तो कम्मो जो मेरे पास बैठी थी.. उसने रजाई पैरों पर डाल दी। अब वो मेरे लंड से खेलने लगी।
मैंने कहा- क्या कर रही हो?
तो उसने कहा- मुझे आपका लंड बहुत पसंद है और मुझे ये लेना है।

अंधे को क्या चाहिए दो आँखें।

मटर छीलते हुए 12 बज गए.. सब जाने लगे तो मैंने कम्मो से कहा- बस थोड़ी रह गई है। हम दोनों इसको ख़त्म कर देंगे..
वो तैयार हो गई.. जब मटर छिल गई तो कम्मो जाने लगी।
मैंने कहा- चाहिए नहीं है क्या.. यहीं सो जाओ।

वो हँस दी।

मैंने जमीन पर गद्दा बिछाया और रजाई डाल दी।
उसने कहा- आप लेट जाओ.. मैं देख कर आती हूँ कि सब सोये या नहीं।
मैंने कहा- ओके।

उसका इन्तजार करते-करते मेरी आँख लग गई। जब आँख खुली तो अँधेरे में अंदाज से देखा तो मुझे लगा कि कम्मो मेरा लंड चूस रही है। मैंने कम्मो को ऊपर खींचा और उसके होंठ चूसने लगा। कुछ मिनट तक हम एक-दूजे की जीभ चूसते रहे। फिर मैंने उसका शर्ट ऊपर किया, कम्मो ने ब्रा नहीं पहनी थी, मतलब उसकी चूत चुदवाने की पूरी तैयारी थी।

मैं कम्मो की चूचियां चूस रहा वो मेरा लंड मसल रही थी।

सब कुछ होता रहा.. न उसने कोई बात की.. ना मैंने, बस गर्म साँसों का तूफ़ान उठ रहा था।
मैंने देर ना करते हुए कम्मो की चूत पर अपने होंठ रख दिए।

कम्मो- उफ्फ्फ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहह.. उन्न्ह आह्ह..
कम्मो का रस बह गया और मैं उसकी चूत चाटता रहा।

वो दोबारा गरम हो गई मुझे अपने ऊपर खींचने लगी। मैंने कम्मो की चूत पर अपना सुपारा टिकाया उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ा और अपना कड़ियल शेर चूत के अन्दर धकेल दिया।

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अभी आधा लंड ही अन्दर गया होगा कि कम्मो कसमसाने लगी। मैंने जोर का झटका दिया.. पूरा लंड चूत में समां चुका था।

कम्मो की चूत ने मेरे लंड को बुरी तरह जकड़ा हुआ था। लंड हिलने का नाम ही नहीं ले रहा था। धीरे-धीरे कम्मो ने अपनी पकड़ ढीली कर ली और मैं उसकी मस्त चिकनी चूत को अपने लंड से मस्त करने लगा।

कुछ ही मिनट की चुदाई में कम्मो दो बार झड़ गई। जब मैं झड़ने लगा तो मैंने लंड बाहर निकालना चाहा.. पर कम्मो कुछ और चाहती थी। मैंने उसकी चूत अपने गरम माल से भर दी।

थोड़ी देर मैं उसकी चूचियों से खेलता रहा। फिर काम और चुदाई की थकान की वजह से मेरी आंख लग गई।

सुबह मुझे कम्मो ने जगाया, देखा तो वो नहा-धो कर मेरे लिए चाय लाई थी।
मैंने उसके गुलाबी होंठों पर किस किया और पूछा- रात को मजा आया चुदाई में?

तो उसने कहा- कौन सी चुदाई मेरी जान.. सपने में चोदा था क्या मुझे? मैं तो रात ऊपर छत पे ही सो गई थी।
मैंने पूछा- फिर वो कौन थी?
मैंने रजाई हटा कर देखा तो गद्दे पर काफी सारा खून था। कम्मो मुस्कुराई और बोली- तो रात को जनाब ने किसी की नथ उतार दी.. मुबारक हो जानू!

पर मैं हैरान था कि इसलिए ही उसकी चूत इतनी टाईट थी। क्योंकि कम्मो तो शादी-शुदा थी.. तो उसकी चूत इतनी टाईट कैसे थी।

पर वो कौन थी.. जो फ्री में अपना कौमार्य मुझे सौंप कर चली गई।

मुझे आपके मेल का इन्तजार रहेगा। मेरी मेल आईडी है।
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