मरीज की माँ को यौन सुख दिया-1

मैं एक डॉक्टर हूं, मेरा नाम आकाश है. आज मैं डॉक्टर होते हुए एक जिगोलो भी हूं. मेरे हिसाब से डॉक्टर का और जिगोलो का काम लगभग एक ही है.. सेवा देना!
इसी लिए मैं आज दोनों काम बखूबी करता हूं.
आईए मैं आपको अपनी कामुक सेक्स स्टोरी पर ले चलते हूँ.

मेरा अपना बड़ा अस्पताल है दो मंजिला, ऊपर की मंजिल पर ही मेरा घर भी है.

हास्पिटल ओपनिंग के कुछ ही दिन के बाद मेरे पास एक लेडी रागिनी आई, जिसकी लड़की के पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा था. जांच के बाद पता चला कि उसकी लड़की के पेट में अपेंडिस था, मैंने रागिनी को बताया कि ऑपरेट करना पड़ेगा.

मेरे दिए गए सुझाव से रागिनी जी संतुष्ट हो कर अपनी लड़की का ऑपरेशन करवाने को तैयार हो गईं.

मैंने एडमिट करवा कर कुछ टेस्ट करने को बोला और अगले दिन ऑपरेशन का समय दे दिया. ऑपरेट होने के बाद सभी जानते हैं कि कम से कम एक सप्ताह रूकना पड़ता है और इसी बीच मेरा और रागिनी का यौन सम्बंध बन गया.

यौन सम्बन्ध कैसे बना, ये आपको बताता हूं कि कैसे मेरी बांहों में रागिनी आकर अपनी कई सालों पहले की चुत की भूख मिटा लेती है.

ऑपरेशन के दूसरे दिन रागिनी ने मुझसे कहा कि डॉक्टर साहब आप मुझे फर्स्ट फ्लोर पर ही शिफ्ट कर दें क्योंकि मैं अकेली हूं, रात में कोई काम लगा तब आपको बुला सकती हूं. आपका भी रूम उसी फ्लोर पर है.

मैं बोला- स्टाफ में वॉड ब्वॉय तो हैं, कोई जरूरत होगी तो आप उससे बोल देना, वो मुझे बुला लेगा.
रागिनी जी बोलीं- डॉक्टर साहब, मैं आप के ही भरोसे इस हास्पिटल में ऑपरेट कराने आई हूं, प्लीज आप मुझे ऊपर का रूम दे दें तो मुझे संतुष्टि रहेगी.

मैंने ओके कर दिया और स्टाफ से बोल कर रागिनी को मेरे रूम के बगल वाले वार्ड में शिफ्ट करा दिया. मैं ऊपर मरीज नहीं रखता था इसलिए स्टाफ का आना जाना ऊपर नहीं होता था. मैंने अपने स्टाफ से बोल भी दिया था कि तुम को ऊपर आने की कोई जरूरत नहीं है, मैं इस मरीज को देख लूँगा.

रात दस बजे के बाद रागिनी मेरे से बात करने लगी और मैं भी उसके पास बैठकर बात करने लगा. मेरे जैसे हैंडसम और स्मार्ट को करीब पाकर रागिनी जी की योनि की आग भड़क उठी थी.
रागिनी का पति मुम्बई में रहता था, वह दो-तीन साल में आता था. तब तक रागिनी की चुत बिन चुदे रहती थी.

अब तो रागिनी जी बात करते हुए मेरे पैर से पैर सटा देतीं, मुझे भी कुछ कुछ समझ आने लगा था. दूसरे ही दिन थोड़ी देर बात करने के बाद हम दोनों को ही कुछ समझ में आने लगा था.
फिर रागिनी जी बोलीं- सर वो जमीन पर मैं बिस्तर डाली हूं, चलिए वहीं बैठ कर बातें करते हैं.
मैं बोला- रागिनी जी रात के साढ़े ग्यारह हो गए हैं, अब मैं सोने जा रहा हूँ.
ये कहकर मैं उठा, तभी रागिनी जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बड़े प्यार से बोलीं- प्लीज सर चलिए ना!
मैं कुछ कहता इससे पहले रागिनी जी बोलीं- मुझसे डर रहे हो क्या? मैं खा थोड़ी जाऊँगी क्या?

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर जबरिया जमीन पर लगे बिस्तर पर लेकर मेरे से सटकर बैठ कर बात करने लगीं.

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मैंने भी काफी दिनों से यौन सुख नहीं पाया था. रात में एक सुन्दर लेडी को अपने करीब पाकर मुझे भी सेक्स की खुमारी चढ़ने लगी और रागिनी के व्यवहार से भी मुझे पता चल गया कि यह भी सेक्स की भूखी है.
मौका देख कर मैंने पूछ लिया- रागिनी तुम यह बताओ.. तुम इतने दिन पति से दूर कैसे रह लेती हो.. तुमको कुछ करने का मन नहीं होता?

इतना सुनते हुए उसकी सांस ऊपर नीचे होने लगी और वो शरमा कर बोली- जब कोई आस ही नहीं हो, तो मन करके भी क्या फायदा? इस वक़्त भी मुझे वासना की खुमारी चढ़ी है, पर आपके पास होते हुए भी मैं सेक्स के लिए तरस रही हूं.
ये कह कर उसने सर नीचे झुका लिया और एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया.

तभी ना जाने मुझे क्या हुआ कि मैंने सब कुछ भूल कर वासना के नशे में रागिनी को कस कर पकड़ लिया.

उसने भी मुझे अपनी बांहों में कस कर पकड़ लिया और मैं उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा. पता नहीं कब वासना का सागर उमड़ा और उसमें सब कुछ बहता चला गया. ना जाने कब हम एक दूसरे के अन्दर समाते चले गए. रागिनी तन के मिलन के लिए इतना कामातुर थी कि मैं उसकी वासना को शब्दों का सही रूप नहीं दे पा रहा हूँ.

पर कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे को यूं ही चूमते रहे. मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसकी छाती पर रखा दबाने लगा, रागिनी सिसकारियां लेते हुए चुत की वासना के सागर में गोते लगाने लगी.

फिर मैंने एक एक कर रागिनी के सारे कपड़े उसके तन से अलग कर दिए. मैं भी निवस्त्र हो गया और हम एक दूसरे से आलिंगनबद्ध हो गए. मैं रागिनी की चुचियों को चूमते हुए, पेट और नाभि पर जीभ घुमाते हुए रागिनी की चूत को अपने होंठों में भर-भरकर चूसने लगा.. साथ ही उसकी चूत के दाने को भी अपनी जीभ से सहलाते दबाते हुए चुत का रस पान करने लगा.

इधर रागिनी भी कामुक सीत्कारें लेने लगी- आआह हहह ओहहहह सर बहुत अच्छा लग रहा है आहहह.. मजा आ रहा है.. और करो.. बुझा दो मेरी वर्षों की प्यासी चुत की आग को बुझा दो.. अब नहीं रहा जाता.
उसी समय मैंने रागिनी को अपनी बांहों में लेकर लंड उसकी चूत पर रगड़ते हुए लंड का सुपारा रागिनी के चुत के छेद पर रखकर चांपा और आहिस्ता आहिस्ता लंड रागिनी के चुत में समाता चला गया.

रागिनी मादक सिसकारी लेते हुए ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआहह.. उयईईई..’ करती रही और मैं लंड को उसकी चुत में पेलता रहा. ना जाने कब तक मैं उसकी जवानी का रस पीता रहा और वह चुत से रस पिलाती रही. मैं उसे चोदता रहा और रागिनी चुदाती रही.

हम दोनों वासना के नशे में तब तक एक दूसरे के चूतड़, गांड, चुत सब रगड़ते रहे. जब तक ज्वार थम नहीं गया और बादलों ने बरसात ना कर दी.. चुदाई का भंवर चलता रहा. फिर मेरा लंड उसकी चुत में बरसात करने लगा और चुत वीर्य से भर उठी.
हम दोनों वासना की संतुष्टि पाकर एक दूसरे को जकड़ कर हाँफने लगे. मैं कुछ देर तक रागिनी के चुत में ही लंड डाले पड़ा रहा.
जब हम दोनों के लंड, चुत की गरमी शांत हुई तो मैं उठकर सीधे अपने रूम में चला गया. बाहर रागिनी मेरा वीर्य अपनी चुत में लिए हुए नंगी ही सोई रही.

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मैं फ्रेश होकर बेड पर लेटे बीते लम्हों को सोच ही रहा था, तभी रूम का दरवाजा खुला और रागिनी ने बिल्कुल वैसे ही नंगी अवस्था में रूम में प्रवेश किया, जैसे चुदी हुई थी. वो उसी हालत में सीधे आकर मेरे सीने पर सर रख कर मुझसे चिपक गई और मुझे जकड़ लिया.
मैं भी बिना कपड़ों के ही था.
रागिनी मुझसे बोली- आप की चुदाई से मेरी वासना शांत हो गई है, आज तक मेरे पति शांत ही नहीं कर पाए थे. मैं आपके लंड की गुलाम हो गई हूं.
ये कहते हुए रागिनी ने मेरे हाथ पर 5000 हजार रूपए रख दिए.

मैं बोला- ये क्या है?
वह बोली- सर मेरे सुख का इनाम..
मैं बोला- अरे मैंने पैसे के लिए नहीं चोदा है और मैंने भी तो सुख पाया है, मुझे नहीं चाहिए.
वो बहुत जिद करने लगी.
मैं बोला- जब तक तुम मेरे हास्पिटल में हो मैं यह नहीं लूँगा.. क्योंकि तुम मेरी मेहमान हो और मेरा पेशा भी सेवा देना है, तुम जब तक हो मैं वैसे ही तुम्हारी वासना को अपने लंड से शांत करता रहूंगा.

इतना सुनते रागिनी एक बार मुझसे फिर लिपट कर चूमने लगी और धीमे-धीमे चूमते हुए मेरे लंड को पकड़ कर मुँह में ले कर सुपारे को चूसने लगी.

रागिनी के मुँह की गर्मी से लंड टाईट हो कर फुंफकार उठा. रागिनी काफी देर तक मेरे लंड को चूसती रही. वो कभी सुपारे को चूसती, तो कभी पूरा लंड मुँह के अन्दर कर लेती. मैं हाथ बढ़ा कर रागिनी के चूतड़ और वीर्य से भीगी चुत को सहला रहा था. रागिनी फिर से पूरी मस्ती में आ चुकी थी और उसकी चूत पानी छोड़ कर चुदने के लिए फड़कने लगी थी.

फिर मैंने रागिनी को अपने बदन से चिपका लिया. उसकी चूचियाँ मुँह में लेकर बारी बारी से उसकी दोनों चूचियां चूसने लगा. साथ ही एक हाथ से उसकी चुत सहलाता और कभी उंगली को उसकी चुत में डाल देता.

रागिनी काम वासना से सिसियाते हुए कहने लगी- आहआ..ह.. आआह.. ईईई आह सी.. और चूसो सर.. खूब मसलो मेरी चुची को.. और ज़ोर से मसलो..

ये कहते हुए रागिनी मुझसे और जोरों से चिपकने लगी. मैं रागिनी की चुची को चूसता हुआ पेट और नाभि को चाटते हुए अपना मुँह सीधे रागिनी की जांघ पर रख कर चूमते हुए मेरा मुँह सीधे उसकी जांघों से होता हुआ चूत पर आ गया. अब मैं रागिनी की चिकनी चुत को चाटते हुए योनि की पंखुड़ियों को होंठों में भर कर चूसने लगा.

रागिनी भी ‘आह्ह्ह्ह्ह्.. सीईईई.. आह.. सीई.. ऊऊऊह..’ करते हुए अपनी चुत चुसवा रही थी. मेरा हाथ में उसकी मांसल शरीर और उसकी मस्त चूचियों को सहलाए जा रहा था.

रागिनी की चुत की दुबार चुदाई के साथ ही मुझे अब उसकी गांड का छेद भी मस्त लग रहा था. मेरे लंड का अगला निशाना उसकी गांड का छेद था.

कामुक सेक्स स्टोरी के इस भाग पर आपके विचारों के लिए मुझे आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
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हिन्दी में कामुक सेक्स स्टोरी जारी है.

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