अजीब दास्ताँ है ये-3

कहानी का दूसरा भाग: अजीब दास्ताँ है ये-2

मैं बड़ी उलझन में फंस गया। जिस लड़की को मैं इतने दिन से चोदने के सपने देख रहा था, वो मेरे सामने बैठी थी और उसने अपनी तरफ से मुझे यह छूट भी दे दी थी कि मैं उसके साथ जो चाहे कर लूँ। मैं सोचने लगा कि क्या करूँ, क्या ना करूँ।
तो मैंने सोचा करके ही देखते हैं।

मगर मैं दूसरी तरफ अपने कंधे पर सर रख कर आराम से टीवी देखती उस लड़की के साथ कैसे ये सब शुरू करूँ। कोई रंडी या गश्ती होती तो अभी तक तो मैं उसको कबका नंगी करके खुद भी नंगा हो चुका होता। या इस वक़्त तक वो मेरा लंड चूस रही होती, मैं उसके सारे बदन को सहला चुका होता और बस अब अपने लंड पर कोंडोम चढ़ा कर उसे चोदने वाला होता।

लेकिन यहाँ तो 20 मिनट से वो मेरी गोद में बैठी थी और अभी तक मैंने उसे कहीं भी नहीं छुआ था। मगर मेरा दिल चाह रहा था कि मेरे सीने के पास, बिल्कुल पास उसका सीना भी था, जिसे मैं छू सकता था, अपने हाथ में पकड़ कर दबा कर देख सकता था। मगर न जाने वो क्या था, जो मुझे रोके रखा था।

जब भी मैं बाहर कहीं बाज़ार में या रिश्तेदारी में कहीं भी जाता तो अक्सर ऐसी छोटी छोटी लड़कियाँ देखता जो अभी अभी जवानी में अपने कदम रख रही होती। उनके कपड़ों में से झाँकते उनके नए नए उभर रहे जिस्मानी आकार, जो उनकी टी शर्ट के नीचे कुछ भरे भरे होने का एहसास करवाते। उनकी जांघों पर, चूतड़ों पर चढ़ने वाली चर्बी की परतें, जो उनके गोल गोल चूतड़ों और संगमरमरी जांघों की और सबका ध्यान आकर्षित करती। मेरा बड़ा दिल करता कि इस लड़की के मम्में दबा कर देखो, जीन्स में छुपी हुई उसकी सेक्सी टाँगें जो छुप कर भी अपनी गोलाइयाँ सब को दिखा रही होती, उन खूबसूरत जांघों को सहला कर देखूँ, इन मोटे मोटे गोल उठे हुये चूतड़ों को दबाऊँ, इस मस्त गोल गांड पर ज़ोर से एक चपत मार कर देखूँ।

मगर आज मुझे क्या हो गया था; एक पराई नौजवान लड़की, जिसके पास वो सब कुछ था, जो और लड़कियों में देखता था, और उसका पूर्ण समर्पण भी था। अगर मैं उसके मम्में, जांघ, चूतड़, या उसके बदन पर कहीं भी, उसके किसी भी गुप्तांग को छू लेता तो मना नहीं करती। वो यहाँ आई थी तो इसी लिए आई थी। मैंने उसे साफ साफ कह दिया था कि हम सेक्स करेंगे। तो मैं क्या उसे छू कर देखूँ।
मेरे मन में विचार आया।

तो मैंने सबसे पहले उसके सर पर एक छोटा सा चुम्बन लिया जैसे कोई भी बाप अपनी बेटी का सर चूम लेता है। मगर मेरे चूमते ही और वो और कसमसा कर मेरी गोद में सिमट गई।
“ओह …” उसका नर्म, नन्हा सा स्तन मेरे सीने से लग गया। बेशक मेरे मन को एक बहुत ही सेक्सी सा एहसास हुआ मगर फिर भी न जाने क्यों मेरा दिल सा भी भर आया। मैंने उसे और कस कर अपनी बांहों में भरा। उसने अपनी बाजू मेरे पेट से उठाई और मेरी पीठ के पीछे लेजाकर, पूरी तरह से अपनी आगोश में लेकर वो मुझसे लिपट गई।

अब तो उसके दोनों बेहद मुलायम मम्में मेरे सीने से लग गए। कितने मासूम, कितने प्यारे, कितने नर्म मम्में। उसके जिस्म की नर्मी मेरी पैन्ट में कैद मेरे लंड को जैसे ललकार रही थी। मगर मैं जैसे तैसे अपनी कामुकता को अपने काबू में करने की कोशिश कर रहा था। मैं तो बस इसी तरह उसे गले लगा कर प्यार करना चाहता था मगर पैन्ट के अंदर रहने वाला ये लंड किसी रिश्ते किसी बंधन को नहीं मानता। उसके कुँवारे जिस्म के एक अजब सी गंध, एक खुशबू मुझे आ रही थी जो मेरे अंदर की भावनाओं को भड़का रही थी।

मैंने खुद को रोकना चाहा मगर फिर भी मेरा हाथ उठा और मैंने उसकी जांघ पर अपना हाथ रख दिया। उसने सिर्फ एक बार मेरे हाथ की तरफ देखा, मैंने धीरे से उसकी जांघ पर हाथ फेरा, जीन्स के मोटे कपड़े के नीचे से भी मैं उसकी जांघ की नर्मी और चिकनाहट महसूस कर सकता था। मैंने उसकी जांघ को दबाया, कमर से लेकर घुटने तक कई बार उसकी जांघ पर हाथ फेर फेर कर सहलाया।

कितनी कामुकता थी, उस लड़की के जिस्म में … मेरे लंड ने मेरी पैन्ट के अंदर करवट ली। मुझे लग रहा था कि मेरे लिए पीछे जाने के रास्ते बंद हो रहे हैं। मैं जांघ पर हाथ फेरते फेरते उसके एक चूतड़ को भी दबाया। बहुत ही नर्म, मगर सॉलिड चूतड़।
फिर मैंने दोनों चूतड़ों को दबाया और उसकी जीन्स की जो सिलाई उसके चूतड़ों के बीच में से हो कर जाती है, उस सिलाई पर भी अपनी उंगली फिरा कर देखी। अपने अंदाजे से मैं हिसाब लगाया कि ‘यहाँ इस जगह उसकी फुद्दी होगी।’

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बेशक मैं अभी सिर्फ एक कपड़े को ही छू पाया था मगर इसी एहसास से मेरा मन गदगद था कि इस कपड़े के नीचे के कुँवारी फुद्दी है। महसूस तो वो भी कर रही होगी कि एक पराया मर्द जब एक लड़की या औरत के बदन को छूता है तो कैसा एहसास होता है। बेशक उसने पहले कभी भी सेक्स नहीं किया मगर अच्छे बुरे स्पर्श की पहचान तो उसे थी। और क्योंकि मैंने तो उसके मुक़ाबले बहुत सेक्स किया है तो मुझे तो उसके साथ बीत रहे एक एक पल में अपनी कामुकता के और बढ़ने का अहसास हो रहा था।

फिर मैंने उसकी जांघ से अपना हाथ उठा कर उसके कंधे पर रखा और उसके कंधे को सहलाता हुआ उसकी पीठ से नीचे उतरा। रास्ते में उसके ब्रा के स्ट्रैप ने दो बार मेरे हाथ को रोका।
“आह …” औरत का ब्रा भी कितनी सेक्सी चीज़ बनाई है बनाने वाले ने। अगर औरत ने ना भी पहना हो, कहीं पर टांगा हुआ मिल जाए तो भी देखने और छूने से पुरुष को अत्यंत आनंद की अनुभूति होती है। और अगर औरत ने ब्रा पहना हो फिर तो देखने और छूने का अहसास और भी अधिक आनंददायी हो जाता है।

मगर मेरी गोद में कोई औरत नहीं, एक 18 साल की मासूम सी लड़की लेटी थी। उसके मन में क्या चल रहा था, मुझे नहीं पता, मगर मेरा मन उसके कोमल जिस्म को सहलाने के लिए मुझे मजबूर किए जा रहा था। तो उसके जिस्म को थोड़ा और अपने से चिपकाने के लिए मैं बेड पे नीचे को सरक गया और सीधा लेट गया. और इस तरह वो भी मेरे ही जिस्म के ऊपर अपने आप सेट हो गई।
अब तो वो किसी छोटी लड़की की तरह मेरे जिस्म के ऊपर लेटी थी पूरी तरह चिपक कर। मेरा लंड मेरी पैन्ट में पूरी तरह तन चुका था, शायद मेरे लंड को वो अपने पेट पर महसूस भी कर रही हो।

वो मेरे ऊपर उल्टा लेटी थी तो मैंने अपने दोनों हाथ उसके दोनों चूतड़ों पर रखे। जीन्स में कैद उसके दोनों चूतड़ों के मैंने अपने दोनों हाथों से कई बार हल्के दबा कर देखा। मैं मज़ा भी लेना चाहता था मगर यह भी नहीं चाहता था कि मेरा छूना उसको बुरा लगे। मगर फिर भी उसको छूकर, शायद मैं बाज़ार में टाइट जीन्स पहन कर घूमने वाली लड़कियों के गोल गोल चूतड़ों को दबाने का अहसास कर रहा था।

उसके चूतड़ और जांघों को मैंने बड़े अच्छे से सहला कर दबा कर देखा। फिर उसकी दोनों टाँगें खोल कर मैंने अपनी कमर के अगल बगल रखी और उसे उठाया। वो जब उठ कर बैठी तो ठीक मेरे तने हुये लंड के ऊपर बैठी। जैसे मुझे उसकी फुद्दी की नर्मी मुझे मेरे कड़क लंड पर महसूस हुआ, वैसे ही उसे भी तो अपनी नर्म सी फुद्दी के नीचे कुछ सख्त सा महसूस हुआ होगा। क्योंकि जब वो बैठी तो उसने अपने आप को मेरी कमर के ऊपर थोड़ा सा एडज्स्ट किया. यानि उसने मेरे तने हुये लंड को अपनी फुद्दी के नीचे इस तरह से सेट किया कि वो उसकी दोनों जांघों की गहराई में बड़े अच्छे से फिट हो गया।

मैंने उस से पूछा- तुम्हें पता है कि इस वक़्त किस चीज़ पर बैठी हो?
उसने हाँ में सर हिलाया।
मैंने पूछा- क्या है?
वो धीरे से बड़ी मीठी सी आवाज़ में बोली- लंड।
कितनी मिठास थी उसकी आवाज़ में। अब मुझे बड़ी तसल्ली सी हुई कि ये भी पूरी तरह से मन बना कर आई है.

मैंने भी हिम्मत सी करके उसे अपनी ओर खींचा, वो नीचे को झुकी तो उसकी टीशर्ट का गला भी नीचे को झुक कर झूल गया। मैंने उसकी टी शर्ट के गले के अंदर निगाह मारी; ‘वाह … जन्नत!’ दो दूध से भरे छोटे छोटे मम्मे उसकी ब्रा में कैद। ऊपर से देखने से पता नहीं चलता था, लगता था, छोटे छोटे हैं, मगर अगर अंदर से देखा जाए तो इतने छोटे भी नहीं थे।

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मुझे इस तरह उसकी टीशर्ट के अंदर देखते हुये उसने पूछा- क्या देख रहे हो पापा?
मैंने कहा- मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरी यह नन्ही सी गुड़िया अब पूरी जवान हो चुकी है, बस तुम्हारी जवानी की बहार देख रहा हूँ।
वो बोली- तो अच्छी तरह से देख लो न!

मैंने उसे सीधा करके बैठाया और उससे पूछा- क्या तुम अपनी ये टी शर्ट उतार सकती हो?
मैं और कुछ कहता … इससे पहले उसने अपनी टी शर्ट उतार कर एक तरफ रख दी।

‘अरे वाह …’ कितना गोरा, उजला बदन था उसका, आज तक जिसे किसी ने नहीं देखा। मैं पहला मर्द था जिसने उसके इस खूबसूरत कुँवारे जिस्म को पहली बार देखा था।
फिर भी मैंने पूछ लिया- क्या तुम्हारे बॉयफ्रेंड ने कभी तुमको इस हालत में देखा है?
वो बोली- नहीं, कभी नहीं! मैंने उसे सिर्फ दो बार किस किया है, उसने तो कभी इनको हाथ भी नहीं लगाया।

मेरा दिल तो जैसे उछल पड़ा; मैंने अपने हाथ बढ़ा कर उसके दोनों मम्में पकड़ कर देखे, बिल्कुल अनछुए, नर्म, मुलायम, कच्चे मम्मे। हल्के हाथों से मैंने उसके दोनों मम्में उसके ब्रा के ऊपर से ही पकड़े और दबा कर देखे, ऐसे जैसे आप कोई बहुत ही नाज़ुक काँच का सामान अपने हाथ में पकड़ते हो कि कहीं गिर न जाए, टूट न जाए। सच में दबा कर मज़ा आ गया।

मैंने उसके ब्रा में से बाहर दिख रहा उसका क्लीवेज भी छू कर देखा। दोनों छोटे छोटे मम्मों के बीच में काफी जगह थी। खूबसूरत, जवान और पराई लड़की के जिस्म में तो जैसे जादू होता है। जहां कहीं भी हाथ लगा लो, बस मज़ा ही मज़ा आता है।
कई बार मैंने उसके मम्मों को छूकर, दबा कर देखा। उसकी चिकनी कमर पर हाथ फेरे, क्या शानदार शेप थी उसके बदन की। सिर्फ जीन्स और ब्रा में वो गज़ब की सुंदर और बेहद सेक्सी लग रही थी।

एक ऐसा सीन मेरे सामने था कि अगर वो यह कहती ‘पापा, आप मेरे साथ सेक्स नहीं कर सकते, बस मैं इतना ही दिखाऊँगी, आप अपना हाथ से हिला लो और बस।’
तो मैं उसके इस खूबसूरत जिस्म को देख कर हाथ से हिलाने को भी तैयार था।
मगर उसने ऐसा कुछ नहीं कहा।

मैंने भी उठ कर अपनी शर्ट उतार दी, अपने जूते, जुराब, पैन्ट भी उतार दी। अब मेरे बदन पर सिर्फ मेरी चड्डी थी और मेरी चड्डी में से झांक रहे मेरे कड़क लंड को देख कर वो बोला- पापा, आपका तो काफी बड़ा है।
मैंने कहा- अरे नहीं, बड़ा तो नहीं है, तुम्हारी आंटी तो बड़े आराम से ले लेती है।
वो बोली- वो तो आंटी हैं न, मैं तो आपकी नन्ही सी बेटी हूँ, अगर मुझे दर्द हुआ तो?
मैंने कहा- ओह, हाँ अगर दर्द हुआ तो हम नहीं करेंगे। ठीक है, पर जब तक तुम सहन कर सकोगी, तब तक करेंगे।
वो बोली- ठीक है।
मैंने आगे बढ़ कर उसकी जीन्स का बटन खोला और फिर ज़िप खोली। और फिर उसकी जीन्स खींच कर नीचे उतारनी चाही मगर स्किन टाईट जीन्स उतरी ही नहीं।
मैंने कहा- अरे यार … इतनी टाईट जीन्स तुम लोग पहन कैसे लेती हो?
वो हंसी और बोली- बस हम ही पहन सकती हैं और हम ही उतार सकती हैं।
कह कर उसने एक मिनट में अपनी जीन्स उतार दी।

उसके बदन पर अब सिर्फ पिंक ब्रा और पिंक पैन्टी थी।

मैंने उसे अपने पास खींचा और उसकी चिकनी जांघों पर हाथ से सहला कर देखा। बेहद मुलायम जांघें … मैं तो उसके सामने ही बैठ गया और उसकी दोनों जांघों को चूमने लगा।
उसको गुदगुदी हुई तो मैंने उसे घुमा दिया, अब उसकी पीठ मेरी तरफ थी। सबसे पहले मैंने उसके कंधे चूमे, फिर बाजू, पीठ पर चूमता हुआ नीचे को आया। और फिर उसके दोनों चूतड़, जांघें, पिंडलियाँ, पाँव सब चूमे।
तब अपनी गोद में उसे उठा कर बेड पर लेटाया।

कितनी गजब की खूबसूरती थी उस लड़की में। जैसे कोई अप्सरा पड़ी हो मेरे सामने। मैंने उसके साथ लेट कर उसके सारे बदन को जहां जहां भी हो सकता था, चूमा।

कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: अजीब दास्ताँ है ये-4

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