प्रेमिका की बुर चोदने की ललक- 1

यह जवानी है दीवानी. मैं अपनी क्लास में नयी आयी लड़की को पसंद करने लगा. मुझे तो उसकी बुर चोदने की ललक थी. मगर वो तो हाथ धरने नहीं दे रही थी.

नमस्कार दोस्तो, मैं प्रवीण कुमार रायपुर से आपके सामने अपनी सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ.

मेरी उम्र 23 साल है और लंबाई 5 फुट 7 इंच है.

मैं इस साइट में पहली बार कोई अपनी सेक्स कहानी लिख रहा हूं तो गलती होना लाजिमी है, प्लीज़ नया मानकर माफ कर देना. यह जवानी है दीवानी कहानी में मजा आए तो अपना प्यार जरूर देना.

मेरी सेक्स कहानी उन दिनों की है, जब मैं 19 साल का था और 12वीं कक्षा में था.
मैं जीवविज्ञान का छात्र था. हमारी कक्षा में कुल 38 छात्र छात्राएं थे, जिनमें 19 लड़के और 19 लड़कियां थीं. सभी लड़के और लड़कियों के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था सिवाय एक लड़की के.
उसका नाम प्रभा था.

प्रभा स्कूल में नई नई आयी थी और मैं भी स्कूल में कक्षा 12 वीं में नया नया ही आया था.
इस तरह से हम दोनों ही हमारी कक्षा में नए थे और बाकी के लड़के और लड़कियों से अपरिचित थे.

प्रभा बहुत ही खूबसूरत लड़की थी. उसका कद लगभग 5 फिट 4 इंच का था. उसकी फिगर 32A-24-36 के आस-पास की थी.

वह हमेशा बहुत ही चुस्त सूट पहनती थी, जिससे उसके जिस्म का हर कटाव उभर कर आता था.

प्रभा खूबसूरत तो थी ही मगर उसकी चुस्त ड्रेस के कारण वो और भी मादक लगती थी. लेकिन वो किसी लड़के या लड़कियों से ज्यादा बातचीत नहीं किया करती थी.
मैं भी किसी से ज्यादा बात नहीं किया करता था.

क्लास के सभी लोग वैसे भी अपने आप में ही मस्त रहते थे. मैं और प्रभा चुपचाप ही रहते थे.

एक दिन मैंने अचानक प्रभा के पास जाकर उससे कहा- क्या आप मुझसे दोस्ती करोगी?
उसने तुरंत नहीं बोलते हुए कहा- नहीं, मैं लड़कों के साथ दोस्ती नहीं करती और करना भी नहीं चाहती हूं.

प्रभा बिलासपुर के पास किसी गांव की रहने वाली थी. इसलिए उसका स्वभाव ग्रामीण प्रवृति का था, वो स्वभाव में बिल्कुल सीधी सादी थी.
उसको अपने पापा के स्थानांतरण के कारण इधर आना पड़ा था.
उसके पापा जी शिक्षक थे और इस वजह से भी उसके घर का माहौल कुछ अलग किस्म का था.

जब प्रभा ने एकदम से मुझे ना कह दिया, तो मैंने भी उसको कुछ नहीं बोला और वापस अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया.

पता नहीं ये क्या बात थी कि उसके ना कह देने से मुझे उसका स्वभाव अब और भी अच्छा लगने लगा था.
मैं धीरे-धीरे उसको पसंद करने लग गया था.

प्रभा मुझसे दोस्ती की बात तो अलग, किसी भी तरह की बात भी नहीं करना चाह रही थी.

मैंने एक दो बार उससे बात करने की कोशिश की मगर उसकी तरफ से रूखा रवैया देख कर मैंने कुछ भी नहीं बोला.

फिर एक रोज अचानक से स्कूल में उसकी तबियत कुछ खराब हो गई.

उसको घर छोड़ने जाने को कोई तैयार नहीं हुआ, तो शिक्षक जी ने मुझसे कहा- प्रवीण तुम चले जाओ और इसको इसके घर तक छोड़ आओ.
मैंने तुरंत ही बोला- जी शिक्षक जी, मैं अभी चला जाता हूँ.

मैंने प्रभा की पुस्तक आदि से भरा थैला पकड़ा और कक्षा से बाहर निकल आया.
उसको मैं अपनी साइकिल में बिठाकर कर उसके घर तक छोड़ने गया.

उसके घर में केवल उसकी मां ही थीं … तो मैंने उनको बता दिया कि इसकी तबियत थोड़ी खराब हो गई है, आराम करेगी, तो ठीक हो जाएगी.
उसकी मां ने ‘धन्यवाद बेटा …’ बोला.
मैं उसके घर से स्कूल आ गया.

दूसरे रोज़ प्रभा ठीक होकर स्कूल आई और सबसे पहले उसने मुझको धन्यवाद बोला.
मैंने ‘कोई बात नहीं’ कह कर उसे चुप करा दिया.

उसने मुझसे कहा- आप बहुत अच्छे इंसान हो, बहुत समझदार और बहुत सुंदर भी हो. आप मुझसे दोस्ती करना चाह रहे थे ना … तो मैं भी आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ.

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मैं उसकी तरफ मुँह बाये देख रहा था.

प्रभा ने फिर से कहा- तो करोगे मुझसे दोस्ती?
मैं- ठीक है, आज से हम दोनों दोस्त हुए.

इस तरह मुझे प्रभा को अपनी दोस्त बनाने में पूरे आठ महीने लग गए थे.

अब हम दोनों एक दूसरे से काफी अच्छी तरह से बात करने लग गए थे. हम दोनों में स्कूली दोस्ती से आगे की भी बहुत सारी बातें होने लगी थीं.

फिर एक रोज़ हम दोनों को स्कूल आने में देर हो गई.
सभी विद्यार्थी प्रार्थना स्थल में पहुंच गए थे, सिर्फ मैं और प्रभा ही वहां नहीं पहुंच पाए थे.
हम दोनों अपने कक्षा में ही रुक गए.

इस बीच मैंने अपनी दोस्त प्रभा के गाल पर एक हल्का सा चुम्बन कर दिया.
ये अचानक से हुआ था और मुझे खुद भी समझ नहीं आया कि ये सब कैसे हो गया.

प्रभा ने इस पर मुझे कुछ नहीं बोला, वो बस थोड़ा सा मुस्कुरा दी.

एक मिनट बाद वो अपने गाल को सहलाती हुई बोली- तुम भी न प्रवीण …
मैंने उसकी बात काटते हुए कह दिया- प्रभा मैंने इस चुम्बन से तुम्हें अपने मन की बात बताई है कि मैं तुमको पसंद करता हूं.

प्रभा- अच्छा … पहले दोस्त बनाया … अब प्रेमिका बनाना चाहते हो!
मैं- हां प्रभा, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.
प्रभा- अच्छा … तो मैं भी तो तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.

उसने ये कह कर मुझे पागल कर दिया.

अभी मैं कुछ समझ पाता कि उसने मेरे गाल पर हाथ रख कर एक गहरी चिकोटी काटी और मुझे अपनी ओर खींचते हुए मेरे होंठों पर होंठ रख कर एक जोरदार चुम्बन कर दिया.

जैसे ही प्रभा के गुलाबी और मुलायम चिकने होंठों ने मेरे होंठों को स्पर्श किया, मैं मंत्रमुग्ध हो गया और मैंने प्रभा को अपनी बांहों में भर लिया.

हम दोनों को एक दूसरे की बांहों में आए एक दो पल ही हुए थे कि सभी विद्यार्थी प्रार्थना स्थल से कक्षा की ओर आते दिखने लगे थे.
तो हम दोनों अलग हो गए और अपनी अपनी जगह पर जाकर बैठ गए.

इस घटना ने मुझे एक राह दिखा दी थी कि स्कूल समय से पहले जाकर क्लास में प्रभा के साथ मस्ती की जाए.

अब मैंने प्रभा से इस बात को कहा, वो झट से मान गई. हम दोनों रोज सुबह स्कूल में जल्दी जाकर एक दूसरे को चुम्बन करने लगे और हमारी मस्ती शुरू हो गई.

धीरे धीरे ये सिलसिला शाम को भी होने लगा.

अब हमारी परीक्षा भी नजदीक आने लगी थीं, तो हम दोनों पढ़ाई में लग गए और अच्छे से परीक्षा दी.

हमारी मेहनत का परिणाम भी बहुत जल्दी आ गया और हम दोनों बड़े अच्छे अंकों से पास हो गए.

परीक्षा के बाद गर्मी की छुट्टी हो गई थीं तो हम लोग ज्यादा नहीं मिल पाते थे.
कभी-कभी कुछ समय के लिए गार्डन में ही मिलते थे; लेकिन उधर खुला होने के कारण हम दोनों के बीच में कुछ नहीं हो पा रहा था.

फिर जैसे तैसे गर्मी की छुट्टी निकल गईं और हम दोनों ने एक ही कॉलेज में प्रवेश लेने की सोची. उधर प्रवेश ले भी लिया.

हम दोनों को रोज ही कॉलेज जाना था, तो हमने साथ जाने की सोची.
इस बाबत प्रभा ने मुझसे कहा- तुमको मेरी मम्मी से बात करनी पड़ेगी.

मैंने प्रभा की मम्मी से बात की और उनको बताया कि हम दोनों साथ में कॉलेज जाएंगे और एक साथ ही वापस आएंगे.

उनकी मम्मी मुझे पहले से ही जानती थीं और उनके मन में मेरी छवि भी बहुत अच्छे लड़के की बनी हुई थी.
इसलिए उन्होंने मुझे और प्रभा को इजाजत दे दी.

अब हम दोनों ने कॉलेज मेरी गाड़ी से जाना शुरू कर दिया.

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एक बार फिर से हम दोनों का सुहाना समय शुरू हो गया था. जो पहले स्कूल में होता था, वो सब अब और आसानी से होने लगा था.

मेरा मन अब कुछ और की चाहत करने लगा था, तो मैंने प्रभा से इस बारे में बात की.

मैंने उससे कहा- प्रभा, मुझे तुम्हारे और करीब आना है.
प्रभा मेरी बात समझ तो गई थी लेकिन उसने मसखरी करते हुए कहा- लो … इतने चिपक चिपक कर तो चुम्बन करते हैं … और कितना पास आना है?

मैंने उसकी आंखों की शरारत देखी तो उसको आंख मारते हुए सेक्स करने की बात कही.
उसने तुरंत ही नहीं बोलते हुए कह दिया- मेरे साथ गंदी-शंदी बात मत किया करो.
वो मुझसे ऐसा बोल कर वहां से चली गयी.

बाद में मैंने उसको समझाया मगर वो फिर भी तैयार नहीं हो रही थी.

इसके चर्चा के बाद वो मुझसे दूर रहने लगी और उसने एक दो दिनों तक तो मुझसे बात ही नहीं की.
उसने मेरे साथ कॉलेज भी जाना बंद कर दिया था.

मैं सर पकड़ कर सोचने लगा कि किस तरह से प्रभा को वापस मनाऊं.

तीसरे दिन मैंने उसको कॉल करके बोला- मैं तुमको कॉलेज लेने आ रहा हूँ … तैयार रहना.
उसने कहा- ठीक है, आ जाओ.

मैं उसको लेते हुए कॉलेज के लिए निकला.
आज मेरे मन में कुछ और ही चल रहा था. मैं उसको कॉलेज नहीं, बल्कि कहीं और घुमाने ले जा रहा था.
मैं उससे दो दिनों से नहीं मिल पाया था, इसलिए मुझे उसके साथ कुछ वक्त बताने का मन कर रहा था.

जब मैंने उसको बताया कि हम कॉलेज नहीं, कहीं और घूमने जा रहे हैं.
इस पर वो भी मान गयी.

हम दोनों शाम तक घूमते रहे साधारण बातें करते रहे. मैंने आज पूरे दिन उसको टच भी नहीं किया था. वो भी मुझसे दूर दूर ही रही.

शाम को हम दोनों वापिस आने लगे.
मैं उसको उसके घर में छोड़ कर अपने घर आ गया.

अगले दिन हम दोनों समय पर कॉलेज के लिए निकल दिए.
वो आज बहुत खुश थी और मोटरसाइकिल के पीछे बैठे बैठे मुझे बार बार मेरे गालों पर चुम्बन किए जा रही थी.

मैंने उससे झट से बोल दिया- यार, यही सब बार बार करने में मज़ा नहीं आ रहा है.
प्रभा ने तुरंत गुस्से में बोला- गाड़ी रोको.

मैंने गाड़ी रोक दी.

प्रभा ने गाड़ी से उतरते ही गुस्से में क़हा- अब कहां ले जाओगे मुझे … अर्थात चोदने के लिए?
मैं उसकी इस बिंदास और खुली बात से डरा सहमा सा बोला- मेरे घर में.

प्रभा- तुम्हारे घर में क्या मम्मी पापा नहीं हैं?
मैं- नहीं हैं, वो दोनों शिक्षक हैं और अभी स्कूल गए हैं. भैय्या ऑफिस गए हैं.

प्रभा का स्वर एकदम से बदल गया और वो बोली- ठीक है चलो, लेकिन मेरी एक शर्त है.
मैं- कैसी शर्त?

प्रभा- हम दोनों आने वाले समय में शादी करेंगे.
मैंने भी बोल दिया- मैं तुमसे ही शादी करूंगा और तुम ही मेरे बच्चे मां भी बनोगी … मेरी प्रेमिका जी.

ये सुनकर वो खुश हो गई और चलने के लिए तैयार भी हो गई.

हम दोनों मेरे घर पहुंच गए.
मैंने घर का दरवाजा खोला और देर न करते हुए उसे अन्दर आने को कहा.

वो जैसे ही अन्दर आई मैंने अपनी गोद में प्रभा को उठा लिया और उसे अपने कमरे में ले गया.

दोस्तो, यह जवानी है दीवानी कहानी के आगे भाग में मैं प्रभा की बुर चुदाई की कहानी लिखूंगा.

आपके मेल मुझे इस सेक्स कहानी को और भी अधिक रसीली बनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. प्लीज़ मेरी सेक्स कहानी के लिए मेल करना न भूलें.
आपका प्रवीण
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यह जवानी है दीवानी कहानी का अगला भाग: प्रेमिका की बुर चोदने की ललक- 2