जीवन की पहली चूत मकान मालकिन भाभी की

Xxx हिंदी कॉम कहानी में पढ़ें कि मेरी जवानी और चुदाई की चाहत अपने चरम पर थी. चंडीगढ़ पढ़ाई के लिए आया तो मकान मालकिन से दोस्ती के बाद सेक्स का मजा मिला मुझे!

जब मैं करीब बीस साल का था, उस वक्त मैं बारहवीं उत्तीर्ण करके घर से बाहर रहने के लिए चला गया. हरियाणा के अपने गांव से निकल कर चंडीगढ़ में रहने लगा.

यह Xxx हिंदी कॉम कहानी तब की है. नई नई जवानी थी और चुदाई की चाहत अपने चरम पर थी.

कोई चूत का इंतजाम नहीं था तो मुठ मार कर किसी न किसी तरह से काम चल ही जाता था.
फिर भी मेरी यह इच्छा थी कि किसी औरत के जिस्म का सुख भोगने को मिल जाए.

मेरे जीवन के बीस साल बीत चुके थे. मुझे शारीरिक सुख अभी तक किसी ने नहीं दिया था, न ही मैं किसी लड़की के संपर्क में था.

पर अब शायद मेरी आकांक्षा पूरी होने वाली थी, मुझे चूत का आनन्द मिलने वाला था.

मैंने जहां कमरा किराए पर लिया था, उस मकान की मालकिन बहुत ही सुंदर और उत्तेजक थी.

मैं उसकी खूबसूरती पर फिदा था लेकिन यहां भी मैं मुठ ही मार कर काम चला रहा था.
मुझे तनिक भी उम्मीद न थी कि यह औरत मुझे अपनी चूत की चाशनी को चखने का मौक़ा प्रदान करेगी.

उस भाभी का नाम श्रुति था और भाभी की उम्र लगभग 35 साल की रही होगी. भाभी का पति अक्सर काम के सिलसिले से बाहर ही रहता था.

उसे देख कर मुझे कभी यह नहीं महसूस हुआ कि वो अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट नहीं होगी.
मैं भाभी के मकान में ऊपर के एक कमरे में रहता था. मेरे कमरे में आने जाने के लिए सीढ़ियां बाहर से थीं.

इस वजह से मुझे भाभी की गर्म जवानी के दीदार ज्यादा नहीं हो पाते थे.
हफ्तों बीत जाते, तब कभी कभी भाभी के दर्शन हो जाया करते थे.

इसी तरह महीनों बीत गए, हम दोनों में किसी की भी किसी से ज्यादा दोस्ती न हो पाई. न मैं उससे ज्यादा मतलब रखता, न वो मुझसे रखती थी.

कुछ दिन बीते और अचानक से मेरी तबीयत खराब हो गई.
मेरा उठ पाना भी मुश्किल सा जान पड़ता था.

यह बात मैंने किसी को भी नहीं बताई.
पर अचानक से मेरी भाभी से मुलाकात हो गई.

उन्हें यह महसूस हो गया कि मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है.
उन्होंने मुझसे मेरी तबियत के बारे में पूछा तो मैंने बता दिया.

भाभी ने कुछ दवा का इंतजाम किया और मुझे दवा लाकर देते हुए कहा- तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझसे कह देना.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.

वो मेरी देखभाल करने लगी थीं.
अब मेरा खाना भी भाभी ही बनाने लगी थीं और मेरा खाना ऊपर ही लेकर आ जाया करती थीं.
मैं जब तक खाना खाता, वो वहीं बैठ कर मुझसे बात करती रहती थीं.

इसी तरह से हमारे बीच में बातचीत होना शुरू हो गई.

एक दिन मैंने उनसे भईया के बारे में पूछा, तो वो मुझे बताने लगीं कि वो अक्सर अपने काम में व्यस्त रहते हैं और महीने में दो तीन बार ही घर आ पाते हैं.

बातचीत से मालूम हुआ कि भाभी का एक बेटा भी था. वो 5 साल का था और बहुत ही प्यारा बच्चा था.
मेरे कहने पर भाभी ने आवाज देकर अपने बच्चे को ऊपर बुला लिया.

उनके बच्चे से मेरी अच्छी बनने लगी थी.
धीरे धीरे पता नहीं क्या कैसे हुआ, हम दोनों एक दिन, रात में मेरे कमरे में बैठ कर आपस में बातचीत कर रहे थे कि तभी हमारे बीच सेक्स की बातें शुरू हो गईं.

फिर समा रंगीन होने लगा.

मैं अपने आपको संभाल भी कैसे पाता क्योंकि मुझे सामने से एक खूबसूरत औरत निमंत्रित कर रही थी कि मैं उनकी चूत की चाशनी को चख लूं.

पहले हमारी बात सामान्य ही हो रही थी, पर भाभी खुद ही गहराई में उतरती चली गईं जिससे मेरे अन्दर हिम्मत आ गई थी.
मैंने खुद को अभी भी संभाला हुआ था पर भाभी मेरे लौड़े को पकड़ कर दबाने लगीं.

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तो मैंने उनसे कहा- भाभी यह गलत है.
पर भाभी तो जैसे आज मन बना कर ही आई थीं.
बातें कैसे शुरू हुईं, कुछ पता ही नहीं चला था मगर अब वो मुझे चूमने लगी थीं.

ऐसा भी नहीं था कि मेरे मन में उनके लिए कभी कोई गलत ख्याल नहीं आया था.
मेरे भी मन में उन्हें चोदने के लिए कई मर्तबा ख्याल आया करते थे और मैं भाभी को याद करके मुठ मार लेता था.

आज भाभी की इस पहल से मैं एकदम से झनझना उठा और गर्म होने लगा.
जिस समय भाभी मुझे चूम रही थीं, उस समय उनके पूरे जिस्म का भार मैं अपने ऊपर महसूस कर रहा था.

धीरे धीरे भाभी मेरे ऊपर चढ़ती गईं और मैं उनके नीचे दबता ही चला जा रहा था.
वो मेरे ऊपर भूखी कुतिया सी झपटने लगी थीं, मुझे एक तरह से नौंच खसोट रही थीं.

मैंने अपने आपको एकदम ढीला छोड़ दिया और उन्हें मनमानी करने देने के लिए छुट्टा छोड़ दिया.
या यूं कहूँ कि मेरे पास कोई विकल्प ही नहीं था.

एक तो भाभी मेरे ऊपर चढ़ी हुई मुझे चूमे जा रही थीं और दूसरे मैं नीचे दबा होने के कारण कुछ कर भी नहीं पा रहा था.

फिर मैंने उनके चूतड़ों पर अपने हाथ रख दिए और भाभी की गांड सहलाने लगा.
उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी, मैंने उनकी साड़ी को ऊपर उठाना शुरू कर दी.

भाभी के बोझ से साड़ी ऊपर नहीं खिंच पा रही थी मगर जैसे ही वो हिलतीं तो मेरे हाथों से साड़ी थोड़ी थोड़ी खिंच रही थी.
अब मैं उनकी कमर के नीचे से हो चुके नंगे जिस्म को पूरी तरह महसूस कर पा रहा था.

फिर मैं उनकी पीठ को गले से लेकर चूतड़ों तक सहलाने लगा था.

भाभी मुझे पूरी ताकत से अपने आगोश में समेटे हुई थीं और मेरे होंठों को जोर जोर से चूम रही थीं.

इतने में वो जरा सा पीछे को हुईं और थोड़ी देर यानि दो सेकंड के लिए मुझे देखने लगीं.
भाभी की आंखों में लालिमा साफ़ बता रही थी कि आज भाभी की वासना चरम पर आ गई हैं.

उनकी चूत में आग लग चुकी थी.
मैं उन्हें अपने ऊपर खींच कर फिर से उनके होंठों को चूसने लगा.

थोड़ी देर बाद भाभी ने मेरे ऊपर से उठ कर अपने सारे कपड़े उतार दिए.
उनके मदमस्त जिस्म को देख कर मेरे लंड में आग सी लग गई. लंड तनतना उठा था.

भाभी ने मेरे अन्दर आग देखी तो उन्होंने कहा- क्या कपड़ों के ऊपर से ही मुझे चोद दोगे?

मैंने भी झट से अपने कपड़े उतार दिए और उन्हें बिस्तर पर लिटा कर किस करने के लिए उनके ऊपर चढ़ गया.

मैं भाभी की बड़ी बड़ी चुचियों को चूसने और दबाने लगा. मैं एक पल के लिए भी नहीं रुकना चाहता था.

मैंने उन्हें पलट दिया.
वो पेट के बल लेट गईं और मैं उनकी गोरी पीठ को चूमने और चाटने लगा.

भाभी को चाटते चूमते मैं उनके बड़े चूतड़ों तक आ गया और उनकी मखमली गांड को खोल कर छेद चाटने लगा.
उन्होंने मुझे उसी समय झट से अपनी गांड में ऐसे दबा लिया, जैसे भाभी इसी पल का इंतजार कर रही थीं.
मैं गांड को चाटने और चूसने में लगा हुआ था.
भाभी की गांड बहुत ही गोरी थी.

वो मेरी तरफ मुड़ीं और अब उनमें भी हिम्मत आ गई थी कि वो मुझसे कह सकें कि वो अपनी चूत चटवाना चाहती हैं.

भाभी ने अपनी दोनों टांगें खोलीं और चूत पसार दी.
मैं समझ गया और उनकी चूत देख कर अपनी जीभ को अपने होंठों पर फिराने लगा.

उन्होंने मुझसे कहा- क्या तुम मेरी चूत चाटोगे?
मैंने कहा- हां भाभी, मैं जरूर चाटूंगा. मुझे भी तो आपकी चाशनी को चखना है.

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भाभी मेरे मुँह से चाशनी शब्द सुनकर हं दीं और मैं उनकी चूत को चाटने लगा.

वो मिशनरी पोज में थीं और मेरे सर को अपने हाथों से अपनी चूत पर दबा रही थीं.

मैं उनकी चूत चाटते समय उनकी गांड को भी सहला रहा था. साथ ही साथ मैं भाभी की लंबी लंबी टांगों को, जांघों को सहला रहा था.
इससे उन्हें बहुत मजा आ रहा था.

मैंने भाभी से कहा- क्यों न आप भी मेरे लौड़े को चूसें. मैं महसूस करना चाहता हूँ कि लंड को चुसवाने में मज़ा आता है कि नहीं.
उन्होंने हां में सिर हिलाया और बोलीं- लेट जाओ.

मैं उनके एक इशारे पर सीधा लेट गया और वो अपने घुटनों पर उल्टी लेट कर मेरे लंड के सामने आ गईं.

उनका मुँह मेरे लंड को चूसने लगा और उनकी गांड मेरे मुँह की तरफ निकली हुई थी.
मैं गांड चूत देखने लगा.

उनका मुँह लंड चूसते समय ऊपर नीचे हो रहा था और छितरे हुए बाल उड़ रहे थे.
मेरे लिए आज चुदाई का वो सबसे मजेदार दृश्य था.

मैं भी अपने मुँह से भाभी की चूत चाटने लगा.

कोई दो मिनट के बाद उन्होंने कहा- आओ अब सीधे हो जाओ.
मैंने कहा- अब कैसे?

भाभी बोलीं- अब तुम्हें जन्नत दिखानी है.
मैंने कहा- ठीक है.

तो वो बोलीं- अच्छा ऐसे ही लेटे रहो. अब मैं तुम्हारे मुँह पर बैठूंगी और तुम मेरी गांड और चूत चाटना. मैं तुम्हारा लौड़ा चूसूंगी.

वो मेरे मुँह पर बैठ गईं.
मैं उनकी गांड का भार अपने ऊपर महसूस कर पा रहा था और उनकी बड़ी गांड और मोटी मोटी जांघें मेरे सामने थीं.

मैंने जीभ उनकी चूत पर चलाना शुरू कर दी और गांड के दोनों फलकों को हाथों से दबाने लगा.

मेरी यह कारस्तानी उन्हें बहुत ही आनन्द से भर गई.

वो आह करती हुई बोलीं- वाह, मजा आ गया.
उनकी कमर मेरे मुँह पर हिलने लगी.
फिर वो झुक कर फिर से लौड़ा चूसने लगीं.

मैं भी उनकी जीभ को अपने लंड पर चलते हुए महसूस कर रहा था.
सच में मुझे 69 के इस पोज में जन्नत का अहसास हो रहा था.

अब न मुझसे रहा जा रहा था और न उनसे. हम दोनों चुदने के लिए मचलने लगे थे.

मैं भाभी की चूत चोदने के लिए एकदम तैयार था.
उन्होंने घोड़ी बनकर चुदने की फरमाइश की.
मैंने कहा- ठीक है.

और मैंने पीछे से पोजीशन बनाई और अपने लंड को उनकी चूत में एकदम से घुसा दिया.

वो दर्द से मिश्रित आह की आवाज निकाल कर बोलीं- आह मेरे अनाड़ी देवर जी, जरा प्यार से अपनी भाभी की चूत पेलो न!

उनकी ये आह अत्यंत मजेदार थी.
भाभी की इस मदभरी आवाज ने मुझे यह महसूस करा दिया कि मैं उनकी जम कर ले सकता हूं.

मैं लंड अन्दर बाहर करने लगा और मैंने अपने जीवन की पहली चुदाई का कार्यक्रम शुरू कर दिया.

लगभग दस मिनट तक मेरा लंड भाभी की चूत में ताबड़तोड़ चला और मैं झड़ गया.
मेरे झड़ते ही भाभी भी झड़ गईं.

उन्हें मुझसे चुदवा कर बहुत ही आनन्द आया था. उन्हें संतुष्ट करके मैं भी संतुष्टि के भाव को महसूस कर रहा था.

चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही लिपट कर लेट गए और प्यार करने लगे.

भाभी मुझसे बोलीं- आज छह महीने के बाद मुझे सुख मिला है.
मैंने कहा- भाभी, मैंने तो पहली बार किसी की चूत चुदाई का सुख लिया है.

भाभी ने मुझे अपने मम्मों में दबा लिया और हम दोनों एक बार फिर से चुदाई का मजा लेने के लिए एक दूसरे से गुत्थम गुत्था होने लगे.

उस दिन भाभी ने मुझे तीन बार चूत चुदाई का सुख दिया.

दोस्तो, मैं आशा करता हूं कि आप सभी पाठकों को मेरी यह Xxx हिंदी कॉम कहानी पसंद अवश्य आई होगी. आप मुझे मेल करके बताएं कि आपको मेरी Xxx चुदाई की कहानी कैसी लगी.
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