Xxx गांड फ़क कहानी में मैंने अपनी निजी सहायिका की गांड जमकर मारी होटल में! उसका गांड फट गयी, खून निकलने लगा. फिर भी वो मजा ले रही थी.
साथियो, मैं विराज, एक बार फिर से रेशमा की गांड चुदाई की कहानी में आप सभी का स्वागत करता हूँ.
कहानी के पिछले भाग
मेरा लंड प्राइवेट सेक्रेटरी की कुंवारी गांड में
में अब तक आपने पढ़ा था कि रेशमा की गांड में मेरा लंड पूरा घुस चुका था और उसकी गांड फट चुकी थी. गांड से खून बहने लगा था जो मेरे लौड़े को लाल कर रहा था.
मगर वाह री मेरी चुदक्कड़ रांड रेशमा, वो मेरे लंड पर अपनी गांड निहाल कर बैठी थी और दर्द होने के बावजूद वो मेरे साथ गुदा मैथुन में लगी हुई थी.
अब आगे Xxx गांड फ़क:
मैंने भी उसको उकसाने के लिए फिर से मन पक्का किया और उसको गालियां देकर उसके गले का बेल्ट अपने हाथ में ले लिया.
मैं- साली बहन की लौड़ी रंडी, देख कैसे खुद गांड में लौड़ा ले रही है कुतिया, ले चुद मेरे लौड़े से छिनाल … अब तो रोज तेरी नूरानी चूत और गांड में मेरा लौड़ा घुसेगा बहनचोदी.
रेशमा ने भी मजे लेते हुए अपने आपको मेरे हवाले कर दिया और जोर जोर से चोदने की गुज़ारिश करने लगी थी- आअह याहह मेरे राजाजी ईईई उफ्फफ्फ्फ़ फाड़ दी मेरी मेरी गांड … साले सांड, भोसड़ा बना दे वीरू मेरी गांड का … याहहह अम्मीईई चुद गई तेरी लौंडिया … आह अब्बू तेरी लड़की रंडी बन गई.
उसके मुँह से निकले ये बोल इस बात की पुष्टि कर रहे थे कि अब उसको भी गांड को चुदवाने में मजा आने लगा था.
मेरे सुपारे से उसके गांड के अन्दर की दीवारों को एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी.
मैं भी उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से फैलाकर जोर जोर से मेरा लौड़ा उसकी फूल सी मखमली गांड में पेल रहा था.
कभी कभी उसके चूतड़ पर जोर जोर से हाथ मारते हुए उनको भी लाल कर रहा था.
मैं- हां कुतिया, अब बनी है तू मेरी प्यारी रांड, मेरे लौड़े की पालतू रखैल … बहनचोदी … ले चुद मेरे काले लौड़े से … आंह साली रंडी की औलाद आज तो सच में तेरी गांड का गुड़गांव बना दूंगा छिनाल.
रेशमा के दोनों हाथ मैंने पकड़ कर उसकी गांड पर रखवा दिए.
उसको भी पता चल गया कि मैं उसको गांड खोलने का आदेश दे रहा हूँ तो उसने भी अपने हाथ से अपने मांसल चूतड़ फ़ैलाए और मेरे लौड़े का स्वागत करने लगी.
रेशमा के गले में मेरा बेल्ट अब भी वैसा ही था.
बेल्ट का दूसरा सिरा जो बिस्तर पर था, उसको उठा कर मैंने रेशमा का गला कस लिया और जोर जोर उसके चूतड़ पीटने लगा.
रेशमा के चूतड़ों पर इतनी चर्बी जमी हुई थी कि मेरे हर धक्के के साथ उसके चूतड़ थिरकने लगे थे.
गांड पर वलय के निर्माण हो रहे थे और पीछे से रेशमा की गांड का मजा लेते हुए मैं उस मनमोहक नज़ारे को देख रहा था.
दोनों हाथ से गांड फैला कर मेरे लौड़े से चुदवा रही रेशमा के भरे हुए बोबे भी आगे पीछे हिल रहे थे.
चूत का मुँह कब से मेरे लौड़े के इंतजार में खुल चुकी थी और उसमें से पानी टपक रहा था.
एक हाथ से बेल्ट पकड़ कर मैं दूसरे हाथ को उसकी फुद्दी की तरफ लाया और फिर से उसकी चूत में तीन उंगलियां घुसा कर जोर जोर से उसकी चूत रगड़ने लगा.
दोहरे हमले से रेशमा फिर से एक बार चिल्लाने लगी.
चूत में भरा हुआ पानी धीरे धीरे मेरी उंगलियों को और हाथ को गीला करने लगा.
हवस का जोश रेशमा के बदन में ऐसी लहरें पैदा कर रहा था कि अब उसको ख़ुद को रोकना मुश्किल होने लगा था.
पर फिर भी वो ख़ुद पीछे होकर मेरे लौड़े को गांड में घुसवा रही थी.
रेशमा की आग कम करने के लिए मैंने अपनी तीनों उंगलियां पूरी अन्दर तक घुसा दीं और रेशमा को उसकी चूत के सहारे ऊपर खींच लिया.
इस दर्दनाक तरीके से रेशमा और जोर जोर से चीख़ने लगी.
हाथ से बेल्ट को छोड़ कर मैंने उसका मुँह उसी हाथ से दबा दिया ताकि उसकी चीखें होटल के कमरे से बाहर ना जा पाएं.
अन्दर मेरी उंगलियां उसकी चूत को बुरी तरह रगड़ रही थीं.
रेशमा दबी हुई आवाज में कराही- वीरू प्लीज … उंगली निकाल दे कुत्ते, मेरी चूत क्या फाड़ देगा मादरचोद साले? आंह मेरे कमीने मालिक … मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
मैं उसकी बात को अनसुना करते हुए और जोर जोर मेरा लौड़ा उसकी गांड में पेलने लगा.
चूत के सहारे हवा में उठी उसकी गांड को चोदने में मुझे बड़ा मजा मिल रहा था- चुप कर मादरचोद, आज तो साली तू रंडी बनकर ही रहेगी बहन की लौड़ी. मैं तेरा नामर्द शौहर नहीं हूँ, जो तुझे आराम से चोदूं कुतिया.
रेशमा को पता था कि वो चाहे कितना भी गिड़गिड़ा ले पर मेरे लौड़े से आज उसकी गांड और चूत को कोई नहीं बचा सकता.
वो तो बस आंखों में आंसू लिए चुपचाप मेरे लौड़े से अपनी गांड मरवाये जा रही थी.
रेशमा की चूत अब किसी भी वक़्त अपना पानी निकालने की दिशा में जा रही थी.
कुछ देर पहले मेरी तीनों उंगलियां उसकी चूत में कस गयी थीं, पर अब धीरे धीरे उसकी चूत खुल रही थी.
मैंने भी बिना देर किए तीनों उंगलियों को जोर जोर से उसकी फुद्दी से अन्दर बाहर करना चालू कर दिया.
पीछे से गांड में पूरा लौड़ा घुसाकर ऐसे दबाए रखा कि मेरे टट्टे भी रेशमा की गांड में दब गए.
ऐसे दर्दनाक वहशी तरीके से अपनी चूत की हो रही बरबादी रेशमा सह ना सकी.
इधर मैंने भी उसका मुँह दबा कर रखा था, मगर तब भी वो ऐसे चीखी कि पूरे होटल वालों ने उसकी चीख सुन ही ली होगी- या अम्मी जीईई मालिक!
तेज पुकार लगाते हुए रेशमा का बदन अकड़ने लगा. उसकी फुद्दी से ऐसे झरना बहने लगा मानो नल से पानी निकल गया हो.
मेरी उंगलियों को और हाथ को भिगोते हुए रेशमा का चूतरस पूरे बिस्तर को गीला करने लगा.
उसका सर कटी मुर्गी की तरह फड़फड़ाने लगा.
रेशमा ने मेरा हाथ दबाया और अपने झड़ने का मजा लेती हुई अपना पूरा शरीर बिस्तर पर ढलका दिया.
इसी दौरान मेरा लौड़ा भी और अन्दर तक घुसता चला गया और एक ऐसे ही मुकाम पर मेरे ना चाहते हुए भी मेरे लौड़े से वीर्य की धाराएं रेशमा की गांड में रिक्त होती गईं.
बड़ी देर से मेरा लौड़ा भी झड़ने के लिए व्याकुल था पर इतनी जल्दी झड़ने की वजह थी रेशमा की मखमली गांड की गली, जिसने मेरे लौड़े को ऐसे कस कर जकड़ लिया था कि लंड भी बेचारा झड़ने के लिए मजबूर हो गया.
मैं भी वैसे ही रेशमा की गांड में अपना लौड़ा पेले हुए उस पर गिर गया.
दोनों नंगे बदन अपनी सांसें काबू में करने की कोशिश कर रहे थे और हमारे चुदाई के खेल में तबाह होता हुआ कमरे का बिस्तर हमारे इस प्यार का चश्मदीद गवाह बनकर हमें देख रहा था.
ट्रेन यात्रा की थकान और दो बार Xxx गांड फ़क से बेजान हुए हमारे बदन ऐसे ही एक दूसरे से चिपक कर बेदम हो गए थे.
मैं और रेशमा यूं ही हांफते हुए न जाने कब सो गए, कुछ पता ही नहीं चला.
इस दौरान कई बार हमारे कमरे के दरवाजे पर होटल के स्टाफ ने दस्तक दी.
पर हम तो जैसे घोड़े बेच कर सो रहे थे.
जब मेरी नींद खुली तो रेशमा जग चुकी थी.
वो मेरी बांहों में नंगी लेटी हुई मेरी छाती के बालों पर अपनी उंगलियों से नक्शा बना रही थी.
जैसे ही उसको आभास हुआ कि मेरी आंख खुल गयी हैं तो उसने झट से मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
मैंने भी उसको अपनी बांहों में पकड़ते हुए उसको चूमना चालू कर दिया.
पर अब हमारे तन की आग बुझ चुकी थी और पेट की आग हम दोनों पर हावी हो गई थी.
मैंने अपना मोबाइल देखा तो उसमें पच्चीस मिस्ड कॉल्स थे.
रात के नौ बज रहे थे.
मैंने कॉल बैक किये और रेशमा की तरफ ध्यान दिया.
रेशमा को चूमते हुए मैंने उसे अपने आप से अलग किया और सीधा बाथरूम में चला गया.
मेरे पीछे पीछे रेशमा भी नंगी नहाने आ गयी.
नहाते नहाते हमारी थोड़ी बहुत छेड़छाड़ चलती रही, पर बस नाममात्र.
नहा धोकर बाहर आने के बाद मैंने रेशमा को मेरे बैग में से निकाल कर एक थैला पकड़ा दिया.
ये वही थैला था, जिसको मैंने रेशमा के लिए आते समय लिया था.
जैसे ही रेशमा ने थैला खोला उसकी आंखें ख़ुशी से चमक उठीं.
वो भाग कर मेरे पास आकर वैसे ही नंगी मुझेसे लिपट गयी.
उसने बेतहाशा चूमते हुए मुझे कई बार आय लव यू बोल दिया.
मैंने भी उसके नंगे बदन को सहलाते हुए आय लव यू टू बोल दिया.
असल में थैले में एक वन-पीस ड्रेस था वो भी बिना बांहों का, भले ही मुझे रेशमा के बदन का परफेक्ट नाप मालूम नहीं था पर मैंने किसी तरह से दुकानदार को समझाते हुए ये ड्रेस उसके लिए ख़रीदा था.
मुझे पता था कि जिंदगी को बंद कमरों में जीने वाली रेशमा के लिए मेरा ये तोहफा जरूर पसंद आएगा.
पर अब मुझे बहुत भूख लग रही थी तो मैं उसको अपने आपसे अलग करते हुए ड्रेस की तरफ इशारा किया.
मैं- चलो मैडम, आज खाना खाने हम दोनों मेरी पसंद के एक बेहतरीन रेस्टोरेंट में जा रहे हैं. जल्दी से तैयार हो जाओ, या ऐसी नंगी घूमने चलोगी?
रेशमा- वीरू जी, आज से ये रेशमा आपके इशारों पर नाचेगी. आप जितने ज़ालिम हो, उससे कई ज़्यादा प्यार भी करते हो.
रेशमा ने फिर से मेरे दोनों गालों पर चुम्मी धर दी और कपड़े पहनने लगी.
मैं बस आशा कर रहा था कि ये ड्रेस उसको बिल्कुल सही तरीके से फिट हो जाए … और सच मानिए हुआ भी वैसे ही.
रेशमा पर वो ड्रेस इतनी जंच रही थी मानो टेलर ने रेशमा का बदन ध्यान में रख कर ही इसको बनाया हो.
पर मैं इसका श्रेय देना चाहूंगा उस दुकानवाली लड़की को, जिसने मेरे बताये हुए औरत के आकार वाली ड्रेस चुन कर दी थी.
फटाफट तैयार होकर मैं और रेशमा खाना खाने निकल गए.
उसके बदन पर कसी ड्रेस देख कर राह चलते लोग भी उसकी गांड को देख कर उसकी जवानी आंखों से चोद रहे थे.
सीने के ग़ुब्बारे हिल हिल कर मर्दों को इशारा कर रहे थे कि आओ और मसल डालो हमको, पर साला एक भी मर्द आगे नहीं आया.
मैंने रेशमा को ये बात बताई भी थी, लेकिन उसने ही मेरी बात को टाल दिया.
खाना खत्म करके हम जल्दी ही वापिस होटल पर आ गए क्यूंकि अब तक हमारे बदन की थकान कम नहीं हुई थी.
फिर अगले दिन हमें क्लाइंट से मिलने भी जाना था.
ड्रेस निकाल कर रेशमा फिर से नंगी हो गयी और फिर से मेरी बांहों में आकर सो गयी.
मैं भी उसके बदन को अपने आप से जुदा ना कर सका और वैसे ही उससे चिपककर सो गया.
दूसरे से दिन जब आंख खुली तो मैडम बिल्कुल तैयार होकर मेरे जागने का इंतजार कर रही थी.
जैसे ही मैं जागा तो उसने प्यार से मेरे होंठों को चूम कर मुझे गुड मॉर्निंग विश किया.
सुबह के दस बज रहे थे और हमको दोपहर के बारह बजे तक क्लाइंट से मिलने जाना था.
कायदे से तैयार होकर हम दोनों क्लाइंट से मिलने निकल पड़े और कुछ ही देर में वहां पहुंच गए.
रेशमा ने आज वही कल का वन-पीस ड्रेस पहना था, ऑफिस के सारे लोग उसको खा जाने वाली नज़रों से देख रहे थे कि क्या माल आया है.
तभी मेरे क्लाइंट पाटिल साहब ने हमको अपने कमरे में बुलाया.
रेशमा मेरे पीछे पीछे और मैं आगे आगे उनके कमरे में दाखिल हुए.
जैसे ही पाटिल साहब ने रेशमा को देखा तो मुझे उनकी आंखों में भी वासना की झलक दिखाई दी.
रेशमा को नजरों से चोदते हुए हमारी मीटिंग चलती रही.
पाटिल साहब बात तो मुझसे कर रहे थे पर उनकी नजर रेशमा की जवानी का लुत्फ़ उठा रही थी.
सच में ड्रेस काफी टाइट होने के कारण रेशमा का बदन खिल गया था.
गोरे-गोरे हाथ, मासूम सा चेहरा और सीने के उभार देख कर जरूर पाटिल साहब रेशमा को चोदने की मंशा बना रहे होंगे.
उन्होंने ऑफिशियल बातें खत्म होने के बाद रेशमा को कमरे से बाहर भेजा.
पाटिल साहब- देखिए विराज जी, वैसे तो आपके सारे कागजात और पेपर बिल्कुल सही हैं, पर मैं खुलकर ही बोलता हूँ. अगर ये कॉन्ट्रैक्ट आपको चाहिए तो मुझे एक रात इन हसीन मैडम के साथ बितानी देनी होगी.
वैसे मैं पाटिल जी को बहुत सालों से जानता था और मुझे उनके शौक़ भी अच्छे से पता थे, इसीलिए मुझे उनके मुँह से ये सीधी बात सुनकर कोई आश्चर्य नहीं हुआ.
पर मैं दिखावे के लिए आश्चर्य प्रकट करते हुए उनको इस बात के लिए समय मांग लिया और वहां से निकलने लगा.
दोस्तो … ये मेरे लिए बड़ी मुश्किल की घड़ी थी क्योंकि मैं किसी भी महिला की मर्जी के बिना उसके साथ सेक्स की बात नहीं कहता था या करता था.
Xxx गांड फ़क कहानी को यहीं रोक रहा हूँ. अगली कहानी मैं एक नए शीर्षक से आपके सामने पेश करूंगा.
उसमें रेशमा की क्या मर्जी थी और उसने मेरी बात को मानकर क्या क्या न किया.
एक मस्त चुदाई की कहानी का वादा करते हुए आप सभी से विदा लेता हूँ. आप मुझे मेल करना न भूलें.
आपका विराज
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