लखनऊ वाली मैडम की चूत साफ़ करके चोदी

Xxx देसी भाभी चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मैंने लखनऊ की एक जवान भाभी की मालिश की, चूत की झांटें साफ़ की और फिर उसे चुदाई का मजा दिया.

अंतर्वासना के सभी सम्मानित पाठकों को सादर नमस्कार. मैं आलोक आपकी खिदमत में काफी समय पश्चात अपनी नयी सेक्स कहानी लेकर आया हूँ.

उम्मीद है कि करोना काल के बाद लिखी इस Xxx देसी भाभी चुदाई स्टोरी को भी आपका प्यार मिलेगा.

मेरी पिछली कहानी थी: उम्रदराज भोसड़े की ठरक

ये बात दिसंबर के मध्य की है, जब मेरी सेक्स कहानी पढ़कर एक पाठिका ने मुझे ईमेल किया कि मुझे आपकी सेक्स कहानी पसंद आयी है. मुझे आपके बारे में और भी कुछ जानना है.

मैंने उसको उत्तर दे दिया कि हां हां क्यों नहीं. क्या मैं आपके बारे में कुछ जान सकता हूँ?

उन्होंने अपने बारे में बताया कि वह प्रयागराज की हैं और आजकल लखनऊ में रहती हैं. वह मेरी सेवा लेना चाहती हैं. जिसमें उनको वैक्सिंग के साथ में ब्राज़ीलियन मसाज भी करवाना है.
मैंने ओके कह दिया.

उन्होंने मुझसे टाइम और डेट तय करके बुलवा लिया.

फिर 18 दिसंबर को मैं लखनऊ स्थित घर गोमती नगर में उनके घर आ गया.
मैं ग्यारह बजे पहुंच गया था.

उनके घर पर उस समय कोई नहीं था केवल वही थीं.
मैं उनका नाम स्वीटी बदल कर लिख रहा हूँ, घर में स्वीटी मैडम ही थीं. वो काफी रिच फैमिली से थीं.

उनके पति अपने काम से कानपुर चले गए थे. घर में उन दोनों पति पत्नी के अलावा और कोई नहीं रहता था.
शायद स्वीटी मैडम के बच्चे नहीं हुए थे.

उन्होंने मुझे फ्रेश होने का बोला और खुद भी चेंज करने चली गईं.

जब मैं फ्रेश होकर आया तो स्वीटी मैडम ने एक पजामा और बिना आस्तीन की गर्म बनियान टाइप का टॉप पहना हुआ था. जिसमें से उनके मम्मे कहर ढा रहे थे. गला काफी गहरा था जिससे उनके मम्मे मुझे पागल बना रहे थे.

आपको भी स्वीटी मैडम की खूबसूरत फिगर को जान लेना चाहिए ताकि आप भी अपना लंड हिला कर सेक्स कहानी का मजा ले सकें.

स्वीटी मैडम की 34 साइज़ की चूचियां एकदम कसी और उठी हुई थीं. उनकी कमर 28 इंच की और गांड का साइज़ 36 इंच का था.
मैडम की गांड एकदम तोप की तरह बाहर को निकली हुई थी जो इस वक्त उनकी चुस्त पजामी में से एकदम हाहाकारी लग रही थी.

मैंने उनके खूबसूरत जिस्म की तारीफ़ की तो उन्होंने मुझे धन्यवाद कहा.

फिर दस मिनट में हम लोग आमने सामने बैठ गए.
हमारे बीच हल्की फुल्की बातें हुईं और इसके बाद मैं अपने काम के लिए तैयार हो गया.

उनको अपने जननांग की वैक्सिंग करवानी थी इसलिए मैंने उनसे कहा कि आप अपने कपड़ा हटा दें, यदि चाहें तो केवल ऊपर के कपड़े पहने रखें.

उन्होंने नीचे पहना हुआ पजामी और चड्डी आदि उतार दिए.
मैंने उन्हें लेटने के लिए कहा तो वो लेट गईं.

उनको नीचे से बिल्कुल नंगी करने के बाद मैंने उनके पैर फैलाए और उनकी गोरी चूत का मुआयना किया.
चूत पर काफी बड़ी बड़ी झांटें उगी हुई थीं.

मैंने हाथ फेर कर झांटों के कड़ेपन का अहसास किया तो समझ आया कि मैडम अपनी चूत साफ़ करने पर विशेष ध्यान नहीं देती थीं.

मैंने चूत के आस पास उगे हुए बड़े बालों को कैंची से छोटे किए, फिर उनको साफ़ करके वहां एक हार्ड वैक्स लगाना शुरू कर दिया.

ये हार्ड वैक्स इसी काम के लिए आता है, इसको गर्म अवस्था में लगाया जाता है. छोटी छोटी जगह लगाया जाता है क्योंकि जननांग के बाल कड़े होते हैं और उनको निकालने में थोड़ी तकलीफ भी होती है.

मैंने थोड़ा थोड़ा वैक्स लगा कर पहले तो ऊपर के बाल निकाल दिए. अब चूत के बिल्कुल पास की झांटों को निकालना था.

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इसके लिए मैंने उनको बताया कि मैं उनकी चूत की फांकों को पकड़ कर बाल निकालूंगा, कोई दिक्कत तो नहीं है.

उन्होंने हामी भर दी.

मैंने उनकी चूत के पास के बालों पर वैक्स लगा कर झांटों को निकालना शुरू कर दिया जिसमें उनकी चूत की फांकों को पकड़ कर निकालना पड़ रहा था.
उधर काफी अन्दर तक बाल जमे हुए थे.

मैंने उनसे पूछा- कोई ज्यादा तकलीफ तो नहीं हो रही है?
वो बोलीं- नहीं नहीं ठीक है, आप करो.

मैंने उनकी चूत की फांकों को पकड़ कर अपनी पकड़ बनाई ताकि वैक्स ठीक से निकल जाए.
इतना करने से उनकी चूत से थोड़ा थोड़ा पानी झड़ने लगा था. चूत के फलक गीले होने लगे थे और चूत चिकनी हो गयी थी.

चूत में गीलापन आ जाने से मेरी ग्रिप कमजोर हो रही थी. मैंने कपड़े से चूत पौंछ कर फिर से फांकों को पकड़ा और चूत की फांकों के बाल और उसके अन्दर के बाल साफ़ कर दिए.

चूंकि इतनी देर में मैडम की चूत एक बार झड़ गई थी जिससे वह काफी थक गयी थीं … लेकिन तब भी मेरे काम में मुझे सहयोग कर रही थीं.

झांटों के बाल साफ़ होने के बाद इतनी सुन्दर चिकनी चूत दिखने लगी थी कि वह खुद उस पर हाथ फेर कर बार बार शीशे से देख रही थीं और मुस्कुरा रही थीं.

मैंने उनसे आंखें मिला कर पूछा- कैसा लगा?
इस पर उन्होंने ख़ुशी के मारे उठ कर मुझे गले से लगा लिया और बोलीं- आज कितने दिनों बाद इस तरह की वैक्सिंग की मेरी तमन्ना पूरी हो पायी है.

वह Xxx देसी भाभी बार बार अपनी चूत को शीशे में देखतीं और उस पर हाथ फेर रही थीं.

मैं बोला- क्या आपने अपने हस्बैंड को बताया था कि आप आज वैक्सिंग करवाएंगी और मसाज करवाएंगी?
वो बोलीं- हां … लेकिन यह नहीं बताया था कि ये सब घर पर होगा और एक मर्द करेगा.

मैंने कहा- अब रात को उन्हें भी मजा आएगा.
वो बोलीं- हां देखूंगी कि वो कितना मजा ले पाते हैं.

मैंने समझ गया कि मैडम का पति का लंड किसी काम का नहीं है और चुदाई में बेकार का कबाड़ी किस्म का है.
तब भी मैंने कुछ नहीं कहा.

फिर थोड़ा आराम करने के बाद मैं उनको मसाज देने लगा.
मैंने उनके सारे कपड़े निकाल दिए.
मैडम अपने बेड पर नंगी लेट गईं.

मैंने तेल लेकर उनके कंधे से लगाना शुरू किया और पूरी पीठ को तेल से चिकना कर दिया.

उनकी उम्र मात्र तीस साल की होने की वजह से उनका तेल लगा शरीर और भी ज्यादा मादक लग रहा था.

पीठ से नीचे उतरते हुए मैं उनकी जांघों को और पैरों को मसलना शुरू कर दिया.
उनको बहुत अच्छा लग रहा था.
टखनों तक मसाज देने के बाद मैंने उनको पलट दिया.

गोरा ठसा सा बदन गोलाईयां अद्भुत थीं. चूची मस्त और मादकता से नहा रही थीं.
ऐसी मस्त हूर सी लौंडिया मेरे सामने नंगी पड़ी थी कि मैं तो क्या कोई भी उसके नंगे बदन को देखकर पगला जाए.

मेरे हाथों से उनके चूचों को मसल कर मालिश करने से उनके अन्दर की गर्मी जाग गयी.
फिर जब मैंने उनके चूत के ऊपर तेल लगाया और मालिश करना शुरू किया तो वो ऐसे सिहर सी गईं, जैसे उनको करंट लगा हो.

उन्होंने अपने पैरों को पूरा खोल दिया और मुझसे बोलीं- अच्छे से मालिश कर दो.

बस फिर क्या था, मैं मैडम की चूत को अच्छे से मसलने में जुट गया.
मैंने उनकी चूत का दाना मसला तो उनको गुदगुदी होने लगी.
उनकी चूत का बुरा हाल हो गया था, लगातार पानी गिर रहा था.

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अब मैं मैडम की चूत के अन्दर उंगली डाल कर चूत के दाने को अपनी दो उंगलियों से रगड़ने और मींजने लगा.

इससे मैडम मदमस्त हो गयीं और मुझसे बोलीं- अब उंगली निकाल कर सकिंग करो … बहुत मजा आ रहा है.
मैंने थोड़ा आहिस्ते से ओके बोला.

उनकी चूत से तेल को साफ़ करके मैं जमीन पर बैठ गया और उनकी रसभरी चूत को चाटने लगा.
चूत चाटने के साथ मैंने एक उंगली चूत के अन्दर डाल दी और पूरी शिद्दत से चूत चाटने लगा.
इस वजह से वह उत्तेजित होकर अपने हाथों से मेरे सर को चूत पर दबा कर चूत चटवाने का मजा लेने लगीं.

कुछ ही पलों में वो इतनी ज्यादा उत्तेजित ही गई थीं कि उनके पैर कांपने लगे और उनकी चूत झड़ने लगी थी.
मैडम की चूत से दूधिया सफ़ेद गाढ़ा पानी बह निकला.

मैं उनकी चूत को चाटता जा रहा था और उनका पानी निकलता चला आ रहा था.

कुछ ही देर में स्वीटी की चूत फिर से गर्मा गई.
फिर वो बोलीं- अब अन्दर डाल कर काम करो.

मैं अपना लंड उनके चूत लगाने लगा.
मैडम की चूत इस वक्त इतनी सुंदर और चिकनी थी कि मुझसे खुद भी नहीं रुका जा रहा था.

मैंने लंड सैट किया और घप से पेल दिया.
मैडम की चूत में चिकनाहट थी तो लंड को अन्दर घुसने में जरा भी दिक्कत नहीं हुई. लंड सीधा घुसता चला गया और चूत की जड़ से जा टकराया.

इससे वह उछल गईं और मुझे अपनी बांहों में भींच कर अपनी छाती से चिपका लिया.
लंड की गर्मी से वह अपने आप ही हिल रही थीं.

मैं उनकी एक चूची को चूसने लगा काटने लगा.
उनका लंड से ही बुरा हाल था और ऊपर से चूची चूसे जाने से वो बेहाल हो गई थीं.
दिसंबर के कड़क जाड़े में भी मैडम को पसीना आने लगा था.

मुझे उन्हें चोदने में बेहद मजा आ रहा था.
उनकी चूत बिल्कुल तर होकर बह रही थी.

दस मिनट चोदने के बाद मैंने लंड बाहर निकाल लिया और फिर से चूत के दाने को उंगली से मसलने लगा.
चूत लंड ले चुकी थी तो मैंने अपनी तीन उंगलियों से चूत को चोदना चालू कर दिया.

उंगलियों को अन्दर तक पेल कर मैं जोर जोर से रगड़ने लगा.
इससे उनकी उत्तेजना चरम पर पहुंच गयी.

वो खुद जोर जोर से गांड उठा कर उंगली करवाने लगीं और उसी में उन्होंने अपनी पेशाब की धार तक बहा दी.

चूत शान्त हुई तो मैंने अपना लंड अन्दर पेल दिया और धकापेल चुदाई करने लगा.
इतने में उन्होंने मुझे फिर से भींच लिया और इतनी जोर से दबाया कि क्या बताऊं.

उन्होंने एक बार फिर से अपनी चूत को बुरी तरह से झाड़ दिया था और अपना पानी बहाने लगी थीं.

मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर खुद को हटा लिया.
उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.

दो मिनट में मेरे लंड से वीर्य उनके मुँह में उगल दिया, जिसको वह पी गईं.

मैं भी थक गया था तो मैडम के बगल में लेट गया.
वह भी मुझसे चिपक गईं.

हम दोनों की आंखें मुंद गईं. हम दोनों को गहरी नींद आ गयी.

आधा घंटा बाद हम दोनों उठे, नहाए और बाहर आ गए.

मैं अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गया. मैं जाने लगा तो स्वीटी मैडम मेरे सीने से लग गईं और हम दोनों ने एक लम्बा स्मूच किया.

फिर स्वीटी मैडम ने मुझे खाना खिलाया और मैं वापस प्रयागराज आ गया.

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