कोरोना काल में बस में मिली भाभी होटल में चुदी

Xxx भाभी सेक्स कहानी बस में मिली एक अनजान भाभी की चूत मारने की है. मैं बस में था, मेरी साथ एक खूबसूरत भाभी बैठ गयी। मैंने उसके साथ कैसे शुरूआत की और उसकी चूत मारी!

अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार।
मैं बैरागी आप सभी के लिए अपनी पहली Xxx भाभी सेक्स कहानी पेश करने जा रहा हूं।

यह मेरे साथ घटित एक सच्ची घटना है जिसे मैं अन्तर्वासना हिन्दी सेक्स कहानी साइट के माध्यम से आप सब के बीच प्रस्तुत कर रहा हूँ।

आज मैं आपको जिस घटना के बारे में बता रहा हूं वह आज से लगभग 3-4 माह पहले ही लॉकडाउन के बाद मेरे साथ घटी थी।
इससे पहले कि शुरू करूं, आप मेरे बारे में थोड़ा जान लें।

मैं बैरागी कानपुर, उत्तर प्रदेश से हूं। मैं एक प्राइवेट कम्पनी में सेल्स में काम करता हूँ इसलिए अक्सर कम्पनी के काम से इस शहर से उस शहर चक्कर लगाने पड़ते हैं।

3 महीने की कोरोना की मार और लॉकडाउन के बवंडर के बाद मैंने वापस अपनी वही घिसी-पिटी जिंदगी की शुरुआत की थी।

कंपनी के काम से मुझे कानपुर से गोरखपुर जाना था तो रात को बस से सफर करने का प्लान बनाया।

मैं कुछ कपड़े बैग में रखकर बस अड्डे की तरफ निकल पड़ा।

बस अड्डे पर देवरिया जाने वाली बस मिली जिसमें काफी सवारी बैठी हुई थीं।
तो मैंने भी सबसे पीछे वाली सीट पर जाकर कब्जा किया और बैठ गया।

सोशल डिस्टेंस बनाए रखने के नियम की वजह से एक सीट पर 2 ही लोग बैठ सकते थे तो बस लगभग फुल ही हो चुकी थी। बस मेरी वाली सीट ही खाली थी और मैं भी निश्चिंत होकर मोबाइल में मूवी देख रहा था।

बस अभी बस अड्डे से निकलकर मेन हाइवे पर पहुंची ही थी कि अचानक ड्राइवर ने बस रोक दी।
शायद कोई सवारी खड़ी थी।

तभी एक लेडी ने बस में प्रवेश किया।
उस लेडी को देखकर एक बार तो मेरे दिल से आह … निकल गयी क्योंकि वह 30-32 साल की भरी जवानी में थी और नीली साड़ी में खूबसूरत अप्सरा जैसी लग रही थी।

ऐसा लग रहा था जैसे भगवान ने बड़े प्यार से बहुत ही समय देकर उसके एक एक अंग को तराशा हो.
उसकी काली आंखें, तीखी नाक, मुस्कान ऐसी जैसे होंठों से फूल झड़ रहे हों.

उसने कंडक्टर से कुछ कहा तो कंडक्टर ने मेरे पास आकर बोला- भाई जी, क्या आप खिड़की वाली सीट छोड़ सकते हैं? इन मैडम को चक्कर आते हैं।

मैं बोला- हां क्यों नहीं, आखिर इंसान ही इंसान के काम आता है।
जबकि मेरे दिमाग मे तो कुछ और ही प्लान चल रहा था।

मेरी नियत खराब का होना स्वाभाविक था क्योंकि उसका फिगर 32-30-36 का था। रंग गोरा, काले लंबे बाल और गहरे नीले कलर की साड़ी में बिल्कुल स्वर्ग की सुंदरी लग रही थी वो!

मैंने उसे सीट ऑफर की तो उसने मुझे थैंक्स बोला।
पहली दफा उसकी आवाज सुनी … जैसे किसी ने उसे मिश्री घोलकर पिला दी हो।
मेरे कानों में शहद सा घुलता महसूस हुआ।

हमारी बस फिर चल पड़ी।
कंडक्टर टिकट काटने में व्यस्त हो गया।

लगभग 11 बज रहे थे।
मैं फिर मूवी देखने लगा और चोरी चोरी उसे भी देख रहा था।

वो भी एक दो बार मेरी तरफ देखती, फिर खिड़की की तरफ मुँह कर लेती।

कुछ देर बाद उसने खुद ही मुझसे टाइम पूछने के बहाने बात शुरू की।
उससे कुछ देर की बातचीत के बाद मुझे उसका नाम मालूम हुआ।

उसका नाम रीना था और उसको देवरिया जाना था।

कुछ देर बातचीत के बाद वो सोने लगी।
बस चल रही थी और झटके भी लग रहे थे।

मैं भी अपने बैग को अपने हाथों में लेकर सोने का नाटक करने लगा।

थोड़ी देर बाद अचानक एक तेज झटका लगने की वजह से वो मेरे नजदीक आ गई और मैं धीरे से अपने हाथ को उसके हाथ से छुआने करने लगा।

उसकी तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी तो मैंने धीरे से अपने पैरों को उसके पैरों पर टच किया और अपने पैर को उसके पैर पर रख कर धीरे धीरे सहलाने लगा।

वो कुछ बोल नहीं रही थी और इधर मेरी हिम्मत बढ़ रही थी।

मैंने उससे काफी देर तक कोई बात नहीं की लेकिन अपने पैरों को उसके पैरों पर और अपने हाथों को उसके हाथों पर मसलना जारी रखा।

तभी अचानक उसने एक बार मुझे गुस्से वाली नजर से देखा मगर बोली कुछ नहीं।
पहले तो उसकी इस नजर से मैं डर गया लेकिन जब उसने कुछ बोला नहीं तो मैंने वापस इस बार अपने हाथ को सीधा उसके बूब्स पर रख दिया।

उसने मुझसे ये उम्मीद नहीं की थी।
मगर फिर भी मेरे हाथ रखने पर उसकी सांसें तेज हो गयी थीं।
मुझे फिर पता चला कि वो मेरे हाथ और पैरों के द्वारा मसले जाने से ही गर्म हो गयी थी।

इस बार भी उसने कुछ भी नहीं बोला तो इससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी.
मैंने उसके मखमली बोबे पर हाथ को सख्ती से रखा और धीरे धीरे उसको दबाने लगा.

मेरी हरकत का उसने कोई विरोध नहीं किया बल्कि वो मेरा साथ देने लग गयी.
उसने अपने हाथों से मेरा हाथ पकड़ा और अपने बोबे को जोर से दबवाने में लग गयी.

अब उसकी सांसें काफी भारी हो गयी थीं.
वो इतनी गर्म हो गयी थी कि उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी साड़ी के ऊपर से ही चूत पर रख दिया।
अभी तक हमने एक दूसरे से सीट एक्सचेंज के अलावा बात तक नहीं की थी.

मैं एक हाथ से उसकी चूत को उसकी साड़ी के ऊपर ही सहलाने लगा और दूसरे से उसकी चूचियों को भी सहलाता रहा.
वो इतनी अधिक चुदासी हो गयी थी कि उसने धीरे से मेरे कानों के पास किस करके फुसफुसाते हुए कहा- थोड़ा जोर जोर से दबाओ ना … इन्हें!

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उसकी बात को मानकर मैं भी उसके कपड़ों के ऊपर से ही जोर जोर से चूत को सहलाने लगा और कभी बोबे को दबाने लगा.
थोड़ी ही देर में उसका पानी छूट गया.

उसके चेहरे पर संतुष्टि फैल गयी थी और अब वो बहुत ज्यादा खुश लग रही थी.
फिर उसको मैंने बोला- मेरा भी कुछ भला कर दो.
वो बोली- जरूर … अब तो गोरखपुर तक सेवा करनी ही पड़ेगी।

मैं बोला- सेवा बाद में करती रहना … लेकिन अभी तो कुछ करो … मेरा तो पैन्ट फाड़ कर बाहर आने की कोशिश कर रहा है.

उसने सीधे ही अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और उसको सहलाने लगी।
उसका कोमल हाथ रखे जाने से मेरी जांघें फैल गयीं और मैंने लंड को उसके हाथ के हवाले कर दिया।

वैसे तो हम सबसे पीछे वाली सीट पर थे और बस में अंधेरा भी था लेकिन फिर भी मैंने उसके हाथ के ऊपर बैग रख दिया जिससे हमारा ये अन्तर्वासना का खेल किसी को दिखे नहीं.

वो मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही दबाने और मसलने में लगी हुई थी.
मुझे भी आनन्द की अनुभूति हो रही थी और मजे में मेरी आंखें भी बन्द होने लगीं।

थोड़ी देर उसके हाथ द्वारा मसले जाने के कारण मेरे लंड ने भी माल छोड़ दिया और मैं ठंडा हो गया.
मेरा अंडरवियर गीला हो गया था इसलिए कुछ देर तक मैं सहज नहीं हो पाया।

फिर धीरे धीरे नॉर्मल हो गया।
अब मैंने उससे बातें शुरू की, उससे पूछा- आपकी शादी को कितने महीने हुए हैं?
उसने कहा- महीने? … अरे साल हो गए हैं.

मैंने पूछा- कितने साल?
उसने कहा- आप अपना नंबर दो, मैं आपको फ़ोन करके बताऊँगी कि कितने साल हुए हैं.
मैंने उसको नंबर दे दिया.

फिर हम काफी देर तक बात करते रहे और एक दूसरे के अंगों के साथ खेलते रहे और कब गोरखपुर आ गया पता ही नहीं चला।

बस अभी गोरखपुर शहर में घुसी नहीं थी।
मैंने उससे उसके फिगर के बारे में पूछा तो उसने कहा कि ये सारी बातें हम लोग फ़ोन पर करेंगे. अभी तो स्टॉप आने वाला है.

मैंने उसको कहा- मेरे साथ होटल में चलो, मुझे आपके साथ और मस्ती करनी है.
तो वो बोली- आप गोरखपुर से ही हो क्या?
मैंने कहा- नहीं … मैं कानपुर से हूं. यहां अपने कम्पनी के काम से अक्सर आता रहता हूँ। तुम देवरिया कुछ देर बाद चली जाना।

दो मिनट उसने सोचा और बोली- ठीक है … चलो.
हम बस अड्डे पहुंच गए और मैंने तुरंत होटल जाने के लिए रिक्शा किया।

इसी बीच उसने भी अपने घर फोन कर दिया था कि रास्ते में बस खराब हो गयी थी तो अभी बस बस्ती पहुंची है, आने में शायद दोपहर हो जाएगी.

दोस्तो, वैसे तो मैं अक्सर गोरखपुर आता रहता था … लेकिन आज तो बस के सफर का बीतने में पता ही नहीं लगा.
मैं तुरंत अपने परिचित के होटल में गया और रूम बुक किया।
फिर होटल के स्टाफ को पैसे देकर कुछ खाने पीने का सामान मंगवाया।

मैं रीना को लेकर रूम में चला गया और रूम को बन्द कर लिया.

अन्दर आते ही मैंने उसको कसकर पकड़ लिया और किस करने लग गया. फिर धीरे धीरे मैंने उसके मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया.

उसने भी मेरा साथ दिया और हम दोनों एक दूसरे में खो गए.
तभी होटल का लड़का सामान लेकर आ गया।

मैंने सामान लेकर रूम अंदर से लॉक किया और हम दोनों फिर से एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे।

धीरे धीरे हम दोनों के जिस्म से कपड़े अलग होने शुरू हो गए.
मैंने उसकी साड़ी खोली तो उसके ब्लाउज में कैद उभार मुझे उनकों जोर से भींचने के लिए बुलाने लगे।

उसकी गोरी गोरी चूचियां बहुत ही रसीली लग रही थीं।
मगर हमारे पास ज्यादा समय नहीं था तो हमने जल्दी जल्दी एक दूसरे को नंगा कर दिया।

मैंने उसके सभी कपड़ों को उसके जिस्म से अलग किया और उसने भी मेरे कपड़ों को अलग कर दिया.

उसने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और बोली- मेरे पति का लंड तो छोटा सा और पतला है. तुम्हारा लंड तो उनसे काफी बड़ा है. ये तो मेरी चूत को आज बड़ा सुकून देगा.

मैंने उसके दूध दबाते हुए कहा- आज मैं तुम्हें खूब मस्त तरीके से चोदूंगा, तुम बस आगे देखती जाओ.
फिर मैं उसको सीधा बेड पर लिटाते हुए उसके ऊपर चढ़ गया.

उसको किस करते हुए उसके बोबों को बहुत जोर से मसलने लगा. फिर धीरे धीरे मम्मों को चूसने लगा.
मैंने उसके मम्मों को चूस चूस कर लाल कर दिया और धीरे धीरे काटने लगा.

वो मादक सिसकारियां ले रही थी.
साथ ही वो मेरा सिर अपने सीने में दबा रही थी कि मैं उसके मम्मों को और जोरों से चूसूं, जिससे उसकी चूत में चुदास बढ़ने लगे.

मैंने उसकी चूचियों के बाद उसकी कमर, फिर नाभि को भी खूब चूसा.
इसके बाद मैंने उसकी चूत देखी, उस पर एक भी बाल नहीं था.

मैंने उसकी तरफ देख कर चूत पर हाथ फेरा तो वो बोली- चूत के बाल मैंने कल सुबह ही साफ़ किये थे.

उसकी चूत को चाटने से पहले मैंने बगल की टेबल पर रखी बियर की कैन का ढक्कन खोला और उससे पूछा- चलेगी?
उसने ना में सर हिलाया, तो मैंने गट-गट करके एक ही सांस में पूरी कैन खाली कर दी.

वो बोली- मुझे अपने घर जाना है, अगली बार जब हम मिलेंगे तो दोनों खुल कर मस्ती करेंगे.
मैं समझ गया कि ये पीती तो है, मगर आज घर जाने की वजह से मना कर रही है.

मैं उसकी चूत के साथ खेलने लगा; उस पर हाथ फेरता रहा।

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दो-तीन मिनट बाद मुझे बीयर का सुरूर महसूस होने लगा।
अब मैंने उसकी चूत पर किस किया क्योंकि मुझे शराब के नशे में चूत चाटने में मजा आता है.

दोस्तो, मैंने करीबन दो मिनट तक लगातार उसकी चूत चाटी. वो मस्त हो गई और एकदम से चुदासी हो गई.
उसने अपनी चूत हटाते हुए कहा- मुझे लंड से चुदकर झड़ना है … ऐसे नहीं.

ये सुनकर मैंने अपना लंड उसके सामने कर दिया.
अब उसकी बारी थी. उसने मेरे लंड को बहुत मस्त तरीके से चूसना शुरू कर दिया।
मुझे तो जन्नत का मजा मिल रहा था.

मुझे लगा कि अब मैं बस इसके मुँह के अन्दर ही झड़ जाऊं और इसको अपना माल पिला दूं।
मगर मैंने उसके मुँह से अपना लंड बाहर निकाल कर थोड़ा आराम किया ताकि इसकी चूत में ही खाली हो सकूं।

मैंने अपने लंड पर कंडोम लगाया और धीरे धीरे उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर लगा कर सीधा ही खुद को नीचे धक्का देने लग गयी, जिससे मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया.

लंड चूत में जाते ही वो सिसकारियां लेने लगी.
फिर मैंने फिर अपने लंड को सुपारे तक बाहर निकाला और एक जोर का झटका दे मारा.

मैंने इस बार के झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया था.
वो तेज दर्द से चिल्लाने लगी.
मैं थोड़ा सा रुक कर उसके मम्मों को मसलने लगा और चूसने लगा.

थोड़ी ही देर में उसने चुदाई करने का इशारा किया, तो मैंने फिर अपनी स्पीड बढ़ा दी और धक्के पर धक्के लगाने लगा.

वो मुँह से मादक सिसकारियां निकाल रही थी- आह्ह … अम्म … आह्ह … इस्स … आह्ह … हांह् … करो … ओह्ह … और करो।

उसकी सिसकारियों से मेरा जोश बढ़ रहा था.
मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर उसकी चूत की गहराई में वापस डाल रहा था.

मैंने अपनी पूरी स्पीड उसको चोदने में लगा दी. इस तरह से वो दस मिनट की चुदाई में झड़ गई।

वो इस वक्त दोबारा गर्म हो चुकी थी.
उसने मुझसे कहा कि वो ऊपर आना चाहती है.
मैंने उसकी ये बात मान ली और सीधा लेट गया. वो मेरे खड़े लंड पर बैठ गयी.

मेरा लंड सीधा उसकी चूत की गहराई में गोते लगाने लगा.
वो उछल उछल कर मजे से चुद रही थी और उसके 36 इंच के दूध मस्ती से उछल रहे थे.
मैं अपने हाथों से उसके मम्मों को दबाने लगा.

हमें चुदाई करते हुए 25 मिनट से ज्यादा टाइम हो गया था.
मुझे लगा कि मैं अब झड़ने वाला हूं, तो मैंने कहा- तुम अपनी स्पीड बढ़ा दो.
वो बोली- हां मैं भी झड़ने वाली हूं.

वो जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगी और दो मिनट के बाद हम दोनों ही झड़ गए. वो मेरे ऊपर ही लेट गयी.
वो बोलने लगी- इतना मजा तो मुझे मेरे पति के साथ कभी नहीं आया, जितना कि आज तुम्हारे साथ आया है.

मैं उसे अपने सीने से चिपकाए हुए ही उसके बालों को सहलाने लगा और उसके माथे पर किस करने लगा. मैंने उसकी चूत से अपना लंड निकाला और उसके ऊपर से कंडोम हटा कर दूसरी तरफ रख दिया.

फिर मैं बोला- यार, मैंने भी कई भाभियों की चुदाई की है। मगर उन सब में तुम्हारे साथ सेक्स करने में बड़ा मजा आया. तुम्हारी चूत उन सभी की चूत से टाइट लगी.

वो भी मेरे लंड की तारीफ़ करने लगी और फिर हम दोनों ने कई मिनट तक किस किया।
फिर मैंने टाइम देखा।

उसने भी घड़ी देखी तो बोली कि अब चलना सही रहेगा वरना घरवालों को जाकर फिर जवाब देना पड़ेगा।

मुझे भी अपने काम पर जाना था और उसको भी अपने घर पर जाना था.
इसलिए हम दोनों ने ही अब निकलने का फैसला किया।

हम बाथरूम में जाकर साफ होने लगे तो उसका मन बाथरूम में चुदने का करने लगा।

मेरा लंड भी तन चुका था। हम बाथरूम में शावर के नीचे आ गए और शावर चालू कर दिया।
हम दोनों के बदन भीगने लगे.

मैंने उसे डॉगी स्टाइल में आने को बोला तो वो झट से अपनी पोजीशन में आ गई.
मैं पीछे जाकर लंड को उसकी चूत में सेट करने लगा.

लंड सेट होते ही मैं अन्दर डालने लगा.
एक दो बार फिसलने के बाद लंड ने अपना रास्ता खोज लिया और मैंने अपनी स्पीड भी पकड़ ली.

दस मिनट तक उसकी गांड और कंधे पकड़ कर पूरे लंड को चूत में अन्दर तक पेलता रहा जिससे एक बार फिर उसका पानी निकल गया.
मैं उसको फिर भी चोदता रहा।

शायद वो थक गई थी इसलिए उसने मुझसे सीधे करके चुदाई करने को कहा.
मैंने लंड हटा लिया तो वो बाथरूम में ही पलट कर पीठ के बल लेट गईं.

मैंने तुरंत फिर लौड़ा उसकी चूत में डाल दिया और ताबड़तोड़ चोदने लगा और लगभग 5 मिनट बाद उसने पानी छोड़ दिया और मैंने भी अपना पानी उसकी चूत की गहराई में छोड़ दिया।

फिर कुछ देर वैसे ही लेटे रहे; फिर नहाकर बाहर आये और हमने अपने अपने कपड़े पहने।
एक दूसरे को किस किया और वापस मिलने का वादा करके मैं उसको बस स्टैंड छोड़कर अपने रास्ते चला गया.

उसने मुझसे मेरा फोन नम्बर ले लिया।
उसके बाद हमारी एक दो बार फोन पर बात हुई है।
अब वो भी मुझसे मिलने के लिए बेताब है और मुझसे जल्दी ही चुदने के लिए वादा किया है.

तो दोस्तो, मेरी ये भाभी की चुदाई की स्टोरी आपको कैसे लगी, इस पर आप अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए मुझे मेल जरूर करें.
मुझे आपके मैसेज का इंतजार रहेगा। Xxx भाभी सेक्स कहानी पर कमेंट करना न भूलें।
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