भाभी की प्यासी चूत और बच्चे की ख्वाहिश- 5

Xxx भाभी की चूत चुदाई करते हुए मैंने उसके साथ गंदा पर कामुक खेल खेला. मैंने उसकी चूत का निशाना लगाकर उसकी चूत में मूता. और उसने क्या किया?

दोस्तो, मैं हर्षद एक बार पुन: अपनी इस कामुक सेक्स कहानी में आप सभी का स्वागत करता हूँ.
कहानी के पिछले भाग
दोस्त की बीवी को वीर्यदान दिया
में अब तक आपने पढ़ा था कि सारी रात सरिता मेरे लंड से चुदवाती रही थी और हम दोनों चार बजे नंगे ही सो गए थे.

अब आगे Xxx भाभी की चूत चुदाई:

जब मेरी नींद खुली तो सरिता मेरी बांहों में से निकलने की कोशिश कर रही थी तो मैंने उसे और जोर से कस लिया.
वो छटपटाने लगी और अपनी टांगें भी हिलाने लगी.

इससे उसकी मांसल जांघ मेरे लंड को कुछ ज्यादा रगड़ने लगी.
मेरा लंड भी जागने लगा.

सरिता की चूत भी मेरी कमर पर रगड़ खा रही थी.

सरिता ने मेरे होंठों को चूमते हुए कहा- छोड़ो ना हर्षद … मुझे जोर से पेशाब लगी है. जाने दो मुझे!
मैंने भी सरिता को चूमते हुए कहा- मुझे भी जोर से लगी है. चलो दोनों साथ में चलते हैं.

सरिता मेरे लंड को दबाती हुई बोली- बहुत शैतान हो … तुम नहीं मानोगे. अब छोड़ो मुझे … और चलो.

फिर हम दोनों ही एक दूसरे की गांड सहलाते बाथरूम में आ गए.
मैं कमोड पर बैठ गया और सरिता को मैंने अपनी जांघों पर बिठा लिया.

मैंने सरिता से कहा- अब छोड़ दो पेशाब!
तभी सरिता की चूत से पेशाब की धार निकलने लगी, तो मेरा तना हुआ लंड मैंने हाथ से दबाकर पेशाब की धार पर रखा.

मैं अपना लंड आगे पीछे करके पूरे लंड को नहला रहा था.
सरिता की गर्म पेशाब से मेरे लंड की नींद मानो उड़ गयी थी. वो पूरे जोश में आ गया था.
लंड का सुपारा लाल होकर चमक रहा था. मुझे पहली बार अजीब सा अनुभव मिल रहा था.

सरिता ये सब देखकर खुश हो गयी थी.

अब मेरी बारी थी.
मैंने सरिता को अपनी चूत को अपने हाथों से फैलाने को कहा.
तो सरिता ने वैसे ही किया.

मैंने अपनी पेशाब छोड़ना चालू किया और लंड को हाथ में पकड़कर पेशाब की धार सरिता की चूत के छेद पर सैट कर दी.
मेरी पेशाब की गर्म धार चूत में जाते ही सरिता सिहर उठी.

अब मैं अपनी पेशाब की धार की गति और तेज करके सरिता की चूत के गुलाबी दाने पर छोड़ने लगा.

गर्म पेशाब की धार सरिता सह नहीं सकी तो चिल्ला पड़ी- ऊंई मां ऊं अहाहा हं हं ऊंई!
उसकी कामवासना भड़क चुकी थी, उसने आंखें बंद कर लीं.

मेरी पेशाब भी अब खत्म हो गई थी.

पेशाब बंद होते ही सरिता ने आंखें खोलीं और मेरा लंड हाथ में लेकर बोली- हर्षद तुम बहुत शैतान हो. कुछ भी करते हो. अब फिर से मेरी चूत में आग लगा दी ना!
इतना कहकर उसने आगे को सरक कर मेरे लंड का सुपारा अपनी चूत में ले लिया.

मैंने कहा- आग मैंने लगायी है, तो मैं ही बुझाऊंगा सरिता.

ऐसा कहते मैंने सरिता के गांड को दोनों हाथ से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया.
इससे मेरा आधे से अधिक लंड सरिता की चूत में जा चुका था.

सरिता ने मेरे गले में हाथ डालकर कहा- सब कुछ इधर ही करोगे क्या … हर्षद चलो उठो, बेडरूम में चलते हैं.
मैंने सरिता से कहा- तुम ऐसे ही मेरे गले में हाथ डालकर मुझे पकड़ लेना.

उसने हामी भर दी.

मैंने अपने दोनों हाथ उसकी जांघों से नीचे डालकर गांड को कसकर पकड़ा और उठकर खड़ा हो गया.

सरिता ने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर पर डालकर मुझे जकड़ लिया.
मैं आहिस्ता आहिस्ता चलकर बाथरूम से बाहर आ गया, सरिता से पूछा- अब कैसा लग रहा है?
सरिता मेरे होंठों को चूमती हुई बोली- बहुत मस्त हर्षद … बहुत मजा आ रहा है. तुम बहुत ही शातिर खिलाड़ी हो. औरत को खुश करना कोई तुमसे सीखे.

इतना कहकर सरिता ने अपनी टांगें और कस लीं और पूरा लंड चूत में ले लिया था.

मैं आहिस्ता आहिस्ता चल रहा था तो झूलने की वजह से लंड सरिता की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था.
सरिता की चूचियां मेरे सीने पर रगड़ खा रही थीं.
हम दोनों ही अनोखा अनुभव ले रहे थे.

मेरे दोनों हाथ सरिता की गांड को पकड़े हुए थे.
मेरे एक हाथ की उंगली सरिता की गांड की छेद में थोड़ी सी घुस गयी थी.

सरिता भी इस अनोखी चुदाई के अनुभव से खुश थी.
वो मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमने लगी.

हम बेड के पास आ गए थे.
मैंने ऐसे ही सरिता को बेड पर लिटाया और उसके सर के नीचे तकिया रख दिया.
मैं अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियां मसलने लगा.

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सरिता ने अपने पैरों की पकड़ मेरी कमर पर से ढीली कर दी तो मैं अपना लंड सरिता की चूत में अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ मिनट तक सरिता की चूत रगड़ने के बाद उसकी चूत ने अपना चूतरस फिर से मेरे लंड पर फैंक दिया और उसको नहला दिया.

फिर सरिता ने अपनी टांगें मेरी गांड पर रखकर मुझे कसकर जकड़ लिया.

मैं सरिता के ऊपर झुककर उसकी एक चुची अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से दूसरी चुची मसलने लगा.
हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.

थोड़ी देर बाद सरिता ने मेरी गांड पर अपनी पकड़ ढीली कर दी.

मैंने आहिस्ता से अपना तना हुआ लंड सरिता की चूत से बाहर निकाला, तो चूतरस बाहर बहने लगा था. मेरा लंड भी चूतरस से लबालब हो गया था.
मैंने कपड़े से चूत और लंड साफ कर दिया और बेड पर पीठ के बल लेट गया.

मैंने सरिता को मेरे ऊपर आने को कहा तो सरिता दोनों घुटनों पर बैठती हुई मेरी कमर पर बैठ गयी.
वो मेरा लंड एक हाथ में पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रगड़ने लगी.

चूत गीली थी तो मेरा सुपारा भी गीला हो गया था.
मैंने नीचे से अपनी गांड उठाकर धक्का मारा तो मेरा सुपारा चूत में घुस चुका था.

अब सरिता मेरे ऊपर झुककर मेरे होंठों को चूसने लगी.
मैं अपने दोनों हाथों से सरिता की पीठ और गांड सहलाने लगा.

सरिता अपनी गांड ऊपर नीचे कर रही थी.
मैं भी नीचे से अपनी गांड उठाकर उसे साथ दे रहा था.

आधे से अधिक लंड सरिता ने अपनी चूत में ले लिया था.

मैं जब सरिता की गांड सहलाते हुए उसकी गांड के छेद को अपनी उंगलियों से टटोलता था तो सरिता सिहर उठती थी.

अब सरिता जोर जोर से मेरे लंड को अन्दर बाहर करती हुई पूरा लंड अन्दर लेने लगी थी.
सरिता पहली बार ये सब अनुभव कर रही थी.

वह बहुत ही कामुक होकर मेरे लंड को चोद रही थी. वो अब जोर से सिसकारियां ले रही थी.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

लंड और चूत गीली होने के कारण पच पचा पच की मादक आवाजें गूंजने लगी थीं.

हम दोनों ही कामवासना में डूबकर चुदाई का आनन्द ले रहे थे.
सरिता जोर जोर से मेरे होंठ चूस रही थी.

बीस मिनट तक सरिता मुझे चोदती रही थी.

मैंने अब सरिता को ऐसे ही नीचे ले लिया और मैं अपने घुटने के बल बैठ गया.
उसकी दोनों चूचियां अपने दोनों हाथों से रगड़कर उसे चोदने लगा.

फिर पांच मिनट तेज रफ्तार से चोदने के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए.

मैं ऐसे ही अपना लंड सरिता की चूत में रखकर उसके ऊपर लेट गया.
मैंने अपनी टांगें फैलाकर सरिता की टांगों पर रख दीं.

सरिता ने मुझे अपनी बांहों में कस लिया था.
मैंने अपना सर सरिता की गर्दन पर रख दिया था.
हम दोनों भी थककर ऐसे ही सो गए.

फिर सरिता ने जब मुझे जगाया तो घड़ी में सुबह के छह बजे थे.

सरिता बोली- उठो हर्षद जल्दी, मुझे नहाना है और उन्हें भी जगाना है. उन्हें आठ बजे बाहर जाना है ना? मुझे बहुत काम है हर्षद.

मैं सरिता के होंठों को चूमकर उसके ऊपर से उठ गया तो मेरा मुरझाया हुआ लंड फट से बाहर निकल आया.
हम दोनों का कामरस बहकर बेडशीट गीली हो गयी थी.

मैं बेड के नीचे उतरकर खड़ा हो गया तो सरिता भी उठ गयी.
वो बेडशीट देखकर बोली- हाय राम पूरी बेडशीट खराब हो गयी है.

उसने बेडशीट निकालकर दूसरी डाली और मुझसे बोली- हर्षद अब तुम थोड़ी देर सो जाओ. बाद में तुम भी नहाकर तैयार हो जाना. मैं चाय और नाश्ता लेकर आऊंगी.

यह कह कर वो अपने रूम में नहाने चली गयी.
उसके जाने के बाद मैं नंगा ही सो गया और अपने ऊपर लुँगी ओढ़ ली.

जब मेरी नींद खुली तो नौ बज चुके थे.
मैं लुँगी बेड पर रखकर नंगा ही बाथरूम में नहाने चला गया.

गर्म पानी का शॉवर चालू करके पूरा आधा घंटा मस्त नहाया तो रातभर की थकावट दूर हो गयी थी.

तौलिया से बदन पौंछकर मैं नंगा ही बाहर आ गया.

तभी सरिता दरवाजा खोलकर अन्दर आ गयी.

उसके हाथ में चाय और नाश्ता की ट्रे थी.
मेरी तरफ देख कर वो हंसती हुई बोली- अभी तक नंगे ही घूम रहे हो क्या हर्षद?
मैं बोला- बस मैं अभी नहाकर आया हूँ सरिता … और तुम अन्दर आ गईं.

मैंने लुँगी लपेट ली और टी-शर्ट पहन ली.

सरिता डिश में हम दोनों के लिए नाश्ता परोस रही थी.

मैं उसके पास जाकर कुर्सी पर बैठ गया और उसकी तरफ देखकर बोला- सरिता, आज बहुत सुंदर और खुश दिख रही हो.
मैंने उसके होंठों को और गाल को चूमते हुए कहा.

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तो सरिता भी मेरे गाल को चूमती हुई बोली- सब तुम्हारी मेहरबानी है हर्षद. अब वो सब छोड़ो, चलो नाश्ता करते हैं … वर्ना ठंडा हो जाएगा.

अब हम दोनों नाश्ता करते करते बातें भी कर रहे थे.

मैंने पूछा- विलास कितने बजे गया?
सरिता बोली- वो तो आठ बजे ही चले गए. दो बजे तक आने की बोल रहे थे.

सरिता ने क्रीम कलर का बड़े गले का गाउन पहना था.
जब वो नीचे झुकती तो उसकी ब्रा में कसे हुए सेक्सी चूचे मुझे दिख रहे थे. उसकी दोनों चूचियों के बीच की दरार साफ दिखायी दे रही थी.

मेरी नजर उसी पर टिकी थी.
सरिता ने मुझे देखा तो हँसती हुई बोली-हर्षद ऐसे घूरके क्या देख रहे हो? पूरी रात हम दोनों नंगे ही साथ में ही थे ना, तो अभी तक दिल नहीं भरा क्या?

हम दोनों चाय पीते हुए बातें कर रहे थे.

मैंने कहा- सरिता, तुम्हें देखते ही मेरा दिल मचल जाता है. तुम हो ही बहुत सेक्सी फिगर वाली.

हमने चाय खत्म की तो सरिता उठकर खड़ी हो गयी.
उसकी मांसल बाहर निकली हुई गांड, उसकी काले रंग की पैंटी भी दिखने लगी थी.

उसकी गांड की दरार देखकर मुझसे रहा नहीं गया, तो मैं एक हाथ से सरिता की गांड सहलाने लगा.

सरिता बोली- बहुत शैतान हो तुम … अब बस करो यार. मैं ये सब नीचे रखकर वापस आती हूँ.

मैं उठकर खड़ा हो गया और मैं अपने बैग से गोलियों की शीशी उसे दी और कहा- इसे सम्भाल कर रखना और मैंने जैसा बताया है, वैसे विलास को दे देना.

सरिता ने बॉटल अपनी अलमाँरी में रख दी और सब बर्तन लेकर नीचे चली गयी.
मैं अपने बेड पर लेटकर आराम करने लगा.

दस बज चुके थे.
मैं सरिता का इंतजार कर रहा था. उसकी याद से ही मेरे बदन में लहर सी दौड़ने लगी थी. उसकी सेक्सी फिगर ने मुझे पागल बना दिया था.

थोड़ी ही देर में मैंने सरिता के आने की आहट सुनी, उसने बाहर का दरवाजा बंद किया तो आवाज आयी.

सरिता अपने ही रूम में थी, शायद कुछ काम कर रही होगी.

मैं बहुत बेताब हो रहा था … मुझसे रहा नहीं गया तो मैं आहिस्ता से उसके रूम में गया.
मैंने बेड पर देखा तो सरिता ने अपनी पैंटी और ब्रा एक बाजू निकालकर रख दी थी और वो अलमारी में कपड़े ठीक से लगा रही थी.

मेरी नजर उसकी उभरी और बाहर निकली हुई गांड पर ही टिकी हुई थी.

जब वो काम करती हुई नीचे को झुक जाती तो गांड की पूरी दरार चूत तक नजर आ रही थी.
मेरे लंड में खलबली होने लगी थी.

लुँगी के अन्दर मैं नंगा ही था.
मेरा लंड में तनाव आने लगा था.
अब मैं बेकरार हो रहा था.

जैसे ही सरिता नीचे झुकी, तो मैं उसके पीछे जाकर उसकी गांड से सटकर खड़ा हो गया.

सरिता हंस कर बोली- हर्षद बहुत बदमाश हो तुम. रुको ना थोड़ा. मुझे काम करने दो ना!
वो खड़ी होकर कपड़े लगाती हुई बोली- हटो ना हर्षद!

वो मुझसे हटने की कह रही थी मगर खुद अपनी गांड की दरार के बीच मेरे लंड को रगड़ने लगी थी.

सरिता भी ये सब चाहती थी लेकिन ना ना करके मेरे लंड को गर्म कर रही थी.

अब उसने अलमारी बंद कर दी और पीछे मुड़ी तो मैं उसे अपनी बांहों में कस कर होंठों को लगातार चूमने लगा.
सरिता ने भी होंठों को चूसना चालू कर दिया.

नीचे मेरा लंड सरिता की चूत पर रगड़ खा रहा था; उसकी चूचियां मेरे सीने पर रगड़ खा रही थीं.

सरिता कामुक हो रही थी. वो मेरी टी-शर्ट निकालकर मेरी पीठ को अपने हाथों से सहलाने लगी.
अभी उसके हाथ मेरे कमर के नीचे जाकर मेरी गांड को सहलाकर दबाने में लगे थे जिसके कारण मेरा लंड उसकी चूत पर जोर से रगड़ खा रहा था.

अब मुझे भी जोश आ रहा था तो मैंने सरिता के गाउन को नीचे से उठाकर ऊपर से निकाल दिया और सरिता की नंगी मांसल गांड को दोनों हाथों से सहलाने लगा.
मैं उसकी गांड की दरार में उंगलियां फिराने लगा.

सरिता सिहर गयी … उससे न रहा गया तो उसने मेरी लुँगी निकालकर मुझे नंगा कर दिया.

दोस्तो, सरिता भाभी की वासना इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि वो मेरे जरा से उकसाने पर ही चुदने के लिए रेडी हो जाती थी.

कहानी के अगले भाग में मैं आगे की घटना लिखूँगा.
आप मुझे मेल करें कि Xxx भाभी की चूत चुदाई कैसी लग रही है.
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Xxx भाभी की चूत चुदाई कहानी का अगला भाग: