हैलो फ्रेंड्स … मैं प्रकाश सिंह फिर से अपनी एक और मजेदार सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ.
इस सेक्स कहानी में मैंने एक पंजाबी विधवा भाभी को चुदाई का पूरा पूरा आनन्द दिया.
सेक्स कहानी की शुरूआत से भाभी का परिचय दे देता हूँ. उनका नाम हरलीन कौर था, उम्र 27 वर्ष, फिगर 32-28-34 का और रंग एकदम गोरा.
भाभी का कद साढ़े पांच फुट का था और वो ज्यादातर 32B साइज़ की पुशअप ब्रा पहनने की शौकीन थीं. भाभी स्वभाव से खुश मिजाज, दिल खोल एवं स्वाभिमानी महिला थीं.
जैसा कि मैंने बताया हरलीन भाभी एक विधवा महिला थीं, जिनके पति का देहांत कुछ वर्ष पहले सड़क दुर्घटना के कारण हो गया था.
उनका विवाह 20 वर्ष की आयु में ही हो गया था. एक वर्ष बाद 21 वर्ष की आयु में एक बच्चे की मां भी बन गयी थीं.
लेकिन किस्मत का लिखा कौन टाल सकता है. दुर्भाग्यवश 27 साल की उम्र में ही विधवा हो गयी थीं.
घर वालों के लाख जोर देने के बावजूद भाभी ने दूसरी शादी करने से मना कर दिया था. अब वो अपने पति के घर को छोड़कर अपने मायके में ही रहने लगी थीं.
उनके ही घर में मैं एक कमरा किराये पर लेकर रहता था. यानि मैं उनका पड़ोसी था. लेकिन काम की वजह से मैं कमरे पर रहता नहीं था.
भाभी की किस्मत इतनी भी खराब हो सकती है. हुआ यह कि तीन साल बाद उनके पूरे परिवार को एक ट्रक ने रौंद दिया. जिसमें उनकी मां पिताजी और भाइयों का देहांत हो गया.
अब भाभी के जीने का सहारा मात्र उनका बच्चा रह गया था जो अब 9 साल का हो गया था. वो बाहर रह कर पढ़ाई कर रहा था.
जैसे ही उसे इस बात की खबर लगी कि उसके नाना नानी मामा आदि सब साथ छोड़ कर चले गए है, तो वह भी टूट गया.
मैं दंग रह गया था कि इतना छोटा बच्चा भी इन सभी भावनाओं से परिचित था … और होगा भी क्यों नहीं क्योंकि उसकी पढ़ाई का एक मात्र सहारा नाना जी ही थे.
नाना जी के देहांत के बाद वो भी पूरा टूट गया था, लेकिन मां के कहने पर वह अपनी पढ़ाई में लगा रहा. नाना जी के पीएफ के पैसे पर अब उसकी पढ़ाई होने लगी थी.
भाभी यहां अकेली रहती थीं. मगर अब वो काफी उदास रहने लगी थीं. बीच बीच में मैं जाकर उन्हें दिलासा देता रहता था, ताकि वो जीने की उम्मीद न छोड़ें.
एक अकेली बेसहाय महिला की स्थिति का अंदाजा तो आप लगा ही सकते हैं कि कितनी कठिनाई होती होगी.
आजू बाजू में रहने वाले लोग भाभी पर बुरी नजर गड़ाए बैठे थे, वो मौके की तलाश में थे कि कब भाभी बुलाए और कब वो अपनी हवस मिटा लें.
मैंने भी जानबूझ कर अपना कमरा लिए रखा था ताकि कोई दूसरा उन्हें परेशान न करे … और कोई दूसरा उनकी मजबूरी का फायदा न उठा सके.
मैं वहां कभी कभी ही रहता था … इस कारण भाभी मुझे कई बार बोलती थीं कि आपने ये कमरा क्यों ले रखा है, आप तो यहां रुकते भी नहीं हैं.
हर बार की तरह मेरा एक ही जवाब होता था कि भाभी मैं यहां आता जाता रहता हूं. इस शहर से मेरा गहरा नाता है. मैं इसे छोड़ना नहीं चाहता हूँ.
मेरे यहां रहने का एक और सबब भी था.
मेरी गर्लफ्रेंड एक लड़की मीतू थी, जिसे मैं इस कमरे में चोदता था. जबकि मेरा तबादला पास के शहर में हो गया था.
एक दिन मैं भाभी के साथ बैठ कर बात कर रहा था.
तभी अचानक भाभी मुझसे मुखातिब हुईं- प्रकाश, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं- भाभी कभी कभी जो मेरे साथ आती है … वही तो मेरी गर्लफ्रेंड है.
भाभी- अच्छा, वो मीतू तुम्हारी गर्लफ्रेंड है. मैं उन्हें तुम्हारी दीदी समझती थी.
उनकी इस बात पर मैं हंस दिया और मैंने भाभी से पूछा- भाभी, आपने दूसरी शादी क्यों नहीं कि आपकी तो अभी उम्र ही कम है.
भाभी- दरअसल मैं शादी तो करना चाह रही थी लेकिन पंकज (उनका बेटा) का सोच कर मैंने हिम्मत नहीं की क्योंकि मेरे मन में आशंका थी कि जो भी मेरी जिंदगी में आएगा, वह पंकज को कैसे रखेगा … उसका क्या भरोसा, वो पंकज को पिता का प्यार न दे.
मैं- बात तो आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं, लेकिन भाभी आपको नहीं लगता है कि आप यदि शादी कर लेतीं … तो आपको लाइफ थोड़ी सुधर जाती, आस पास के लड़के आपको बुरी नजर से भी देखते हैं.
इस पर उनका जवाब सुनकर मैं स्तब्ध रह गया.
भाभी- यदि उन्हें, मुझे देखने में मजा आता है तो आने दो, कम से कम किसी के लिए अच्छा तो हो रहा है.
अब मेरे पास कुछ शब्द ही नहीं बचे थे, तो मैं चुपचाप बैठा था. भाभी भी चुपचाप बैठी थीं.
तभी भाभी ने कहा- आप बड़े खुशकिस्मत हो, आपके पास सब है. आपकी गर्लफ्रेंड भी काफी खूबसूरत है, आपकी जॉब भी अच्छी है, सब कुछ है आपके पास!
इस बात का मैंने शालीनता से जवाब दिया- जी भाभी, बात तो आप सही कह रही हैं, लेकिन जब तक एक इंसान जीवित हैं … बिना समस्या के वो अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता है.
मेरी इस बात के बाद मैंने देखा कि भाभी के आंख से आंसू निकलने लगे थे.
मैं- भाभी आप रो क्यों रही हैं, हम सब भी आपके परिवार ही हैं.
भाभी अब और जोर से रोने लगीं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
मैंने उनके आंसू पौंछने की कोशिश की लेकिन भाभी के आंसू थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे.
तब मैंने उन्हें गले से लगा लिया और उनकी पीठ थपथपाने लगा.
वो भी मुझसे लिपट गईं और फूट फूट कर रोने लगीं.
मैंने उन्हें चुप कराने की बहुत कोशिश की, मगर वो चुप ही नहीं हो रही थीं.
तब मैंने कहा- भाभी, चलो थोड़ा बाहर घूम फिर आते हैं.
वो कुछ नहीं बोलीं लेकिन घूमने चलने के नाम से उनके आंसू टपकना बंद हो गए थे.
मैंने अपनी कार निकाली और उन्हें आगे बिठा कर हम दोनों एक पार्क में चले गए जहां कुछ बच्चे खेल रहे थे और कुछ बूढ़े ठहाके लगा लगा कर हंस रहे थे.
ये सब देख कर भाभी को थोड़ा अच्छा लगा.
फिर कुछ समय बाद उन्होंने कहा- चलो अब घर चलते हैं.
तो मैंने गाड़ी पार्किंग से निकाली और घर की ओर वापस आने लगे.
रास्ते में मैंने एक रेस्टोरेंट देखा तो वहां गाड़ी खड़ी कर दी.
उन्होंने मेरी तरफ देखा.
तो मैंने भाभी से कहा- आज डिनर यहीं कर लेते हैं, वैसे भी मैं बहुत दिन बाद आज मुझे खाना बनाने का मन भी नहीं कर रहा है.
इस पर भाभी ने सहमति जता दी.
हम दोनों ने खाना खाया और घर चले आए.
मैंने गाड़ी पार्क की और वापस आ रहा था, तो देखा घर के बाहर पैसेज में भाभी खड़ी थीं, वो घर में अन्दर नहीं गई थीं.
मैंने भाभी से पूछा- क्या हुआ भाभी?
तो उन्होंने बिना कुछ कहे मुझे गले से लगा लिया और सभी चीजों के लिए धन्यवाद कहा.
मैंने भाभी से कहा- आपको कोई भी जरूरत हो, तो मुझे बोल दिया करें. मैं आपकी हेल्प कर दूंगा.
दो दिन बाद मेरी गर्लफ्रेंड मीतू मुझसे मिलने आयी. दरअसल वो मुझसे चुदने आयी थी.
तब मैंने उसे भाभी से मिलाया. फिर हम लोगों ने साथ मिल कर डिनर किया और मैं और मीतू मेरे कमरे में चले गए.
जैसे ही मैं कमरे में पहुंचा, मीतू ने मुझे पकड़ लिया और चूमने लगी, मेरे सभी अंगों को चाटने लगी.
धीरे धीरे उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे एक एक अंग को चाटने लगी.
मैंने भी उसे दीवार के सहारे टिका दिया और उसके होंठों को मेरे होंठों से चिपका कर उसके कपड़ों के ऊपर से ही उसके बूब्स दबाने लगा.
मीतू गर्म होने लगी.
मैं अब एक एक करके उसके सारे कपड़े उतारने लगा.
कुछ ही पलों में वो पूरी नंगी हो चुकी थी.
मैं उसके शरीर के एक एक अंग को चाट रहा था.
जब मैंने उसकी चूत के ऊपर अपनी मुँह लगाया तो वो सिहर उठी और मेरे सिर को अपनी चूत में दबाने लगी; साथ ही अपने बूब्स को भी दबाने लगी.
मुझे भी मजा आ रहा था.
कुछ देर बाद मैं उसकी चूत में उंगली भी कर रहा था और चाट भी रहा था.
वो जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी- आह आह ऊह आह … पीसी … आह खा आ जाओ मुझे.
मैं और जोर जोर से उसके चूत चाटने लगा. वो मेरे सिर को चूत में गड़ाने लगी और अंततः वो निढाल हो गयी.
मैने उसका सारा माल गटक लिया और बाथरूम की ओर चला गया.
तभी मुझे अहसास हुआ कि कोई बाहर है.
मैंने दरवाजा खोला तो वहां कोई नहीं था.
मैं तौलिया लपेटकर बाथरूम गया और वहां से फ्रेश होकर आ गया.
अब रूम के अन्दर आकर देखा कि मीतू पूरी तरह थक कर आंखें मूंदें लेट गई थी.
मैंने उसे उठाया और लंड को उसके मुँह में डाल दिया.
वो भी मेरे लंड को बड़े प्यार से सहला सहला कर चूसने लगी.
मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था और मेरा रस छूटने वाला था.
मैंने मीतू के बाल को पकड़ कर लंड को उसके मुँह में गले तक अन्दर डाल दिया और उसके मुँह में ही स्खलित हो गया.
थोड़ी देर बाद मीतू फिर से मेरे लंड को चूसने लगी.
उसके बाद वो मेरे होंठों को किस करते हुए मेरे सभी अंगों को चाटने लगी थी.
जैसे ही लंड खड़ा हुआ मैंने उसे बिस्तर में पटक दिया और चूत के मुंह में लंड को रख कर रगड़ने लगा.
मीतू की तड़प बढ़ने लगी, उसने कहा- क्यों सता रहे हो … डाल दो न प्लीज.
मेरी हॉट गर्लफ्रेंड सेक्स के लिए मचल रही थी तो मैंने भी मीतू की बात मान कर लंड चूत में पेल दिया.
उसके मुँह से तेज सिसकारी निकल गयी- उई मां मर गयी … बहनचोद साले … धीरे नहीं डाल सकता था … हरामी मार ही डाला.
मैं थोड़ी देर रुक गया और उसके होंठों को चूसने लगा, बूब्स दबाने लगा, चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से धक्का मारा और अब लंड पेलते ही चला गया.
वो भी प्यार की सिसकारियां लेने लगी- आह आह उई ऊह हां हां ओह आआ!
इसी के साथ ही अपनी चूत की फांक के ऊपर उंगली से दाने को रगड़ने लगी.
वो अपनी गांड उठाती हुई ‘ओह फ़क फ़क हार्ड आह …’ की मादक आवाजें कुछ ज्यादा तेज स्वर में निकालने लगी.
ऐसे ही हमारे बीच चुदाई चलती रही.
अब मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गयी.
मेरे लंड को चूत पर सैट करके मेरी हॉट गर्लफ्रेंड गांड दबाती हुई लंड पर बैठने लगी.
धीरे धीरे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक समा गया. अब वो उछल उछल कर चुदने लगी और उसने मेरा हाथ अपने मम्मों पर रख दिए.
वो जोर जोर से उछल रही थी और उसके मम्मे मेरे हाथों से मसले जा रहे थे.
कुछ ही देर बाद वो झड़ने वाली थी तो उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी.
जिसके कारण हम दोनों की जांघें आपस में टकरा रही थीं और पट पट की मादक ध्वनि उत्पन्न कर रही थीं.
झड़ने के बाद वो निढाल हो गयी मगर मेरा निकलना अभी बाकी था.
तो मैं उसे नीचे लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और उसे ताबड़तोड़ चोदने लगा.
कुछ समय बाद मेरा भी रस निकल गया और हम दोनों ऐसे ही सो गए.
कुछ पल बाद मेरा ध्यान फिर से दरवाजे पर गया, मुझे अभी भी लगा कि वहां कोई है.
मैंने मीतू से कहा- कोई है.
वो बोली- होगा कोई … होने दो.
मैंने जानबूझ कर मीतू से कहा- मैं किचन से चाय बना लाता हूँ.
और उठ कर किचन में चला गया.
वहां से मैंने खिड़की से चुपके से झांका तो देखा दरवाजे के की-होल से भाभी अन्दर हमारी चुदाई देख रही थीं.
दोस्तो … इस सेक्स कहानी के अगले भाग में मैं आपको बताऊंगा कि भाभी की चूत चुदवाने की भूख किस तरह से शांत हुई.
आप मेरी हॉट गर्लफ्रेंड सेक्स कहानी पर कमेंट्स और मेल जरूर करें.
आपका प्रकाश सिंह
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हॉट गर्लफ्रेंड सेक्स कहानी का अगला भाग: विधवा पड़ोसन की चूत लंड की भूखी- 2