सेक्सी मम्मा से वासना भरा प्यार- 1

देसी मॉम की चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैं अपनी मम्मी की जवानी की ओर आकर्षित हुआ. कैसे ट्रेन में मैंने अपनी मम्मी के साथ 69 के बाद चुदाई की.

हैलो फ्रेंड्स, मैं अंकित, मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूं और इधर मैं सेक्स से भरी कहानियां पढ़ना बहुत ही ज्यादा पसंद करता हूं.
मुझे खासतौर पर मां बेटा की चुदाई कहानियां पढ़ना पसंद हैं क्योंकि मैं अपनी मां को बहुत प्यार करता हूं और अपनी मम्मा की तरफ सेक्सुअली आकर्षित भी हूं.

फ्रेंडस मेरी एक फंतासी थी कि अगर मुझे कहीं से एक ऐसी टाइम मशीन मिल जाए और मुझे उस मशीन के जरिये अपने भूतकाल में जाने का मौका मिल जाए तो मैं क्या क्या करूंगा.

मैं सोचता था कि यदि मुझे ऐसी मशीन मिल गई तो मैं सबसे पहले अपने भूतकाल में जाकर अपनी मम्मा को पटाऊंगा और उन्हें बहुत मजे से चोदूंगा.

ये सोचते ही मैं एकदम गर्मा जाता था और अपनी मम्मा को याद करके मुठ मार लेता था.

मैं आप सभी से पहले ही बता दूं कि ये एक फैंटसी से भरी देसी मॉम की चुदाई कहानी है व उसी फंतासी के चलते मेरी और मेरी मम्मा के कामवासना से भरे प्यार की कहानी है.

अब मैं आप सभी को अपने बारे में बता दूं.
मैं दिल्ली में अपनी मम्मा के साथ रहता हूं. मेरे घर में सिर्फ हम दोनों ही हैं. पापा के गुजर जाने के बाद मम्मा को उनकी जगह बैंक में नौकरी मिल गई थी.
तब से मम्मा ने मुझे अकेले ही पाला है.

मम्मा को सभी ने दूसरी शादी की सलाह दी थी लेकिन तब तक मैं 4 साल का हो गया था और मम्मा ने मेरे साथ कुछ गलत ना हो, इसीलिए मेरी खुशी के लिए अपनी खुशी छोड़ दी थी. मम्मा ने अपनी सभी सेक्सुअल डिजायर्स को मेरे लिए छोड़ दिया था.

मगर शरीर की चाहत के लिए कभी कभी मम्मा अपनी चूत में उंगली या मूली या गाजर डाल कर खुद को संतुष्ट कर लेती थीं.
ये मुझे इसलिए मालूम हो गया था क्योंकि मुझे कई बार बाथरूम में मूली और गाजर मिलती थी.

हालांकि पहले मुझे पता नहीं था कि इनका इधर पड़े होने का कारण क्या है.
लेकिन धीरे धीरे जब मुझे सेक्स के बारे में पता चलना शुरू हुआ मतलब जब मुझे अपने दोस्तों और पोर्न से जानकारी मिली, तो धीरे धीरे मुझे मेरी मम्मा अब बहुत सेक्सी और हॉट माल नजर आने लगी थीं.

मम्मा के खूबसूरत चेहरे के साथ इनका चबी फिगर मुझे बौरा देता था.
मेरी मम्मा किसी हुस्न की परी से कम नहीं नजर आती थीं.

मैं मम्मा के अंडरगारमेंट्स मतलब उनकी ब्रा और पैंटी को बाथरूम में ले जाकर मम्मा के नाम पर उत्तेजित हो जाता था और ‘सौम्या सौम्या …’ करते हुए मुठ मार लिया करता था.

मम्मा को कभी कभी मेरा स्पर्म भी दिख जाता था लेकिन मम्मा ने मुझसे कभी कुछ पूछा नहीं तो मैं भी बिंदास होता चला गया.

मैं मम्मा के नाम की मुठ मारकर खुद को मम्मा के साथ कुछ भी करने से रोक लेता था लेकिन ऐसा कब तक करता.

मेरी मम्मा सौम्या मेरे साथ ही सोती थीं.
सोते समय मम्मा सिर्फ गाउन पहन लेती थीं जो मम्मा के टखनों तक भी नहीं पहुंच पाता था और सोते टाइम तो और ऊपर हो जाता था.

कभी कभी तो मुझे अपनी मम्मा सौम्या की पैंटी दिखने लगती थी इसीलिए मुझे हर रोज मम्मा के नाम की मुठ मारनी पड़ती थी.
मुठ न मारूं तो मुझसे कंट्रोल नहीं होता था.

वैसे मैं अपनी मम्मा सौम्या के बहुत करीब था.
जब तक अपनी मम्मा सौम्या के लिए मेरे दिमाग में ऐसी भावनाएं नहीं आती थीं तब तक मैं मम्मा सौम्या को सुबह से शाम तक कई बार किस कर लेता था.

कई बार मम्मा को खाना बनाते समय पीछे से पकड़ लेता था. मम्मा मुझसे ऐसा करने को मना करतीं, लेकिन जितना मम्मा मना करतीं, मैं उतना ही उनको किस करता और गोद में उठा लेता था.
मैं बोलता- क्यों मैं तो सिर्फ अपनी जानू को किस और हग कर रहा हूं.

तब मुझे इस बात का अहसास भी नहीं था कि मम्मा के मन में क्या चल रहा होगा.
मुझे बाद में अहसास हुआ कि मम्मा के मन में मेरे लिए सेक्स वाली फीलिंग आती होगी.

इसीलिए मैंने अपनी मम्मा सौम्या को किस करना और हग करना बन्द कर दिया ताकि दोनों को ही सुविधा रहे.
लेकिन मम्मा के लिए मेरे अन्दर कुछ ज्यादा ही प्यार था इसीलिए मैं अपनी मम्मा सौम्या के लिए खुद को अट्रैक्ट होने से रोक नहीं पाया.

कुछ दिनों पहले की बात है.
मेरी सेक्सी मम्मा को ट्रेनिंग के लिए मुंबई जाना था. इससे पहले उनकी ट्रेनिंग होती रहती थी, जिसके लिए उन्हें आस पास में ही जाना होता था.

लेकिन इस बार इतनी दूर मुंबई जाना था तो मम्मा ने मुझसे बोला कि उनको अकेले जाने में डर लग रहा है.
मैंने कहा- मम्मा अगर आपको दिक्कत नहीं हो, तो मैं आपके साथ चलूँ. मुझे एक सप्ताह की छुट्टी भी मिल जाएगी और आपका काम भी चल जाएगा. वैसे भी मैं मुंबई घूमने जाना चाहता हूँ.

मेरी मम्मा सौम्या तैयार हो गईं.

हम दिनों ने अगले दिन शॉपिंग की.
मम्मा ने मेरे लिए दो जोड़ी कपड़े, एक जोड़ी जूते और एसेसरीज भी दिलाई.

जब मम्मा की बारी आयी, तो मैंने मम्मा को जबरदस्ती जींस टॉप, सेक्सी लिंगरी और सेमी ट्रांसपेरेंट इनर वियर दिलाए.
मम्मा ने अपने लिए खुद कुछ सलवार सूट भी ले लिए.

घर आकर मम्मा ने मुझसे कहा- तुमने मुझे बेकार में ये कटे फटे कपड़े दिला दिए. मैं इस उम्र में ये कपड़े पहनती फिरूंगी क्या?
मैंने मम्मा को बोला- मम्मा, बाहर ना सही, आप इन्हें मेरे सामने ही घर पर पहन लेना. और ये किसने कहा कि आपकी उम्र ज्यादा है. आप तो किसी कॉलेज गर्ल से कम नहीं लगतीं. बस ब्यूटी पार्लर जाकर थोड़ा सा मेकअप करवा लो और स्टेप कट बाल कर लो. तो मम्मा आप किसी हुस्न की मल्लिका से कम नहीं दिखोगी.

मम्मा शर्मा गईं. उनके गालों पर लालिमा आ गई थी.
लेकिन मम्मा ने मुझे प्यार से झिड़कते हुए कहा- अच्छा बेटा, अपनी मम्मा को मक्खन लगा रहा है.
मैंने बोला- ऐसा नहीं है मम्मा, आप सच में बहुत खूबसूरत हो … इतनी कि मैं आपसे शादी कर लूं.

मेरे मुँह से ये अपने आप ही निकल गया था.
मम्मा ये सुनकर हंस दीं और मेरे बालों में हाथ फिरा कर बोली- पागल … अपनी मम्मा से भी कोई शादी करता है भला!

मेरी बातों को मम्मा ने हल्के में लिया था या नहीं … ये तो मैं नहीं कह सकता, लेकिन उस टाइम मुझे थोड़ा सुकून मिल गया था.

अगले दिन हम अपना सामान पैक करके बैग और बैगेज के साथ चल दिए.

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ट्रेन में हमारा एसी सेकंड क्लास का रिजर्वेशन था.
उस डिब्बे में ज्यादा पैसेंजर्स नहीं थे. हमारे केबिन वाले दूसरे पैसेंजर्स आए नहीं थे.

सेकंड क्लास में टीसी भी जल्दी से किसी को भी जल्दी से बिना रिजर्वेशन के सीट नहीं दिलवा सकता था तो हमारा केबिन हम दोनों के लिए पूरी तरह से खाली था.

शाम 4 बजे हम निकले 8 बजे तक हम दोनों ने बहुत मजे से यात्रा का आनन्द लिया.
फिर दोनों ने अपनी अपनी सीट पकड़ ली.
मैं ऊपर वाली बर्थ पर चला गया और मोबाइल चलाने लगा.

थोड़ी देर बाद मैं मॉम सन फकिंग वीडियोज देखने लगा.
उन वीडियोज को देख कर मुझे अपनी मम्मा सौम्या को चोदने का मन होने लगा.

अब ट्रेन में तो मैं मुठ भी नहीं मार सकता था.
बड़ी ही अजीब स्थिति बन गई थी.

मैं और मेरा लिंग पूरी उत्तेजना में थे. मैं बेचैन होकर करवटें बदलने लगा.

मम्मा मुझे देख कर बोलीं- क्या हुआ अंकित, इतना बेचैन क्यों है?
मैं अपनी मम्मा सौम्या को क्या बताता कि मेरा उनको बुरी तरह से चोदने को मन हो रहा है.

मैंने बोला- कुछ नहीं मम्मा बस ऐसे ही, मैं ठीक हूं.
मम्मा ने बोला- अगर नींद नहीं आ रही हो … तो मेरे साथ सो जा.

अपनी मम्मा सौम्या की ये बात सुनकर मेरा मन और लंड दोनों हिलोरें मारने लगे, लेकिन मैंने मना कर दिया.

फिर भी मैं बेचैन ही हो रहा था तो सौम्या ने बोला- अंकित, चल नीचे आ जा, दोनों यहां नीचे चादर बिछा कर सो जाएंगे. मुझे पता है तुझे मेरे साथ ही नींद आती है.

लेटने वाले कोच इतने बड़े नहीं थे कि दोनों लेट सकें, लेकिन बीच में जगह इतनी थी कि दोनों अच्छे से सो सकते थे.

मुझे अपनी मम्मा सौम्या की बात माननी ही पड़ी.

हम दोनों ने दो चादरें बिछा लीं और वो केबिन पर्दे से बन्द कर लिया.

मैं सौम्या के साथ लिपट कर लेट गया जिससे अपनी मम्मा सौम्या की गांड पर मेरा लम्बा लंड रगड़ लगाने लगा.

मम्मा को थोड़ा अजीब तो लगा लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बोला.

अब धीरे धीरे समय खिसकने लगा.
जैसे जैसे रात बढ़ने लगी, सन्नाटा भी बढ़ने लगा.

अब तो टीसी ने भी आना बन्द कर दिया था क्योंकि ट्रेन खाली होने की वजह से वो भी एक दो बार ही चैक करने आया था.

मुझे तो नींद आने की गुंजाइश ही नहीं थी क्योंकि एक तो मेरी बांहों में मेरी ड्रीम गर्ल थी और ऊपर से मैं पूरी तरह से उत्तेजित था.

जैसे जैसे रात बढ़ने लगी, मेरी उत्तेजना भी बढ़ती गई.
रात के 9:30 बज गए और नींद का मेरे लिए दूर दूर तक नामोनिशान नहीं था.

अपनी मम्मा सौम्या ने आज क्यान कलर का सूट और बादामी रंग की पजामी पहनी हुई थी.
वो पजामी मम्मा के शरीर के निचले हिस्से यानि उनकी गांड, उनकी जांघों और आगे उनकी चूत पर भी चिपकी हुई थी.

उनकी सलवार से मुझे और भी ज्यादा असुविधाजनक लग रहा था क्योंकि मेरा लंड सीधा मम्मा की गांड को टच कर रहा था और मुझसे कंट्रोल छूट रहा था.

कुछ और देर मैंने खुद को रोकने की कोशिश की लेकिन मैं अपनी मम्मा सौम्या की छलकती जवानी के आगे बेबस हो गया था.
मैंने हिम्मत करके अपनी मम्मा सौम्या को अपनी बांहों में भर लिया.

मम्मा के लिए ये नया नहीं था, तो मम्मा सोती रहीं.
नहीं तो ऐसी सिचुएशन में हमारी इन्द्रियां हमें गहरी नींद में भी जगा देती हैं.

थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद डरते डरते मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और मम्मा की चूत के छेद पर पजामी के ऊपर से ही धीरे धीरे रगड़ने लगा.

मम्मा ने थोड़ी देर बाद थोड़ी हरकत की और थोड़ा सा आगे खिसक कर लेट गईं लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं बोलीं.

मेरा मन तो अपनी मम्मा सौम्या को चोदने का हो रहा था.

डर तो लग ही रहा था कि मम्मा को ये सब अच्छा नहीं लगा तो क्या होगा.
लेकिन दिल में एक उम्मीद भी थी क्योंकि पहली बात वो मेरी मां थीं, तो ज्यादा से ज्यादा क्या होता … कुछ उल्टा सीधा सुना देतीं, मार देतीं या कुछ दिन बोलना और खाना देना बन्द कर देतीं. फिर मैं माफी मांग लेता और सब सही हो जाता.

दूसरी बात मम्मा की चूत को बहुत दिनों से लंड का स्वाद नहीं मिला था तो बहुत ज्यादा सम्भावना थी कि वो मुझे चोद लेने देतीं.
बस इसीलिए मैंने हिम्मत करके चांस ले लिया.

अब अपनी मम्मा सौम्या को फिर से पीछे से अपनी बांहों में भरकर मैं उनकी चूत पर लंड और उनकी सुराहीदार गर्दन पर अपने होंठ रगड़ने लगा.

मेरी मम्मा सौम्या पता नहीं क्यों … कुछ भी हरकत नहीं कर रही थीं.
मैंने सोच रखा था कि जैसे ही मम्मा कुछ विरोध करेंगी, मैं तुरन्त सोने की एक्टिंग करने लग जाऊंगा.

लेकिन उधर से कोई रेस्पॉन्स नहीं आया तो मैंने मम्मा को उत्तेजित करने की कोशिश जारी रखी.

मैंने अपनी मम्मा सौम्या की पजामी और उसकी पैंटी दोनों को नीचे खिसका दिया और बिना किसी डर के मम्मा की चूत के छेद पर अपना लंड रख कर लंड को अन्दर दबा दिया.

अब मम्मा ने नींद खुलने का नाटक करते हुए पूछा- अंकित, ये तू मेरे साथ क्या कर रहा है?

हम अलग अलग हो गए और हमारे बीच में बातें होने लगीं.

मम्मा चाहतीं तो कपड़े ठीक कर सकती थीं लेकिन अपनी मम्मा सौम्या ऐसे ही अधनंगी पड़ी रहीं और मुझसे बहस करने लगीं.

हालांकि मैं फील कर सकता था कि अपनी मम्मा सौम्या का मन मेरे साथ सेक्स करने का था लेकिन मैं रुक गया.

मैंने कहा- मम्मा वो आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो. मैंने कहा था ना कि मैं आपसे शादी करना चाहता हूं.
मम्मा ने गुस्से में कहा- अपनी मां से शादी करनी है तुझे … पागल है क्या? मां से भला कौन शादी करता है?

मैंने बेशर्मी लेकिन अपराध भरे स्वर में बोल दिया- मैं तो करना चाहता हूं.
मेरी मम्मा- अच्छा चल शादी करनी थी … तो ऐसे शादी होती है क्या? ना मांग भरी, ना फेरे किए, ना कुछ और सीधे सुहागरात?

मैं समझ नहीं पाया कि मम्मा ने ऐसा क्यों कहा लेकिन जब मैंने मम्मा के चेहरे पर एक कनिंग स्माइल देखी तो मैं समझ गया कि मम्मा भी मुझसे चुदवाना चाहती हैं.

मैंने भी मम्मा की टोन में पूछा- तो बताओ कैसे होती है शादी?
अपनी मम्मा सौम्या ने कहा- पहले मेरी मांग में सिंदूर भर … फिर मुझे मंगलसूत्र पहना … फिर उसके बाद सुहागरात.

‘और फेरों का क्या सौम्या डार्लिंग?’
मेरी मम्मा- फेरे बाद में कर लेंगे, यहां आग कैसे जलाएंगे. आज बाकी काम तो कर ले.

मैंने पूछा कि सिंदूर, मंगलसूत्र भी तो नहीं है यहां.
मम्मा ने अपने हैंड बैग से सिंदूर की डिब्बी और मंगलसूत्र दोनों निकाल कर दे दिए.

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मैंने मम्मा की तरफ अचरज से देखा, तो मम्मा बोलीं- ऐसे क्या देख रहा है … मुझे बहुत पहले से पता है कि तू मुझसे शादी करना चाहता है, मुझे चोदना चाहता है. वो तो मैं अपने अंडरगारमेंट्स पर तेरे स्पर्म के निशानों से ही समझ गई थी … और बाकी तूने दो तीन बार मुझसे शादी की बात खुद बोल भी दी थी. मैं तो बस इंतजार कर रही थी कि कब तू हिम्मत करेगा और कब मेरे लिए मेरा नया बॉय फ्रेंड और हजबैंड बनेगा. चल अब देर मत कर, हम दोनों को हमारी सुहागरात भी तो मनानी है.

मैंने अपनी मम्मा सौम्या के गले में मंगलसूत्र पहना दिया और उनकी मांग भर दी.

इसके बाद मैंने अपनी मम्मा सौम्या को गोद में उठा लिया और उन्हें चूम कर कहा- आई लव यू सौम्या!
सौम्या- आई लव यू टू मेरे राजा!

हम दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों से कब मिल गए, हमें भी नहीं पता चला.
बहुत देर तक हम एक दूसरे के होंठों को चूसते, एक दूसरे की जीभ को चाटते रहे.

हम दोनों एक दूसरे के होंठों को रस पी जाना चाहते थे. बीच बीच में हम एक दूसरे से आई लव यू भी बोल रहे थे.

लगभग 5 मिनट तक एक दूसरे को चूसते रहने के बाद जब दोनों की सांसें चढ़ने लगीं, तब हम अलग हुए.

हम दोनों जोर जोर से हांफ रहे थे.
हमने पानी पिया, थोड़ी देर रुके.

फिर मैंने अपनी मम्मा सौम्या की तरफ देखा, उनको इशारा किया.
मेरी मम्मा सौम्या समझ गईं.

हमने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए. मैंने मम्मा को गोद में उठाया और प्यार से एक बार और किस किया. इस बार जल्दी वाला किस था क्योंकि इस बार मुझे अपनी मम्मा सौम्या की चूत का स्वाद लेना था ना.

फिर क्या था … हम दोनों 69 के पोज में आ गए और मैं अपनी मम्मा सौम्या की रसीली चूत को चाटने लगा.

मेरी मम्मा की चूत पर हल्के हल्के बाल थे लेकिन उन बालों से मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं हुई.
बल्कि मुझे कुछ ज्यादा मज़ा आ रहा था.

मेरी मम्मा सौम्या की चूत का रस उनकी चूत की झांटों पर लगा हुआ था, ये मुझे बड़ा ही मीठा लग रहा था जबकि वो नमकीन रस था.

दूसरी तरफ मम्मा मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह मज़ा लेते हुए चूस रही थीं, हम दोनों जन्नत की सैर पर थे.

हम दोनों एक दूसरे से तब अलग हुए, जब दोनों एक एक बार झड़ गए हालांकि मम्मा मुझसे जल्दी झड़ गई थीं लेकिन मज़ा दोनों को पूरा आया.

हमने एक दूसरे को चाट चाट कर साफ कर दिया.

हम दोनों इतने बेसब्र हो गए थे कि बिना देर किए, फिर से एक दूसरे को चूमने चाटने लगे.
इससे थोड़ी ही देर में हम फिर उत्तेजित हो गए.

अब मैंने मम्मा को अपने नीचे लिटाया और मम्मा ने भी अपनी चिकनी टांगों को पूरा फैला लिया ताकि मेरा लंड उसकी चूत में जाने में कोई दिक्कत ना हो.

मैंने अपनी मम्मा की चूत की फांक पर अपना लंड रखा और एक झटके से लंड को अन्दर दबा दिया.
आधा लंड सरसराते हुए अन्दर घुस गया.

इससे मेरी मम्मा दर्द के मारे चीख उठीं और उन्होंने अपनी टांगों को भींच लिया.
मम्मा ने नाराज होते हुए कहा- मुझे जान से मारने का मन है क्या मेरे राजा!
मैं- कैसी बात कर रही हो जान … सुहागरात पर शुभ शुभ बोलो. अभी तो मुझे तुम्हारी चूत का पूरा मज़ा लेना है.

मम्मा- तो थोड़ा सब्र से काम लो मेरे राजा. पहले धीरे धीरे करो, जब मैं इशारा करूंगी कि मेरी चूत तैयार है तुम्हारे तूफानी थपेड़ों के लिए, तब जितनी तेज़ चाहे … उतनी तेज़ चोद लेना.
मैंने कहा- ठीक है मेरी जान … अब टांगें तो खोल दो.

मम्मा ने अपनी टांगें फिर से खोल दीं

मैंने धीरे धीरे लंड अन्दर डालना शुरू कर दिया, साथ ही मम्मा के रस भरे स्तनों से खेलना शुरू कर दिया.
मम्मा भी चुदाई एन्जॉय करने लगीं.

कुछ 7-8 मिनट तक ऐसे ही धीरे धीरे झटके मारने के बाद मम्मा ने कहा- आह मेरे राजा, अब तुम मेरी ओखली में अपने मूसल को जितनी तेज़ी से चाहो … ठोक सकते हो.

इतना सुनते ही मैंने मम्मा की चूत में बहुत तेज़ तेज़ झटकों के साथ अपना लंड डालना शुरू कर दिया.
हर झटके के साथ 3-4 इंच लंड मेरी मम्मा सौम्या के अन्दर जाता और बाहर आ जाता.

इससे मम्मा के मुँह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं, जिनसे मैं और भी ज्यादा उत्तेजित होकर तेज़ सपीड से झटके दे रहा था.

मम्मा भी उत्तेजित होकर मुझे और तेज़ स्पीड के लिए कहने लगीं- हां मेरे राजा … आंह और तेज़ और तेज़ … मेरी बच्चेदानी पर अपने लंड की चोट मारो मेरे राजा … और तेज़ और तेज़ आह आह सी … स!

ऐसे ही लगभग 10 मिनट तक चलता रहा, फिर मम्मा झड़ गईं.
मैं उनको अभी कुछ और देर चोदना चाहता था लेकिन मम्मा की चूत झड़ने से बहुत ज्यादा गीली हो गई थी जिससे मज़ा खराब हो गया.

मैंने मम्मा से कहा- मुझे भी तो झड़ना है.
उन्होंने हंस कर कहा- बस इतनी सी बात … ला इसके लिए मेरा मुँह है.

मम्मा मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं और 2-3 मिनट में मैं भी झड़ गया.

हमने फिर से एक किस की और कपड़े पहन लिए. देसी मॉम की चुदाई के बाद हम दोनों ने खाना खाया और सो गए.

अगले पूरे हफ़्ते मैंने मम्मा को बुरी तरह से चोदा.
मम्मा 4 घंटे ट्रेनिंग करतीं और बाकी 6-7 घंटे हम दोनों चुदाई करते रहते.

फिर एक दिन मम्मा ने मुझसे बोला- काश तू पहले ही इतना बड़ा हो गया होता तो मेरी को चूत लंड के लिए इतना तरसना नहीं पड़ता.

मम्मा की ये बात सुनकर मेरे दिमाग में ख्याल आया कि काश मैं टाइम ट्रैवल कर सकता, तो अपनी मम्मा सौम्या को 7-8 साल पहले से ही चोद रहा होता.

अब मैंने अपने मस्तिष्क में टाइम ट्रैवल मशीन बनाने की ठान ली ताकि पास्ट में जाकर मैं अपनी मम्मा सौम्या को चोद सकूं और सौम्या की जिंदगी में खुशियां भर सकूं.

दोस्तो, मां बेटे की इस सेक्स कहानी में अब तक आपने सत्य को पढ़ा था इसके अगले भाग में मैं आपको एक फंतासी से भरी हुई सेक्स कहानी का मजा दूँगा.

आप मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए. मेरी इस देसी मॉम की चुदाई कहानी के लिए मुझे आपके मेल और कमेंट्स का इन्तजार रहेगा.
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देसी मॉम की चुदाई कहानी का अगला भाग: सेक्सी मम्मा से वासना भरा प्यार- 2