ताऊ की लड़की को चोदा-1

दोस्तो, आप लोगों के मेल मैंने पढ़े, पढ़ कर बहुत ख़ुशी हुई. आप लोगों ने मेरी पिछली कहानी
हसीन चाची की चुत की चुदाई कर दी
को बहुत सराहा, उसके लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.

आज मैं आप लोगों के सामने अपनी नई कहानी ले कर आ रहा हूँ, ये बात तब की है, जब मैं अपने एम बी बी एस के दूसरे साल में था. मैं अपनी फैमिली के साथ रहता था मेरी फैमिली में मेरे पापा-मम्मी और मेरे ताऊ जी रहते थे. मेरे ताऊ की लड़की, जिसका नाम मनीषा है. मनीषा भी हमउम्र होने के कारण मुझको मेरे नाम से ही बुलाती थी.
हमारे घर 3 मंजिल का है. ग्राउंड फ्लोर पर ताऊ जी रहते हैं, दूसरे फ्लोर पर मेरे माँ डैड और लास्ट फ्लोर पर दो रूम थे, जिसमें एक में मैं और दूसरे में मनीषा रहती थी.

वो 12 वीं क्लास में थी. उसने भी विज्ञान विषय ले रखा था और वो भी मेरी तरह डॉक्टर बनना चाहती थी.
चूंकि मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा था और मैंने 12 वीं क्लास में भी 87% स्कोर किया था, तो मेरे ताऊ जी ने कहा था कि मनीषा पर ध्यान देते रहना. मैं उस टाइम एम बी बी एस की पढ़ाई भी कर रहा था और घर पर ही 11 वीं और 12 वीं क्लास के स्टूडेंट्स को टयूशन भी देता था.

यह बात जनवरी 2012 की है. मैं और मनीषा दोनों देर रात तक संग ही पढ़ते थे और पढ़ाई खत्म होने के बाद अपने अपने रूम में चले जाते थे.

मैं कॉलेज से आकर करीब शाम 5 बजे से टयूशन पढ़ाता था और मनीषा भी उसी टाइम मेरे से ही टयूशन पढ़ती थी. उसके साथ उसकी कुछ सहेलियां भी पढ़ती थीं. चूंकि वो सारे मेरे ही हमउम्र थे, तो हंसी मजाक में वक़्त यूं ही कट जाता था. धीरे धीरे हम लोगों में फ्रेंड्स जैसा माहौल बन गया. कभी कभी वो लोग मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछते थे.
मैं भी उनको बहुत एन्जॉय करता था.

पढ़ाई में मैं उन सभी को सिर्फ बायोलॉजी और फिजिक्स ही पढ़ाया करता था. एक दिन जब उनका बायोलॉजी का टर्न आया तो मैं रोज की तरह उनको पढ़ाने के लिए अपने रूम में आया, तो सारी लड़कियां धीरे धीरे हंस रही थीं. मैं समझ नहीं पाया कि क्यों हंस रही हैं.

मुझे देख कर मनीषा भी हंस रही थी. मैंने उससे पूछा कि मनीषा क्या हुआ.. ये लोग इतना क्यों हंस रहे हैं?
तो उसने भी हंस कर कहा- आज आपके बायोलॉजी का टर्न है ना!
मैंने कहा- तो इसमें हंसने की क्या बात है.. बायोलॉजी पढ़ने का सब्जेक्ट नहीं है क्या?
फिर मैंने और थोड़ा कड़क होते हुए कहा- चलो चलो.. सब अपनी अपनी बुक निकालो और बताओ कि आज कौन सा चैप्टर पढ़ना है?

मनीषा मेरे पास तीसरा चैप्टर ले कर आ गई और बोली- पंकज, आज आपको ये पढ़ाना है.
वो चैप्टर देखकर में भी थोड़ा झिझक गया. चैप्टर था ‘ह्यूमन रिप्रोडक्शन’ का. (मानव प्रजनन)

थोड़ी देर तो मैं कुछ नहीं बोला, लेकिन मैं उस टाइम थोड़ा असहज हो रहा था, मैं बोला- आज नहीं पढ़ा सकता.. ये किसी और दिन पढ़ाऊंगा.
और उस दिन मैंने उनको दूसरा चैप्टर ‘इवोल्यूशन’ का पढ़ाया.

अब तक उनके सारे चैप्टर खत्म हो चुके थे, तो उन्होंने मुझसे वही छूटा हुआ तीसरा प्रजनन वाला चैप्टर पढ़ने की जिद की. अब मैं उन सबको रोज रोज तो टाल नहीं सकता था. तो मैंने उनको पढ़ाना चालू किया.

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दोस्तो, सच बताऊं तो सबसे ज्यादा एन्जॉय हम लोगों ने उसी चैप्टर को पढ़ने में किया. शुरू में तो वो सब भी कुछ पूछने से कतरा रही थीं और मैं भी कुछ बताने से कतरा रहा था. मैंने नोटिस किया कि वो लड़कियां मेरे खड़े लंड को घूर रही थीं. पढ़ाई के बाद मैंने उस दिन दो बार मुठ मारी.

उस समय जनवरी 2013 का महीना चल रहा था, उसी टाइम मतलब फरवरी 2013 में हमारे छोटे चाचा की शादी भी पक्की हो गई. शादी गाँव से होकर थी. कुछ दिन बाद मेरे घर वाले शादी की तैयारी में लग गए. हमारा होम टाउन कानपुर पड़ता है, तो माँ पापा और ताऊ जी सब जाने की तैयारी में लग गए.

मेरा और मनीषा का भी जाने का मन था लेकिन मनीषा के बोर्ड के एग्जाम की वजह से मुझे भी नहीं जाने दिया गया. थोड़ा दुःख तो हुआ लेकिन मुझे स्कोर अच्छा करना था, तो मैंने अपना सारा ध्यान पढ़ाई पे ही लगा दिया.

वो भी दिन आ गया, जिस दिन मेरे पेरेंट्स और ताऊ जी सब गांव चले गए. अब पूरे घर में सिर्फ मैं और मनीषा ही रह गए थे.

उस दिन के बाद सिर्फ हमने टयूशन में सिर्फ ह्यूमन प्रोडक्शन का ही चैप्टर्स पढ़ाई की थी. उस दिन रात में मैं और मनीषा दोनों जब पढ़ाई कर रहे थे, तब मैंने नोटिस किया कि मनीषा वो चैप्टर पूरे ध्यान से पढ़ रही है. मैंने उसको वो चैप्टर पढ़ते देखा, तो मेरा लंड मानो आसमान छूने लगा. उस वक्त मैंने ट्राउजर पहना था, फिर भी मेरा लंड पजामा फाड़ के बाहर आने को तैयार था.

मैंने मनीषा के बारे में ऐसा पहले कभी नहीं सोचा नहीं था, लेकिन ना जाने क्यों उस दिन के बाद मैं हर समय मनीषा के बारे में सोचने लगा.

उस रात पढ़ने के बाद मैं अपने रूम में आ गया और मानो मेरे दिल दिमाग पर सिर्फ मनीषा ही मनीषा दिखाई दे रही थी. मैंने अपना कमरा बंद किया और पूरा नंगा हो गया. उस रात सर्दी बहुत थी, लेकिन फिर भी मानो मुझे गर्मी लग रही थी.

पूरी रात रजाई के अन्दर नंगा लेट कर टीवी पे ब्लू फिल्म देखता रहा. सुबह मेरी आंखें तब खुलीं, जब मनीषा ने गेट खटखटाया.. मैं जल्दी से उठा. थैंक्स गॉड कि मैंने गेट बंद कर रखा था. मैंने जल्दी से कपड़े पहने और बिस्तर सही किया. तकिये की तो बुरी हालत हो चुकी थी. मैंने जल्दी से तकिये का कवर निकाल दिया और फिर कपड़े पहन कर रूम खोला.

रूम खुलते ही चारों तरफ जेस्मिन की खुशबू ही खुशबू थी.

मनीषा ने अपने रूम के अन्दर से ही आवाज लगाई- पंकज मैंने नहा लिया है.. तू भी तैयार हो जा, कॉलेज नहीं जाना क्या?
“हां मनीषा, मैं भी तैयार होने जा रहा हूँ.” यह कहते हुए मैं भी बाथरूम में चला गया.

मैं बाथरूम के अन्दर ब्रश कर ही रहा था कि अचानक मेरी नज़र मनीषा की पेंटी पर पड़ी.

उसकी पिंक कलर की ब्रा और पेंटी देखी तो मुझे मस्त चढ़ गई. मैंने बिना सोचे समझे उन दोनों को हैंगर से उतार लिया. मनीषा की पेंटी अभी मेरे हाथों में ही थी और मेरा लंड मानो फिर से सलामी देने लगा.
उसकी पेंटी में से भी गुलाब और जैस्मिन जैसी खुशबू आ रही थी. मैं पागलों की तरह उसकी पेंटी को सूंघे और चाटे जा रहा था. उसकी पेंटी की वो जैस्मिन और गुलाब की सुगंध के साथ हल्की नमकीन वाली मादक खुशबू मानो मुझ पर ऐसा जुल्म ढहा रही थी कि मेरे लंड की सारी नसें फट कर बाहर आ जाएंगी.

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जब मैं उसके पेंटी का चुत वाला हिस्सा चाट रहा था तो मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं उसकी चुत को चाट रहा हूँ.

दोस्तो, मैं बता नहीं सकता कि उस टाइम मुझे कितना मजा आ रहा था. फिर मैंने उसकी पेंटी से ही मुठ मारी और सारा माल उसकी पेंटी में ही छोड़ दिया. इसके बाद उसकी पेंटी वहीं हैंगर पर टांग दी.
उसके बाद मैं नहा धोकर बाथरूम के बाहर आ गया.

मनीषा ने कहा- नाश्ता तैयार है, खा लो.
मैं टीवी देखते देखते ब्रेकफास्ट करने लगा. थोड़ी देर में मनीषा रूम में आई और पूछने लगी- कुछ और चाहिए?

मैं टीवी देखने में मशगूल था, मैंने ना में सर हिला दिया. उसने फिर पूछा, मैंने फिर से बिना उसे देखे ना में सर हिला दिया.

लेकिन फिर उसने तीसरी बार फिर पूछा इस बार मुझे थोड़ा ग़ुस्सा आया और मैंने ये कहते हुए पीछे मुड़ा. उसको देखते ही मानो मेरी ऊपर की सांस ऊपर.. और नीचे की सांस नीचे रह गई.

उसने अपने हाथों में वही गुलाबी पेंटी और ब्रा पकड़ रखी थी. मैं उसको देख के कुछ बोल नहीं सका. फिर वो मुस्कुरा कर जाते हुए बोली- कुछ चाहिए हो तो मुझे बता देना.

मुझे अचानक ही याद आया कि मैंने जो अपना माल उसकी पेंटी में निकाला था, वो मैंने धोया नहीं था. अब मुझे अंदाज़ा हो गया था कि मनीषा ने वो मेरा माल देख लिया होगा. पर बावजूद इसके उसने मुझसे कुछ नहीं कहा. मनीषा की ये बात मैं समझ नहीं पाया.

मेरा उस दिन कॉलेज में मन नहीं लगा. मैं मनीषा के बारे में ही पूरे दिन सोचता रहा. उस दिन में कॉलेज से घर भी जल्दी आ गया, फिर तैयार होकर मैंने सबको टयूशन पढ़ाई. मैं और मनीषा उस दिन एक दूसरे से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे. पर चोरी चोरी कनखी निगाहों से एक दूसरे को कभी कभी देख लेते थे.

मेरे उस दिन पढ़ाने का भी मन नहीं कर रहा था, पर मैंने हालात को ठीक से हैंडल किया. मैंने मनीषा से उसके होम वर्क और कुछ इस तरह की बातें की ताकि वो मुझसे बात कर सके. उसने भी मुझसे सही तरह से बात करना शुरू किया.

कुछ देर बाद हम दोनों थोड़ा हंसने बोलने लगे. ऐसा लग रहा था जैसे गाड़ी फिर से पटरी पर आ रही हो.

शाम को मैंने सिचुयेशन को और ठीक करने के लिए कुछ नया प्लान किया. मैंने आज रात का डिनर बाहर से ऑर्डर कर लिया और मनीषा से बोला- आज डिनर मत बनाना.
तो उसने भी उत्सुकतापूर्वक पूछा- क्यों नहीं बनाना है?
तो मैंने कहा- आज मैंने डिनर बाहर से ऑर्डर कर दिया है, चल जब तक खाना नहीं आता, कुछ पढ़ लेते हैं.

शाम के करीब 7:30 हो रहे होंगे, चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था.

दोस्तो, यह कहानी आप लोगों को कैसी लगी, मुझे ज़रूर मेल करें.
मेरी ईमेल आईडी है.
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कहानी का अगला भाग: ताऊ की लड़की को चोदा-2

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