तलाकशुदा आंटी की खुली छत पर चुत चुदाई- 1

मैंने इंडियन आंटी न्यूड देखी बिल्कुल उन्ही के घर में! वो मेरे दोस्त की मामी थी और अपने पति से अलग रहती थी मेरे पड़ोस में! मैं उनके काम कर दिया करता था.

दोस्तो, मेरा नाम गौरव है और मैं छत्तीगढ़ में रहता हूं. ये इंडियन आंटी न्यूड स्टोरी आज से दो साल पुरानी है.

हमारे सामने वाले फ्लैट में मेरे दोस्त की दूर की मामी रहती थीं. उनका नाम पम्मी था.

मामी की उम्र करीब 36 या 38 साल की रही होगी. उनका रंग एकदम दूध की तरह सफ़ेद था.
मामी के दूध बहुत बड़े तो नहीं थे, पर अच्छे थे. मगर उनके चूतड़ काफी सेक्सी और भरे हुए थे.

मैं उनसे पम्मी आंटी कहता था. आंटी अपने पति के साथ नहीं रहती थीं. चार महीने पहले उनका उनके पति से तलाक हो गया था.
उनके दो बच्चे थे, दोनों स्कूल जाते थे.

उन दिनों मैं घर पर बहुत बोर हो रहा था, बस हर टाइम चूत चोदने का दिल करता रहता था.
उसी समय यदि मैं पम्मी आंटी को देख लेता था … तो मेरा लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को हो जाता था.

पम्मी आंटी को चुदाई के लिए कहने में भी मुझे डर लगता था क्योंकि वो मेरे दोस्त की दूर की मामी लगती थीं इसलिए मैं उनके नाम की मुठ मार कर ही काम चला लेता था.

मैं तो पम्मी आंटी की गांड देखने के लिए हर पल बेचैन रहता था.
जब वो अपने रूम में झुककर झाड़ू लगाती थीं, तो मुझे उनके सेक्सी चूचों के भी दर्शन हो जाते थे.

अभी तक तो मैं आंटी के चूतड़ और चूचे ही देखता था लेकिन एक दिन मेरी किस्मत खुली और मैंने पम्मी आंटी को बिल्कुल नंगी देख लिया.

हुआ ये कि मैं अक्सर मैं कोई ना कोई बनाना ढूंढता रहता था ताकि मैं उनको देख सकूँ.

एक दिन मम्मी ने मुझे पम्मी आंटी को कुछ देने के लिए भेजा.
मैं दरवाजे को बिना खटखटाए ही पम्मी आंटी के कमरे में घुस गया.

उस टाइम पम्मी आंटी अपने कपड़े बदल रही थीं और वो इंडियन आंटी न्यूड थीं.
मैंने जैसे ही उनको नंगी देखा तो मेरे सारे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया.

आंटी भी शर्माकर बेड के पीछे छिप गईं और मैं भी कमरे से बाहर आ गया.

उस समय मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था क्योंकि ऐसा हसीन नजारा मैंने पहली बार देखा था.

मुझे थोड़ा बुरा भी लगा कि मैं बिना खटखटाये आंटी के कमरे में चला गया.
लेकिन दिल में एक खुशी भी थी कि चलो इसी बहाने मैंने पम्मी आंटी को नंगी तो देख लिया.

जिस दिन से मैंने पम्मी आंटी को नंगी देखा, तब से तो उनको चोदने की मेरी कामना और ज्यादा बढ़ गयी.

अब रोज रात को आंटी मेरे सपनों में नंगी आने लगी थीं.

उस दिन के बाद पता नहीं क्या हुआ कि पम्मी आंटी का मुझे देखने का थोड़ा नजरिया से बदला बदला लगने लगा.
अब वो मुझसे थोड़ा और रुचि लेकर बातें करने लगी थीं.

जबकि उस दिन के बाद से मुझे उनसे आमने सामने होने में थोड़ा डर लग रहा था.
पर उसके चार दिन बाद उन्होंने मुझे अपनी बालकनी से देखा तो मुझे आवाज़ लगा कर कहा- गौरव अगर खाली है तो थोड़ा घर साइड आना. मुझे कुछ सामान बाज़ार से मंगवाना है.

उनके दोनों बच्चे शायद स्कूल गए हुए थे.

पहले तो मुझे काफी संकोच हुआ, डर भी लगा कि पता नहीं उन्हें सही में काम है या मुझे डांटने के लिए बुला रही हैं.

मैं दस मिनट तक यही सब सवालों में उलझा रहा.
इसके बाद मैं हिम्मत की और आंटी के घर चला गया.

उनके घर जाकर मैंने पहले दरवाजा खटखटाया.

कुछ समय में आंटी ने आकर दरवाज़ा खोला और मुझे अन्दर बुलाया.

आंटी ने हंस कर कहा- आज कैसे दरवाज़ा खटखटा रहे हो, उस दिन तो सीधे अन्दर आ गए थे?

उनकी ये बात सुनकर मुझे थोड़ी शर्मिंदगी सी महसूस हुई, मैंने उन्हें सॉरी कहा.

मैंने आंटी से कहा कि अगली बार से मैं ध्यान रखूंगा.
उन्होंने कहा- अच्छी बात है, ध्यान रखना भी चाहिए.

अब जाकर मेरी जान में जान आयी.

फिर मैंने कहा- बताइए पम्मी आंटी, आपको मुझसे क्या काम था?
उन्होंने कहा- तुम 10 मिनट बैठो, मैं झाड़ू लगाना खत्म कर लेती हूं.

मैं वहीं सोफे में बैठ गया. आंटी अन्दर कमरे में झाड़ू लगाने चली गईं.

फिर 5-7 मिनट बाद अन्दर झाड़ू लगा कर वो सोफे वाले कमरे में आ गईं.

झाड़ू लगाते लगाते जब वो सोफे के पास आईं तो मुझे उनकी ब्लाउज से उनके प्यारे सेक्सी दूध साफ़ दिख रहे थे और ललचा रहे थे.
मेरा लंड ये बेहतरीन नज़ारा देख कर खड़ा होने लगा था.

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वो सेक्सी नज़ारा देखते देखते मैं इतना खो गया था कि मुझे पता ही नहीं लगा कि पम्मी आंटी मुझे कब से आवाज़ लगा रही हैं.
वो मुझे इस सोफे से उठ कर दूसरे सोफे पर बैठने को बोल रही थीं ताकि वो इधर झाड़ू लगा सकें.

जैसे ही मेरा ध्यान गया, मैं उनकी बात सुन कर दूसरे सोफे की ओर जाने लगा.
पर इन सबके बीच मैं ये भूल गया था कि मेरा लंड तना हुआ मेरे बॉक्सर के अन्दर खड़ा है.

जैसे ही मैं उठा, आंटी ने मेरा खड़ा लंड देख लिया.
मैं झट से जाकर दूसरे सोफे के ऊपर बैठ गया.
आंटी ने मुझसे बिना कुछ बोले अपना झाड़ू लगाना जारी रखा.

फिर पूरे कमरे को झाड़ू लगा कर आंटी ने मुझसे कहा- मैं मुँह हाथ धोने के बाद आकर काम बताती हूं.

मेरे मन में एक ओर आंटी के दूध देखने की खुशी थी तो दूसरी ओर थोड़ा डर भी लग रहा था कि कहीं आंटी मेरा खड़ा लंड देख कर मुझे डांटने ना लगें.

लगभग बीस मिनट बाद आंटी अपने कमरे से बाहर आईं और मेरे सामने वाले सोफे पर बैठते हुए मुझसे बोलीं- अरे तुम इतनी देर से यहीं बैठे ही हो?

मैं उनकी इस बात को समझ नहीं पाया क्योंकि मैं तो उनके आने का ही इंतजार कर रहा था.

फिर एक तरफ मुझे आंटी की इस बात के पीछे एक अलग सी टिप्पणी भी लगी.

खैर … फिर मैंने आंटी से कहा- जी आंटी बताइए, क्या काम था?

उन्होंने कहा- मुझे बाज़ार से कुछ सामान मंगवाना था और अल्मारी के ऊपर अचार की बर्नियां रखी हैं, उन्हें उतरवाना था.

मैंने कहा- बताइए बर्नियां कहां हैं, पहले उन्हें उतार देता हूं. फिर सामान ला दूंगा.

आंटी अपने पीछे पीछे आने का कह कर मुझे रसोई में ले गईं.

जब वो आगे आगे चल रही थीं, तो मैं पीछे चलते हुए उनके मटकते और सेक्सी बड़े बड़े चूतड़ों को ऊपर नीचे होते हुए देख रहा था.

मेरा दिल तो कर रहा था कि जाकर सीधा उनको पीछे से पकड़ लूं और उनकी गर्दन के पास एक बांह डालकर, दूसरे हाथ से उनकी साड़ी और पेटीकोट उठा कर उनके थिरकते बड़े बड़े चूतड़ों के बीच में अपना पूरा लंड एक बार में ही गांड के अन्दर तक डाल दूं.

मगर मैंने तो अपने पर काबू रखना ही सही समझा, पर इस भोसड़ी वाले लंड को को कौन समझाए … उसने तो फिर से खड़ा होना चालू कर दिया था.

खैर … हम दोनों रसोई में पहुंच गए.

आंटी ने एक स्टूल किचन की स्लैब के पास रखा और कहा- गौरव इसके ऊपर चढ़ कर ऊपर सेल्फ से अचार की बर्नियां उतार दो.

स्टूल दिख तो मजबूत रहा था, पर जब मैं उस पर चढ़ा, तो वो काफी हिलने लगा, शायद उसके जोड़ पुराने हो गए थे.

मैंने आंटी से कहा- आप ज़रा स्टूल को पकड़िएगा पम्मी आंटी … कहीं मैं गिर ना जाऊं!
उन्होंने कहा- चिंता मत करो … तुम बेहिचक चढ़ जाओ, मैं सब संभाल लूंगी.

मैंने उनकी बात में दोहरा अर्थ समझा मगर मन ही मन मुस्कुरा कर रह गया.

आंटी ने स्टूल को पकड़ लिया. सेल्फ से एक दो नहीं, चार बर्नियां निकालनी थीं.

पहली बर्नी पकड़ कर मैंने जब आंटी को पकड़ाई, तो मुझे उनके कोमल हाथों का पहली बार स्पर्श मिला. मुझे बहुत अच्छा लगा. साथ ही साथ मुझे उनके प्यारे मम्मों के एक बार फिर से दर्शन हो गए.

इसी तरह बाकी की 3 बर्नियां उतारते हुए मैं उनके कोमल हाथों का स्पर्श करता रहा और साथ ही उनके सेक्सी चूचों को भी देखता रहा.
इस कारण से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा.

मैंने सोचा कि चलो अब जल्दी से उतर जाता हूं.

तभी आंटी ने कहा- अभी थोड़ा रुकना गौरव … मुझे कुछ सामान भी ऊपर रखवाना है.

मैं वहीं रुक गया. तब तक मेरा लंड पूरे तरीके से खड़ा हो चुका था.

आंटी रखवाने वाला सामान लेने दूसरे कमरे में गईं तो मैंने अपने लंड को बैठाने की कोशिश की.

मैं अभी यही कोशिश कर रहा था कि आंटी सामान लेकर वापिस रसोई में आ गईं.

मुझे अपने बॉक्सर के साथ कुछ करता देख कर आंटी ने कहा- गौरव क्या हुआ, कोई दिक्कत है क्या?

मेरी ज़ोर की फटी, पर आंटी थोड़ी तिरछी नजर से मेरे लंड की ओर देखती हुई मुस्कुराने लगीं.
गांड फटी के कारण मेरा लंड तो बैठ गया मगर मन में से आंटी के लिए चुदास और बढ़ गई.

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अब आंटी जो 3 डब्बे लाई थीं, वो उन्हें मुझे बारी बारी करके पकड़ाने लगीं.

फिर दोबारा से वही सारी गतिविधयां हुईं.
आंटी के कोमल हाथों का स्पर्श और आंटी के मस्त गोल गोल दूध के दर्शन, जिसके वजह से मेरा हरामी लंड फिर से खड़ा हो गया.

इस बार मुझे नहीं पता कि अनजाने में या जानबूझ कर आंटी ने अपना हाथ मेरे लंड से छुलवा दिया.
उनका हाथ लंड पर लगते ही मैं एकदम सकपका सा गया और इसी वजह से मेरा बैलेंस बिगड़ने लगा.

मैंने गिरने के डर से आंटी के कंधे पकड़ लिए.
पम्मी आंटी ने भी, मैं गिर ना जाऊं, इसके डर से जल्दी से मेरे पैर पकड़ लिए. इस कारण उनका मुँह मेरे लंड के बिल्कुल करीब आ गया.

मैंने भी डर का बहाना बनाते हुए आव देखना ना ताव … आंटी के कंधों को पीछे से पकड़ने के बहाने सामने की ओर ज़ोर से अपने आपको धकेला कि उनका मुँह अब सीधे मेरे लंड पर चला गया.

कुछ लम्हों के लिए पम्मी आंटी का मुँह मेरे लंड के ऊपर ही लगा रहा.
फिर झटके से उन्होंने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया.

मैंने भी अपना होश संभाला और आंटी को पीछे हटने के लिए कहा.

वो पीछे को हुईं और मैं नीचे उतर आया.
फिर मैंने स्टूल हटा कर साइड में रखा और आंटी की ओर देखा तो वो पानी पी रही थीं, उनकी सांसें ऊपर नीचे हो रही थीं.

जैसे ही उन्होंने पानी खत्म किया, मैं उन्हें जाने का बोल कर बाहर के कमरे की तरफ जाने लगा.

मैं बाहर के कमरे तक पहुंचा ही था कि उन्होंने मुझे पीछे से आवाज़ लगा कर पूछा- गौरव, क्या तुम्हें घर में कोई काम है?
मैंने कहा- नहीं, ऐसा कोई जरूरी काम तो नहीं है, क्यों आपको कुछ और भी काम था क्या?

उन्होंने बोला- हां, कल मैं पौंछा लगा रही थी, तो मेरा पैर पानी में थोड़ा फिसल गया था. शायद उसी के कारण मुझे थोड़ी मोच आ गई है. मैंने तुम्हारी दादी से सुना है कि तुम पैरों की बहुत अच्छी मालिश करते हो, तो क्या थोड़ा सा मेरे पैर की भी मालिश कर दोगे?

ये सुनकर मेरे तो मन में लड्डू फ़ूटने लगे. मुझे लगा कि आज तो पम्मी आंटी की सेक्सी गांड मारने को मिल ही जाएगी.

मैंने कहां- जी आंटी क्यों नहीं.

आंटी बोलीं- मैं यहां बड़े वाले सोफे में ही बैठ जाती हूं, तुम मालिश कर दो.
मैंने कहा- ठीक है.

अब आंटी सोफे पर बैठ गईं और अपने सीधे पैर की साड़ी घुटने तक उठा दी. मैं भी सोफे पर बैठ गया और उनके पंजों को दबाने लगा.

मैंने कहा- आंटी अगर सरसों का तेल हो तो ले आइए, मालिश अच्छे से हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि अभी ऐसे ही दबा दो, तेल मालिश कभी फिर कर देना.

मैं उनके पैर दबाने लगा.

थोड़ी देर दबाने के बाद मैंने कहा कि मैं आपके दोनों पैर अपने गोदी में लेकर बैठ जाता हूं, ताकि अच्छे से दबा सकूं.
तो उन्होंने कहा- ठीक है, जैसे तुम्हें ठीक लगे.

उसके बाद मैं उठा और उनके दोनों पैर अपनी गोद में रख कर बैठ गया और दबाने लगा.
कुछ देर दबाने के बाद आंटी थोड़ा रिलैक्स होने लगीं.

उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं और सोफे पर एक साइड सर टिका कर पैर दबवाने लगीं.

इधर मैं भी पम्मी आंटी के कोमल पैरों का आनन्द लेते हुए उन्हें दबाने लगा. साथ ही साथ मेरा पप्पू भी हरकत करने लगा और खड़ा हो गया.

शायद मेरा लंड आंटी के पैरों में गड़ने लगा था क्योंकि आंटी अपना पर थोड़ा इधर उधर सरका कर एडजस्ट करने लगी थीं.

मैं पहले तो आंटी के घुटनों तक पैर दबा रहा था, उसके बाद धीरे धीरे मैं अपना हाथ पम्मी आंटी के घुटनों के ऊपर ले जाने लगा.

उधर आंटी आंखें बंद करके मज़े से पर दबवा रही थीं.

मेरी सांसें तेज़ होने लगी थीं. सामने पम्मी आंटी साड़ी को घुटनों तक उठा कर अधलेटी सी पड़ी थीं और उनके प्यारे प्यारे दोनों दूध मुझे आकर चूस लेने का निमंत्रण दे रहे थे.

मैंने सोचा कि हिम्मत करके थोड़ा आगे बढ़ा जाए.

दोस्तो, मैंने आंटी की चुत की आग किस तरह से भड़का दी और उनकी चुत चुदाई के लिए रेडी कर दी. ये सब मैं आपको देसी आंटी सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.
आप मेल जरूर करें.
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