शादी में मिली भाभी की चुदाई: एक मीठी याद

हिंदी सेक्सी चुदाई कहानी मेरी मौसी के लड़के की शादी में मिली भाभी के साथ सेक्स की है। वहां एक भाभी की जवानी मेरी जवानी से टकरा गई तो क्या अंजाम हुआ।

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम विपुल है।
यह हिंदी सेक्सी चुदाई कहानी मेरे कॉलेज के पूरा होने के बाद की है।

एक बार मैं अपनी मौसी के यहां शादी में गया था। मेरी मौसी के लड़के की शादी थी।

उस वक्त मैं 24 वर्ष का था। एक आम जवान लड़के की तरह मेरा मन भी किसी लड़की, आंटी या भाभी की चुदाई करने के लिए हमेशा मौका तलाशता रहता था।

शादी में जब पहुंचा तो सबसे मिलने के बाद मैंने अपना सामान मौसी के बताए हुए रूम में रखा; फिर फ्रेश होकर सबके साथ बैठ गया।

एक भाभीजी जो सामने ही बैठी थी, उनसे नजर मिली।

भाभीजी बहुत हॉट थी। उनकी उम्र शायद 38 से 40 वर्ष की रही होगी। हालांकि वो दिखती 30-32 वर्ष की ही थी।
गोरा रंग, कसे हुए उरोज, तीखे नैन नक्श ने मुझे बेहाल कर दिया।

उन्होंने भी मुझे एक नजर देखा फिर बातों में मशगूल हो गईं।

तभी उनकी बेटी जो 19 वर्ष की थी आई और हमसे खाने के लिये बोली।

हम सब लोगों ने एक साथ खाना खाया और आराम करने के लिये मैं अपने रूम में आया।

अभी लेटे हुए थोड़ी ही देर हुई थी कि वो भाभी मेरे रूम में आईं और मुझसे बोलीं- विपुल, मैं भी कुछ देर यहीं आराम कर लूं? और कहीं जगह नहीं मिल रही है।
मैं- बिल्कुल, क्यों नहीं भाभीजी।
मैंने हंसकर जबाब दिया।

भाभीजी मेरे साथ ही बेड पर आ गयी; मैंने थोड़ा खिसककर उन्हें जगह दी।

मैं भी उनसे बात करना चाह रहा था लेकिन समझ नहीं पा रहा था कि शुरूआत कैसे करूं।
मेरा दिल तो धक-धक हो रहा था।

फिर उन्होंने ही बात छेड़ी और बोलीं- और विपुल … क्या चल रहा है लाइफ में?
मैं- कुछ खास नहीं भाभी, बस कट रही है।

कुछ देर बात करते-करते वो भी लेट गईं।
शायद उनको नींद आने लगी थी। वो अब कुछ नहीं बोल रही थी। बस आंखें बंद किए लेटी हुई थी।

मेरा मन बहकने लगा।
मैं चोर नजरों से उनको ही निहार रहा था। फिर मन रुका नहीं तो अपना हाथ उनके माथे पर रख दिया।
वो शायद सो चुकी थीं।

मैं उनके थोड़ा और नजदीक हो गया और अपने हाथ को उनके पेट पर रख दिया।

बाहर की आहटें बंद हो चुकी थीं, मतलब लगभग सब लोग सो चुके थे।
इसलिये मैं थोड़ा निश्चिंत हुआ और अपने हाथ को भाभीजी के पेट पर सहलाने लगा।

दोस्तो, कसम से बहुत अच्छा लग रहा था। फिर धीमे-धीमे हाथ को उनके ऊपर ब्लाउज तक लाया।
ब्लाउज में कसे उनके उन्नत उरोज को हाथों से महसूस किया।
बहुत पुष्ट उरोज थे उनके!

अब मन मेरे बस में नहीं था और मेरे हाथों ने उनके ब्लाउज के 2 हुक खोल दिये। अब मुझे उनके उरोजों की घाटी के साथ-साथ नीली ब्रा, जिसने उन कबूतरों के जोड़े को कैद कर रखा था, दिखने लगी।

तभी भाभी ने थोड़ा करवट ली।
घबराकर मैं एकदम से दूर हो गया; बहुत डर गया था तब मैं!

मैंने कुछ पल इन्तजार किया और जब लगा कि भाभी गहरी नींद में हैं, तो फिर मैं उनके बिल्कुल करीब हो गया और मेरे हाथ अपना काम करने लगे।
उनकी गर्दन से घाटी तक मैं हाथ फिराने लगा।

उसके बाद मन से मजबूर होकर मैं उनकी तरफ़ झुक गया और अपने अधरों से उनके माथे व गालों को चूम लिया।
भाभी अब भी सो रही थीं।

पता नहीं कैसे हिम्मत आ गयी मुझमें कि मैंने उनके ब्लाउज को पूरा खोल दिया; नीली ब्रा में कैद उरोजों को देखने लगा।

फिर नीचे से उनकी साड़ी को ऊपर खींचने लगा, यह ध्यान रख रहा था कि वो जाग न जाएं। उनकी साड़ी घुटनों तक आ चुकी थी।

उनकी गोरी टांगें जैसे मेरे होंठों को बुला रहीं थीं। मैंने उस आमंत्रण को स्वीकार किया और अपने होंठों से उनकी टांगों को चूमने लगा।
फिर चूमते-चूमते मेरे होंठ घुटनों से भी ऊपर आ गए और उनकी पैंटी को स्पर्श करने लगे।

मैं एकदम से व्याकुल हो गया और पैंटी के ऊपर अपने होंठों व जीभ को एक साथ रख दिया और पैंटी को चूमने लगा।

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यही वो पल था जब भाभी ने कसमसाते हुए आंखें खोल दीं।
“क्या कर रहे हो विपुल?” भाभी की गुस्से भरी आवाज ने मेरी तन्द्रा भंग की।
“सॉरी भाभी, लेकिन आप बहुत हॉट हो, मैं बहुत प्यार करता हूँ आपसे!” मैं बोला।

“लेकिन यह गलत है विपुल, तुम छोड़ो मुझे प्लीज” भाभी की नाराजगी अब भी थी।
मैंने अब अपने आपको किस्मत के हवाले किया और पैंटी को एक तरफ खिसकाकर अपनी जीभ से उनकी महकती योनि को स्पर्श किया।

भाभी छटपटा गईं, उनके हाथ ने मेरे बालों को पकड़ लिया।
“प्लीज़ विपुल मत करो, मैं शादीशुदा हूँ!” अब भाभी की आवाज कांपने लगी।

“भाभी आप बहुत सुंदर हो, आई लव यू!” अपनी जीभ के साथ-साथ होंठों को भी और गति देते हुए मैं बोला।

फिर मैं उनके ऊपर आया और उन्हें अपने आगोश में ले लिया।

भाभी का दिखावटी विरोध अब भी जारी था।

मैं उनके कान की लौ चूमने लगा तथा हाथों से ब्रा के ऊपर से ही उरोजों को मसलने लगा।

भाभी की कामुक सिसकारियों के बीच में ही मैंने उनके कुछ समझने से पहले एक झटके में ही ब्रा का हुक खोल दिया।
जब तक भाभी कुछ विरोध करती तब तक ब्रा भी उनके जिस्म से जुदा कर चुका था मैं!

अपने हाथों से उरोजों को ढकने की उनकी कोशिश को असफल करने के लिये मैंने उनके हाथों को पकड़ लिया और उनके उरोजों को अपने मुंह में ले लिया।

अब भाभी के उरोजों पर मेरे होंठों का एकाधिकार हो चुका था।
मैं जोर-जोर से उनके निप्पल को चूसने लगा।

अब भाभी का दिखावटी विरोध भी मंद हो चुका था।

भाभी के बहकने का आभास होते ही मैंने अवसर का लाभ उठाते हुए उनकी साड़ी अलग की और पेटीकोट का नाड़ा खोलकर उसको भी भाभी के तन से जुदा कर दिया।

जब तक भाभी को कुछ होश आता तब तक भाभी केवल पैंटी में रह गईं थीं।
अब उनके हाथ मेरी पीठ को सहला रहे थे।

मुझे लगा भाभी समर्पण कर चुकी हैं इसलिये मैंने उनके हाथ को अपने अंडरवियर के अंदर डाल दिया।
जैसे ही उनका हाथ टच हुआ वो एकदम उचक गईं।

उन्होंने हाथ बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन मैं तैयार था और ऐसा होने नहीं दिया।
उनके हाथ को पकड़े हुए मैं अपना मुंह नीचे ले गया।

कुछ पल बाद हम विपरीत दिशा में लेट चुके थे।
अब उनके हाथ में मेरी जवानी और मेरे होंठों में उनकी पैन्टी थी।
उनके हाथ अब मेरे अंडरवियर को नीचे खिसकाकर सहलाने में लगे थे।

तब तक मैंने उनकी पैंटी को नीचे की तरफ खींचा।
भाभी ने कमर उठा कर इस कार्य में मेरा सहयोग किया।

यह भाभी की पहली पहल थी और पैन्टी उतर चुकी थी इस पहल के कारण!
भाभी की चूत की जन्नत मेरे सामने बेपर्दा थी।

मैंने अपने होंठों से उस जन्नत भरी चूत को खूब चूमा और फिर अपनी जीभ को अंदर किया।

अंदर जैसे ही चूत को जीभ से सहलाया तो भाभी की उत्तेजना एक दम बढ़ गयी और इस उत्तेजना के वशीभूत होकर उनके होंठ मेरे अंडरवियर तक पहुँच गए।

अंडरवियर के ऊपर उनके होंठ तथा अंदर उनका हाथ था।
उनकी इस प्यारी हरकत ने एकाएक मेरी उत्तेजना बहुत बढ़ा दी।

मैंने अपनी जीभ को और तेजी व प्यार से अंदर किया और अपने होंठों से फ्रेंच किस सी करने लगा।

मेरी इस प्यारी हरकत के वशीभूत होकर भाभी ने जो किया मेरे लिये वो एवरेस्ट फतह करने जैसा था।

उनके हाथों ने न केवल मेरा अंडरवियर उतारा बल्कि उनके उन्होंने अपना मुंह खोलकर मेरे प्यार का स्वागत किया और मेरे तप रहे लंड को मुंह में लेकर मुझे अत्यंत सुखद अहसास करवा दिया।

उनके चुम्बन और लंड चूसने की कला मुझे किसी और ही लोक की सैर करा रहे थे।

उनके होंठों से चूसते रहने के कारण मुझे लगा कि मेरा चरम न आ जाये इसलिये मैंने उनको हल्के से हटाने की कोशिश की।

मगर मेरी कोशिश का उन्होंने दोतरफा विरोध किया … एक तो वो और जोर से चूसने लगी तथा दूसरा अपनी कमर उठा कर मेरे होंठ पर चूत को धकेलने लगी।
मैं कुछ समझा और कुछ नहीं!

फिर मैंने अपना सारा ध्यान अपने होठों की ओर लगाया तथा जीभ से और ज्यादा सहलाने लगा।

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तभी भाभी के मुंह से कामुक सिसकारी निकली और नीचे मेरा पूरा मुंह भीग गया उनके चूत से निकलते गर्म गर्म रस में!

इस प्यार के अहसास का कमाल था या उनके होठों का, मेरी भी जवानी का लावा मेरे लंड से बह उठा।
मेरे गर्म गर्म लावा ने भाभी के मुंह को भर दिया।

पता नहीं प्यार के कारण या फिर कुछ और कारण रहा … मगर भाभी ने सारा लावा अपने अंदर समा लिया।
हम दोनों अब लम्बी-लम्बी सांसें ले रहे थे।

कुछ रुककर मैं फिर से उनके अंगों से खेलने लगा और वो मेरे अंगों को सहलाने लगीं।

थोड़ी देर में ही हम दोनों फिर तैयार हो गये लेकिन इस बार मैंने अपने आप को भाभी के अंदर समाना था।

उनकी कामुक होती सिसकारियों के बीच में मैं उनके आमंत्रण का इंतजार कर रहा था और इसलिये अपने प्यार से उन्हें और उत्तेजित कर रहा था।
हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमने चाटने लगे।

मेरी जीभ उनके हर अंग पर फिसल रही थी, भाभी फिर से बहुत ही कामुक होती जा रही थीं। जैसे ही मेरी जीभ फिसलते हुए उनकी नाभि तक और उसके नीचे जाने लगी भाभी ने मुझे बाल पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया।

अब देर करना न तो मुनासिब था और न मेरे लिये संभव था। मैं भाभी के ऊपर आ गया, उनके होंठ से अपने होंठों को जोड़ा और अपने हाथ उनके उरोजों पर फिराने लगा।

मैं तैयार हो चुका था। भाभी की भी पूर्ण सहमति थी, आंख बंद करके शायद वो आने वाले पल को आत्मसात करने की तैयारी थी।

तभी मैंने उनकी चूत को टटोला और एक धीमा सा धक्का दिया।
एक मीठी आह … निकली भाभी के मुंह से और उनके होंठों को और ज्यादा चूसते हुए अब मैंने पूरी ताकत से एक धक्का दिया भाभी की हल्की चीख निकल पड़ी।

मगर उनके होंठों पर मेरे होंठों का कब्जा होने से आवाज ज्यादा नहीं हुई।
धीमे-धीमे मैं इस स्वर्गिक आनन्द की यात्रा में मैं अपने हर धक्के के साथ बढ़ चला।

भाभी भी अब मेरे हर धक्के का जवाब अपनी कमर उठाकर दे रही थी।
यह वासना भी प्रेममय थी, हम एक दूसरे को अपनी वासना पूर्ति हेतु प्यार से भिगोए जा रहे थे।

हम पूरी तरह आनन्द के इन पलों को महसूस कर रहे थे।

कुछ समय बाद अहसास होने लगा कि प्यार और संतुष्टि की बारिश होने को है।
मैंने अपने हाथ से उनके नितंबों को पकड़ा और धक्के की तेजी व ताकत दोनों बढ़ा दीं।

भाभी के मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं- ओह विपुल … आई लव यू … आह्ह … और जोर से … आह्ह … गई … आहह और तेज … आह्ह … और तेज आह्ह!

एकाएक भाभी की प्रेम की बारिश उनके चूत के रस के रूप में मुझे मेरे लंड पर महसूस हुई और वो मेरे जिस्म से और ज्यादा चिपक गईं।

मेरा लावा भी निकलने वाला था।
अब हर धक्के में मुझे स्वर्ग और चरम समीप नजर आने लगा।

तभी मेरा भी लावा निकल चला जिसने भाभी को पूरी तरह भिगो दिया।

हमने एक दूसरे को कसकर भींच लिया।
भाभी सन्तुष्ट लग रही थीं और मैंने तो जैसे सब कुछ पा लिया।

मैं बोला- भाभी?
वो बोली- हम्म … बोलो?
मैं- कैसा लगा?

वो मौन हो गईं, शायद शर्म की वजह से।
मैं- प्लीज़ भाभी … बोलो न? अच्छा यदि आपको मेरा ये प्यार बहुत पसंद आया और आपकी शर्म कायम है बोलने में, तो मुझे नीचे चूमकर ही इशारा दे दो।

अभी उनके जबाब का इंतजार ही कर रहा था कि उन्होंने अपने होंठों में मेरे सिकुड़ते हुए धुरंधर को समेट लिया।
कसम से बहुत प्यार आया उन पर!

हम फिर से आलिंगनबद्ध हो गये।
कुछ देर बाद मुझे नींद आ गयी।

सुबह जब आंख खुली तो कमरे में कोई नहीं था.
भाभी बाहर जा चुकी थीं, बस मेरे मन में रात की मीठी महकती सी याद थी।

दोस्तो, आपको मेरी ये आनंदभरी हिंदी सेक्सी चुदाई कहानी कैसी लगी मुझे जरूर लिख भेजें।
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मैं आपका अनुराग बंसल
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