मस्त मौसेरी बहन नागपुर के होटल में चुदी

सेक्सी सिस्टर Xxx कहानी मेरी मौसी की बेटी के साथ सेक्स के मजे की है. हम दोनों आपस में बहुत खुले हुए थे. एक बार हम कहीं बाहर मिले तो मं उसे रूम में ले गया.

यह कहानी मेरे दोस्त सौरभ की है जो उसके और उसकी मौसी की बेटी शिखा के बीच घटी थी.

इस सेक्सी सिस्टर Xxx कहानी का मजा आप सौरभ की जुबानी ही सुनिए.

यह घटना मई 2018 की है, जब मैं मेरी मौसी की बेटी से मिलने उसके घर के पास के शहर गया हुआ था.

दरअसल हम दोनों की काफी पटती थी और हमारे बीच हर तरह की बातें चलती थीं.

पर इस बात का पता मौसी को लग गया था. उन्होंने हम दोनों का मिलना और बातचीत करना बंद करवा दिया था.

पर वो कहते हैं न जहां चाह है, वहां राह मिल ही जाती है.
अब छुप-छुपकर हमारा बातें करना व मिलना-जुलना होता रहता था.

पहले मैं शिखा के बारे में कभी ग़लत नहीं सोचता था.
वह मुझसे करीब चार साल छोटी थी और मैं नहीं चाहता था कि वो ग़लत लड़कों की संगत में पड़े.
इसलिए उसकी हर जिज्ञासा को मैं शांत करता था, जिसमें सेक्स से संबंधित बातें भी होती थीं.

इसी प्रकार एक बार उसके जन्मदिन के कुछ दिन पहले हमने नागपुर में मिलने का प्लान किया.
वहां वो घर पर अपनी सहेली के साथ बाजार से खरीदारी का बहाना करके आने वाली थी.

मैं एक दिन पहले ही भोपाल से नागपुर पहुंच कर होटल में रुका हुआ था.

अगले दिन तय समय पर शिखा के साथ मेरी मुलाकात हुई.
हम दोनों ऐसे मिले जैसे बिछड़े प्रेमी मिल रहे हों.

हमें इस तरह आलिंगन करते देख उसकी सहेली हमें तिरछी निगाहों से देखती रही.

खैर … कुछ समय बाद हम अलग हुए तो उसकी सहेली से मैंने हाथ मिलाकर हैल्लो कहा.

शिखा के साथ आलिंगन करते समय उसकी तीस साईज के मम्मों के स्पर्श से मेरे काले उस्ताद जींस में अपना आकार ले चुके थे जिसे शिखा की सहेली ने देखकर हल्की मुस्कान दे दी.

हम दोनों कुछ देर इधर-उधर की बातें कर ही रहे थे, तभी शिखा की सहेली के पास किसी का फोन आया और वह थोड़ी देर बाद चली गई.

वो फोन उसके बॉयफ्रेंड का था, जो मुझे शिखा ने बाद में बताया.

बाहर तेज धूप थी और हम दोनों अकेले थे. हमने कहीं बाहर घूमने का विचार छोड़ दिया.

मैंने उससे पास में अपने होटल चलकर बैठने का प्रस्ताव रखा जिसे शिखा ने थोड़ी सकुचाहट के बाद मान लिया.

वहां कमरे में आकर मैंने एसी चलाया और बिस्तर पर बैठ गया.
शिखा मुझसे थोड़ी दूर बैठी थी पर एसी में उसे ठंड लगने लगी तो मैंने उसे पास में खींच कर लिटा लिया.
मैंने हम दोनों के पैरों तक कंबल डाल लिया और उसको अपने आलिंगन में लेकर अधलेटा सा बैठ गया.

एक जवान कच्चे जिस्म की गर्माहट पाकर मेरे कालू उस्ताद फिर से जगने लगे.

कुछ देर बाद जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने शिखा के गालों पर चूमना शुरू कर दिया.
इसमें उसने भी मेरा साथ दिया क्योंकि यह सब हमारे बीच आम बात थी.

कुछ देर बाद मैंने उसकी गर्दन के पीछे से सिर पकड़कर उसके होंठों पर पहला चुम्बन किया.
उसे इसकी जरा भी उम्मीद नहीं थी तो उसने मुझे धक्का देकर दूर कर दिया.

शिखा बोली- भाई मैं आपकी बहन हूं, कोई सड़कछाप रंडी नहीं, हम यह नहीं कर सकते.
मैं- जब तुम्हारी मां हमारे बारे में इतना कुछ सोच सकती है, तो हम वो सब क्यों नहीं कर सकते?

वो मुझसे दूसरी तरफ मुँह करके लेट गई.
मैं उसके पास गया और पीछे से मेरा साढ़े छह इंच लंबा और तीन इंच मोटा लंड उसकी गांड से रगड़कर उसे मनाने लगा.

शायद मेरे खड़े लंड का अहसास पाकर वो भी कुछ कर गुजरने के मूड में आ गई.

उसकी सांसें तेज हो रही थीं, जिनको मैंने महसूस कर लिया था.

थोड़ी देर मनाने के बाद उसने मेरी तरफ मुँह करके हल्की सी मुस्कान दे दी.
मुझे समझ आ गया कि लड़की हंसी तो फंसी.

अब उसके होंठ मेरी गिरफ्त में आ चुके थे.
कुछ ही देर में वो भी मेरे होंठों को चबाने लगी. उसके होंठ चबाने से लग रहा था जैसे वो आज उन्हें खा ही जाएगी.

इस मस्ती में कब मेरे हाथ उसकी कमर से होते हुए उसके उरोजों तक आ गए.
हम दोनों को पता ही नहीं चला कि कब हम इस सीमा तक आ गए थे.

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अब मैं उसके नर्म उरोजों को मसल रहा था और मेरे होंठ उसके नाज़ुक गुलाबी लबों के साथ ही उसकी गर्दन पर भी अपना कमाल दिखा रहे थे.

शिखा अपने मुँह से सिसकारियां निकाल कर मुझे रोकने की कोशिश कर रही थी- आहहह … भ्भभाई … नहीं करोओ … आह्ह गलत है.
मगर मुझे भी पता था कि आज यह कच्ची कली फूल बनकर ही रहेगी.

जल्द ही मैंने उसकी कुर्ती को उतारना शुरू कर दिया जिसमें शिखा भी मुझे थोड़ा सहयोग दे रही थी.
उसकी कुर्ती अलग होते ही मेरी मौसी की बेटी का गोरा मदमस्त बदन मेरे सामने था.

उसने आसमानी रंग की ब्रा पहनी थी जो उसके खूबसूरत जिस्म की शोभा बढ़ा रही थी.
मैंने जल्दी ही उसको बिस्तर पर लिटाते हुए उसके पेट पर अपनी जीभ चलाना शुरू कर दिया.

कुछ ही पलों में मेरी जीभ उसकी नाभि की गहराई कुरेद रही थी.
शिखा की हालत इस वक्त जल बिन मछली के जैसी हो गई थी.

जिन पाठिकाओं को यह सुख प्राप्त हुआ होगा, उन्हें इस आनन्द की अनुभूति पता होगी.

थोड़ी देर पेट को सहलाने के बाद मैंने शिखा को पलटा और मेरे हाथ उसके भरे हुए उरोजों को मसलने लगे थे.
पीछे मेरी जीभ उसकी पीठ को सहलाने में व्यस्त थी.

फिर मैंने शिखा की ब्रा खोलकर उसे फिर से सीधा कर दिया.
उसके मखमली नर्म उरोज मेरे सामने आ गए थे जिस पर गुलाबी कड़क निप्पल वनीला आइसक्रीम पर रखी चैरी के जैसे लग रहे थे.

मैंने अपनी जीभ मम्मों पर लगाते हुए उसकी एक चैरी को चूसना शुरू कर दिया.

शिखा के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं. वो अपने हाथों से मेरा सिर अपनी चूची पर दबा रही थी.

मेरा एक हाथ शिखा के दांए उरोज पर जम गया था और उसका बायां उरोज मेरे मुँह में था.
इसी के साथ मैंने हाथ का कमाल दिखाते हुए उंगलियों को उसकी लैगी के कमरबंद के पास पहुंचा दिया था.

कुछ देर उसकी कमर के इर्द-गिर्द उंगलियों से सहलाने के बाद मैंने हाथ उसकी लैगी के अन्दर से डाल दिया.
उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसके नर्म रोंऐ से भरी चूत की दरार तक पहुंच गया था.

जैसे ही मेरी उंगली ने उसकी भगनासा को छुआ, उसकी कुंवारी चूत ने पानी छोड़ कर रजामंदी दे दी.
मैंने उंगलियों को पैंटी के साईड से उसकी चूत पर ले जाकर उस पानी से अपनी हाथ को गीला कर लिया था.

उसकी कामुक सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थीं.

मैंने उसके कामरस का स्वाद अनुभव करने के लिए हाथ बाहर निकाल लिया और उसके रस की मादक गंध को अपनी नाक में अनुभव करने लगा.

मुझे ऐसा करते देख शिखा भी सवालिया नजरों से देख रही थी.
मैंने उसकी आंखों में देखते हुए उंगलियों को मुँह में डाल लिया.

मेरी इस हरकत से शिखा भी मुस्कराहट के साथ शर्मा गई.
शिखा अब मदहोश होकर ‘आह्ह … आह्ह …’ की मदमस्त आवाजें निकालने लगी थी.

तभी मैंने नीचे आकर उसकी लैगी और पैंटी को एक ही झटके में उतार दिया.
शिखा ने भी अपनी कमर उचका कर मेरा सहयोग किया.

फिर शिखा के पांव के अंगूठे को चूसते हुए मैं उसकी जांघों तक आ चुका था.
शिखा आंख बंद कर इसका मजा ले रही थी, उसके मुँह से कामुक सिसकारियां तेज़ होती जा रही थीं, उसका बदन थरथरा रहा था.

मैंने शिखा की टांगें खोलकर उसकी कुंवारी अनछुई बुर पर अपनी गर्म जीभ से स्पर्श किया.
शिखा के लिए ये पहली बार का अनुभव था.

अपनी चुत पर मेरी जीभ का स्पर्श पाते ही शिखा उचक पड़ी और उसके मुँह से एक गहरी सांस के साथ ‘आह्ह्ह …’ निकल गई.

मेरी जीभ उसकी भगनासा से खेल रही थी और शिखा का बदन जोर से कांप रहा था.

कुछ देर की चुसाई के बाद उसने जोर से मेरा मुँह अपनी बुर पर लगा दिया और बहकने लगी- आह भ…आई और तेज … आह्ह … मम्मीई ईईईई …

इन चीखों के साथ ही उसके मधुरस की बरसात मेरे मुखमंडल पर आने लगी.
शिखा का रस कसैला स्वाद लिए था और उसकी मात्रा इतनी थी कि मेरा मुँह लगभग भर गया.

मेरी मौसी की बेटी अब शांत थी लेकिन मैंने अपनी जीभ को काम पर लगाए रखा.

कुछ देर में शिखा ने फिर अपनी गांड उचकाना शुरू किया तो मैंने उसे घुमाकर 69 में कर लिया.

अब शिखा मेरे लंड को कुल्फी समझ चूस रही थी और मेरी जीभ उसकी चूत के साथ गांड का भी रसास्वादन करने में व्यस्त थी.

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‘भाई मैं आपके साथ पूरी रात नहीं रहूंगी … अब सिर्फ चूसोगे ही या चुदाई करके इस चूत की आग भी शांत करोगे?

शिखा के मुँह से ये शब्द सुनकर मैं आश्चर्यचकित था.

मैंने झट से उसे सीधा किया और उसकी चूत पर वैसलीन लगाकर अपना लंड रगड़ने लगा.

‘आह्ह … इस्स्स … भा..आईईई … जल्दी करो … अब सहन नहीं हो रहा.’
शिखा लगातार मादक सिसकारियां भर रही थी.

मैंने वक्त की कमी देखते हुए उसे न तड़पाते हुए आगे बढ़ना शुरू कर दिया, उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर अपने हाथ उसके उरोजों पर दबाते हुए कड़क धक्का लगा दिया.

‘मम्मी ईईईई … मररर रर गई उई …’ शिखा ने होंठ छुड़ाकर जोरदार चीख निकाल दी.
मेरा लंडमुंड अब उसकी चूत में पेवस्त हो चुका था.

उसने रोते हुए मुझसे छूटने कर असफल कोशिश किया.
मैंने उसकी शरीर को सहला कर शांत किया.

फिर जैसे ही मुझे सही मौका मिला, मैंने करारा झटका देते हुए तीन चौथाई लंड उसकी चूत में उतार दिया.

वो दर्द सहन नहीं कर पाई और लगभग बेहोश हो गई.
मैंने उसी हाल में रुककर उसको सहलाया, बगल में रखी पानी की बोतल उठाकर पहले उसे छींटे मारकर जगाया. उसे पानी पिलाया.

मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही था.

थोड़ा संभल कर वो बोली- आपने तो आज मुझे मार ही डाला था.
मैं- हट्ट पागल, जान से प्यारी बहन को भी भला कोई मारता हैं क्या?

शिखा- बातें देकर ही तो आज आपने अपने लंड के नीचे डाल रखा है.

यह बोलकर हम दोनों हंसने लगे.

उसको नार्मल देखकर अब मैंने धीरे-धीरे कमर हिलाना शुरू किया.
हालांकि उसे कब भी दर्द हो रहा था लेकिन उसने मुझे रोका नहीं.

कुछ देर की चुदाई के बाद मैंने रफ्तार बढ़ाना शुरू किया.

अब वो भी कमर हिलाकर मेरा जोश बढ़ा रही थी- और चोदो … भाई … आज फाड़ दो अपनी प्यारी बहन की चूत … ये बहुत दिन से आपसे चुदना चाहती थी ये … आज इसकी सारी गर्मी निकाल दो … चोद-चोद कर भोसड़ा कर दो.

वह अपने में ही पता नहीं क्या क्या बोल रही थी और मैं सोच रहा था कि जो लड़की आज तक मुझे चूमने तक नहीं देती थी, आज चूत में लंड जाते ही उसकी भाषा बदल गई.

इसी धकापेल चुदाई में मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर चलने लगा था.

थोड़ी देर चुदने के एक बार फिर उसका शरीर अकड़ने लगा- ओह्ह … सीईई ईईई … भाआआईई ईईई कुछ हो रहा है … आंह औररर … तेज …’

तभी एक लंबी आह के साथ उसकी तपती चूत ने एक बार फिर से लावा उगल दिया.

अब मैंने उसको घुमाकर घोड़ी बनाया और उसकी चूत को चाटने लगा.
चूत चाटकर मैं एक बार फिर उसकी चुदाई के लिए लंड चूत पर लगाकर तैयार था.

मैंने उसके बाल पकड़कर एक ही झटके में लंड उसकी चूत में उतार दिया.

इस हमले से वो चीख पड़ी पर मैंने उसकी परवाह किए बिना धकापेल चुदाई जारी रखी.

लगभग दस मिनट की इस चुदाई के बाद हम दोनों पसीने से नहा चुके थे. कमरे का एसी भी हमारे आगे फेल हो रहा था.

कुल 15-20 मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद मेरा मंगलरस निकलने वाला था.
मैंने शिखा से पूछा- यार किधर लेगी?

तो वो मुँह में लंड चूसना चाहती थी.

अब 4-5 धक्कों में शिखा का बदन फिर अकड़ने लगा.
कुछ 10-12 धक्कों के बाद शिखा का पानी निकल गया. मैंने भी जल्दी से लंड निकाल कर मेरी मौसी की बेटी के मुँह में दे दिया.
उसने लंड चूसकर मेरा पूरा रस पी लिया.

कुछ देर हम ऐसे ही नंगे चिपककर लेटे रहे.

फिर शिखा ने बाथरूम जाने की इच्छा जताई तो मैं गोद में उसे लेकर गया.
वहां गर्म पानी से उसकी चूत धोकर हम वापस कमरे में आ गए.

शिखा अपनी चूत से निकले खून को देखकर मुस्कुरा दी.

उसके बाद मैंने उसे कपड़े पहनाकर उसके घर के लिए रवाना कर दिया.

दोस्तो, यह मेरे दोस्त की सेक्सी सिस्टर Xxx कहानी थी, जो उसकी और उसकी मौसी की बेटी के बीच हुई.

मैंने पहली बार कोई सेक्स कहानी लिखी है, इसमें हुई गलतियों के लिए माफ़ी सहित मैं आपके सुझावों की प्रतीक्षा करूंगा जिससे अगली बार उन्हें सुधार कर आपको उत्तम मनोरंजन पेश कर सकूं.

आपको सेक्सी सिस्टर Xxx कहानी कैसी लगी, मुझे [email protected] पर मेल करके जरूर बताएं.