जिस्म की भूख- 3

सेक्सी गर्ल्स की चुदाई कहानी दो सहेलियों की अलग अलग चुदाई की है. दोनों ने अपनी कामवासना पूर्ति के लिए एक एक जवान मर्द को निशाना बनाया.

कहानी के पिछले भाग
मास्टर जी के साथ अधूरी चुदाई
में आपने पढ़ा कि

रूपा ने बीए कर लिया और उसकी शादी सऊदी में एक डॉक्टर से हो गयी।
रूपा के शौहर डॉक्टर खालिद एक शरमीले स्वभाव के नॉन-रोमांटिक शख्सीयत थे।

रूपा की चूत खूब फूंफकारें मारती; रूपा खालिद को खूब रिझाती पर खालिद मियां हफ्ते में एक दो बार चुदाई करके फाइल बंद कर देते।
पर डॉक्टर साहब मांस वाला मोटा इंजेक्शन केवल हफ्ते में दो बार ही लगाते।

ऐसे ही दो साल निकल गए।

अब आगे सेक्सी गर्ल्स की चुदाई कहानी:

रूपा के एक बेटा हो गया।
अब उसकी चुदाई और कम होती गयी।

रूपा तो हर रात कोशिश करती कि आज चुदाई हो!
पता नहीं उसे क्या रंग चढ़ गया था चुदाई का!

पर डॉक्टर साहब अक्सर अस्पताल से लेट थके हुए आते, अब वो भी क्या कहे।
वहाँ शुक्रवार शनिवार की छुट्टी रहती तो इन दो दिनों तो डॉक्टर साहब रूपा पर चढ़ाई कर के अपना माल खाली कर लेते.

पर जिस चुदाई के सपने रूपा ने देखे थे, वो चुदाई उसे डॉक्टर साहब से नहीं मिल पाती और रूपा अपने नसीब को कोसती हुई अपनी चूत में न जाने क्या क्या करने लगी।

उधर मनु पढ़ाई की सीढ़ियाँ चढ़ती हुई पीएचडी करके सऊदी में ही एक यूनिवरसिटी में प्रोफेसर हो गयी।
उसकी चुदाई की लत यहाँ आकर कुछ कम हो गई क्योंकि सऊदी में कानून बहुत सख्त था।

पर अब मनु ने ऑनलाइन अनेक दोस्त बना डाले जिनसे नंगी फोटो और विडियो शयर करना शुरू कर दिया।
सऊदी में चूंकि पॉर्न साइट नहीं चल पाती थीं तो उसके नए आशिक उसे पॉर्न मेटेरियल मेल पर खूब भेजते।

मनु और रूपा रोज ही फोन पर बातें करतीं। तो मनु वो सारा पॉर्न मेटेरियल रूपा को भी भेजती। मनु की चुदाई की सेटिंग उसके नसीब से उसके एक पड़ोसी, जो हिंदूस्थान से ही आया था, से हो गयी।
हुआ यूं कि एक दिन मनु जब अपना फ्लैंट का किवाड़ खोल रही थी तो उसके हाथ से एक पैकेट नीचे गिरा तो उसके मुंह से निकला ‘हे भगवान!’

तभी पास वाले फ़्लैट के गेट पर खड़े एक आदमी ने कहा कि भगवान ने चाहा तो आपका कोई नुकसान नहीं हुआ होगा। आपका सामान ठीक निकलेगा।

मनु ने हँसते हुए अपना पैकेट उठाते हुए उससे पूछ लिया कि क्या वो भी इंडियन है।

बातों का सिलसिला चला तो आपस में मिलने चाय और डिनर पर भी मुलाकात होने लगी।

वो शख्स समीर था जो किसी एम एन सी में मार्केटिंग ऑफिसर था। वो शादीशुदा था पर उसकी बीवी गर्भवती होने के कारण हिंदूस्थान में ही थी।

समीर आकर्षक व्यक्तित्व वाला रोमांटिक व्यक्ति था।

एक छुट्टी के दिन समीर ने मनु को डिनर पर अपने फ़्लैट में आमंत्रित किया।

डिनर के बाद जाने कि कोई जल्दी तो थी नहीं क्योंकि अगले दिन भी छुट्टी थी।
तो उन लोगों ने एक इंग्लिश मूवी लगा ली।

समीर के होम थियेटर पर बड़े स्क्रीन और बेहतरीन साउंड में मूवी देखने का मजा अलग ही था।

ठंड बढ़ गयी थी तो मनु और समीर बेड पर लिहाफ में बैठे मूवी देखने लगे।

समीर ने दो ड्रिंक्स के पेग बना लिए।
कुछ तो बेहद हॉट मूवी, कुछ शराब का सुरूर, लिहाफ के अंदर दोनों की टांगें मिल गयी और एक दूसरे के होने का अहसास होने लगा।

मनु समीर के पास खिसक कर मूवी देखने लगी।

सही बात यह है कि उसकी चूत जो कई महीने से अनचुदी थी, आज समीर से चुदना चाह रही थी।

उधर समीर जिसे चूत मिले पाँच छह महीने हो गए थे. वो भी आज अपने लंड को हाथ से नहीं बल्कि मनु की चूत में खाली करना चाह रहा था।

तभी स्क्रीन में एक लिप टू लिप किस सीन आया।
समीर ने मनु की ओर देखा तो मनु ने लिहाफ के अंदर ही उसका हाथ सहला कर पकड़ दिया।

बस इशारा हो चुका था।
दोनों ने अपने अपने ग्लास साइड में रखे और एक दूसरे के होंठों से अपने होंठ मिला दिये।

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मनु तो खेली खाई थी। उसका हाथ तो सीधे नीचे समीर के लंड पर चला गया। मनु ने समीर के तम्बू बने बरमूडा को ऊपर से रगड़ दिया और अब समीर ने मनु को लिहाफ के अंदर खींच कर लिटा लिया।

दोनों ने ही अपने कपड़े उतार फेंके और चिपट गए। दोनों की भूख भड़क रही थी।

मनु के मोटे मोटे मम्मे समीर की चौड़ी छाती से भिड़े हुए थे।
समीर उन्हें अपने हाथों से दबाते हुए चूम चुका था। समीर का मोटा लंड मनु की चूत के मुहाने पर टक्कर मार रहा था।

मनु उठी और लिहाफ के अंदर ही अंदर समीर के लंड को मुंह में ले लिया।

मनु लंड चूसने में माहिर थी; उसने समीर को बेचैन कर दिया और अपनी टांगें फैला दी।
अब समीर के लिए खुला निमन्त्रण था, मनु की चिकनी चूत चूसने का!

समीर ने अपनी जीभ मनु की चूत में घुसा दी।
मनु आज दिन में ही मन बना चुकी थी कि अगर मौका मिला तो वो आज जरूर चुदेगी। इसीलिए मनु ने अपनी चूत को दिन में ही चिकनी कर लिया था।

अब मनु समीर के ऊपर चढ़ गयी। लिहाफ अब खिसक गया था।

मनु ने ऊपर बैठ कर समीर के मोटे मूसल जैसे लंड को लोलिपोप बना कर लपर-लपर चूसना शुरू किया।
पीछे समीर ने उसकी चूत में अपनी जीभ और साथ में उँगलियों का इस्तेमाल भी शुरू किया।

समीर कभी तो अपनी उँगलियों से मनु के जी-स्पॉट को मसलता कभी थूक से उँगलियों को भिगो कर उसकी गांड के अंदर कर देता।

मनु अब तक न जाने कितने लौड़े अपनी गांड में ले चुकी थी।
पर नौटंकी करते हुए उसने समीर से कहा- प्लीज़ पीछे मत करो, दर्द होगा।

समीर ने नहीं सुनी, उसकी तो उंगलियाँ जितनी गहराई नाप सकतीं थीं, नाप रही थीं.
पर मनु की चुसाई से अब समीर का ज्वालामुखी फूटने को हो रहा था।

समीर ने मनु को नीचे उतारा और अब उसकी टांगों को पूरा चौड़ा कर अपना मूसल एक ही झटके में घुसेड़ दिया मनु की चूत में!

मनु चीखी पर फिर चुदाई में समीर का पूरा साथ देने लगी।
समीर ने अब अपने हाथ उसके टखनों से हटा कर उसके मम्मों पर रख लिए थे और नीच झुककर अपने होंठों से मनु के होंठ बार बार चूम रहा था।

मनु उसे स्पीड बढ़ाने को उकसा रही थी। मनु को लग रहा था कि आज तो पूरी रात ये चुदाई चले तो भी उसका मन नहीं भरेगा।

समीर पूरा मनु के ऊपर लेट गया और मछली की तरह मनु के जिस्म पर तैरने सा लगा।
उसका लंड बहुत धीरे-धीरे बाहर आता और फिर चूत की गहराई में समा जाता।

दोनों के होंठ मिले थे; दोनों के मुंह में एक दूसरे का थूक भरा था।

अब मनु ने समीर को नीचे आने को बोला और समीर के ऊपर चढ़ कर अपने हाथों से समीर का लंड अपनी चूत में सेट करके लगी उछलने!

कमरे का माहौल बहुत गर्म हो चुका था।

फक मी हार्ड … फास्ट फास्ट … मोर मोर …
से होते हुए
फाड़ दे मेरी …
तेरी फाड़ दूंगा …
ले और अंदर … ले और मजा …
मजा आ गया जानू …
बहुत दिनों बाद आज प्यास बुझी!
पर आ गए दोनों!

समीर ने एक झटके में मनु की चूत अपने माल से भर दी।
दोनों निढाल होकर पड़ गए।

रात को अपने फ़्लैट पर आकर मनु ने रूपा को कॉल किया।

रूपा भी आज जम कर चुदी थी तो थक कर सो चुकी थी।

अगले दिन सुबह डॉक्टर साहब को तो एमरजेंसी में हॉस्पिटल जाना पड़ गया।

रूपा ने मनु की मिस काल देख कर उसे फोन किया।
मनु सो रही थी, रूपा के फोन से वो उठी।

तब मनु ने अपनी चुदाई स्टोरी पूरी रूपा को बताई।

रूपा के मुंह से निकाल गया- तू बड़ी लकी है यार! यहाँ तो सूखे सूखे ही दिन निकलते हैं।
मनु ने रूपा को भड़काया- तू भी कोई सेटिंग कर ले वहाँ!
रूपा बोली- नहीं यार, डर लगता है।

अब तो मनु का यही काम हो गया।
वो रोज रूपा को पॉर्न वीडियो भेजती जिसमें हाउसवाइफ अपने हसबेंड के जाने के बाद चुदाई के मजे गैर मर्दों से लेती हैं।

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वह उसे अन्तर्वासना पर छपने वाली ऐसी कहानी भी भेजती।
हालत यह हो गई कि एक महीने के अंदर ही रूपा भी सोचने लगी कि गैर मर्द से चुदाई में हर्ज क्या है।

अब रूपा की निगाहें ऐसे मर्द को ढूँढने लगीं जो उसे चोद सकता हो और बात छुपी भी रहे।

उसकी निगाह में आफताब आया जो उसके शौहर के हॉस्पिटल में ही इलेक्ट्रिकल इंजीनियर था और खालिद का दोस्त था।

आफताब दुबई का रहने वाला गबरू पठान था।
उसका कसरती शरीर था और वो बहुत मिलनसार, बातूनी और आशिकमिजाज था।

अक्सर छुट्टी वाले दिन वो डॉक्टर के पास दारू पीने आ जाता।
पीते समय वो तो खूब हंसी मज़ाक और ज़िंदादिली की बातें करता.
पर डॉक्टर साहब बस उसकी बात सुन सुन कर मुस्कुराते रहते।

रूपा वहाँ उनसे पर्दा तो नहीं करती थी पर शराब के दौर में वो अपने कमरे में ही रहती।

उसने कई बार देखा कि आफताब उसे घूरता रहता है और अब उसे उसकी निगाहों में वासना की भीख भी दिखाई देने लगी।

रूपा ने कई बार डॉक्टर साहब से इस बात की शिकायत कि तो वो हंस कर बोले- अब उसकी बीवी तो दुबई में है तो किसी की तो देखेगा. और तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि जिसकी निगाहें तुम्हें देख लें वो कुछ और देखना ही नहीं चाहेगा।

अब रूपा क्या कहे?

आफताब की हरकतें बढ़ती जा रही थीं मानो उसे डॉक्टर साहब से शह मिल गयी हो।
वो अब किसी न किसी बहाने रूपा के हाथ से हाथ टकरा देता या उसके पास से घिसटता हुआ निकलता और फिर कभी आँख मार देता।

एक रात जब रूपा ने डॉक्टर से फिर कहा- आप आफताब को घर मत बुलायें, आप उसके घर चले जाइए।
तो डॉक्टर ने बताया- आफ़ताब की वजह से उन्हें महीने में कई हजार रुपए फालतू मिल जाते हैं, वो उनकी एमरजेंसी ड्यूटी दिखवा देता है।

उन हजारों के लालच में डॉक्टर साहब आफताब से बिगाड़ना नहीं चाहते थे।

अब रूपा को भी आफताब अच्छा लगने लगा।
मजबूत जवान मर्द है, इंजीनियर है और सबसे बड़ी बात उसके शौहर को कोई ऐतराज नहीं है।

अब आफताब रूपा को व्हाटसप्प मेसेज भेजने लगा।
पहले तो रूपा जवाब नहीं देती थी, फिर धीरे धीरे खुलने लगी।

अब उसके घर आने पर रूपा भी थोड़ी देर उन दोनों के बीच बैठ लेती।
आफताब उससे भी हंसी-मज़ाक करने लगा।

धीरे धीरे उनके व्हाटसप्प मेसेज अश्लील मज़ाक़ों पर भी आ गए।

एक दिन रूपा के फ़्लैट की लाइट दिन में खराब हो गयी तो उसने डॉक्टर साहब को फोन किया कि किसी इलेक्ट्रिशियन को भेजें।

डॉक्टर साहब ने आफताब से कह दिया कि किसी को भेज दो।

आफताब ने सोचा कि इससे अच्छा मौका और कब मिलेगा, वो बाजार से एक महंगा इत्र खरीदकर डॉक्टर साहब के घर पहुँच गया।

दरवाजे पर आफताब को देख रूपा का दिल धड़क गया।
अपनी घबराहट को छिपाते हुए उसने सलाम किया तो आफताब ने उसे झुककर आदाब कहते हुए एक गुलाब का फूल और इत्र भेंट किया।

रूपा बोली- आपने तकलीफ क्यों की?
तो आफताब बोला- बिना लाइट के बिना ये नूरानी हुस्न मुरझा न जाये इसलिए मैं हाजिर हुआ।

जितनी देर में आफताब ने लाइट ठीक की, रूपा ने चाय बनाई और ड्राईंग रूम में आफताब को बैठाया।

चाय पीते पीते उसने आफताब से पूछा कि चाय ठीक बनी है या नहीं.
तो आफताब बोला- इन हाथों से तो अगर आप जहर भी पिला देंगी तो मुझे खुशी होगी।
रूपा शर्मा गयी।

आफताब उसके पास आया और बोला- आप बहुत खूबसूरत हैं।
रूपा ने निगाहें नीची कर लीं।
उसका दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था।

तभी डॉक्टर का फोन आया, बोले- आफताब को चाय नाश्ता करा कर ही भेजना।
मतलब उनकी सहमति थी कि आफताब यहाँ अकेले में उसे मिले।

आफताब ने रूपा के हाथ पकड़ लिए।

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