चाची पर आया मेरा दिल

सेक्सी चाची की हॉट चुदाई का जुगाड़ बनाया मैंने! दीपावली पर चाची हमारे घर में रहने आय़ी। मैंने कैसे चाची की चूत तक अपने लंड का रास्ता बनाया?

दोस्तो, मेरा नाम अखिल है और मैं हरियाणा के छोटे से गाँव से हूं।

यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है जो एक मेरे और मेरी प्यारी चाची के बीच हुए सेक्स की स्टोरी है। यह मेरी पहली कहानी है। तो अगर कोई ग़लती हो तो माफ़ कर देना।

मेरी उम्र 22 वर्ष की है और लंबाई 5 फीट 10 इंच की है। मैं दिखने में फिट दिखता हूं और मेरे लंड का साइज़ 6 इंच है।

अब ज़्यादा बोर ना करते हुए सीधा सेक्सी चाची की हॉट चुदाई कहानी पर आता हूं।

मैं आपको सदस्यों के बारे में बता देता हूं। हम घर पर 5 लोग रहते थे- पापा, मम्मी, मैं, चाची और मेरे चाचा का लड़का।

मेरी चाची 45 वर्ष की बहुत ही सुंदर दिखने वाली महिला है। हम घर पर जॉइंट फॅमिली में हैं और सब लोग साथ ही रहते हैं।

चाचा नौकरी के सिलसिले में दूसरी सिटी में रहते थे।

यह बात पिछले साल की है जब चाची यहां घर पर दीपावाली के लिए आई थीं और 2 महीने के लिए रुकने वाली थी।

मुझे हर रोज अन्तर्वासना सेक्स कहानी पढ़ने की आदत हो गयी थी और मुठ मारने की भी।
सेक्स ना मिलने के कारण हवस दिमाग़ पर हावी होने लगी थी।

चाची के प्रति पहले मेरी कोई ग़लत सोच नहीं थी लेकिन एक दिन बाथरूम में मैंने उनकी पैंटी देखी और दिमाग़ में उसे सूंघने का ख़्याल आया।

दोस्तो, कसम से वो खुशबू दिमाग में अलग ही नशा करने लगी और मैंने बाथरूम में ही दो बार मुठ मारी और लंड को शांत किया।

उस दिन के बाद से मैंने ठान लिया कि एक बार तो चाची को चोदूंगा ही!

मेरा चचेरा भाई एक हफ्ते के लिए अपने मामा के घर चला गया।
हमारे घर में नीचे 3 कमरे हैं और ऊपर 2 कमरे हैं जिसमें नीचे एक कमरे में चाची, एक में मैं और एक कमरा गेस्ट रूम है।

मम्मी ऊपर वाले कमरे में सोती हैं तो भाई के जाने के बाद नीचे मैं और चाची दोनों ही रह गए थे।
इसलिए मैं चाची को पटाने का प्लान बनाने लगा।
मगर वो कैसे मुमकिन होना था इसका कुछ भी पता नहीं था मुझे!

पहले दिन रात को मम्मी के उपर जाने के करीब 2 घंटे बाद मैं चाची के कमरे की तरफ गया और सोते हुए उन्हें देखने लगा।

चाची रात में नाइटी पहन कर सोती है तो मैं यह देखने गया कि शायद उनकी जाँघें ही दिख जाएं।

दोस्तो, किस्मत इतनी अच्छी थी कि उनका कंबल और नाइटी घुटने के उपर आई हुई थी।

कमरे में चांद की रोशनी में उनकी थोड़ी सी जांघें नज़र आ रही थीं।
उनके पैरों पर हल्के हल्के बाल बहुत ही सुंदर लग रहे थे।

मन कर रहा था कि अभी उन पर हाथ फेर दूं और थोड़ा और ऊपर सरका कर उनकी चूत के भी दर्शन कर लूं।

मगर डर था कि कहीं चाची ने मम्मी से शिकायत कर दी तो मैं क्या करूँगा।
पहले चाची को पटाना ज़रूरी था।

तो दूसरे दिन मुझे जब भी मौका मिला मैं चाची के सामने अपने लंड को पैंट के ऊपर से खुजला कर दिखला देता।

उन्हें दिखाने की कोशिश करता कि मेरा लंड उनकी चूत में जाने के लिए मचल रहा है।

दोपहर में जब चाची झाड़ू लगा रही थी तो मैं उनके बूब्स को ही घूरे जा रहा था और मेरी इस हरकत को चाची ने भी देख लिया।

दोपहर के बाद मम्मी ऊपर अपने कमरे में सोने चली गयी तो मैंने चाची से मैगी बनाने को कहा।

वो किचन में गयी और मैगी बनाने लगी।
मैगी ऊपर वाले स्लैब पर थी तो चाची का हाथ वहां पर नहीं जा रहा था।

मैं चाची की मदद के लिए उसे उतारने लगा और चाची के पीछे खड़ा हो कर उनकी गांड पर लंड लगाने लगा।
मैं जानबूझकर ऐसे दिखा रहा था कि जैसे मेरा हाथ भी नहीं पहुंच रहा है और मैं इस बहाने से उनकी गांड पर लंड को बार बार सटा रहा था।

चाची भी महसूस कर रही थी।
मेरा लंड पूरा तन गया।

मैंने मैगी दे दी और चाची ने मेरे तने हुए लंड को भी देख लिया मगर उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

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उस दिन फिर कुछ ज्यादा खास नहीं हुआ।
मुझे मौका नहीं मिला कुछ करने का!

मैं रात को फिर से चाची के रूम में जाकर उनको निहारने लगा; उनको सोती हुई देखकर मुठ मारने लगा।

मैं उनके पास में खड़ा हुआ लंड हिला रहा था।
जब मेरा वीर्य छूटने को हुआ तो मैं मजे में इतना खो गया कि मुझे ध्यान नहीं रहा पीछे हटना।
मेरी आंखें बंद हो गईं और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी चाची के हाथ पर जाकर गिरी।

मेरी हिम्मत नहीं हुई कि चाची के हाथ से वो वीर्य पौंछ दूं।

फिर मैं चाची को वहीं पर सोते हुए छोड़कर आ गया।
अगली सुबह मैं उठा तो चाची मुझसे गुस्सा लग रही थी।

उस दिन से दीवाली की सफाई शुरू करनी थी तो मैंने भी घर के काम में हाथ बंटाने की सोची।
शाम को जब मैं बाथरूम में से जाले हटा रहा था तो बाथरूम का बल्ब मेरे हाथ के लगने से टूट गया।

उस रात को फिर गेट को खोलकर ही जाना पड़ रहा था बाथरूम में जाने के लिए।

मुझे पता था कि चाची मम्मी के ऊपर जाने के बाद नाइटी पहनती है और फ्रेश होने जाती है।

उस दिन लाइट ना होने की वजह से वो गेट खोल कर ही जाएगी ये बात मैं जानता था।
इसलिए मैंने जल्दी सोने का नाटक किया।

मैं लेटा हुआ चाची के बाथरूम में जाने का इंतजार करने लगा।

जब चाची बाथरूम में गयी तो मैं भी उठा और बाथरूम के गेट से चाची को छुपकर नंगी देखने लगा।

तब मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि मैं नींद में होने का नाटक करके चाची के सामने लंड निकाल दूंगा।

मैं पहले ही देख लिया था कि चाची अंदर बैठी हुई है और वो शायद पेशाब या टट्टी कर रही थी।
मैं नींद में चलने का नाटक करते हुए गया और बाथरूम में सामने जाकर अपना लंड निकाल कर खड़ा हो गया।

जैसे ही मैंने लंड निकाला तो चाची बोली- अखिल बेटा! मैं अंदर ही हूं!
मेरा लंड तो पहले से ही पूरा खड़ा था और चाची उसे ही देखे जा रही थी।

मैंने ऐसे नाटक किया जैसे मैंने नींद में उनकी बात सुनी ही नहीं।
मैं वैसे ही लंड बाहर निकाले हुए 2 मिनट वहीं खड़ा रहा।

फिर जब चाची ने दूसरी आवाज़ लगाई तो मैं वापस बाहर आया।

मेरे बाहर आने के कुछ 1-2 मिनट बाद चाची अपनी नाइटी सही करके बाहर आईं और बोलीं- अब चला जा!
मैं लंड बाहर निकाले ही खड़ा था और अंदर जाकर सूसु करके आ गया।

चाची बहुत गुस्से में बाहर खड़ी थी और मुझे बोली- बेटा, देख कर आना चाहिए ना?
मैंने सॉरी बोला और कहा कि मैं किसी से नहीं कहूँगा कि मैंने उनके बदन को देखा है और बदले वो भी नहीं कहेंगी मैंने गलती से ऐसी कोई हरकत की है।

उस रात को मामला शांत हो गया। उस रात हम सो गए।

अगले दिन चाची ने मम्मी से कहा- दीदी, बाथरूम की लाइट मंगवा दो।
मम्मी ने मुझे कहा तो मैंने बोल दिया- आज शाम को लेकर आता हूं।

शाम को मैं जानबूझकर लाइट नहीं लाया और बोल दिया मम्मी को कि मैं लाइट लाना भूल गया।
उस रात फिर से मैंने चाची के जाने का इंतजार किया।

वो बाथरूम में गईं और मैंने उनको वहां पर नंगी होते हुए देखा।
मेरा लंड खड़ा हो गया।
मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मन कर रहा था कि मैं चाची को यहीं पर चोद दूं।

मैं किसी तरह कंट्रोल करके वापस आ गया।
मैंने ठान लिया था कि आज की रात चाची की चुदाई मैं करके ही रहूंगा।

रात को मैं चाची के कमरे में गया और कंबल हटाकर धीरे धीरे नाइटी को कमर तक ले आया।

मैंने चाची की पैंटी को देखा और उनकी चूत के बारे में सोचकर मुठ मारने लगा।
फिर मैं उनकी पैंटी पर हाथ फेरने लगा।

पता नहीं कब चाची जाग गयी और मुझे देख लिया।

उसी वक्त मेरा वीर्य चाची की पैंटी पर गिरने लगा।
वो गुस्से में उठकर बोली- तू बहुत हरामी हो गया है। मैं तेरी शिकायत तेरे चाचा से करूंगी।

मैं डर गया लेकिन फिर मैंने हिम्मत से काम लिया और सोचा कि अगर अभी इसकी चूत नहीं मिली तो कभी नहीं मिलेगी।

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मैं चाची के पैरों में लेट गया और पैर पकड़कर माफी मांगने लगा।
मैं बोला- चाची, मैं आपको बहुत पसंद करता हूं। मुझे नहीं मालूम कि औरतों से कैसे पेश आते हैं। मुझसे गलती हो गयी, माफ कर दो। चाचा को कुछ मत कहना। मैं आपको बहुत पसंद करता हूं।

वो बोली- लेकिन जो तुम करना चाहते हो, वो नहीं हो सकता है।
मैंने कहा- चाची, मेरे दिल के बारे में भी तो सोचो। मेरी लाइफ में कोई लड़की नहीं है। अगर आपने भी मना कर दिया तो मेरा ठिकाना कहां फिर?

ये कहते हुए मैंने चाची की चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया।
वो हाथ हटाने लगी तो मैं बोला- प्लीज चाची, एक बार मौका दे दो। फिर कभी परेशान नहीं करूंगा।

कहते हुए मैंने उनकी चूत को पैंटी के ऊपर से जोर जोर से सहलाना शुरू कर दिया।
वो मना करती रही और मैं चूत को सहलाता रहा।

फिर उसने खुद ही अपना हाथ हटा लिया और मेरे हाथ से चूत रगड़वाने लगी।

फिर धीरे धीरे जब वो गर्म होने लगी तो हम दोनों के होंठ मिल गए और दोनों एक दूसरे को चूमने लगे।

उसके बाद मैंने उनकी नाइटी को उतार कर उनको नंगी कर दिया और वो मेरे लंड को चूसने लगी।

मैं तो जन्नत में खो गया।
मेरा सोया हुआ लंड फिर से खड़ा हो गया।

चाची ने चूस चूसकर उसको लार में गीला कर दिया।

अब मेरे लंड का बुरा हाल था।

मैंने चाची को लिटाया और उनकी चूत में जीभ देकर चाटने लगा।
वो मस्त सिसकारियां लेने लगी।

मैंने कहा कि मम्मी जाग जाएगी तो वो थोड़ा संभली।
मैं चाची की चूत को पांच मिनट तक चाटता रहा।

फिर मैं उनके नंगे बूब्स को जोर जोर से दबाने लगा।
वो एकदम से पागल हो गयी और मेरे सिर को अपने चूचों पर दबाने लगी।

मैंने नीचे से चाची की चूत को हथेली से रगड़ना शुरू कर दिया।

अब वो खुद ही अपनी कमर को उठा रही थी।
वो बार बार अपनी चूत को मेरी हथेली पर रगड़वा रही थी।
अब वो चुदने के लिए तड़प उठी थी।

चाची से रुका नहीं गया तो वो बोली- बस कर अखिल, मेरी चूत में आग लगा दी है तूने, अब ये तेरे लंड के पानी से ही बुझेगी। चोद दे इसे, गिरा दे अपना माल इसमें!

मैंने लंड पर थूक लगाया और एक ही झटके मे पूरा लंड अंदर चाची की चूत में डाल दिया।
मेरा 6 इंच का लंड जाते ही उनकी आँखें खुल गयीं और मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से दबा दिया।

कुछ समय तक मैं वैसे ही रुका रहा।
लंड अपना स्थान चूत में बना चुका था और मैंने भी धक्के तेज कर दिए।
मैं तेजी से चाची की चुदाई करने लगा।

दोस्तो, चाची की चुदाई करते हुए मस्त मजा आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरा लंड किसी गर्म गर्म भट्टी में जा रहा है और मेरे लंड को सेंक मिल रही है।

मन कर रहा था कि बस मैं चाची को चोदता ही रहूं; दिन रात उनकी चुदाई करता रहूं।

इधर चाची भी मेरे लंड से चुदते हुए मस्त हो गयी थी, वो बार बार अपनी चूत को उठाकर मेरे लंड की ओर धकेल रही थी।

चुदाई करते हुए 10-15 मिनट हो गए तो मेरा लंड झड़ने के करीब आ गया। अब करीब 15 मिनट बाद मेरे लंड से वीर्य की गर्म गर्म पिचकारी चाची की चूत में जाने लगी।

चाची को चुदाई मे बहुत मज़ा आया और मुझे तो ऐसे लगा कि जैसे जन्मों से प्यासे को पानी मिल गया हो।

उस रात मैं और चाची एक साथ सोए और सुबह जब मैं उठा तो चाची अपने घर के काम में लगी हुई थी।

उसके बाद भाई आ गया और मुझे चाची को वापस से चोदने का मौका नहीं मिला।
मगर चाची ने वादा किया कि होली पर जब वो वापस आएंगी तो फिर से चुदवायेगी और उसने चुदवाया भी!
वो कहानी मैं आपको बाद में बताऊंगा।

दोस्तो, आशा करता हूं कि आपको यह स्टोरी पसंद आई होगी। अपने सुझाव मुझे ज़रूर लिखें। आपके सुझावों का इंतजार रहेगा।
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