सेक्सी आंटी ने दिया चुदाई का न्यौता

हॉट आंट सेक्स स्टोरी मेरी पड़ोसन आंटी की है। आंटी अपने घर में खुले में बैठकर मूतती थी और मैं उनके नंगे चूतड़ देखता था। एक दिन उन्होंने मुझे देख लिया. फिर?

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अमित कुमार है। मैं राजस्थान के कोटा शहर के एक गांव का रहने वाला हूं।
मेरा शरीर दिखने में बहुत अच्छा है और मैं किसी को भी अपने चक्कर में फंसा सकता हूं।

यूं तो मैं अन्तर्वासना का दैनिक पाठक हूं लेकिन यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है।

तो चलिए, बिना देर किए मैं अपनी हॉट आंट सेक्स स्टोरी शुरू करता हूं।
आशा करता हूं आपको इस सेक्स स्टोरी में मजा आएगा।

यह बात तब की है जब मैं 12वीं कक्षा में था और 19 साल का हो चुका था।
जवानी उमड़ उमड़कर बाहर निकल रही थी।

रोज मैं उसे अंडरिवयर या नाली में बहा देता था लेकिन कामवासना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी।

उन दिनों मेरे अंदर की हवस बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी और मैं पोर्न और सेक्स स्टोरी का आदी हो चुका था।
हर वक्त लड़कियों, भाभियों और आंटियों की छाती और गांड को देखता रहता था।

उनकी चूत के बारे में सोचकर मुठ मारा करता था और कईयों को तो रात में ख्यालों में चोदकर सोता था।

मेरी जवानी की आग का पहला शिकार मेरी पड़ोस वाली आंटी बनी।
उसी के बारे में ये कहानी है।

आंटी के घर में हमारा बहुत आना-जाना था। आपको बता दूं कि वो दूसरे समुदाय से थी। आंटी के दो बच्चे थे। एक लड़की और दो लड़के। उसकी उम्र करीब 40-42 थी।

उसका फिगर ऐसा था कि कोई भी उसको चोदने के लिए तैयार हो जाए। शरीर से थोड़ी मोटी थी लेकिन एकदम गंडास लगती थी। चूतड़ और छाती एकदम से बाहर निकले हुए दिखते थे।

रंग एकदम से गोरा था और गुलाबी सा बदन था। दूध सी सफेद काया और उस पर चटकीले गुलाबी और हरे रंग के कढ़ाई वाले सूट जब पहनती थी तो किसी की भी नियत डोल जाती थी।
यूं कहें कि आंटी चाशनी में डूबा रसगुल्ला थी जिसके रस को हर कोई पीना चाहे।

एक दिन मैं उनके घर गया तो सामने का नजारा देखकर आंखें फटी रह गईं।
आंटी खुले में बैठकर पेशाब कर रही थी और उनकी गांड मेरी तरफ थी।

ऐसी मस्त गोरी गांड थी कि मेरी नजर वहां से हट ही नहीं पाई, मैं उस नजारे को अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहता था ताकि रात में सोते समय उसके बारे में सोचकर मुठ मार सकूं।

मगर मैं ज्यादा देर वहां नहीं रुक सकता था।
मैं चुपके से वहां से हटा और उनकी दुकान पर चला गया।
फिर मैं कुछ देर बाद घर निकल गया।

उस रात मैंने आंटी को याद करके 4-5 बार मुठ मार डाली। अब मेरा रोज ही मन करने लगा कि किसी तरह आंटी की गांड या चूत ऐसे ही देखने को मिलती रही।

मैं रोज उनके घर चुपके से जाने लगा।
कभी तो नजारा मिल जाता और कभी निराशा हाथ लगती।

दो महीने ऐसे ही चला और फिर मेरे एग्जाम आ गए।

अब मैं अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गया था। पेपर खत्म होने के बाद मैंने फिर से मौज-मस्ती और मुठ मारना शुरू कर दी।
फिर से आंटी की गांड देखने की ललक उठी।

मैं दोबारा से उनके घर गया और अबकी बार आंटी ने मुझे उनकी गांड देखते हुए पकड़ लिया।
उन्होंने गुस्से वाली नजर से मुझे देखा लेकिन कुछ बोली नहीं।
मैं डर के मारे वहां से भाग आया।

मुझे अब ये डर था कि कहीं वो मेरी मम्मी से कुछ न बता दे।
उसी दिन शाम को आंटी ने मुझे आवाज दी और मुझे अपने घर बुलाया।
तो मैं बहुत ज्यादा डर गया कि आंटी अब क्या कहेगी।

मैं आंटी के घर पहुंचा तो उनके घर में कोई नहीं दिखा और वो एक नया सूट पहन रही थी और उन्होंने अपना कमीज उतारी हुई थी।
जब मैं पहुंचा तो आंटी ने मुझे अंदर आने को कहा।
मैं नजरें नीची करके उनके पास चला गया।

आंटी ने मुझे ऐसे खड़ा देख कर कहा- तूने मामला तो देख ही लिया, अब किस चीज से शर्मा रहा है?
मैं- नहीं आंटी, ऐसा कुछ नहीं है। वो … मैं … अचानक से अंदर आ गया तो वो सब देख लिया। वैसी मेरी कोई मंशा नहीं थी ऐसा करने की।

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वो बोली- झूठ मत बोल! मुझे पता है कि तू मुझे पेशाब करते हुए रोज देखता है।
मेरी चोरी पकड़ी गई थी और मैं कुछ नहीं कह पा रहा था।
मेरे हाथ पैर कांपने लगे थे।

आंटी- डरो मत, ये सब मैं किसी को नहीं बताऊंगी, लेकिन तुम्हें भी मेरा एक काम करना पड़ेगा।
मैं- बोलिए, क्या करना है?
आंटी- एक रात मेरे साथ सोना होगा तुमको!

मैं तो सुनकर हैरान रह गया।
आंटी तो खुद मुझे अपने पास सुलाने को बोल रही थी।
मैंने तुरंत हां कर दी।

इस बीच मेरा लंड भी खड़ा हो गया था।
आंटी ने मेरे तने हुए लंड को लोअर के ऊपर से सहलाते हुए कहा- अगर मन हो तो मुझे छूकर देख सकते हो।

मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने आंटी की गांड को थाम लिया।
उनकी गांड को दबाते हुए मैं दूसरे हाथ से चूचियों को भी भींचकर देखने लगा।
मगर ये सब कुछ ही देर चल पाया और आंटी ने कहा- अब थोड़ा इंतजार करो।

फिर मैं वहां से आ गया।
उस दिन मेरा लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था।
रात को 5-6 बार रगड़ा, तब जाकर कहीं शांत हुआ।

उसके कुछ दिन बाद आखिरकार वो रात आ ही गई।
उस दिन आंटी के घर में कोई नहीं था।
घर वाले दूसरे शहर में गए हुए थे।

आंटी ने मेरी मम्मी को भी बता दिया कि आज उनके घर में कोई नहीं है इसलिए वो मुझे उनके पास भेज दे।
मम्मी को भी कोई शक नहीं हो सकता था क्योंकि मैं आंटी के बेटे जैसा ही था।

रात के 10 बजे आंटी ने मुझे उनके घर सोने के लिए बुला लिया।
वो पहले ही सारा काम निपटा चुकी थी।
हम दोनों के बीच में सब कुछ पहले से ही तय था।

जाते ही हम दोनों उनके कमरे में चले गए।
आंटी ने भीतर से दरवाजा लॉक कर दिया और मुझे बेड पर धकेलते हुए मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगी।
मैं आंटी का साथ देने लगा।

दो मिनट के बाद मैं आंटी के ऊपर आ गया और मैंने आंटी के होंठों को खूब चूसा।
फिर आंटी ने कमीज उतार दी और उनकी चूचियां नंगी हो गईं।
मैं उनकी चूचियों को पीने-दबाने लगा।

कुछ ही देर में आंटी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं।
फिर मैंने उनकी सलवार और पैंटी भी उतरवा दी।
अब वो मेरे सामने नंगी थी।

मैं तेजी से आंटी की चूत को रगड़ने लगा और मेरा जोश और ज्यादा बढ़ गया।
अब मैंने आंटी की चूत में उंगली में दे दी और आंटी उचक गई।
उनके मुंह से एक आह … निकली और बोली- स्स् … आराम से … भाग नहीं रही।

आंटी की चूत में उंगली देकर मैं अंदर बाहर करने लगा।
मैं सेक्स के लिए अब पागल सा हो गया था।
कुछ देर मैंने चूत में उंगली चलाई और फिर मैंने नीचे होकर आंटी की चूत पर मुंह रख दिया।

मैं उनकी चूत को चूसने-चाटने लगा और आंटी बेड पर लेटी हुई मचलने लगी।
वो बहुत गर्म हो गई और चुदने के लिए बेताब हो गई।
फिर बोली- साले … भोसड़ी के … मैं कब से तेरा लंड लेने के लिए तरस रही थी। आज मुझे चोद-चोदकर मेरी चूत फाड़ दे। चाट साले मेरी चूत। तुझे तो यही चाहिए थी ना … ले चोद ले लौड़ू … चोद दे मुझे आज!

मैं भी जल्दी से नंगा हो गया और आंटी की छाती पर बैठ कर उनको लंड चूसने के लिए बोला।
उन्होंने झट से लंड मुंह में ले लिया और रण्डी की तरह चूसने लगी।
आंटी के मुंह के स्पर्श से लंड बिल्कुल फटने को हो गया था मेरा!

कुछ देर चुसवाने के बाद मैंने आंटी को सीधा लेटाया और उनके पैर अपने कंधे पर लेकर उनकी चूत पर लंड फेरने लगा।
कुछ देर बाद आंटी बोली- ऐसे तड़पाएगा ही या अंदर भी डालेगा? अब रुका नहीं जा रहा! डाल दे अपना ये लौड़ा मेरी चूत में!

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मैंने लंड धीरे धीरे आंटी की चूत में डालना शुरू कर दिया।
आंटी की चूत मेरा 6 इंच का लंड पूरा निगल गई।

मैंने अब अपनी गांड आगे पीछे करते हुए झटके मारने शुरू कर दिए।
आंटी को मजा आने लगा और गाली देते हुए चुदने लगी- आह … आह … चोद दे आज मुझे … रण्डी बना दे अपनी … मेरा भोसड़ा फाड़ दे आज!

मैं भी जोश में बोला- आज नही छोडूंगा रण्डी … कितने दिनों से तुझे चोदने का इंतजार कर रहा था … आज मैं अपनी प्यास अच्छे से बुझाऊंगा।

करीब आधे घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था।
आंटी इसी बीच दो बार झड़ चुकी थी।
मैंने पूछा- कहां गिराना है रंडी?
वो बोली- अंदर ही छोड़ दे मादरचोद!

मैं जोर जोर से झटके मारते हुए उनकी चूत में ही झड़ गया।
थकान के कारण मैं उनके ऊपर ही गिर गया।
आंटी ने भी मुझे अपनी बांहों में भर लिया।

रात का 1 बज गया था लेकिन मेरा मन अभी भी नहीं भरा था।
इस बार मैं आंटी की गांड चोदना चाहता था।
आंटी की गांड देखने के लिए न जाने मैंने कितनी बार जोखिम उठाया था।

आज मैं उस गांड में अपना लंड देकर चोदने का मजा लेना चाहता था।

मैंने आंटी को फिर से चूमना शुरू कर दिया और देखते ही देखते आंटी फिर से गर्म हो गई और चुदासी होकर सिसकारियां भरने लगी।

आंटी को प्यार से सहलाते हुए मैंने गांड चोदने के लिए पूछा तो आंटी ने भी पहली बार में ही हां कर दी।

फिर मैंने जल्दी से पास रखी तेल की शीशी उठाई और अपने लंड पर तेल चुपड़ दिया।
मैंने आंटी की गांड के छेद पर भी तेल लगा दिया।

आंटी को मैंने घोड़ी की पोजीशन में आने को कहा। वे घोड़ी बन गई और मेरे सामने गांड हिलाने लगी।
इससे मेरा मन आंटी की गांडफाड़ चुदाई के लिए करने लगा।

मैंने बिना देरी किए लंड को गांड से सटा दिया।
अब मैंने अपने लंड के टोपे को आंटी की गांड के छेद पर लगाया और और थोड़ा दबाव देना शुरू किया।

मेरा लंड बार बार मुड़ जा रहा था क्योंकि आंटी की गांड टाइट थी।
आंटी बोली- लंड कड़क नहीं है, ला … मैं इसे सही करती हूं।

उन्होंने मेरे लंड को मुंह में लिया और चूसने लगी।
कुछ ही देर में आंटी के मुंह में रहने पर मेरा लंड फिर से हथौड़ा हो गया।

मैंने उनको फिर कुतिया बनाकर लंड सेट किया और दबाव देना शुरू किया।
फिर जोर से एक झटका मारा और मेरा आधे से ज्यादा लंड आंटी की गांड में चला गया।
वो जोर से चीखी और उनकी आंखों में आंसू आ गए।

थोड़ी देर मैं रुका, फिर जब आंटी शांत हुई तो मैंने फिर से लंड का एक शॉट और मारा लंड पूरा लंड गांड में घुस गया।
उनको बहुत दर्द हुआ लेकिन मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया और गांड चोदने लगा।

मेरा लंड गांड में अंदर बाहर होने लगा और कुछ देर के बाद आंटी भी मजा लेने लगी।
फिर 15 मिनट की धक्का पेल चुदाई के बाद मैं उनकी गांड में ही झड़ गया।

हम दोनों थक कर लेट गए और एक दूसरे को सहलाने लगे।
कब हमारी आंख लगी, पता ही नहीं चला।

सुबह 6 बजे मुझे आंटी ने उठा दिया।

उठने के बाद हम दोनों ने किस किया और फिर मैं सीधा अपने घर आ गया।
ऐसा लग रहा था जैसे मेरा बहुत बड़ा सपना पूरा हो गया।

मैं आंटी की चूत और गांड चोदकर आ रहा था और मन ही मन में लड्डू फूट रहे थे।

उस रात के बाद जब भी हमें मौका मिलता हम चुदाई करते।
आंटी भी खुद से ही मुझे बुला लेती थी और मेरा लंड चूत में ले लेती थी।
हम दोनों ने बहुत मस्ती की।

इस तरह से मैंने अपनी पड़ोस वाली आंटी की चुदाई की; उनकी गांड भी मारी।

आपको ये स्टोरी कैसी लगी मुझे अपने मैसेज में जरूर बताना। आप हॉट आंट सेक्स स्टोरी पर कमेंट करना भी न भूलें।
मुझे आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।
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