इस देसी कहानी के पिछले भाग
सेक्स स्टोरी ससुर बहू की चुदाई की-1
में आपने पढ़ा कि:
मोहन लाल उसके नीचे बैठ गया. मयूरी को लगा कि शायद वो उसकी चूत चाटने वाला है. पर मोहन लाल के दिमाग में तो कुछ और चल रहा था. उसने मयूरी से कहा- बहू तुम पलट जाओ और झुक कर मुझे अपनी गांड की छेद के दर्शन करा दो..
मयूरी- जी बाबूजी..मयूरी झट से पलट कर झुक गई और मोहन लाल को अपनी जानलेवा मक्खन जैसी गांड के दर्शन कराने लगी.
मोहन लाल ने मयूरी से कहा- बहू.. मैंने तेरी इस गांड के बहुत सपने देखे हैं. जिस दिन से मैंने तुमको रमेश के लिए पसंद किया था, उसी दिन से हमेशा ही सपना देखा है कि काश मुझे तुम्हारी ये गांड मारने को मिल जाए.
मयूरी- ओह बाबूजी.. मुझे आपकी इस भावना का जरा भी अंदाजा नहीं था, नहीं तो मैं आपको अपनी सुहागरात में ही अपनी गांड के दर्शन करवा देती. खैर अब ये पूरी तरह आपका छेद है और आपके लंड के सामने है.
मोहन लाल ने मयूरी की गांड के छेद को अपने दोनों हाथों से चौड़ा किया और उसको अपनी नाक नजदीक ले जाकर सूंघने लगा. उसकी गांड की गंध उसको एक अजीब सा नशे का एहसास कराने लगी. फिर ससुर मोहन लाल ने अपनी जुबान बहू मयूरी की गांड के छेद पर रख दी और जुबान गांड के छेद पर चलाने लगा.
मयूरी इस बात के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी, उसे इस बात की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि उसका बूढ़ा ससुर ऐसे पैंतरे भी अपनाएगा. वो एकदम से उत्तेजना के मारे पागल हो उठी और कामुक सिसकारियां लेने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… बाआ…बू…जी.. आप.. तो. मेरी. जान.. ही.. निकाल.. देंगे…
मोहन लाल- अभी कहां बहू.. अभी तो बहुत कुछ बाकी है.
यह कहते हुए मोहन लाल ने अपनी दो उंगलियां मयूरी की चूत में डाल दीं और और अन्दर बाहर करते हुए उंगलियों से उसकी चूत को चोदने लगा. साथ ही साथ वो उसकी गांड को अपनी जुबान से चाट भी रहा था.
इधर काजल की हालत ख़राब हुई जा रही थी. वो अब तक पता नहीं कितनी बार झड़ चुकी थी. उसकी चूत और मुँह दोनों एक साथ दो लंडों से, जो कि उसके अपने ही सगे भाइयों के लंड थे.. चुदाई हो रही थी.
फिर करीब 12-15 मिनट की लगातार चुदाई के बाद दोनों भाई एक साथ झड़ गए. रमेश ने अपनी लंड का पानी काजल के मुँह में ही निकाल दिया और काजल ने वो सारा वीर्य गटागट करके पी लिया. वो अपने बड़े भाई के लंड से निकला वीर्य का एक भी बूँद बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी, उसे ये वीर्य अमृत जैसा लग रहा था. सुरेश ने भी अपना सारा वीर्य काजल की चूत में ही डाल दिया. काजल ने फिर से एक बार अपनी चूत में लंड से निकला हुआ गरमागर्म वीर्य महसूस किया, पर इस बार ये वीर्य उसके छोटे भैया के लंड से निकला हुआ था. दोनों भाई काजल के अगल बगल में गिर गए और अब तीनों भाई बहन आराम करने लगे थे.
इधर मोहन लाल की उंगलियों और जुबान के लगातार प्रहार से मयूरी ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई और और इतनी देर में एक बार झड़ चुकी थी. मोहन लाल ने उसकी चूत से निकले हुए पानी का एक-एक बूँद को चाट लिया था.
अब मोहन लाल ने लगभग आदेश देते हुए काजल को अपने पास बुलाते हुए कहा- काजल बेटी.
काजल- जी पापा?
मोहन लाल- अपने भाइयों को छोड़ो और इधर आओ. अपने बाप के लंड से भी थोड़ा परिचय कर लो.
काजल- जी पापा.. अभी आती हूँ.
यह कहते हुए काजल एक अच्छे बच्चे की तरह अपने पापा के आदेश का पालन किया. वो उठी और उनकी तरफ चल दी. फिर मोहन लाल के मन में कुछ ख्याल आया, वो मुस्कुराया और उसने काजल को रोका- पर रुको.. मैं ही वहां आता हूँ. चलो बहू.. सोफे के पास चलते हैं.
मयूरी- जी बाबू जी..
मयूरी ने मोहन लाल के कमर में हाथ डाला जैसे दोनों प्रेमी प्रेमिका हों और दोनों सोफे के तरफ बढ़े. रमेश और सुरेश ने अपने पापा के लिए वहां जगह बनाई और मोहन लाल बीच में बैठ गया. फिर मोहन लाल का आदेश जारी हुआ- बहू और काजल.. अब तुम दोनों मिलकर एक साथ मेरा लंड चूसो.. मैं अपनी बहू और बेटी दोनों को एक साथ अपना लंड चूसते हुए देखना चाहता हूँ.
काजल और मयूरी मोहन लाल के आदेश का पालन किया और उसके लंड को एक साथ चूसने लगीं. उनके होंठ कभी कभी आपस में टकरा रहे थे, पर दोनों जैसे प्रतिस्पर्धा कर रही थीं कि कौन ज्यादा से ज्यादा इस लंड को चूस सकती है.
मोहन लाल ने दोनों को चूसते हुए देखकर उनके सर पे हाथ रखते हुए कहा- सदा खुश रहो मेरे बच्चों.. आज तुम दोनों ने मुझे जीते जी स्वर्ग का एहसास करा दिया है.
फिर मोहन लाल ने रमेश और सुरेश को देखते हुए कहा- तुम्हें पता है? तुम्हारी माँ को मैं और तुम्हारे नाना एक साथ चोदा करते थे. और तुम्हारी माँ को हम दोनों से एक साथ चुदवाना बहुत अच्छा लगता था. आज अगर वो जिन्दा होती, तो ये सब देख कर बहुत खुश होती. वो तुम दोनों से भी चुदवाने की इच्छा रखती थी, पर ये बात वो कभी तुम्हें बता नहीं पाई और वक़्त से पहले ही गुजर गई.
सुरेश- पापा.. ये क्या कह रहे हैं आप? आप और नाना एक साथ माँ को चोदते थे?
रमेश- और माँ हमसे भी चुदना चाहती थी? तो ये बात उसने कभी बताया क्यों नहीं.. हम तो ख़ुशी-खुशी उसको चोद देते पापा..!
मोहन लाल- घर में एक बेटी भी थी और हम तुम लोगों के सामने कभी सेक्स को लेकर इतना सहज नहीं हो पाए बेटा. आज उसकी आत्मा को जरूर शांति मिल जाएगी.
इधर मयूरी सोच रही है कि ‘उसके अपने पापा और भाइयों से चुदना..’ और ‘उसके दोनों भाइयों का अपनी माँ को चोदना..’ कोई बड़ी बात नहीं थी. ये तो शायद हर घर में होता है, बस कोई किसी को बताता नहीं है. इतनी देर में उसको ये तो समझ आ गया था कि हर बाप अपनी जवान बेटी को चोदने की इच्छा रखता है, हर भाई अपनी बहन को चोदना चाहता है, हर बेटी और बहन अपने बाप और भाई से चुदवाना चाहती है. बस कोई शुरुआत नहीं कर पाता.
मोहन लाल ने आगे बोला- तुम्हारे नाना और मैं तुम्हारी माँ को इतना चोदते थे कि हमें आज तक नहीं पता कि तुम दोनों मेरे बेटे हो कि अपने नाना के हो. हाँ पर मुझे ये पता है कि काजल मेरी बेटी है क्योंकि इसके जन्म के 2 साल पहले ही तुम्हारे नाना गुजर गए थे.
रमेश और सुरेश को ये सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ. फिर कुछ सोचते हुए रमेश ने कहा- मतलब कि आप रिश्ते में हमारे पापा भी हो सकते है और जीजा भी. क्योंकि अगर हम नाना के वीर्य से पैदा हुए हैं तो हमारी माँ तो हमारी बहन भी हुई ना.. और इस हिसाब से आप हमारे जीजा जी हुए.
मोहन लाल- हाँ.. कह सकते हो.
सुरेश- तो जीजाजी साब.. आज बेटीचोद बनकर कैसा लग रहा है?
मोहन लाल ने थोड़ा असहज होते हुए कहा- क्या..??
सुरेश- देखो पापा, अगर आप हमारे जीजा हुए तो मैं आपको कभी कभी जीजा तो बुला ही सकता हूँ.. और आप मेरी माँ के पति हैं तो आप मेरे पिता भी हुए. फिर आप मेरे सामने ही अपनी बेटी की चुदाई कर रहे हैं तो आप बेटीचोद तो हुए ही..?
मोहन लाल- हाँ बेटा.. वैसे बात तो सही है.
रमेश ने मजाक में कहा- तो जीजा मोहन लाल जी.. कैसा लग रहा है बेटी को चोदते हुए??
सब हंसने लग लगे.. काजल और मयूरी भी लंड चूसना छोड़कर कर इस ठहाके में इनका साथ देने लगीं.
खैर, काजल और मयूरी फिर से मोहन लाल का लंड चूसने में लग गईं. मोहन लाल का लंड सुरेश के लंड के ही साइज का था. वो दोनों कभी उसका सुपारा चूसतीं, कभी लंड चचोरतीं.
काजल और मयूरी को अपने बाप का लंड चूसते हुए देख कर फिर से रमेश और सुरेश के लंड खड़े हो गए. उनके लंड फिर से एक बार चुदाई की मांग कर रहे थे.
रमेश काजल और मयूरी से बोला- काजल, मयूरी.. तुम दोनों प्लीज घोड़ी बन जाओ और उसी पोज़ में पापा का लंड चूसो.
दोनों ख़ुशी ख़ुशी घोड़ी बन गईं और अपनी अपनी गांड मटका मटका कर लंड चुसाई के मजे लगीं. रमेश ने अपनी बहन काजल की चूत में पीछे से लंड डाल दिया और सुरेश ने अपनी भाभी मयूरी की चूत में लंड पेल दिया.
अब दृश्य बड़ा ही मनमोहक हो गया था.
सबसे आगे बाप मोहन लाल सोफे पर बैठा था और उसकी बहू और बेटी घोड़ी बनके उसका लंड चूस रही थीं. दोनों की गोल-गोल चूचियां लटक रही थीं और और हिल रही थीं. उसके पीछे उसके दोनों बेटों में से एक अपनी बहन की चूत चोद रहा था और दूसरा अपनी भाभी की चूत मार रहा था. घोड़ी के स्टाइल में होने की वजह से दोनों की चूत थोड़ी और टाइट हो गई थी और उनको चोदने वाले लंड जल्दी ही लगभग 7-8 मिनट की चुदाई में ही झड़ गए.
अब चोदने की बारी मोहन लाल की थी. पर वो पहले अपनी बहू मयूरी को चोदना चाहता था, उसने मयूरी को कहा- बहू.. मेरी जान.. अब तुम्हारी चुदाई मैं करूँगा.
मयूरी- जी बाबूजी.. मैं बड़ी ही खुशनसीब हूँ, जो आपसे मुझे अपने पापा जैसा प्यार मिल रहा है.
मोहन लाल- मतलब तुम भी अपने बाप से चुदती थीं?
मयूरी- जी पापा… और अपने भाइयों से भी.
मोहन लाल- अच्छी बात है.. अब अपने ससुर से बिल्कुल अपने बाप जैसे प्यार लो. आओ और मेरा लंड अपनी चूत में ले लो.
मयूरी- बिल्कुल पापा.
मोहन लाल- काजल, जा अपने भाइयों से चुदाई करवा ले, जब तक मैं बहू की चूत की कुटाई कर रहा हूँ.
काजल- जी पापा.
मयूरी सोफे पर लेट गई और मोहन लाल ने अपना लंड उसकी चूत पर सैट करके एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. यहाँ से ससुर और बहू की घनघोर चुदाई शुरू हो गई.
मयूरी- बाबूजी.. आह.. चोदो.. और जोर से चोदो बाबूजी..
मोहन लाल- ले मेरी जान.. मेरे सपनों की परी.. आज मेरा लंड सच में ले ले. अपने सपने में मैंने तुमको बहुत चोदा है. आज वास्तव में तुझे चोदने का मौका मिला है. आज तो तेरी चूत की चटनी बना दूंगा.
इधर काजल ने रमेश और सुरेश को अपनी सेवा का फिर से मौका दे दिया. इस बार उसकी चूत में रमेश का लंड था और मुँह में सुरेश का लंड था.
दोनों भाई मिल कर अपनी बहन को चोदने लगे.
करीब 20 मिनट की लगातार चुदाई के बाद झड़ कर फिर से सब लोग आराम करने लगे.. पर आज आराम वाला दिन ही नहीं था. इस शाम को तो जैसे बस चुदाई ही होनी थी. थोड़ी देर में फिर से सब गरम हो गए.
अब मोहन लाल ने काजल को अपने पास बुलाया और कहा- बेटी, अपने बाप का लंड अपने चूत में लेगी न?
काजल- पापा, आज आप पूरी तरह से बेटीचोद बन जाओ.. और मैं इस घर की रंडी बन जाना चाहती हूँ. मैं चाहती हूँ कि जिसको जब भी मन करे, मुझे आके चोद दे. आओ पापा.. कूट दो मेरी इस चूत को अपने इस मूसल जैसे लंड से..
अब काजल को नीचे लिटा कर मोहन लाल अपनी बेटी को चोदने लगा. इधर रमेश और सुरेश मिलकर मयूरी की चोदने वाले थे.. पर रमेश ने अचानक से कहा- मयूरी.. अब मैं तेरी गांड और सुरेश तेरी चूत मारेगा.
मयूरी- आओ मेरे राजा.. मैं तो कई दिनों से ऐसे नहीं चुद पाई हूँ.. अपने मायके में मैं अपने दोनों भाइयों से ऐसे ही चुदती थी. आज तुमने मेरे भाइयों की याद दिला दी.
फिर रमेश ने मयूरी को खड़ा करके उसकी एक टांग सोफे पर रखा और खड़े-खड़े ही उसकी गांड में अपना लंड घुसा दिया. आगे से सुरेश ने भी अपनी भाभी की चूत में अपना लंड प्रवेश करा दिया. मयूरी अब दोनों तरफ से चुदाई करवा रही थी.
घर में फिर से सब लोग चुदाई में लगे हुए थे. ये किस्मत का खेल ही था, जो एक सामान्य घर के सामान्य से रिश्तों को कुछ ही घंटों में इतना विशेष बना दिया. इस घर में पिछले 2-3 घंटों में बहुत सारे रिश्ते बदल गए. सब लोगों के मन से एक-दूसरे को लेकर शर्म-हया जैसी कोई चीज़ खत्म हो गई थी, पर प्यार और गहरा हो गया था. साथ ही साथ कई सारे रहस्यों से पर्दा भी उठ चुका था.
लेखक की कलम से- ये मेरी जिंदगी की पहली रचना है. मैं सेक्स और चुदाई के कहानियों का बचपन से शौक़ीन रहा हूँ. विशेष रूप से रिश्तों में चुदाई की कहानियों का बड़ा प्रशंसनीय रहा हूँ. हालाँकि ऐसा कुछ कर नहीं पाया, पर हमेशा से ही मन में कुछ ऐसी कहानियों का चित्रण किया करता था. मेरा पाठकों से आग्रह है कि आपको ये देसी कहानी कैसी लगी, कृपया मुझे बताएं. मेरी ईमेल आईडी है.
[email protected]
What did you think of this story??