गैर मर्द के साथ सुख मिला

Free Sex Stories Gair Mard Ke Sath Sukh नमस्ते.. मेरा नाम नित्या है. मेरी 35 साल की सुंदर काया है. मै विवाहित हूँ मेरे पति कमलेश का बिसनेस है और दो बच्चे भी है. ऊम्र के इस पड़ाव मे भी मेने अपने आप को मेनटेन कर रखा है, मेरी लव मॅरिज तो नही थी.

पर फिर भी कमलेश मुझे अच्छे से रखते है. हफ्ते मे एक दो बार सेक्स करते है, और उनकी इनकम भी अच्छी है इसलिए मुझे कोई शिकायत नही है, पर वक्त के साथ साथ ना जाने क्यूँ मुझे सेक्स की चाहत बढ़ती जा रही है.
पहले मै हफ्ते मे एक बार भी करती तो शांति मिल जाती, पर अब मान करता है रोज़ करने का. पर कमलेश को काम से फ़ुर्सत नही मिलती, और मै उन पर ज़्यादा दबाव बनना भी नही चाहती हूँ, इसलये कभी कभी जब ज़्यादा कामुकता जागती है तो, किसी बॉटल या खीरे से काम चला लेती हूँ.
कमलेश के बचपन के दोस्त है विराल और उनकी पत्नी मीना. दोनो दोस्तों की उम्र भी एक जितनी ही है. और घर जेसा व्यवहार है. साथ मे घूमने जाना, विककेंड पे साथ मे टाइम बिताना.. कमलेश विराल और मीना कॉलेज के टाइम से दोस्त है, और विराल मीना ने शादी कर ली.
जब हम दोनो कपल साथ मे होते तो कमलेश और मीना मे खूब बनती, विराल वेसे खुश मिजाज़ बंदा है पर कम बोलता है. और मै भी उनकी कंपनी मे कम ही बात करती हूँ, मीना और कमलेश की बातें ख़तम ही नही होती, ईवन कभी कभी फोन पे भी गप्पे मरते दोनो.
एक दिन मै सनडे को शाम को मेने कमलेश को बोला की मुझे घूमने ले जाए पर वो कहने लगे की उसे डाउनटाउन मे जाना है काम से तो मेने ज़िद नही की, और कमलेश के जाने के कुछ देर बाद बच्चों को ले कर एक पार्क मे गयी.
बच्चे प्ले एरिया मे खेलने लगे तो मै गार्डेन मे यहाँ वहाँ घूमने लगी तो एक जगह का दृश्या देख के मेरे पैरो तले की ज़मीन हिल गयी, कमलेश और मीना एकदुसरे की बाहों मे बाहें डाले एक दूसरों को चूम रहे थे एक पेड की छाँव मे.

कभी एक दूसरे के अंगों को छुते कभी मस्ती करते. मेरा सर चकराने लगा था. मै क्या करूँ कुछ समज मे नही आ रहा था फिर यकायक मेरे दिमाग़ मे आया तो मेने दूर से उनकी रोमॅन्स करती फोटो खींच ली.
उसके बाद मै घर वहाँ से घर आ कर बोहोत रोई, अफ़सोस किया, कमलेश घर आए तो उनसे पूछा तो उन्होने झूठ बोला तो मेने जाने दिया.. अब मै उनपे नज़र रखने लगी, एक दिन शाम को वो बातरूम मे थे और उनका मोबाइल पे मेसेज आया मेने चेक किया तो मीना का मेसेज. था, उसने मिलने के लिए बुलाया था वो भी कमलेश की शॉप पर. फिर कमलेश बाहर आए रेडी हो के चले गये. मेने तुरंत विराल को फोने किया और फोअरन मिलने के लिए बुलाया.
विराल कार लेके आया तो मेने उसे कमलेश की शॉप पे ले चलने को कहा, विराल मुज्से सवाल पूछ रहा था पर मेने कुछ नही कहा, बस उसे ये सब दिखना चाहती थी. हम शॉप के पास पहोन्चे तो मेने कार दूर पार्क करवाई और शॉप बाहर से बंद थी पर पीछे से वंतिलटोर की विंडो खुली रहती थी ये मुझे पता है इसलिए मै विराल को लेके उस विंडो के पास गयी, मेने उसे चुप रहने का इशारा किया और हम ने चुपके से अंदर झाँका.
जो अंदर का नज़ारा था उसे देख के विराल भी डगमगा गया, कमलेश और नीना निर्वस्त्रा चुदाई मे डूबे हुए थे. कमलेश मीना पे चढ़ के धक्के लगा रहा था और नीना आनंद मे आहे भर रही थी.
विराल को चक्कर आने लगे तो मै उसे पकड़ के वहाँ से ले आई और हम गाड़ी मे बैठ गये. मेने उसे पानी पिलाया तो उसे थोड़ा होश आया फिर वो फुट फुट कर रोने लगा, मुझे भी रोना आ रहा था पर इस वक़्त मुझे विराल को संभालना था. मै उसे गले लगा के दिलासा देने लगी.
विराल को गुस्सा आने लगा तो वो भागने लगा, मेने मुश्किल से उस संभाला और गाड़ी मे बिठाया और समझने लगी, अगर कोई ग़लत कदम उठ गया हम से तो हमारे बच्चों का क्या होगा उनका क्या क़ुसूर.
फिर कुछ देर बाद विराल शांत हुआ तो हम घर आ गये. मेने विराल को मना किया था इस बात का ज़िक्र किसी और से करने के लिए. दूसरे दिन विराल और मै एक जगह मिले डिसकस करने के लिए की आगे क्या करना है, मेने विराल को कहा अगर वो दोनो अपने हिसाब से अपनी पर्सनल ज़िंदगी गुज़र रहे है तो गुज़रने दो उन्हे, हम भी हमारी लाइफ जियेंगे.
फिर हम वहाँ से एक होटेल मे गये एक रूम लिया और.. कमरे मे आ गये. विराल आगे बढ़ने मे हिचकिचा रहा था. मेने आगे बढ़ के उसे गले लगाया तो फिर उसकी हिम्मत बँधी. अब विराल मेरे होटो को अपने सख़्त होटो मे मिला के चूसने लगा. मै पहली बार किसी गैर मर्द के साथ कर रही थी, एक अफ़सोस के साथ. पर एक अलग ही नशा मुज मे चढ़ रहा था. हम धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे.
हमारे जिस्म से एक एक कर के सारे कपड़े उतरने लगे. मेने शर्म से अपनी आँखें मूंद ली थी. विराल मेरे मादक जिस्म से खेल रहा था. मेरे 36 के बूब्स कभी चूमता कभी सख़्त होटो से मसलता, मै हवा मे उड़ने लगी थी. ऐसा मै सिर्फ़ अपनी सुहाग रात के बाद ही महसूस कर रही थी. विराल ने मेरी कोमल चुत को भी अच्छे से चट्टा. मेरी सिसकियाँ बाँध गयी.
विराल ने मेरा हाथ अपने सख़्त लोहे जेसे लिंग पे रख दिया. मेने आँखे खोल कर देखा तो उसका लिंग पुर्न रूप से खड़ा मेरी और सलामी दे रहा था, कमलेश का थोड़ा लंबा लिंग था. पर विराल का कमलेश के मुक़ाबले कुछ मोटा लिंग था. उसका टोपा ही बड़ा सेक्सी लगता था,वो इसे मुँह मे चूसने ले लिए इशारा कर रहा था.
मेने कई बार कमलेश का लिंग चूसा था, तो विराल का चूसने मे मुझे कोई दिक्कत नही थी. वो बेड पे टेक लगा के बैठ गया और मै कुतिय की तरह झुक के उसका लिंग अपने होंटो को लगा के चूसने लगी, एक नमकीन सा स्वाद मेरे मुँह मे फैल गया. पर बड़ा मज़ा आ रहा था.

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अपने पति के साथ मे अपना पतनिधर्म निभाती, पर आज मै यहाँ आज़ाद हूँ अपने हिसाब से अपनी ख्वाहिशें पूरी करने केरने के लिए. विराल का आधा लिंग मेरे मुँह मे समा गया था. वो अपनी आँखें बंद किए अपनी मदहोश आवाज़ों से मेरा नाम लिए जा रहा था
फिर उसने मुझे हटा दिया और एक कॉंडम का पॅकेट दिया, मेने कॉंडम फाड़ के उसके लिंग पे अच्छे से चढ़ा दिया, और सीधी लेट गयी, विराल ने मेरी चूत पे लिंग टीकाया और हल्का सा पुश किया.
हफ्तें भर से कमलेश ने मेरी चुदाई नही की थी जिससे मेरी चूत का मुंहाना थोड़ा सिक्युडा था तो विराल का लिंग अंदर घुस नही रहा था. उसके लिंग का टोपा ही इतना मोटा था की मुझे भी थोड़ा दर्द हुआ. फिर उसने ज़रा चूत मे उंगली कर के चूत को थोड़ी लूस की और फिर हल्के से लिंग डाला तो पहलो बार एक गैर मर्द का लंड मेरी चूत मे गया.
मुझे हल्का सा दर्द हुआ. आआहह..सस्स.. पर ये दर्द आनंद वाला था. कमलेश के लिंग से अलग ऐएहसास दे रहा था, विराल का लिंग. कुछ देर मे विराल ने धक्के लगाने स्टार्ट किए. मेने कमर से कस के उसे पकड़ लिया. वो एक हाथ से मेरे माममे मसल रहा था, और मेरी ज़बान को अपने मुँह मे लेके चूस रहा था. इतना मज़ा शायद मुझे पहले भी नही आया था.
चुदाई के दौरान मेने विराल से पूछा की क्या मीना के अलावा तुमने किसी और के साथ किया है, तो उसने कहा नही, मीना के साथ मेने प्यार किया था, उसके अलावा मेने किसी और के साथ कभी नही किया. शादी से पहले भी नही और शादी के बाद भी नही, पर जब मेरा विश्वास टूट चुका है तो, मूज़े कुछ सम्झ मे नही आ रहा मै क्या करू. शायद तुम ही मेरा सहारा हो.
मेने विराल को दिलासा दिया की अगर हमारे बच्चों का सवाल ना होता तो हम उनसे अलग हो जाते मगर अगर हम अलग हुए तो बच्चों की ज़िंदगी बिखर जाएगी, इसलिए बच्चों के लिए ही उनसे सिर्फ़ नाम का रिश्ता निभाना होगा. बाकी हम ज़रूरी ख्वाहिशत अलग से पूरी कर लेंगे. विराल ने कहा, मै तुम्हारी बात से सहमत हूँ. तूमे कभी भी ज़रूरत पड़े चाहे आधी रात को भी क्यू ना हो मुझे बुला ले ना.
विराल का स्टॅमिना मुझे कमलेश से भी ज़्यादा पॅवरफुल लगा, फिर हम अपनी चुदाई की पहली चरम सीमा पे पहुचने वाले थे. आधे दिन की चुदाई मे विराल ने मुझे कई तरह से सुख दिया, फिर एक साथ हम दोनो स्लखित हुए और एक दूसरे की बाहों मे सो गये.
उस दिन की घटना के बाद विराल और मै कई बार मिले कभी किसी होटेल मे या किसी दिन घर पे, या कहीं गार्डेन मे. विराल और मै हम एकदुसरे मे ही अपना सुख हासिल करते, कहीं और जाने की हम ए ज़रूरत नही थी.

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