रैगिंग ने रंडी बना दिया-56

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अब तक की इस सेक्स की कहानी में आपने पढ़ा था कि गुलशन जी ने अपनी दूसरी बीवी की बेटी अनिता की सील तोड़ चुदाई की.. और खूब मजा लेकर अपने घर चले गए.
अब आगे..

क्यों दोस्तो मज़ा आया ना, ये थी अनिता और गुलशन की कहानी. उसके बाद तो गुलशन रोज अनिता को चोदने लगे और वो भी उनके बड़े लंड की आदी हो गई. हाँ एक बात है.. वो अक्सर गुलशन को छेड़ने के लिए पापा कहती और वो उससे गुस्सा करते, बस.

एक बात और.. वैसे तो अनिता को पता था कि गुलशन की एक बीवी और बेटी है. मगर उसका उनसे मिलने का कभी मौका नहीं पड़ा. वैसे भी गुलशन उसे बहुत प्यार करते थे, उसकी हर छोटी बड़ी ख़ुशी का ध्यान रखते थे, जो अनिता को बहुत पसंद था. अब वो भी दिल से गुलशन को चाहने लगी थी.. मगर उसने कभी गुलशन को अपना पति नहीं माना, बस ऐसे ही वो उसके साथ खुश थी. ऐसे ही दो साल निकल गए, वो दोनों इस रिश्ते को निभा रहे थे.

अब वापस कहानी पर चलते हैं.. अनिता ने हलवा लाकर दिया या नहीं देख लेते हैं. एक बात और ये कहानी में कुछ पार्ट बन गए मगर आपको अनिता और गुलशन की कहानी समझ आए, इसी लिए मैंने पूरी बात एक साथ ही बता दी ताकि आगे कोई भ्रम ना रहे. वैसे अभी टीना और फ्लॉरा का पूर्व भी आपको बताना है, तो कभी फ़ुर्सत में वो भी आपको बता दूँगी.

चलो अभी इस सेक्स की कहानी का मजा लेते हैं.

अनिता- ये लीजिए गरमा गर्म हलवा.. मैंने सिर्फ़ खास आपके लिए बनाया है.
गुलशन- वाह भाई आज तो मज़ा आ गया, मगर एक बात बताओ मॉल में तुमने ऐसा क्यों कहा कि आपको किसी की इच्छा से क्या लेना-देना! क्या मैं तुम्हें कभी किसी बात के लिए मना करता हूँ.. बोलो? फिर क्यों तुम हमेशा मुझे टेढ़े जबाव देती हो?
अनिता- अरे मेरे राजा को बुरा लगा.. आपको तो पता है कि ये मेरी आदत हो गई है. जब तक आपको छेड़ ना लूँ.. मुझे चैन नहीं मिलता है. आप इतना टेंशन में क्यों आ जाते हो? आपकी बेटी से अगर मुझे मिलना होता, या उसे कुछ बताना होता तो अब तक बता चुकी होती. मुझे आपका घर नहीं पता या उसका कॉलेज नहीं पता, मगर आपने मना किया तो बस मुझे उनसे मिलने की क्या जरूरत पड़ी. आज तो इत्तफ़ाक़ से मुलाकात हो गई. वैसे सुमन है बहुत प्यारी.. बिल्कुल आप पे गई है.

गुलशन- तेरा भी यार कुछ समझ नहीं आता मुझे.. कभी कैसे, कभी कैसे.. चल ला अब मुझे हलवा खाने दे.
अनिता- हाँ लो ना.. किसने रोका है. वैसे एक सवाल है मन में.. पूछ लूँ क्या?
गुलशन- अब मन में आ गया तो पूछ ले.
अनिता- सुमन से मेरा क्या रिश्ता है.. मैं उसे अपनी छोटी बहन समझूँ या बेटी?
गुलशन- तू फिर शुरू हो गई ना.. ले नहीं खाना मुझे हलवा.. तू मुझे कड़वी बातें ही सुना.
अनिता- हा हा हा हा जल गए ना.. हा हा हा अच्छा अच्छा मजाक कर रही हूँ आप आराम से खा लो, अब नहीं बोलूँगी.

गुलशन जी मज़े से हलवा खाने लगे और अनिता उनके पास बैठ गई. फिर जब वो खा चुके तो अनिता ने एक और चौका मार दिया.

अनिता- अच्छा एक बात बताओ आप, आज तक अपने सुमन को इतना सादा रखा.. फिर आज क्या जरूरत आ गई जो आपने उसे इतने मॉर्डन कपड़े दिलाए?
गुलशन- अब वो बड़ी हो गई है और कॉलेज जाने लगी है. अब दूसरी लड़कियों को देखेगी तो उसका भी मन करेगा ना.. बस इसी लिए.
अनिता- बुरा मत मानना आप लेकिन उन कपड़ों में वो बहुत सेक्सी लगेगी.. सारे लड़के उसे देख कर आहें भरेंगे.
गुलशन- तुमने फिर बकवास शुरू कर दी ना.
अनिता- नहीं, ये बकवास नहीं है, आप मेरी बात को समझो.. वो बहुत सुन्दर है और उसके शरीर की बनावट भी बहुत अच्छी है. जब वो इतने हॉट कपड़े पहने, तो आप खुद ही देख लेना.

गुलशन जी को पता था कि अनिता सही कह रही है. आज वो खुद बहक गए थे लेकिन उन्होंने फिलहाल बात को टाल दिया.

गुलशन- अच्छा अच्छा.. ये ज्ञान बंद कर.. आज लंड में बहुत हलचल मची हुई है.. चल जल्दी कर, इसे शांत करके बाद में अपनी बक-बक कर लेना.
अनिता कुछ बोलती तभी गुलशन जी का फ़ोन आ गया, ये दुकान से था शायद.. उन्होंने 5 मिनट बात की, फिर थोड़ा टेंशन में आ गए.

गुलशन- इन्हें भी अभी आना था.. सारा मूड ऑफ कर दिया.
अनिता- क्या हुआ मेरे राजा जी किसने आपका मूड खराब कर दिया?
गुलशन- अरे कोई पुराना ग्राहक है.. थोक में माल लेता है, अब जाना ही पड़ेगा.
अनिता- अरे अभी तो बड़े चोदने की बात कर रहे थे.. ऐसे ही जाओगे क्या?
गुलशन- मन तो बहुत है मगर जाना भी जरूरी है. चल अब कल ही तेरी चुदाई करूँगा.. अभी तो जाता हूँ.
अनिता- दुकान से वापस आ जाना ना.. कभी तो आप रात को मेरे पास रहा करो.
गुलशन- नहीं अनिता.. हेमा को पहले ही मुझ पर शक है, अब सुमन भी समझदार हो गई है. मैं कोई ख़तरा मोल नहीं लेना चाहता. तू सो जाना ओके.. चलता हूँ.

गुलशन जी वहां से चले गए और दुकान से अपना काम निपटा कर वो घर चले गए.

अब बेचारे सुबह से कड़क लंड लिए घूम रहे थे तो रात को कमरे में गए. गुलशन जी को बेचैन देख कर हेमा ने कारण पूछा- क्या हुआ जी.. आप ठीक तो हो ना..? अपने खाना भी नहीं खाया और आज देरी से भी आए, दुकान की कोई समस्या है क्या?
गुलशन- अरे कुछ नहीं ऐसे ही आज थोड़ा काम ज़्यादा था और कुछ बात नहीं है.
हेमा- अच्छा ठीक है सो जाओ.. थके हुए हो आपको अच्छी नींद आएगी.
गुलशन- अच्छा ये बताओ सुमन सो गई क्या?
हेमा- जी.. वो कब की सो गई थी.

रुकावट के लिए खेद है.. आपको बता दूँ गुलशन जी के कमरे में आने के साथ ही सुमन बाहर कान लगा के खड़ी हो गई थी. टीना की कही बात उसे बेचैन कर रही थी, तो वो आज जानना चाहती थी कि उसके पापा और मॉम के बीच सब ठीक तो है ना.

गुलशन- एक बात कहूँ.. आज बड़ा मन है.. बहुत दिन हो गए.

गुलशन जी आगे कुछ बोल पाते तभी बीच में हेमा ने उन्हें टोक दिया- आपको कुछ और नहीं सूझता क्या.. जब देखो यही बात, अब लड़की जवान हो गई है.. अब तो अपने आप पर कंट्रोल करो.
गुलशन- सात साल से कंट्रोल ही तो किए हुए हूँ. पहले तो तुम महीने में 2 या 3 बार ‘हाँ’ कर देती थीं.. आजकल तो महीने के बाद भी तुम्हारी ना ही सुनने को मिलती है.
हेमा- आपको पता है मुझे शुरू से ये सब पसंद नहीं.. फिर क्यों आप बार-बार एक ही बात दोहराते हो?
गुलशन- कैसी औरत है तू.. इतनी सुन्दर है, फिगर भी अच्छा है.. मगर तेरे अन्दर सेक्स क्यों नहीं है.. ये बात मेरी समझ के बाहर है.. तू कैसे इतने दिन बिना संसर्ग के निकाल लेती है?
हेमा- अब भगवान ने जैसा बनाया, वैसी ही हूँ और फिर अपने आप से पूछो, शुरू में कैसे मुझे जानवरों की तरह चोदते थे.. बस उसी वजह से मुझे सेक्स से नफ़रत सी हो गई. अब तो बिल्कुल मन नहीं करता.
गुलशन- तेरे इसी व्यवहार की वजह से हमें दूसरी औलाद नहीं हुई. ये तो मेरी शराफत है, कोई दूसरा होता तो ना जाने क्या करता.
हेमा- क्या करता.. बाहर मुँह मारता, यही कहना चाहते हो ना.. आपको किसने रोका है.. आप भी मार लो, मिटा दो खानदान का नाम मिट्टी में.. वैसे भी पहले से ही कांड हुआ पड़ा है, आप भी कर दो एक कांड.. क्या फर्क पड़ता है.
गुलशन- बस मेरी इसी शराफत का तू फायदा उठाती है. तुझे पता है मैं ऐसा कोई काम नहीं करूँगा, जिससे बदनामी हो.
हेमा- हाँ जानती हूँ और ये भी जानती हूँ कि आप मुझसे बहुत प्यार करते हो, आप कोई ग़लत कम नहीं करोगे.
गुलशन- इसी लिए तो बोल रहा हूँ.. मान जाओ ना.. बस आज कर लो बहुत दिन हो गए.. फिर एक महीने तक नहीं कहूँगा.
हेमा- आप बात को समझते क्यों नहीं.. मेरा मन होगा तो बता दूँगी मगर आज नहीं.. अब सो जाओ, रात बहुत हो गई है.

गुलशन जी बहुत देर तक मिन्नतें करते रहे मगर हेमा नहीं मानी और आख़िर हार कर गुलशन जी सो गए मगर बाहर खड़ी सुमन के दिमाग़ में एक तूफान छोड़ गए.

सुमन अपने कमरे में आ गई और अपनी माँ को कोसने लगी कि कैसे वो पापा को तरसा रही है, इसी लिए पापा इतने गुस्से वाले हो गए फिर सुबह वाली बात उसे याद आई वो पापा का खड़ा लंड उसे याद आया.
सुमन- तो क्या पापा मेरे जिस्म को टच करके बेचैन हो गए थे, तभी आज उनके मन में इतनी वासना आ रही थी. छी:.. मैं भी क्या सोच रही हूँ वो मेरे पापा हैं.
सुमन बहुत देर तक अपने आपसे बातें करती रही, फिर कब उसकी आँख लगी, उसको पता भी नहीं चला.

उधर सुधीर रात को मोना के पास आ गया था और वो दोनों कमरे में नंगे एक-दूसरे की बांहों में प्यार में खोए हुए थे.

सुधीर- जानेमन आज तो तुम मुरझाई हुई सी लग रही हो.. सब ठीक तो है ना?
मोना- मेरी तबीयत ठीक नहीं है यार और फिर जानू, आज हमारी आखरी रात है.
सुधीर- अरे क्यों क्या हुआ.. तुम ऐसे क्यों बोल रही हो यार?
मोना- अब क्या बताऊं.. कल गाँव से गोपाल की कोई रिश्तेदार आ रही है अब उसके सामने तो हम कुछ नहीं कर सकते ना..!

सुधीर टेंशन में आ गया, ऐसी मस्त चुत अब उसको कहाँ मिलती, उसने मोना को कहीं बाहर मिलने को कहा.

मोना- बाहर मिलने में ख़तरा है.. फिर भी कभी मौका मिलेगा तो ज़रूर मिल लूँगी. अब बातों में टाइम मत खराब करो, आज जितना चोदना है.. चोद लो. कल से तुम्हें मेरी ये चुत नहीं मिलेगी समझे मेरे आशिक..!
सुधीर- हाँ जानेमन.. आज तो तेरी जमकर चुदाई करूँगा.. ले जल्दी से मेरे लंड को चूस कर रेडी कर दे.

मोना ने सुधीर के लंड को मज़े से चूस कर रेडी किया, फिर सुधीर ने मोना को घोड़ी बनाया और चुदाई शुरू कर दी.

रात भर सुधीर ने मोना को हर तरीके से चोदा और उसको थका दिया, फिर सुबह जल्दी वो घर से निकल गया.

उधर संजय और पूजा भी मस्ती के मूड में थे तो संजय ने सबके सोने का इंतजार किया. जब सब सो गए तो संजय ने पूजा से कहा- अब तैयार हो जा मेरी जान.. सब सो गए हैं आज तेरी मस्त चुदाई करूँगा.

साथियो, मेरी इस सेक्स स्टोरी पर आप मर्यादित भाषा में ही कमेंट्स करें.

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सेक्स की कहानी जारी है.

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