सेक्स इन लव रिलेशन … यही है इस कहानी में! मैं सफाई का काम करती थी. एक दफ्तर में एक अंकल से पहचान हो गयी, दोस्ती हो गयी. यही दोस्ती प्यार में बदल गयी.
लेखक की पिछली कहानी थी: सर ने मेरे दूध चूसकर मुझे दूधवाली बना दिया
अब इस नई कहानी ‘सेक्स इन लव रिलेशन’ का मजा लें.
मेरा नाम स्नेहा है. मैं शादीशुदा औरत हूं. तीन लड़कों की मां हूं. दिखने में काफी खूबसूरत और सेक्सी हूं.
मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है.
मैंने साहिल नाम के युवक के साथ प्रेम विवाह किया था जो रिक्शा चलाकर घर का गुजारा करता था.
लेकिन उसकी इकलौती कमाई से घर नहीं चलता था.
उस हालत में अपने पति का हाथ बंटाने के मकसद से मैंने लोगों के घर में जाकर झाड़ू पौंछे का काम करना शुरू कर दिया था.
मैं विकास मोरे के घर में झाड़ू पौंछे का काम करती थी.
वह उस वक़्त नगर सेवक का चुनाव लड़ रहा था. उसके लिए उसने एक भाड़े का ऑफिस भी लिया था. उसकी देखभाल एक बुजुर्ग अंकल करते थे.
उन्हीं के सुझाव पर विकास मोरे ने मुझे ऑफिस की साफ सफाई का काम सौंपा था.
दूसरे ही दिन मैं अपनी नई ड्यूटी निभाने दफ्तर पहुंच गई.
अंकल कुर्सी पर बैठे थे.
ना तो उन्होंने कुछ पूछा, ना ही मैंने अपना परिचय दिया. मैंने बस सीधे ही अपना काम शुरू कर दिया और काम निपटाकर मैं दूसरे काम के लिए चली गई.
पहले दिन हमारे बीच कोई बात नहीं हुई थी.
दूसरे ही दिन मेरे भीतर ना जाने कौन सी प्रेरणा का स्रोत छलक उठा.
मैंने परिचित व्यकित के अंदाज में अपना परिचय दे दिया- मेरा नाम स्नेहा है, जिसका मतलब होता है प्यार! मैं आपको ढेर सारा प्यार करूंगी और आपकी दोस्त बनकर रहूंगी.
मेरी यह बात सुनकर अंकल के चेहरे पर प्रसन्नता की लहर सी दौड़ गई.
उन्होंने मेरा शुक्रिया अदा किया.
फिर देखते ही दिखते ही हम लोग नजदीक आ गए.
दीवाली के मौके पर मैंने सम्मान के साथ उनके पैर छू लिए तो उन्होंने दीवाली की बख्शीश के तौर पर सौ रुपये दे दिए, साथ में मुझे गले से भी लगाया.
यह एक अद्भुत सुख था.
कुछ दिन बाद मेरी शादी की सालगिरह के बारे में मैंने उनको जानकारी दी तो उन्होंने मुझे जल्दी ऑफिस आने को कहा, वह भी साड़ी पहनकर.
मैंने उनकी दोनों बातें ध्यान में रखीं और जल्दी ऑफिस पहुंच गई.
उन्होंने मुझे विश किया, मुझे गले से लगाया और गणेशजी की मूर्ति का उपहार भी दिया.
अंकल ने मेरे गालों को बड़े प्यार से सहलाया.
मुझे यह बहुत ही अच्छा लगा.
वेलेंटाइन दिन पर उन्होंने फिर से साड़ी पहनकर जल्दी से मुझे ऑफिस में बुलाया.
उसके पहले वह साईं बाबा के मंदिर गए और भगवान से प्रार्थना की- भगवान मुझे यह दिन अच्छी तरह से मनाने के मौका देना.
उनकी यह प्रार्थना सचमुच रंग लाई.
उन्होंने साईं बाबा की फोटो के सामने मुझे विश करते हुए गले से लगाया, बड़े प्यार से मेरे गालों को सहलाया और होंठों के नीचे साइड में एक हल्का चुंबन कर दिया.
मुझे उपहार के तौर ओर छोटी सी राशि मेरे हाथों में थमा दी.
कुछ देर बाद उन्होंने मेरे पास आकर मेरे गालों पर चुंबन लिया.
मुझे इस बात से कोई एतराज नहीं हुआ था.
फ़िर भी इशारों इशारों में मैंने सवाल कर लिया- चुम्मी किस लिए?
उसका कोई जवाब नहीं देते हुए उन्होंने मुझे सवाल किया- तुम्हें बुरा तो नहीं लगा?
मैंने न में सिर हिला दिया.
मेरे लिए यह सर्वाधिक खुशी का मौका था.
अंकल भी खुश दिख रहे थे.
हम लोग ऑफिस के अलावा हमारे घर में भी मिला करते थे.
फिर मेरे मकान मालिक ने घर खाली करवा लिया और हम दूसरी जगह रहने चले गए.
अंकल ने भी ऑफिस छोड़ दिया था इसलिए मैं उन्हें बता नहीं पाई थी.
शायद हमारे रिश्तों का यही अंत लिखा था. दोबारा मिलने की उम्मीद अंकल ने भी छोड़ दी थी.
लेकिन हमारे नसीब में दूसरी बार मिलना लिखा था.
पहली इनिंग्स में हम दोनों के बीच बाप बेटी का पवित्र रिश्ता था लेकिन दूसरी इनिंग्स में बहुत कुछ बदल गया.
एक दिन शाम के समय साहिल घर से बाहर गया था भूख लगने पर वह एक ढकेल पर बड़ा पाव खा रहा था.
उस वक़्त अनायास अंकल की मुलाकात मेरे पति से हो गई. वह पहले ना जाने क्यों अंकल से नाराज रहता था.
लेकिन उन्होंने समय समय पर हमारी काफी मदद की थी, यह जानकर वह अंकल का सम्मान करने लगा था.
उसने अंकल से अच्छी तरह बात की और उन्हें बड़ा पाव भी खिलाया.
इतना ही नहीं बल्कि वह उन्हें घर भी लेकर आया.
उन्हें देखकर मुझे बहुत ख़ुशी मिली.
कुछ दिन पहले साहिल का अकस्मात एक्सीडेंट हुआ था जिसकी वजह से वो सही से चल नहीं पा रहा था.
उसके गुप्तांग के नीचे गहरी चोट लगी थी जिसकी वजह से वैवाहिक सुख को लेकर अड़चन खड़ी हो गई थी.
शायद इसी वजह से सब कुछ बदल गया था. हम दोनों असंतुष्ट थे, सेक्स हमारी जरूरत थी.
अंकल की एक बात मेरे जहन में बस गई थी.
‘मुझे तो मां के दूध का स्वाद याद नहीं!’
वह कभी मुझे भावुक होकर कहते थे.
‘मुझे तुझमें अपनी मां दिखती है!’
हमारी सोच, विचार और आचार व्यवहार में बड़ा परिवर्तन आ गया था.
हम सोचते कुछ थे और भगवान हमें दूसरी दिशा में घसीटने लगा था.
उसकी शुरूआत मुझसे ही हुई थी.
एक बार मेरी कोई गलती पर वह मुझे सजा देने के लिए आमादा हो गए थे.
उन्होंने मुझसे कहा था- मैं तुम्हें बाद में सजा दूंगा!
“क्या सजा दोगे?”
मैं उस वक़्त जमीन पर लेटी हुई थी.
मैंने उनसे सवाल किया था और साथ में ये भी कहा था कि जो सजा देनी है, वह अभी दे दो!
उन्होंने इशारा करके मुझे अपने पास बुलाया और मैं फट से उठकर उनके पास चली गई.
उन्होंने मुझे चुंबन करने को कहा.
मैंने मना किया तो मुझे बांहों में जकड़कर मेरे गालों को चूम लिया और अपना एक हाथ मेरी छाती पर रख दिया.
मैं अभी कुछ कहूं या प्रतिक्रिया प्रदर्शित करूं कि तभी उनका दूसरा हाथ मेरी गांड को सहलाने में व्यस्त हो गया.
उनके उस व्यवहार से मैं उनके वश में आ गई.
फिर भी मैंने अपनी नाराजगी का ढोंग रचाकर सवाल किया.
“आपने कहां कहां हाथ रख दिया? क्या यह अच्छी बात है?”
मेरे गुस्से को सही मानकर उन्होंने मुझे सॉरी भी कहा.
मैं उनके पास से चली गई.
बाद में फोन पर बात हुई, तो मैंने अपना सवाल फोन पर दोहराया.
उन्होंने कहा- तुम्हें अच्छा लगा तो अच्छा … नहीं तो बुरा.
मैंने भी बिंदास कह दिया- मुझे भी अच्छा लगा.
बस यहीं से सब कुछ शुरू हो गया.
अगली बार वह मेरे घर पर आए और मेरी बाजू में बैठकर मेरे कंधों पर हाथ टेक दिया.
उस वक्त घर में कोई नहीं था. मैंने उस वक़्त टी-शर्ट पहन रखी थी.
मैंने फट से अपनी टी-शर्ट को ऊपर कर दिया औऱ मेरे दोनों बूब्स ले जाकर उन के मुँह के पास रख दिए.
वह एक हाथ से मेरा बूब्स दबाने में व्यस्त हो गए औऱ दूसरे को मुँह में लेकर एक छोटे बच्चे की भांति चूसने लगे.
मैं बहुत ही एन्जॉय कर रही थी.
फिर भी मैंने शरारती अन्दाज में सवाल किया- यह क्या कर रहे हो?
वे भी मेरी तरह रंगीन मिजाज में आ गए थे. उन्होंने फट से सेक्सी शब्दों में जवाब दिया- एक छोटे बच्चे की तरह तुम्हारा दूध पी रहा हूं.
उनकी बात सुनकर मेरे निप्पलों की साइज बढ़ गई थी, जिसका मैंने इज़हार भी किया था.
बाद में अंकल ने पहली बार मुझे अपनी बांहों में जकड़कर मेरे होठों पर दीर्घ चुंबन ले लिया औऱ मुझसे गुजारिश की- तुम मुझे इसी तरह अपना दूध पिलाती रहना.
मैंने भी उन्हें वादा कर दिया- हां मैं आपको अपना दूध पिलाने ही बुलाती रहूंगी.
दूसरी बार वह आए तो मैंने अपने ब्लाउज़ को ऊपर उठाकर अपना दूध पिलाना शुरू कर दिया.
वह कभी मेरा दूध पीते थे तो कभी उसे दबाते थे.
मुझे यह बहुत अच्छा लग रहा था.
मैं उनको उकसाती थी और वह अपना जोर लगाते थे, जिससे मेरे मुँह से चीख निकल जाती थी.
दूध पीने की प्रक्रिया संपन्न होने पर मैंने उन्हें ऑफर किया.
‘मेरी चूत में उंगली डालनी है?’
ऐसा मौका भला कौन छोड़ेगा … वे फौरन तैयार हो गए.
मैं फौरन अपनी चड्डी निकालकर उनके हाथ को अपनी चूत तक ले गई.
उन्होंने बड़े इत्मीनान के साथ अपनी तीन उंगलियों को मेरी चूत के भीतर घुसेड़ दीं.
मैं सब कुछ एन्जॉय करती थी. फ़िर भी डर की वजह से झूठ बोलती थी.
उंगलियों की चूत के भीतर डालने के बाद मैंने उनके साबुन से हाथ धुलवाए थे.
एक बार उन्होंने फ़ोन करके बताया कि वह मेरे घर आ रहे हैं.
उस पर मैंने सवाल किया- मेरे साथ क्या करोगे?
“मैं तुम्हें जमीन पर लिटाकर तुम्हारे पर चढ़ जाऊंगा!”
मैंने तुरंत ही उनका इरादा भांप लिया और मजे लेते हुए सवाल किया- क्या आप मेरी चूत में लौड़ा डालोगे?
उन्होंने हां में जवाब दिया.
तो मैंने और सवाल किया- मेरे सारे कपड़े उतारकर ही करोगे न?
“कपड़े उतार सकती हो तो उतार देना. नहीं तो मैं मैक्सी ऊपर कर चड्डी निकाल कर मेरा लौड़ा अन्दर डाल दूंगा!”
फिर वे मेरे घर आए तो मैंने उन्हें दूध पिलाते हुए अपने शरीर पर ले लिया.
उस वक़्त वे मेरा दूध पी रहे थे और उनका लौड़ा मेरी चूत को दबोच रहा था.
उसके बाद तो हमने घर से बाहर मिलना शुरू कर दिया.
हम दोनों पूरे कपड़े उतार देते थे, एक दूसरे के कपड़े भी उतार देते थे.
हमें कभी एक घंटे से ज्यादा समय नहीं मिला था.
उस दौरान हम लोगों ने बहुत कुछ किया था.
मैंने कभी अपने पति का लौड़ा मुँह में नहीं लिया था लेकिन अंकल को लौड़ा चुसवाना बहुत अच्छा लगता था.
मैं उनके लौड़े को मुँह में लेकर चूसती थी, उसको अपनी छाती पर लेकर दबाती थी, रगड़ती थी.
वे भी मेरी चूत को चूसते थे, अपना लौड़ा अन्दर डालते थे.
मुझे अपनी गांड मरवाना अच्छा लगता था. वे अक्सर मेरी गांड मारते थे, उसे चूमते थे, चूसते थे.
मैं उनके होंठों पर चुंबन लेती थी, यही मेरा उनके प्रति के प्यार का सबूत था.
हम दोनों अनुपस्थिति में मोबाइल पर गंदी और सेक्सी बातें करके एक दूसरे का मन बहला लेते थे.
मुझे उनकी बातें अच्छी लगती थीं.
उस वक्त मेरे निप्पल्स बड़े हो जाते थे, चूत में कुछ गीलापन हो जाता था.
बार बार अंकल की याद मुझे अपनी चूत खुजलाने को विवश करती थी.
वे अक्सर मुझे किचन में जाने को कहते थे.
उनके कहने पर मैं मैक्सी और चड्डी निकाल देती थी और ऐसी कल्पना करती थी कि वह मेरे होंठों को चूम रहे हैं, मेरी छातियों को दबा रहे हैं, मेरी चूचियों को मसलते हुए दबोच रहे हैं और सचमुच में अपने मुँह से चीख भी निकाल देती थी.
वे मुझे उनके होंठों पर चुंबन लेने को कहते थे और मैं उसे असली बनाने के लिए किस जैसी आवाज भी निकालती थी.
अपनी दो उंगलियों को अपनी चूत के भीतर डालकर ऐसा सोचती थी मानो अंकल का लौड़ा मेरी चूत के भीतर है.
मैं अपना थूक अपनी छाती पर लगाकर ऐसा सोचती थी, जैसे अंकल ने उसे चूसकर गीला कर दिया है.
वही दो उंगलियों के मुँह में डालकर उसे अंकल का लौड़ा समझकर चूसती थी.
अपनी ही उंगलियों को गांड में डालकर उनसे गांड मरवाने का आनन्द लेती थी.
सचमुच भगवान ने हमे साथ मे लाकर सच्चे प्रेम का साक्षात्कार ही नहीं करवाया बल्कि सेक्स की नई परिभाषा सिखाई है.
अंकल ने जरूरत के समय पैसों की भी मदद की है.
पैसे वापस लौटाने का हम लोगों ने वादा किया था लेकिन एक पैसा भी वापस नहीं कर पाए थे.
इसमें भी कोरोना का ही हाथ था.
उनके पास भी पैसे नहीं थे.
इन हालात में उन्होंने दूसरों से पैसे लेकर हमें पैसे दिये थे.
वे सचमुच देवता पुरूष थे, इसी बात ने उनके प्रति के मेरे प्यार को बढ़ा दिया था.
प्यार में सब कुछ जायज है, सेक्स इन लव रिलेशन … यह सोचकर हम यहां तक आ गए थे.
दुनिया की नजर में हमारा कदम गलत था. लेकिन इतना कुछ भगवान की मर्जी के बिना संभव नहीं था. उसकी जो कुछ सजा हो, भगवान मुझे दे देना.
वह भी मेरे लिए भगवान से प्रार्थना करते थे. सारी सजा उनको ही मिल जाए.
अंकल से हुआ प्यार मेरे लिए अद्भुत था. आपको मेरी सेक्स इन लव रिलेशन कहानी कैसी लगी … प्लीज़ मुझे मेल करें.
स्नेहा
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