स्कूल की प्रिंसिपल के साथ चुदाई का मजा

Xxx लेडी टीचर सेक्स कहानी में मैंने एक स्कूल की प्रिंसिपल को उसके घर में आगे पीछे से चोदा. मेरी कहानी पढ़ कर उसने खुद मुझे अपने घर बुलाया था.

आप सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों और मेरी कहानियों को पढ़ने वालों को मेरा नमस्कार.
मैं आशा करता हूँ कि सब अपने अपने सुहाने रिश्तों में मज़े कर रहे होंगे और आनन्द भी ले रहे होंगे.

आपने मेरी और फरियाल वाली कहानी
पिया गए परदेस … लंड की याद सताती है
पढ़ी.
मुझे बहुत मेल आए और अच्छा भी लगा कि आपको मेरी सच्ची सेक्स कहानी पसंद आई.

आज की Xxx लेडी टीचर सेक्स कहानी का टॉपिक देख कर आप समझ गए होंगे कि इस बार क्या सुहाना है और कैसी सुहानी चुदाई है.

एक बार फिर से अपना परिचय दे देता हूँ.
मैं पंकज सोनी अजमेर राजस्थान से हूँ.
लॉकडाउन के बाद बॉडी मसाज कम्पनी तो अब है नहीं, अब तो क्लब है.

मसाज क्लब में मैं मैनेजर हूँ और उन औरतों और लड़कियों की बॉडी मसाज करता हूँ, जो सेक्स के चरम सुख से बहुत दूर हैं.

मैं तो ये बोलता हूं कि जिन औरतों को सेक्स से खुशी और चरम सीमा वाला सुख नहीं मिल रहा है, उनको भी ये सुख मिलना चाहिए चाहे जैसे भी मिले, पर मन को भरोसे में लेकर ही ऐसे करें, नहीं तो गलत भी हो सकता है.

यहां मैं सिर्फ वही सब बताता हूं, जो मुझे अच्छा लगता है.
मैं मेरी मसाज या सेक्स की सारी बातें नहीं बताता हूं क्योंकि कुछ प्राइवेट भी होता है.

यह कहानी है सुहानी (काल्पनिक नाम) की, जो मुझे मिली या बोलो तो मैं उससे मिला.

सुहानी एक स्कूल में प्रिंसिपल पोस्ट पर है और यहीं राजस्थान के कोटा शहर से है.

उसका मैसेज मुझे मेरे ईमेल पर मिला था.
उसमें लिखा था कि उसने मेरी कहानी पढ़ी और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए उसने मुझे इमेल किया है.

जब ये ईमेल मुझे मिला, तब मैं घर पर ही था.
तो मैंने उसको रिप्लाई किया- आपका बहुत बहुत शुक्रिया कि आपको मेरी कहानी पसंद आई. आपकी इच्छाओं को पूरा करने की मैं कोशिश करूंगा.

इतना लिख कर मैंने उसके ईमेल का जवाब दे दिया.
दस पन्द्रह मिनट हुए कि उसका रिप्लाई आ गया.

उसमें लिखा था.
‘मेरा नाम सुहानी है और मैं स्कूल में प्रिंसिपल हूँ. मेरे पति तीन साल पहले गुजर गए हैं. मेरी एक जवान लड़की है, जो पुणे में जॉब करती है. मैं कोटा में अकेली रहती हूं. तीन साल से मैं बॉडी से, दिल से और दिमाग से इतनी प्यासी हूँ कि मैं बस पागल ही नहीं हो सकी हूँ. इस वजह से मुझे ऐसे इंसान की जरूरत है, जो मुझे पूरा चरम सुख दे और वो इतना भरोसे वाला भी हो, जिससे मुझे डर भी ना रहे. इसलिए मैं तुमसे बात कर रही हूँ.’

सुहानी का ईमेल पढ़ कर मैंने उसको रिप्लाई दिया- मैं आशा करता हूँ कि मैं तुम्हारे भरोसे पर पूरा उतरूं, जो भी तुम्हारी इच्छा है … वो मैं पूरी करूं. तुम्हारा जब भी मन हो, तब मुझे वो दिन और टाइम बता देना, मैं आ जाऊंगा. साथ तुम अपनी एक तस्वीर और अपना व्हाट्सएप नंबर भी भेज देना.

इतना लिख कर मैं अपने काम में वापस लग गया.

चार पांच दिन बाद उसका मेल आया, जिसमें उसका नंबर और उसका एक फोटो था.
सुहानी की उम्र लगभग चालीस के आसपास की रही होगी.

फिर मैंने उनको व्हाट्सएप पर हैलो का मैसेज किया.

तभी उसका भी रिप्लाई आया- कौन!
तो मैंने कहा- पंकज अजमेर से.

तो उसने लिखा- अरे हैलो … तुम्हारे ही मैसेज का इंतज़ार कर रही थी.
फिर वहीं हम दोनों की बातें होने लगीं.

इतनी बातें होने के बाद उसने मुझसे पूछा- तुम कोटा कब आ सकते हो?
मैंने भी लिख दिया- अगर तुम्हारा मन है, तो अभी आ जाता हूं.

उसने स्माइली इमोजी भेज कर लिखा- अभी नहीं, परसों आओ.
उसने अपने घर का पता भी भेज दिया.

वैसे तो अजमेर से कोटा की बहुत सी ट्रेन हैं पर मैं कार लेकर जाना पसंद करता हूँ.

मैं उसके बताए हुए दिन पर कोटा आ गया.
उधर पहुँच कर मैंने सुहानी को मैसेज किया कि मैं तुम्हारे घर पर आने वाला हूँ.
उसने लिखा कि आ जाओ, मैं इंतज़ार ही कर रही हूँ.

मैं नॉनस्टॉप उसके घर की ओर निकल गया.
उसके घर पर आते ही मैंने कार में खुद पर परफ्यूम लगाया और कार से बैग लेकर उसके घर की डोरबेल बजाई.

डोरबेल बजते ही सुहानी ने ऐसे गेट खोल दिया जैसे वो गेट पर ही थी.

उसने हैलो बोला और मैंने हाय.
फिर वो और मैं उसके घर में आ गए.

हम दोनों बैठ गए.

उसने पूछा- कैसा रहा सफर?
मैंने कहा- आने की जल्दी इतनी थी कि कोटा कब आ गया, पता ही नहीं चला.

वो ‘अच्छा जी …’ बोल कर हंसने लगी.
जब वो हंसने में और बातों में थी, तो मेरी निगाहें उसके शरीर को ताड़ रही थीं.

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दोस्तो, उसकी उम्र से बिल्कुल नहीं लग रहा था कि वो एक बयालीस साल की औरत है.
उसके शरीर से वो तीस पैंतीस साल की लग रही थी.

मुझे ऐसे देख कर वो बोली- क्या देख रहे हो … नहीं लगती न मैं इतनी उम्र की?
मैंने कहा- हां यार … इसका क्या राज़ है?
सुहानी बोली- इसका राज़ है योग और आराम … और काम से काम.

मैंने कहा- सच में कसम से कह रहा हूँ कि तुम बहुत अच्छी लग रही हो.
वो बोली- तुम भी हैंडसम हो. मुझे बेहद पसंद आए. अब यहीं पर बात करनी है या जिस काम के लिए बुलाया है, वो भी करना है?

मैंने उससे कहा- सुहानी तुम्हारी बात सही है, पर यार पहले मैं नहाऊंगा, फिर खाना खाऊंगा. उसके बाद जो करना है, वो करूंगा.
वो हंसने लगी और बोली कि मैंने पढ़ा था तुमने फ़रियाल के यहां भी जाते ही खाना खाया था.

मैंने बोला- हां क्या करूं, जब मेरे में ताकत आएगी तभी तो मैं आगे ताकत से काम कर सकूंगा.
तो सुहानी जोर जोर से हंसने लगी और बोली- वो है मेरा रूम, वहीं बाथरूम भी है. वहां नहा लो, जब तक मैं खाने की तैयारी करती हूं.

उसके बाद मैं सुहानी के रूम में गया.
उसका रूम बहुत ही अच्छा था.

मैंने वहां अपने कपड़े खोले और सुहानी का टॉवल लेकर नहाने चला गया.

बाथरूम में सुहानी की गीली ब्रा और पैंटी थी.
पैंटी में उसकी चुत की मलाई लगी थी.

मैंने जितना सोचा था, सुहानी मेरी उस सोच से ज्यादा ही प्यासी लग रही थी.

मैं नहाने लगा.
नहा कर जब मैं बाहर आने लगा तो मैं बिना टॉवल के ही था.

जैसे ही रूम में आया, तो वहां सुहानी बैठी थी.

मैं वापस बाथरूम में जाने लगा, तो सुहानी ने आवाज़ दी- पंकज रुको, क्या हुआ … वापस क्यों जा रहे हो. ऐसे ही बाहर आ जाओ … और ऐसे ही बैठकर खाना खाओ ना!
मैंने कहा- सुहानी, मैं टॉवल पहन कर आता हूं, फिर खाना खाते हैं.

सुहानी बोली- नहीं, ऐसे ही आओ और बिना टॉवल के यहां बैठ कर खाना खाओ.
मैंने कहा- बिना कपड़ों के खाना कौन खाता है यार?

सुहानी बोली- खाता तो कोई नहीं है, पर तुमको खाना है प्लीज़.
मैंने कहा- ठीक है, पर तुम भी अपने सारे कपड़े खोलो और मेरे साथ खाना खाओ.

सुहानी बोली- मुझे खाने की भूख नहीं है पंकज. मुझे जिस चीज की भूख है, वो तुम दोगे, तो मैं अभी कपड़े खोल देती हूँ.
मैंने कहा- सुहानी खाना खा लो, फिर जो मेरे से लेना है … ले लेना और जो मुझे देना है, वो मैं तुमको दे दूँगा.

तब कहीं सुहानी ने कपड़े खोले और मेरे साथ खाने बैठी.
बिना कपड़ों के सुहानी इतनी प्यारी लग रही थी कि जैसे बटर नान … वाह मज़ा आ रहा था.

उसको ऐसे देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा था और सुहानी की नज़र भी मेरे लंड पर ही थी.
सुहानी बोली- लगता है तुम्हारे शरीर में ताकत आने लगी है.

मैंने कहा- ताकत तो बहुत है, पर तुम मेरे लंड को इतने प्यार से देख रही हो ना … तो उसको अब शर्म आ रही है.
सुहानी बोली- शर्म में तो मुँह छुपाते हैं … पर ये तो खड़ा हो रहा है.

तो मैंने कहा- ये बेशर्म है इसलिए साला औकात दिखा रहा है.
सुहानी हंस कर बोली- उसे गाली मत दो.

ऐसे ही बात करते करते हम दोनों ने खाना खाया.
सुहानी ने खाने की प्लेट्स नीचे रख दीं और मेरे ऊपर आ गई.
उसके लिए मैं तैयार ही था.

अब मैं आपको सुहानी का फिगर बताता हूं.

सुहानी एक बयालीस साल की विधवा है.
उसका फिगर कुछ ऐसा है. बूब्स 38 कमर 32 और सबसे खूबसूरत उसकी गांड … ओहो 44 की उसकी गांड ऐसी मस्त कि बस एक बार पकड़ कर खा लो तो लाल लाल हो जाए.

सुहानी मेरे ऊपर आते ही चूमने लगी और मैं उसके दोनों होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

सुहानी बस अपनी आंखें बंद करके होंठ चूसने के मज़े ले रही थी और अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी.
फिर मैंने उसके एक बूब को मुँह में लेकर चूसने लगा तो सुहानी मेरे सर को कसके अपने मम्मों पर दबाने लगी.

मैं सुहानी के निप्पल को काटने और चूसने लगा.
ऐसे करते करते सुहानी ने मेरे लंड को पकड़ा और चूत में लेने की कोशिश करने लगी.

मैंने उसको रोका और कहा- सुहानी, तुम्हारी चूत में तीन साल से लंड नहीं गया है. तुम्हारी चूत टाइट होगी, एक काम करो मेरे ऊपर लेट जाओ और सिक्सटी नाइन की पोजीशन में आ जाओ.

सुहानी जल्दी से सिक्सटी नाइन की पोजीशन में आ गई और वो मेरे लंड को ऐसे चूसने लगी थी कि मैं मस्त हो गया.
उसके चूसने से मेरे लंड की नसें उभर आई थीं और लंड पर उसके मुँह का दवाब इतना ज्यादा था कि ऐसा लगा कि अभी मेरा पानी निकल जाएगा.

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पर मैंने खुद पर कंट्रोल किया और उसकी प्यासी चूत को अपने मुँह में लेकर पूरा चूसने लगा.
आह हाय क्या तो चूत थी साली की. थोड़ी सांवली थी, पर उसका जो स्वाद था ना … वो शायद इसी उम्र में आता है.

मैं उसकी चूत को खाने चूसने लगा.
मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल कर सुहानी ऐसे आहें भर रही थी जैसे सनी लियोनी भी नहीं लेती होगी.

सुहानी की चूत चूसते हुए और उसको मेरा लंड चूसते हुए काफी देर हो गई थी.
अब सुहानी की चूत अपना पानी निकालने को उछल रही थी.

सुहानी अपनी चूत मेरे मुँह पर पूरे जोर से रगड़ने लगी और उसने सारा पानी मेरे मुँह पर निकाल दिया.
वो थक कर निढाल हो गई और स्लो स्लो मेरे लंड को चूसने लगी.

मैंने कहा- सुहानी मेरा पानी कहां निकलवाना है, बताओ?
तो सुहानी बोली- यदि जल्दी न हो तो मेरी चूत में निकालना. वरना बाहर निकल जाओ.

मैंने सुहानी को अपने ऊपर लेटाया और उसकी चूत में लंड ऐसे डाला, जैसे जैम में चाकू.

सुहानी ने मेरे सीने पर मेरे निपल्स को भर लिया और बोली- पंकज रुक जाओ, प्यार से करो.
मैंने कहा- प्यार से ही कर रहा हूँ, पर तुम्हारी चूत को प्यार नहीं, अब थोड़ा हवस चाहिए.

सुहानी ने आंखें बंद कर लीं और उसके आंसू आने लगे.
मैं समझ गया कि ये उसकी खुशी के आंसू हैं, जो तीन साल के बाद उसे मिली है.

फिर सुहानी ने अपना पूरा जोर लगा कर मेरे लौड़े पर ऐसे ऐसे उछल कूद की कि पलंग की भी चां चूं चूं की आवाज़ आ गई.
सुहानी कभी मेरे होंठ खाती, कभी खुद अपने बूब्स दबाती.

ऐसे करते करते मैंने सुहानी की गांड में उंगली डाल दी, जिससे सुहानी की आंखें खुल गईं.
वो बोली- गांड में मसाज के बाद लंड डालना … अभी नहीं.

फिर वो अपनी मर्ज़ी से मेरे लौड़े को ऐसे धक्के मारने लगी थी, जैसे वो किसी पागल घोड़े की सवारी कर रही हो.
मैं भी पूरे जोश में आ गया और सुहानी का फिर से पानी निकल गया.

सुहानी मेरे ऊपर लेट कर बोली- पंकज, अब मैं थक गई हूं, मैं नहीं कर सकती हूं. अब तुम करो.
मैंने कहा- ठीक है, अब मैं करता हूँ.

सुहानी को अपने ऊपर से उठा कर मैंने उसको घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लौड़ा पेल कर उसको शॉट मारने लगा. सुहानी की कमर, उसकी गांड से पसीना निकल कर मेरे लौड़े पर आ रहा था.

मैं उसके ऊपर लेट कर उसके बूब्स दबा रहा था.
सुहानी काफी गर्म थी ये उसकी पीठ बता रही थी.

थोड़ी देर बाद उसको पलंग पर लेटा कर उसकी दोनों टांगें खोल कर उसकी चूत में लौड़ा पेला और शॉट मारना चालू कर दिया.
सुहानी बोली- पंकज तुम सेक्स की दवाई लेते हो क्या?

मैंने कहा- नहीं.
तो बोली- फिर इतना टाइम कैसे ले रहे हो?

मैंने बोला- ये अन्दर की बात है, पर मैं सेक्स पावर वाली दवाई नहीं लेता हूं.
मैं सुहानी की चूत को रगड़ रगड़ कर चोदने लगा.

सुहानी अब पूरी सुहानी लग रही थी.
उसके बूब्स, उसका पेट, उसके गाल सब सुहाने हो गए थे.

सुहानी को चोदते हुए मुझे काफी देर हो गई थी. उसकी चूत पानी पानी हो गई थी.

मैंने सुहानी का एक पैर लेकर उसके पैरों की उंगलियां चूसने लगा.
ऐसा करते वक़्त सुहानी के चेहरे से साफ लग रहा था कि उसको जिस सुख की इच्छा थी, वो पूरी हो रही है.

पांच मिनट बाद मैंने बिना पूछे सुहानी की चूत में अपना माल निकाल दिया और उसके बूब्स चूसने लगा.
सुहानी मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोली- पंकज आई लव यू.
मैंने भी बोल दिया- लव यू टू जान.

थकान ज्यादा हो गई थी तो मैं और सुहानी दोनों ऐसे ही सो गए.

फिर रात को जाग कर हम दोनों नहाये, खाना खाया और सुहानी की पूरी रात मसाज भी की.

मैंने उसको दो बार चोदा.
एक बार उसकी चूत में … और एक बार उसकी गांड में लंड पेला.

तीन दिन तक सुहानी को चोदने के बाद और उसकी मसाज के बाद जब मैं जाने लगा.
तब उस Xxx लेडी टीचर ने मुझसे हंस कर कहा- अब जब भी बुलाऊं, तुम आओगे न?
मैंने भी कहा- अरे वाह इतना पसंद आ गया मैं … ठीक है मेरी मैडम.

तब से लेकर आज तक सुहानी को मैंने इतना चोदा है कि अब वो पहले से ज्यादा सुहानी और मस्तानी हो गई है.

आशा करता हूँ कि ये Xxx लेडी टीचर सेक्स कहानी आप सभी को पसंद आई होगी.
तो मुझे मेरी ईमेल पर मैसेज जरूर से करना.
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