सौतेली माँ के साथ चूत चुदाई की यादें-1

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मेरी कहानी
पापा की चुदक्कड़ सेक्रेटरी की चालाकी
का आगे का भाग मैं आप सभी प्रिय पाठकों की सेवा में भेज रही हूँ. मैंने बहुत कोशिश की, इसे हिन्दी में (देवनागरी में लिखने की) जो हो भी गई थी मगर बदक़िस्मती से ना तो सेव हो पाई ना ही उस का मेल हुआ और ना ही डाउनलोड हुई, रिज़ल्ट ये हुआ कि सब डिलीट हो गई. तब मुझे फिर से पूरी कहानी लिखनी पड़ी.

मुझे बहुत से पाठकों के मेल मिले हैं और उसमें से कुछ ने चुदाई भरी चैट करने की भी कोशिश की है. मगर मैं कहना चाहती हूँ कि मैं एक शादीशुदा औरत हूँ और अपने घर को और अपने परिवार को सबसे पहले देखना ज़रूरी होता है. इसलिए मैं किसी से भी इस तरह की चैट नहीं कर सकती. मैं नहीं चाहती कि मेरी शादी शुदा लाइफ में कोई भूचाल आ जाए.

मैं उन सबका धन्यवाद करती हूँ, जिन्होंने मेरी कहानी को पढ़ा और उनको मेरी आपबीती को जानकर अच्छा लगा. मेरी पहली कहानी
मैं कॉलगर्ल कैसे बन गई
एक सच्ची चुदाई की कहानी थी, जो मेरी ना हो कर किसी और की थी. मेरी किसी फ्रेंड ने जो किसी ऑफिस में काम करती है, उसी ने उससे मिलवाया था. उससे प्रॉमिस किया था कि उसकी कहानी लिख कर नेट पर डालूंगी और उसका कभी जिक्र नहीं होगा. मैंने इसलिए मैंने इस चरित्र को खुद पर ढाल कर कहानी लिखी है,
जिससे यह समझा जाए कि यह मेरी कहानी है. मुझे लगता है कि मैं इसमें किसी हद तक सफल भी रही हूँ. मगर यह कहानी एक कहानी ही है और इसके सभी पात्र कपोल कल्पित हैं.

आपने मेरी पिछली कहानी में पढ़ा था कि मेरी सौतेली माँ बिंदु ने मुझे अपने सगे बेटे से चुदवा दिया था, जोकि मेरे पापा की जानकारी में नहीं था. बिंदु माँ ने मुझे सेक्स का आदी बना दिया था, जिस कारण अब मुझे बिना लंड लिए चैन ही नहीं पड़ता था. लेकिन उसके हरामी बेटे आशीष की गंदी मानसकिता के चलते बिंदु खुद भी अपने बेटे आशीष की कामवासना का शिकार हो गई. उसके बेटे आशीष ने अपनी सगी माँ को मेरे सामने चोद दिया था.

अब आगे..

अब बिंदु मुझसे खुल कर बात नहीं करती थी क्योंकि उसको उसी के रियल बेटे ने मेरे सामने चोदा था. उसे मुझसे आँख मिलाने में झिझक होती थी. मगर वो मुझे चुदक्कड़ बना चुकी थी. अब लंड मुझे सपनों में भी नज़र आता था. फिर एक दिन मैंने ही उनकी झिझक को दूर किया.

एक दिन मैं उनसे बोली- आप मेरी माँ तो नहीं हैं, मगर होतीं तो मुझे इस तरह से ना चुदवातीं. अब मैं आपको सबके सामने माँ जैसा आदर दे भी दूँ मगर आपको अकेले में आपके नाम से ही बुलाऊंगी और आपको अपनी फ्रेंड मानूँगी ना की माँ.

बिंदु माँ मेरा मुँह देखती रहीं, मगर कुछ ना बोल पाईं. फिर मैंने उनसे कहा- देखिए बिंदु जी, अब जो होना था सो हो गया. जिस लंड ने मुझे चोदा है, वो ही आपको भी चोद गया. अब तो हम एक दूसरे की सौतन जैसी ही हुई ना. फिर एक दूसरे से किस बात कि शर्म करनी. अब खुल कर चुदवाओ, जब तुमने ही मुझे चुदवाना सिखाया है, तो आगे का पाठ भी तो आप ही सिख़ाओगी ना. आज के बाद तुम भी खुल कर चुदो और मुझे भी चुदवाओ. अब शर्म छोड़ो, हम दोनों एक ही नाव में सवार हैं. डूबना या तैरना साथ साथ ही है.

इसके साथ ही मैंने उनको माँ मानना छोड़ दिया और उनके लिए आगे इस कहानी में भी एक फ्रेंड जैसा सम्बोधन ही लिखूंगी.

मेरी इस भाषा को सुनकर बिंदु नॉर्मल हो गई और उसके हाव भाव से लगता था कि अन्दर से वो खुश है क्योंकि वो समझती थी कि शायद मैं पापा को कुछ ना बता दूं.

अब रोज़ पापा के ऑफिस चले जाने के बाद हमारा दोनों का नंगा नाच शुरू हो जाता था. एक दूसरे के मम्मों को दबाना चूचियों को चूसना, चुत चुसवाना और चूसना आम बात हो चली थी. वो रोज़ मुझे नई नई ब्लू फ़िल्में दिखाती थी, जिसका असर ये हुआ कि मुझ पर जवानी की चुदास उम्र से पहले ही चढ़ गई. मैं उस समय जवानी की दहलीज पर थी, मगर चुदाई के मामले में एक 25 साल की चुदक्कड़ औरत की उम्र को भी पार कर चुकी थी.

जब जब तीन चार दिन की छुट्टियां होती थीं, आशीष हॉस्टल से घर आ जाता था. वो रात को मुझे चोदता था… और सुबह पापा के ऑफिस चले जाने के बाद हम दोनों को चोदता था. मेरे मम्मे अब पूरे संतरे बन चुके थे, निप्पल पूरे बेर की तरह के तन चुके थे.

खैर इस तरह से सब कुछ वासना का खेल होता रहा. जब वार्षिक छुट्टियां हुईं तो आशीष अपने साथ अपने किसी फ्रेंड को भी ले आया.
वो घर आकर बोला कि इसके मम्मी पापा विदेश में हैं और इधर यह अकेला रह गया था इसलिए इसे मैं साथ ले आया.

वो लड़का शक्ल सूरत से बहुत सुंदर था. मुझे उसे देख कर ही उसका लंड लेने की तमन्ना उठ गई. जब जब वो मेरे सामने आता था, मेरी चुत गीली हो जाती थी. उसको रहने के लिए मेरे पापा ने गेस्ट रूम दे दिया था. मुझे नहीं पता था कि आशीष और उसके दोस्त, जिसका नाम चंदर था, में आपस में कौन सी खिचड़ी पक रही थी.

एक दिन वो कोई बहाना बना कर आशीष के कमरे में रात को रहा और जैसे ही आशीष मेरे कमरे में दाखिल हुआ, वो दरवाजे पर इस तरह से खड़ा हो गया कि वो तो मुझे देख पाए मगर मैं उसको ना देख सकूँ.

आशीष तो आते ही मुझ पर चढ़ गया और जैसे ही उसका लंड मेरी चूत में घुसा, चंदर भी कमरे में आ गया.
वो बोला- आशीष, दोस्ती गई भाड़ में, मैं अभी अंकल से बोलता हूँ कि यहाँ पर क्या हो रहा है.

इसका असर आशीष पर क्या हुआ, वो तो मुझे नहीं पता, मगर मेरी तो जान ही निकल गई. मैं नीचे अपनी चुत में आशीष का लंड लिए उसके आगे हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगी.

उसने नजदीक आते हुए कहा- ठीक है अगर मुझे अपना मुँह बंद रखना है.. तो उसके लिए फीस भी देना होगी.
मैंने अपनी चुत में लंड की हरकत से कसमसाते हुए कहा- कितने पैसे देने होंगे?
वो बोला- पैसे तो मैं तुमको दे दूँगा.. तुम्हें यह अपनी चुत मुझसे भी चुदवानी पड़ेगी.

उसके मुँह से मुझे चोदने की बात सुन कर मुझे जितनी खुशी हुई, मैं कह नहीं सकती थी, मगर मैंने आशीष के लंड को अपने चूतड़ों से उठाते हुए कहा- चंदर मुझ पर रहम करो, मैं कोई बाजारू लड़की नहीं हूँ.
उधर चंदर था कि टस से मस नहीं हो रहा था. उसने कहा- जल्दी बोलो वरना अभी अंकल को बुलाता हूँ.
मैंने कहा- ठीक है एक बार ही करने दूँगी.
वो बोला- इसके लंड से चुदने के बाद मेरे कमरे आओ तो सही, फिर देखता हूँ.

इतना कह कर वो मेरे दूध मसल कर चला गया. अब उसके लंड की चाहत में मैं आशीष से दुगने जोश से चुदी.

आशीष से चुद कर मैं उसके गेस्ट रूम में चली गई, वहाँ पर वो अकेला ही था. मुझे देखते ही बोला- कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जाओ, जैसे आशीष के साथ थीं. बाथरूम में जाकर पहले अपनी चूत को अन्दर बाहर से साबुन से अच्छी तरह धो लो. अभी कुछ देर पहले ही आशीष का लंड इसमें घुसा हुआ था.. मुझे उसके लंड से चुदी हुई चुत को चोदने में मजा नहीं आएगा. तुम अपनी चूत को इतना साफ़ करके आना कि आशीष के लंड की जरा सी भी महक ना आए.

मैं जाकर बाथरूम में अपनी चुत की अच्छी तरह से सफाई करके बाहर आ गई. मैंने अपने पूरे कपड़े भी उतार दिए थे.

कमरे में चंदर भी नंगा बैठा अपना लंड हिलाता हुआ मेरा इंतज़ार कर रहा था उसका लंड तन्नाया हुआ खड़ा था, जैसे वो मेरी चूत का कई दिनों से इंतज़ार कर रहा हो.
चंदर मुझसे बोला- मेरे सामने खड़ी हो जाओ.

जैसे ही मैं उसके पास गई, वो मेरी चुत पर अपना मुँह लगा कर उसको चूसने लग गया, फिर बोला- अब बेड पर लेट जाओ और अपनी चुत खोल कर टांगें फैला लो. मैं तेरी टांगें खोल कर चुत को देख देख कर चुसाई करूँगा.
इस तरह से उसने मेरा पानी अपने मुँह में ही निकलवा दिया.

उसके बाद बोला- अब मेरा लंड अपने मुँह में लो.
मैं उसका हर एक कहना इस तरह से मान रही थी, जैसे कोई बच्चा अपने माँ बाप का कहना मानता हो.

खैर इसके बाद उसने चुदाई का खेल शुरू किया. उसका लंड आशीष के लंड से जरा लंबा और मोटा था. उसने अपने थूक मेरी चूत पर लगा दिया. फिर जहाँ पर उसका थूक लगा था, उधर से मेरी चूत में अपने लंड को डालना शुरू किया. उसका लंड धीरे धीरे मेरी चूत में घुसने लग गया. जैसे ही उसका पूरा लंड मेरी चुत में घुसा, मेरे मुख से निकला- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उसने जोर जोर से धक्के मारने शुरू किए.

अब मैं भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, मैं तो खुद दिन रात उसके लंड से चुदने के सपने देखा करती थी. मैंने भी उसके लंड के हर धक्के का जवाब अपनी गांड उठाते हुए तगड़े धक्कों से देना शुरू किया.

चंदर मुझे धकापेल चोदते हुए बोला- आह जान मज़ा आ गया… आज तुम्हारी चूत से मेरा लंड निहाल हो गया. एक बात बता दूं तुमको, मैं असल में आंटी को चोदने के लिए आया था, तुम तो बोनस में मिल गईं. मगर अब लगता है असल माल तो तुम ही थीं. आंटी तो बेकार में भोसड़ा लिए घूमती हैं.

मैं भी मजे से अपनी चुत में दूसरा लंड लेकर बहुत खुश थी और मजे से चुद रही थी.

जब उसका लंड पानी छोड़ने को हुआ तो वो बोला- अपना मुँह खोलो, उसमें पानी डालूँगा क्योंकि चुदाई करने से पहले मैंने कोई सावधानी नहीं ली. वरना तुम्हारे लिए कोई मुसीबत खड़ी हो जाएगी.
मैं उसके लंड का सारा मसाला मुँह मे ले कर पी गई. इस तरह से उससे चुद कर मैं अपने रूम में वापिस आ गई.

अगले दिन जब पापा ऑफिस चले गए तो हम तीनों ने नंगा नाच शुरू कर दिया. आशीष ने अपनी माँ (बिंदु की चुत में उंगली डाल रखी थी और मेरे साथ ही दूसरे हाथ से वो मेरे मम्मों को दबा रहा था.

इतने में चंदर रूम में घुस आया. हमें चुदाई का खेलते हुए देख कर बोला- यह क्या हो रहा है आंटी. लगता है अंकल से ये सब कहना ही पड़ेगा कि उनका घर एक रंडीखाना बन चुका है.

इस बात का ना तो मुझ पर और ना ही आशीष पर कुछ असर हुआ, मगर बिंदु बहुत ही अधिक डर गई. वो उससे बोली- बेटा, मेरी इज्जत अब तुम्हारे हाथ में है.
वो भी पक्का चोदू था, बोला- नहीं आंटी आपकी इज्जत तो अब मेरे लंड में बस में है.. अगर आप इसका कुछ इंतज़ाम करो तो मैं चुप रहूँगा.

शायद आशीष ने बिंदु को बता दिया था कि चंदर मुझे चोद चुका है. इसलिए बिंदु बोली- तुमको नेहा की चुत तो मिल गई है.. हां अगर अभी उसको और चोदना है, तो आ जाओ फिर से चोद लो.
वो बोला- नहीं आंटी, मुझे कोई पक्की खिलाड़िन चाहिए.. जैसे कि आप हो. अगर मंजूर हो तो मेरे रूम में दो घंटे के बाद आ जाना वरना मैं अंकल से सब कुछ बोल दूँगा. मैंने आपकी चुदते हुए की पिक्चर अपने मोबाइल पर ले ली है.

बिंदु ये सुनकर बहुत डर गई और बोली- मैं अभी ही तेरे साथ चले चलती हूँ मगर पहले मेरे सामने उस पिक्चर को डिलीट करो और मुझे वो फोन दिखाओ कि मुझको फंसाने के लिए उसमें कुछ और तो नहीं है.
वो बोला- नहीं आंटी, अगर आपकी चुत मिल जाएगी तो मैं यह फोन आपके पास ही छोड़ दूँगा. बस इसका सिम कार्ड ही लूँगा ताकि मेरे कॉंटॅक्ट्स मेरे पास रहें. अब तो आपको तसल्ली है ना. चलो अब मेरे रूम में चलते हैं, मेरे लंड को खुश करने के लिए आपकी चुत को अपनी मेहनत दिखानी है.

अब मैं और आशीष चुदाई के लिए रह गए थे. बिंदु चंदर के साथ अपनी चुत चुदाई के लिए चली गई.

साथियो, आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी.
पूनम चोपड़ा
[email protected]
ये रसभरी चुदाई की कहानी जारी है.

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