ससुर बहू Xxx कहानी मेरी चूत को लंड की जरूरत की है। मेरे ससुर की नजर मेरे गर्म बदन पर थी. मैं मायके गयी तो ससुरजी मुझे लिवाने आ गए।
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सभी दोस्तों को मेरा प्रणाम!
अन्तर्वासना पर मेरी रियल चुदाई स्टोरी प्रकाशित होते ही मेरा मेल बॉक्स पाठकों के मैसेज से भर गया। आप सभी का बहुत सारा प्यार मिला।
बहुत से मर्दों ने मुझे मेल किया कि मेरी चुदाई की कहानी का अगला भाग कब प्रकाशित होगा।
किसी मर्द ने कहा कि आपकी चूत चोदन की कहानी पढ़ने के बाद तो मेरा (लंड) बैठ ही नहीं रहा है।
कोई तो मेरा ऐसा दीवाना हुआ कि मिलने के लिए आंखें बिछाये बैठा है।
मैं उन सभी चाहने वालों से खेद के साथ कह रही हूं कि कहानी आने में ज्यादा समय लग गया।
अब तो मैं गुलाब के बच्चे की मां बनने वाली हूं और घर पर रहकर ही आराम कर रही हूं।
मेरी डिलीवरी का समय काफी करीब आ रहा है। इसलिए ज्यादा घूमने- फिरने या लौड़ा ताकने से बच रही हूं। कहीं बच्चे को ठेस पहुंच गयी तो मुसीबत हो जायेगी।
जैसा कि आप मेरी पिछली कहानी
मिस्त्री के बाद उसके दोस्तों से चुद गई
में पढ़ चुके हैं कि कैसे मैं लकड़ी के मिस्त्री गुलाब को ढूंढते हुए उसके कमरे पर पहुंच गयी थी। वहां गुलाब तो मुझे नहीं मिला लेकिन उसके गठीले सख्त दोस्त मुझे मिल गये।
उनके कड़क ठोस लंड लेकर मेरी चूत चरमरा गयी और गुलाब की कमी उन मुस्टंडों ने पूरी कर दी।
सच में, थ्रीसम सेक्स का भरपूर मजा मिला। वहीं पर मुझे अपने पति मुकेश का राज भी पता चल गया कि वो एक शौकीन किस्म का आदमी है और उसके दूसरे मर्दों के साथ संबंध भी हैं।
मेरे पति के बारे में ये सच्चाई जानने के बाद कई पाठकों ने मुझसे अपनी हमदर्दी जतायी और कहा कि आपको इस रिश्ते में बहुत बड़ा धोखा मिला है। बात तो सही थी लेकिन मैं क्या कर सकती थी।
ये सच्चाई जानने के बाद मैं गांव में चली गयी। सभी मेरे पहुंचने पर बहुत खुश हो गये क्योंकि मैं काफी समय के बाद गांव में गयी थी। मेरी मां देखकर बहुत खुश हुई। मैं भी मां बनने वाली थी। अभी अभी पेट से हुई थी।
पति की सच्चाई के बारे में मैंने मां से कुछ नहीं कहा क्योंकि मैं उनकी खुशी को बर्बाद नहीं करना चाह रही थी।
मेरा रंग ढंग देख मेरी सहेलियां कहने लगी कि तू तो बदल सी गयी है। महंगे कपड़े, साज-शृंगार और ये निखार।
मैं मन ही मन कहने लगी कि अमीर तो हो गयी हूं मगर पति तो गांडू निकल आया। मुझे वहां गये हुए तीन दिन ही हुए थे कि मेरे ससुर जी मुझे लेने के लिये मेरे मायके ही आ पहुंचे।
आकर बोले- बहू, तुम्हारे बिना घर बिल्कुल सूना हो गया है।
मां बोली- अपना बैग तैयार कर ले छोरी। मैं जरा समधीजी के लिए दुकान से कुछ खाने के लिए ले आती हूं।
मैं बैग पैक करने लगी और कपड़े बदलने लगी।
अभी मैं साड़ी पहन ही रही थी कि तभी किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया।
मैं घबरा गई।
मुड़कर देखा तो ससुरजी थे।
घबराई आवाज में मैंने कहा- आप यहां?
वो बोले- हां, कहने आया था कि जल्दी कर ले बहू … लेट हो रहे हैं।
मैंने देखा तो उनकी आंखों में वासना तैर रही थी।
मेरे दिमाग में पुरानी रील दौड़ने लगी कि कैसे ससुरजी मेरे आने से पहले उस दिन भी बहुत प्यासी नजरों से मुझे देख रहे थे जब उन्होंने कहा था कि मैं खुद लेने आऊंगा तुझे।
मैंने कहा- बस आती हूं बाबूजी, आप बाहर बैठिये।
इतने में मां आ गयी।
मां ने चाय बनायी; हमने चाय पी ली।
फिर हम चलने लगे।
ससुरजी बोले- अच्छा समधनजी, इजाजत दीजिये। फिर आएंगे। कभी आप भी आइये गौरी से मिलने। आपका ही घर है, जब दिल करे आ जाया करियेगा।
मैं चुप थी।
हम गाड़ी में बैठ गये। मैं चुपचाप बैठी थी। नजरें नीचे झुका रखी थीं। ससुर जी कुछ देर चुप रहे और फिर गांव से निकल गाड़ी हाइवे पर आ गई।
वो बोले- बहू … तुम मुकेश से खुश तो हो ना?
उनका सवाल सुनकर उनकी तरफ मैंने देखा और पूछा- क्या मतलब?
वो बोले- मतलब मुकेश तुम्हें खुश तो रखता है ना? दारू पीकर परेशान तो नहीं करता? मतलब तुम इतनी खूबसूरत हो, कमसिन हो।
मैंने भी सोचा था कि ससुरजी से बात करने का मौका मिला तो सवाल करूँगी। उन्होंने खुद यह मुद्दा छेड़ लिया था।
मैं बोली- आपको अपने बेटे पर भरोसा नहीं था क्या ससुरजी … जो यह सवाल पूछ रहे हैं? या फिर आपको अपने बेटे के कारनामों के बारे में मालूम था जो आप ये सवाल पूछ रहे हैं? और इतने महीनों के बाद आपको पता चला कि आपकी बहू बहुत कमसिन है?? आपको अपने बेटे पर भरोसा होना चाहिए, तभी तो आपका वंश आगे बढ़ा रहा है।
वो बोले- बहू, तुझे मालूम है कि तुम दोनों की शादी के बाद मैं यहाँ कितना कम रहा हूँ। वर्ना मैं तुझसे पहले ही पूछता कि तुझे खुश तो करता है ना वो?
मैं बोली- आपको मालूम होगा कि आपका राजा बेटा कितना शौकीन है।
ससुरजी- बहू … तुम हमारी लाज रख लो, यह बात किसी से मत कहना। देखो, सारी प्रॉपर्टी का वो वारिस है। तुझे किसी चीज की कमी नहीं आने दूंगा। जो चीज कहोगी मिलेगी।
नाराज होते हुए मैंने कहा- मगर किया तो आपने मेरे और मेरे परिवार के साथ धोखा ही ना?
मेरी जांघ पर हाथ टिकाकर ससुर जी बोले- हमारी इज्जत तेरे हाथ में है। अपने नाम वाली प्रॉपर्टी सारी तेरे नाम कर दूंगा बहू! तुम बहुत अच्छी हो बहू। कोई शहर की होती तो हमारा जुलूस निकाल देती। खुलेआम हमारी इज्जत की धज्जियां उड़ा कर रख देती।
अब वो मेरे हाथ को पकड़कर सहलाने लगे।
मैंने कहा- ठीक है, मैं चुप रहूंगी मगर मेरे नाम पर भी प्रॉपर्टी चाहिए मुझे। अपना भविष्य सुरक्षित रखने का मेरा भी हक है।
वो बोले- ठीक है बहू, मंजूर है।
बुड्ढ़े के हाथ बहुत कठोर थे जो मेरे नाजुक हाथों को सहला रहे थे।
वो बोले- तुम बहुत खूबसूरत हो गौरी!
मैं बोली- आप ऐसे मेरे कमरे में क्यों आये जब मैं कपड़े बदल रही थी?
ससुरजी- मैं तो तुझे बुलाने आया था गौरी, मगर अंदर का दृश्य देख मेरे कदम नहीं चले, वहीं रुक गये। तुम्हारा गदराया हुआ हुस्न देख मैं रुक गया गौरी।
तभी उन्होंने गाड़ी एक छोटे रास्ते पर उतार दी।
मैं- इधर किधर मोड़ ली गाड़ी ससुर जी?
वो बोले- वो … मुझे बहुत तेज बाथरूम लगा है। जरा हल्का होकर आता हूँ, तुम बैठो।
वो गये और सामने की तरफ झाड़ियों के बीच जिप खोलते हुए मूतने लगे।
मैं चुपचाप देख रही थी।
वो अपने लंड को मेरी तरफ मुँह कर झाड़ने लगे और जिप बंद करने लगे।
काफी बड़ा और काला रंग का लंड लगा मुझे ससुरजी का।
वो अब आकर बोतल निकाल कर हाथ धोने लगे। फिर हाथ धोकर बैठ गये।
मेरी जांघ को सहलाते हुए बोले- आज जो तेरा हुस्न देखा है ना गौरी … तन बदन में सिरहन सी दौड़ रही है।
उनका हाथ जांघों से खिसकता हुआ ऊपर मेरे नंगे पेट पर रेंगने लगा था।
वो बोले- उफ्फ … कितनी चिकनाहट है गौरी तेरे बदन में।
मैं- ससुर जी, कोई इधर आ जायेगा और हमारी इज्जत का जनाजा निकल जायेगा।
ससुरजी- उफ्फ गौरी … कोई नहीं आयेगा।
कहकर उन्होंने मेरी नाभि को चूम लिया। उनके होंठ लगते ही मेरे मुख से मीठी सिसकारी निकल गयी और मैं उनके बालों में हाथ फेरने लगी।
उन्होंने साड़ी का पल्लू हटाते हुए मेरे पेट को जगह जगह से चूमना शरू कर दिया और ब्लाऊज के ऊपर से मेरे कठोर मम्में दबाने लगे।
वो सिसकारते हुए बोले- उफ गौरी … दिल करता है तुझे बांहों में जकड़ लूं!
मैं- शाम ढलने वाली है ससुरजी।
उनको और उकसाने के लिए मैं बोली- मुझे भी तेज सुसु लगी है। आप बैठिये, ज़रा करके आती हूं। शीशे में से देखते रहियेगा कहीं कोई आ न जाये।
मैं लहराती हुई सामने गयी और साड़ी को उठा दिया। मेरा पिछवाड़ा उनकी तरफ था।
लाल रंग की पैंटी को मैंने सामने से नीचे किया और अपनी गोरी गांड को हिलाते हुए मैं नीचे बैठ गयी।
मेरी चूत से मूत की एक तेज धार नीचे जमीन पर शर्रर … की आवाज के साथ गिरने लगी। ससुरजी का लंड देख और उनके द्वारा चूचे दबाये जाने से चूत में से गर्म पेशाब निकालते समय मजा सा आ रहा था।
मन किया कि लंड लेने को मिल जाये तो प्यास सी बुझ जाये।
मूतने के बाद मैंने उनके सामने मुँह करके पैंटी ऊपर सरकायी।
वो मेरी गोरी जांघों के बीच मेरी चिकनी चूत को घूर रहे थे।
फिर बड़ी अदा से पैंटी चढ़ाकर मैंने साड़ी नीचे की और मटकती हुई उनकी तरफ आयी।
गाड़ी में बैठी ही थी कि ससुर जी बोले- जान निकालेगी क्या? तेरी गोरी चिकनी जांघों के बीच का सुराख देख मेरा हाल बुरा हो गया है। देख इधर!
मेरा हाथ पकड़कर उन्होंने कठोर हुए लंड पर रख दिया। लंड एकदम से सख्त हो गया था।
हाथ में पकड़ने के बाद ऐसा लग रहा था जैसे कि हल्के गर्म लोहे को पकड़ लिया हो।
मैंने हाथ हटाया तो उनकी पैंट का तंबू बना पड़ा था।
मैं सिसकारी- उफ ससुर जी … क्या हो गया इसको?
वो बोले- तेरी जवानी देखकर जोश में आ गया है।
मैं बोली- चलिए यहां से ससुर जी।
वो बोले- हां गौरी … आज तुझे फार्म हाउस दिखाता हूँ अपना। कभी देखा नहीं तुमने।
उदासीन शब्दों में मैंने कहा- मुझे कहाँ कोई कुछ दिखाता है।
वो बोले- मेरी रानी नाराज़ मत हो। अब तुझे सब जगह दिखाया करूँगा। आज वहीं रुकेंगे हम। वैसे भी मैं घर नहीं बता कर आया कि आज तुझे लेने जाऊंगा।
उन्होंने गाड़ी बैक करके मेन रोड पर डाली।
वो बोले- सहलाती रह बहू … इसको देख कितना कड़क है।
ससुर जी गाड़ी चलाने लगे। मैं बहुत उत्सुक थी उनका लंड देखने के लिए।
मैंने ज़िप खोल दी और अंडरवियर को खिसका कर लंड को बाहर निकाल लिया।
बहुत बड़ा और मोटा लंड था ससुर जी का। समझ नहीं आ रहा था कि मेरा पति मुकेश किस पर गया था।
मुझसे रुका न गया। लंड पर हाथ को ऊपर नीचे करने लगी तो ससुरजी ने गाड़ी की स्पीड भी बढ़ा दी।
मैंने नीचे झुककर लंड पर होंठ रख दिये।
एकदम से ससुरजी की सिसकारी निकल गयी- उफ्फ … बहू।
मैं ससुरजी के गीले लंड को चूसने लगी; बहुत रसीला था।
ससुरजी बेचैन होकर बोले- बस कर गौरी। हम फार्महाउस पहुंचने वाले हैं। वहां बेड पर खुले दिल से खेल लेना इसके साथ।
जल्दी ही हम एक बड़े से गेट के सामने जा खड़े हुए।
उन्होंने हॉर्न दिया तो एक नौकर भागा आया, गेट खुला और गाड़ी सीधी पोर्च में रुकी।
नौकर का सलाम लेकर हम अंदर चले गये।
जाते ही ससुरजी अंदर से दरवाजा बंद कर मुझसे लिपटने लगे।
मैं बोली- रातभर आपकी हूं ससुरजी!
वो बोले- बर्दाश्त नहीं हो रहा रानी।
फिर उन्होंने हाथ पकड़ कर बाथरूम दिखाते हुए कहा- जाओ जल्दी फ्रेश हो लो।
मैंने उनके सीने पर हाथ फेरकर छाती के बटन खोलते हुए कहा- आओ ना राजा … तुम ही फ्रेश कर दो।
बटन खुलते ही उनका चौड़ा सीना नंगा हो गया जिस पर सफेद और काले मिक्स बाल थे।
एक पति की फीलिंग आज मुझे ससुरजी से मिली। थका पति घर आये … पत्नी शरारती मूड में उसकी शर्ट उतारे।
ससुर जी बहुत फिट थे। देखते ही देखते वो दो कपड़ो में थे और मैं उनके सीने को चूम रही थी। उन्होंने खुद मेरी साड़ी उतारी और हर जगह होंठ लगाते हुए मुझे चूमने लगे।
दोनों गर्म होने लगे कि तभी वो रुक कर बोले- रुको बहू, पहले साथ में नहाते हैं।
वहां पर एक छोटा सा फ्रिज भी था और साइड में एक छोटा बार भी बना हुआ था।
पैग बनाकर फिर वो मेरी कमर में हाथ डाले मुझे बाथटब के पास ले गये। घूंट मारते हुए उन्होंने गिलास मेरे होंठों से लगा दिया और मैंने भी 2-3 घूंट खींच लिये।
ससुरजी ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। मेरा गदराया यौवन नँगा देख वो पागल हो गये और मेरी छातियों पर शराब डालकर चाटने लगे। मैंने उनके हाथ से गिलास लिया और खींच गयी।
मुझे सुरूर जल्दी होने लगा तो उनका लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी।
वो मुझे लेकर बाथटब में घुस गये और हम दोनों खूब लिपटने लगे। पानी मेरी जवानी में और आग लगा रहा था।
मैं उनके लंड को चूसने लगी।
वो सिसकारे- उफ गौरी … पूरा मुँह में डालो उफ … आह्ह क्या चूसती हो तुम!
नशे में मैं उनका बड़ा लंड मुँह में भरकर चूसने लगी। उन्होंने मुझे पलटा और मेरी गांड को अपनी छाती पर टिका दिया।
मेरी चूत उनके होंठों के करीब थी।
जैसे जैसे मैं उनका लंड चूसती ससुर जी मेरी चूत को चाटते। उसमें कभी उंगली डालते तो कभी जीभ घुमाते।
पूरे बाथरूम में मेरी सिसकारियां गूंजने लगीं- उफ राजा … खा जाओ मेरी चूत को … उफ … आह … सी सी … आह … खाओ जानू। उफ … चख लो बहू की जवानी।
उनका 7.5 इंच के करीब बड़ा लंड थूक से मैं लथपथ करती और चाट डालती। उनकी भी वैसी ही सिसकारियां निकल जातीं। मेरी चूत के दाने को जीभ से रगड़ते हुए वो झड़ने के करीब थे।
फिर आह … आह … करते हुए उन्होंने गर्म पिचकारियों से मेरे मुँह को भर दिया और इधर मेरी चूत का पानी छूटने लग गया- उफ आह आह … करते हुए मैं भी खाली हो गयी।
हम दोनों हांफने लगे।
वो कहने लगे- तुम मस्त खेलती हो।
मैंने भी कह दिया कि आप भी मस्त खिलाड़ी हो मगर आपका बेटा पता नहीं कैसे ऐसा निकल गया।
ससुरजी ने मुझे तौलिए से पौंछ कर साफ किया और उठाकर बिस्तर पर ले गये।
मैं उठी और दो पैग बनाकर लहराती हुई आकर उनकी गोदी में बैठ गयी।
वो बोले- मुकेश, तुझे अच्छे से चोदता तो है ना?
मैं- क्या खाक चोदता है? बस गंदी गालियां देते हुए लंड को किसी तरह खड़ा रखता है और फिर खुद ही हिलाकर सो जाता है। मैं उंगली से रगड़ कर काम चलाती हूं।
उनके सीने पर अपने होंठ रगड़ते हुए मैं बोली- पीओ ना राजा।
वो बोले- आज तुझे सुहागरात का असली सुख दूंगा।
उनका लंड फिर अंगड़ाई ले रहा था। शराब के साथ वो मेरा दूध पीते रहे। पैग लगाने के बाद मुझ पर बहुत नशा हो गया और मैं ससुर जी की छाती पर गांड टिका कर बैठ गयी और अपने उरोजों को पकड़ पकड़ कर उनके मुहँ में डालकर चुसवाने लगी।
वो मेरी आँखों मे आंखें डालकर चूसते और मैं बालों को खोलकर उनके चेहरे पर बाल लहराने लगती। वो बोले कि बहुत ही हसीन और गदरायी हुई रंडी लग रही हो तुम अब।
मैं भी नशे में बोल पड़ी- कुत्ते … फिर पेल ना इस रंडी कुतिया को?
उन्होंने कहा- तो चल … रेंगती हुई मेरे लिये पैग बनाकर ला।
मैं गांड उठाये रेंगती जाने लगी। उनसे रहा न गया और मेरे पीछे आने लगे। वो मेरी गांड पर थप्पड़ मारते और फिर गांड हिलाने को कहते हुए मेरी चूत को चूमने लगते।
ऐसा सुख तो जिंदगी में पहली बार ले रही थी।
मैंने पैग बना कर दिया और बोली- सोफे पर बैठ जाओ।
वो बैठ गये और मैं कुतिया की तरहं रेंगती हुई गयी और जाकर उनके लंड को चूसने लगी।
उनके बड़े बड़े आंड को पकड़ कर चूसती और लंड को चूसती।
वो बोले- कुतिया … अब लगता है तेरी प्यास बुझानी पड़ेगी।
मैं- हां राजा … बहुत खाज है, चूत में लंड को पेल दो मेरे राजा।
वो बोले- आजा रांड, बैठ जा अपने सामान पर!
मैं दोनों टांगें खोलकर उनके लंड को चूत पर टिकाकर बैठ गई।
चूत को चीरता हुआ लंड मेरी चूत की फांकों के अंदर जाता महसूस हुआ कि कुछ घुस रहा है।
देखते ही देखते पूरा लंड खा गई मेरी चूत!
मैं उछलने लगी।
मेरे दोनों मम्में ससुर जी की छाती से दबे पड़े थे और उछल उछल कर मैं लंड खा रही थी।
जब चूत की खुजली और उठी तो मैं बोली- राजा, मुझे बिस्तर पर पटक कर ऊपर चढ़कर रौंद डालो।
उन्होंने मुझे बिस्तर पर पटक दिया और ऊपर आकर पूरा लंड घुसा दिया।
लंड लेने के मजे में मेरी आह्ह … ऊहह … निकलने लगी।
मैं ससुर जी के स्टेमिना पर हैरान थी।
कुछ देर चोदने के बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बना लिया और थपक थपककर मेरी चूत चोदने लगे।
साथ ही उन्होंने मेरी गांड़ में उंगली डाल रखी थी।
मैं भी मस्त गदरायी हुई घोड़ी बनकर चुद रही थी।
उनके झटकों से मैं झड़ने लगी थी और वो नहीं रुके।
फिर कुछ देर चोदने के बाद तेज़ झटके देते हुए उन्होंने पानी मेरी फुद्दी में गिरा दिया।
उनका और मेरा लावा मेरी जांघों पर बहने लगा।
मैं बिस्तर पर गिरी तो ससुर जी भी ऊपर ही गिर गये।
हम दोनों आंखें मूंद हांफने लगे।
फिर कुछ देर बाद हम उठे।
तभी नौकर ने फोन किया कि खाना आ गया है।
मैं बिस्तर पर चादर लेकर लेट गयी।
ससुर जी ने गाऊन सा पहना और दरवाज़ा खोलकर डिनर रखवाया।
फिर हमने एक एक पैग लगाया और डिनर किया।
हम नंगे ही एक दूसरी की बांहों में अंगों को सहलाते हुए एक दूसरे के साथ बातें करते रहे।
ससुर जी ने बताया- तीन बच्चे दिये भगवान ने … दो बेटियां एक बेटा! एक बेटी भाग गयी किसी के साथ. और यह कमीना गांडू निकला। इतनी जायदाद है। बस एक बेटी ठीक निकली।
वो बोले कि अगले हफ्ते ईंटों का भट्ठा और दौलतपुर गांव की ज़मीन वो मेरे नाम लगवा देंगे।
मगर उन्होंने वादा लिया कि ज़िन्दगी भर मैं ये राज नहीं खोलूंगी।
मुझे उन्होंने गाड़ी भी गिफ्ट करने का वादा किया।
फिर एक राउंड और शुरू हुआ हमारा।
69 में हम एक दूसरे के अंगों को चाटने लगे।
फिर ससुर जी ने मेरे पीछे लेटकर मेरी एक टांग उठा कर हाथ में पकड़ ली और एक हाथ से लंड को चूत पर टिकाकर घुसा दिया।
वो साथ में मेरी चूची पकड़कर मसलते रहे और प्यार से चोदने लगे।
कुछ देर ऐसे चोदने के बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और बोले- गांड में लोगी?
नशे में मैं बोली- जहां मर्जी डाल दो।
उन्होंने थूक लगा कर लंड मेरी गांड में डाल दिया। मोटा था … दर्द हुआ मगर मजा बहुत आया।
करीब आधा घंटा ससुर जी कभी गांड तो कभी चूत मारते रहे।
मैं फिर से झड़ गयी।
बहुत मुश्किल से एक घण्टे के चोल मोल के बाद आखिर तूफान की तरह उन्होंने मेरी चूत को रगड़ा तो उनका पानी निकला।
वो मुझपर निढाल होकर गिर गये।
हम थक चुके थे तो दोनों की आँख ऐसे ही लग गयी।
सुबह जागी तो पूरी नंगी पड़ी थी मैं!
ससुर जी का लंड सिकुड़ कर छोटा हो चुका था मगर इस अवस्था में भी बड़ा लग रहा था।
लंड पर मेरा पानी लगने की वजह से वो सफेद हुआ पड़ा था। मेरी भी जांघों पर सफेद माल जमा हुआ था।
मैं उठकर मूतने गयी; सफाई की और आकर उनको उठाया।
फिर हम तैयार होकर शहर की तरफ निकले।
रास्ते में ब्रेकफास्ट किया।
उसके बाद ससुर जी ने चुपचाप बिना किसी को बताये मेरे नाम जमीन कर दी।
ईंटों का भट्ठा तो सबके सामने ही मेरे नाम कर दिया।
मेरी ननद को इससे बहुत तकलीफ हुई।
उसका पति मेरी शादी के समय इंडिया में नहीं था। तब वो कनाडा में था, आ नहीं सका था। जब वो मुझे मिला तो मैंने उसको अपनी अदाओं से रिझा लिया।
मैंने ननद के लिए सोच लिया कि कुतिया अगर तेरा पति बिस्तर पर ना अपना किया तो मैं भी गौरी नहीं।
ससुरजी बोलते रहते कि बहू तेरे जिस्म की प्रति पूर्ति मैं करूँगा।
दूसरी तरफ मेरा दिमाग ननदोई जी को अपने बिस्तर पर लाने का था।
ससुर जी मुझे मौका मिलते ही हल्की कर देते। कभी डॉक्टर को दिखाने के बहाने बाहर ले जाते। फिर चैकअप करवा कर मुझे फार्म हाउस ले जाते।
मेरा पेट भी बाहर निकलने लग गया था।
मेरी ननद जान बूझकर पति के साथ आकर रहने लगी। उसका पति राहुल उतना ही मेरी तरफ आकर्षित होने लगा।
कोरोना की वजह से मुझे उसके पति का लंड खड़ा करने का मौका नहीं मिल रहा था।
फिर आखिर एक मौका मिल ही गया।
ननद मेडिकल लाइन में थी। जिस दफ्तर में जॉब करती थी वहां इनकी ज़बरदस्त ड्यूटी लग गयी।
9 से 5 तक वो वहीं रहती। एक दिन राहुल को मैं अकेली घर में मिल गयी। अब तो मेरे पास अच्छा मौका था। फिर मेरे ननदोई राहुल और मेरे बीच में क्या खिचड़ी पकी ये तो मैं आपको अब अगली कहानी में बताऊंगी।
कहानी को अपना प्यार दें और मैसेज व कमेंट करना न भूलें।
आपकी अपनी गौरी
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